Nov 26, 2015

तोताराम का जन्मदिन

  तोताराम का जन्म दिन

जिस प्रकार कवियों के वर्णन में ब्रह्ममुहूर्त में पूर्व दिशा में उषा की लाली छा जाती है, कमल विकसित हो जाते हैं, उनमें कैद भौंरे निकल गुंजार करने लग जाते हैं, वातावरण में पक्षियों का कलरव व्याप्त हो जाता है उसी तरह हमारी सुबह के तीन दृश्य हैं |पहला- कृषि मंडी में सब्ज़ी बेचने के लिए जाने वाली बैलगाड़ियों, मोटर साइकिलों, साइकिलों, ऑटो रिक्शाओं की धड़धड़ाहट मुखर हो जाती है |दूसरा- धार्मिक स्थानों के माइक अपने-अपने ईश्वरों को प्रसन्न करने या आलसियों को जगाने या भक्तों को लुभाने के लिए पूरे वोल्यूम में गरजने लगते हैं |लगता है जिसका शोर ज्यादा होगा वही विजयी होगा | दोनों की ध्वनियाँ एक दूसरी पर इस कदर हवी हो जाती हैं कि उनके शब्द और सन्देश समझ पाना असंभव हो जाता है |मेरे जैसे मज़बूरन श्रोता को पता नहीं इससे दोज़ख मिलेगा या नरक ?और तीसरा हमारा अपनी पालतू मीठी को घुमाने ले जाने का कार्यक्रम |

जैसे ही घर में घुसने लगे, एक गधा गाड़ी वाले ने हमारे बरामदे में एक गठरी और एक छोटी सी मानवाकृति को उतारा तो हमें आश्चर्य हुआ क्योंकि हमने इतनी सब्ज़ी के लिए किसी को भी आर्डर नहीं दिया था |नज़दीक जाकर देखा तो तोताराम |

पूछा- आज इस शाही सवारी में आने की ज़हमत कैसे फरमाई ?

बोला- जब मुलायम सिंह जैसे सरल, मितव्ययी और सच्चे समाजवादी अपने जन्म दिन पर इंग्लैण्ड से बग्घी मंगा सकते हैं तो मैं क्या इस गधा-बग्घी में क्यों नहीं आ सकता ?

हमने कहा- मुलायम जी से तुलना करने की तेरी हिम्मत कैसे हुई ? कहाँ तू एक साधारण पेंशन भोगी मास्टर और कहाँ वे पूर्व एम.एल.ए., मुख्यमंत्री, सांसद, रक्षामंत्री और सम्प्रति मुख्यमंत्री के पिताजी | उन्होंने तो मात्र ७६ किलो का केक, २  करोड़ का मंच, १२ करोड़ के नाचने और गाने वाले बुलाए हैं |चाहते तो क्या नहीं कर सकते थे ? लेकिन तुझे यह गाड़ी, यह केक का नाटक करने की क्या ज़रूरत थी |तुझे तो अपने कम्यूटेशन के समाप्त होने का हिसाब लगाना चाहिए कि कब समाप्त होगा और कब १५०० रूपए कटने बंद होंगे |

बोला- भाई साहब, गधा गाड़ी वाले ने मुफ्त में लिफ्ट दे दी थी और फिर मेरे लिए ५० किलो का केक उठाकर लाना संभव भी तो नहीं था |खैर, शेष ब्रेक के बाद | मुहूर्त निकला जा रहा है |

हम दोनों बरामदे में आगे बैठ गए | तोताराम ने अपना एक फोटो टांग दिया |जैसे ही कार्यक्रम शुरू हुआ दीप- प्रज्ज्वलन के बाद हमने फूलमाला फोटो पर डाल दी |

तोताराम उखड़ गया, बोला- इतना भी पता नहीं ? क्या उत्तर प्रदेश के एक पूर्व मंत्री बंशीधर जी की तरफ फोटो पर फूलमाला डाल दी |कहीं जिंदा व्यक्ति के जन्म दिन पर माला डाल कर श्रद्धांजलि दी जाती है ?

हमने कहा- क्या जीते जी कोई श्रद्धास्पद नहीं हो सकता ? क्या श्रद्धा प्रकट करना गलत है ? शब्दों के चक्कर में मत पड़ |क्या 'अपेक्षा' और क्या 'उपेक्षा', होना तो वही है ना |

तोताराम ने केक से पर्दा हटाया- यह क्या, बड़े से पत्थर पर कोई एक किलो का केक |हमने कहा- तोताराम, यह क्या ? बोला- आपका लघु भ्राता हूँ | वास्तव में मितव्ययी |वैसे उम्र के हिसाब से मैं भी चोहत्तर किलो का केक ला सकता था लेकिन मैंने इसे अपने वज़न से जोड़कर ५० किलो का कर दिया और इसमें भी ४९ किलो का पत्थर का बेस और एक किलो का केक |

जैसे ही तोताराम ने केक का टुकड़ा हमारे मुँह में दिया, यह क्या  ? पहले थोड़ा सा केक का और फिर बाजरे का स्वाद | हमने पूछा- तोताराम, यह क्या चक्कर है ?

बोला- बन्धु, ऊपर-ऊपर केक और फिर अन्दर बाजरे का चूरमा | यह है अपना विकसित होने और महंगाई से लड़ने का तरीका |

हमने कहा- तोताराम, सरकार कुछ भी कर ले, महंगाई कितनी भी बढ़ जाए लेकिन तेरा कोई कुछ नहीं बिगाड़ सकता |







No comments:

Post a Comment