Oct 8, 2015

बिकनी में आओ गैस फ्री पाओ

बिकनी में आओ, फ्री गैस पाओ 

जिस गंभीरता से तोताराम अखबार पढ़ता है उस गंभीरता से तो उसका संपादक भी अखबार तैयार नहीं करता होगा |वैसे आजकल अखबार और मीडिया को गंभीरता की ज़रूरत भी नहीं है क्योंकि जिस तरह से नेता और उनके उग्र समर्थक बयान  बदल देते हैं  उसे देखते हुए किसी बयान को किसी भी रूप में छाप दिए जाने से भी कोई फर्क नहीं पड़ता |बस, विज्ञापन मिलते रहें फिर एक क्या हजार अखबार और हजारों चेनल उग आएँगे |
कुछ अखबार 'नो नकारात्मक न्यूज' का शोशा छोड़ते हैं वैसे यह भी सच है कि सभी अखबारों मे सब कुछ सकारात्मक ही तो होता है- कोई आपके बालों और त्वचा की सभी समस्याओं का हल दे रहा है तो कोई मात्र एक विशेष माला पहनने से ही सभी  संकटों का मोचन करने का होने करता है तो कोई बाबा १०१ रुपए में नौकरी, विवाह और सभी घरेलू क्लेश मिटा देता है |लेकिन आज तोताराम जो समाचार लाया वह तो अद्भुत था जिस पर तोताराम जैसे प्रतिभाशाली लोगों की ही निगाह पड़ी होगी |

कटिंग दिखाते हुए बोला- देख, यहाँ तो गैस के दाम बढ़ा दिए और फिर सब्सीडी का नाटक किया और अब कह रहे हैं- लगों को गरीबों के हित में गैस सब्सीडी छोड़ देनी चाहिए जब कि खुद से संसद में सस्ते खाने की सब्सीडी तक नहीं छोड़ी जाती | और एक छोटा सा देश है यूक्रेन जो गैस स्टेशन पर किसी खास दिन बिकनी में आने पर गैस फ्री दे रहा है | इस चक्कर में कुछ पुरुष भी बिकनी में आ गए तो गैस स्टेशन वाले ने उन्हें भी निराश नहीं किया |

हमने कहा- तोताराम, इस दुनिया में कोई गोबर ,मिट्टी तक तो फ्री देता नहीं फिर फ्री के विज्ञापन चाहे यूक्रेन के हों या भारत के सब धंधे के तरीके हैं |जब औरतें बिकनी में आएंगी तो उन्हें दर्शक भी तो इकट्ठे होंगे |गैस स्टेशन वाला उन्हें च्यूइंग गम और चिप्स बेचकर कमा लेगा |

बोला- तुझे तो किसी के भी लोकहितकारी और क्रान्तिकारी कदम पर विश्वास ही नहीं होता |किसी भी काम में तुझे सकात्मकता दिखाई ही नहीं देती | लोग एक वोट के बदले देश-दुनिया बदलने का दावा करते हैं तो उसमें भी तुझे खोट ही दिखाई देता है |अरे, दुनिया नहीं बदलेगी लेकिन कुछ दिन के लिए मनःस्थिति तो बदल जाएगी, यही क्या कम है | सुकून तो एक पल का ही बहुत होता है | गुड़ न मिले तो क्या, गुड़ की बात में भी मिठास होता है लेकिन तेरे जैसा निराशावादी इसे नहीं समझ सकता |

हमने कहा- इस कम कपड़ों में गैस फ्री मिलने में क्या बड़ी बात है |हमारे यहाँ तो सेल्फी, रोमांटिक फोटो पोस्ट करने की खबर मात्र से ही यश, विज्ञापन और फिल्मों में काम मिल जाता है |और यदि कोई सारे पकड़े उतारकर चौराहे पर खड़ा हो जाए तो चुनाव में पार्टी का टिकट, जन सेवा का अवसर और मंत्री पद जाने क्या-क्या मिल जाता है |ऐसी पारदर्शिता का हमारे देश से बड़ा ग्राहक और कौन होगा ?और तू है कि यूक्रेन के गुण गाए जा रहा है |

हमारे यहाँ तो कहावत ही है- नंगा राम से भी बड़ा |






 

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