Apr 30, 2015

१५-०१-२०१५ खोतारम की पतंग

   15-01-2015 खोताराम की पतंग

और प्रदेशों का पता नहीं, लेकिन राजस्थान में संक्रांति के एक दो दिन पहले और बाद में छतों पर पतंग उड़ाई जाती है | जब चीन में बनी देवी-देवताओं की मूर्तियाँ तक चल पड़ी हैं तो माँझे में ही क्या बुराई है ? चीन का माँझा पता नहीं, स्वास्थ्य के लिए कैसा होता है लेकिन होता बहुत सस्ता और उसके अन्य सामानों के विपरीत मज़बूत भी | पहले की तरह काँच पीसने, लेही बनाने और फिर गली में इस सिरे से उस सिरे तक ट्रेफिक जाम करके माँझा सूँतने का कोई झंझट नहीं | सुँता-सुँताया तैयार मिलता है | सावधान न रहने पर कबूतर ही क्या, बच्चों तक गर्दन तक पर चीरा लग जाता है |जिन्हें कोई मुद्दा नहीं मिलता वे छुटभैय्ये नेता चीनी माँझे को लेकर विरोध प्रदर्शन करते हैं और शाम को उसी चीनी माँझे से पतंग उड़ाते हैं |

कल संक्रांति को तोताराम आया, एक हाथ में पतंग लूटने के लिए झाड़ी का एक छड़ा, एक हाथ में दो-तीन अधफटी पतंगें और कन्धों पर बेतरतीब लिपटा कई रंग का माँझा | बड़ी अज़ब सजधज थी |हमें हँसी आ गई तो नाराज़ हो गया,बोला- इसमें हँसने की क्या बात है ? बड़े-बड़े लोग पतंग उड़ाते हैं |मोदी जी का काला चश्मा लगाए पतंग उड़ाते का फोटो अभी तक मेरी आँखों में बसा है | और अब अमित जी का 'शमिताभ' फिल्म में पतंग उड़ाते का फोटो छपा है | 

हमने कहा- लेकिन वे तेरी तरह ऐसे पतंगें नहीं लूटते फिरते | 

बोला- उन्हें क्या पता लूटी हुई पतंग उड़ाने का मज़ा ? और किसे पता यदि बचपन में पतंगें लूटी हों तो | मुफ्त के माल का स्वाद ही कुछ और होता है | कई एम.पी. अपने आवंटित आवास में रहने की बजाय पाँच सितारा होटल में रह रहे हैं | मुफ्त का जो है | यदि अपने पैसे से रहना पड़े तो एक कमरे में पाँच-पाँच रह लेते हैं |

हमने कहा- लेकिन तेरी यह उम्र कोई पतंग उड़ाने की है क्या ? कहीं माँझे से गला कट गया या छत से गिर पड़ा तो सरकार से इलाज़ का पैसा भी नहीं मिलेगा |

कहने लगा- तो अमित जी की उम्र कौन सी पच्चीस की है ? होंगे तो मुझसे दो महीने छोटे होंगे |

हमने कहा- ठीक है लेकिन उन्होंने तो पतंग किसी 'शमिताभ' फिल्म में उड़ाई है | फिल्म में तो कहानी की माँग के अनुसार जैसे निर्देशक कहे वैसे कपड़े पहनने पड़ते हैं और वही करना पड़ता है | बेचारी कई हीरोइनों को तो कहानी और रोल की माँग को देखते हुए कपड़े तक उतारने पड़ जाते हैं, सर्दी में मन न होते हुए भी ठंडे पानी से नहाना पड़ता है |और फिर ग्लेमर और राजनीति में मीडिया में रहने की मज़बूरी भी तो होती है | फ़िल्में चलवाने के लिए विवाद उठवाने पड़ते हैं, अफेयर की खबरें उड़वानी होती हैं | वैसे ही जैसे नेता को जब मीडिया घास नहीं डालता उसे धर्म-जाति के विवादास्पद बयान देने पड़ते हैं |लेकिन तेरी क्या मज़बूरी है ?

बोला- तो यह समझ ले कि मैं अपनी फिल्म की माँग के अनुसार यह कर रहा हूँ |
'फिल्म'- हमें आश्चर्य हुआ, पूछा- 'तू किस फिल्म में काम कर रहा है' ?

बोला मैं- 'खोताराम' फिल्म में काम कर रहा हूँ |

हम फिर दुविधामें,पूछा- यह भी कोई नाम है ?

कहने लगा- जैसे 'शमिताभ' नाम अमिताभ से निकाला गया है वैसे ही यह 'खोताराम' नाम तोताराम से निकाला गया है |

अब इस बूढ़े-बच्चे को कौन समझाए कि बड़े आदमी जो करें वह लीला होती है वही काम छोटा आदमी करे तो वह लफंगई कहलाती है |

१५-०५-२०१५




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