Feb 15, 2017

 उनका मिलना

सुना है, वे मिलने वाले हैं | यह नियति है तो आज नहीं तो कल, उन्हें मिलना ही है | कहीं ऐसा तो नहीं है कि कोई उन्हें ज़बरदस्ती मिला रहा है ? पर मिलने की ब्रेकिंग न्यूज है | वातावरण में बड़ा रोमांच, सस्पेंस और तनाव है | मिल पाएँगे कि नहीं ? मिलेंगे तो कब, कहाँ और कैसे ? कितनी देर तक मिलेंगे ? किस समय और किस मौसम में मिलेंगे ? मौसम बेईमान होगा या ईमानदार ? मिलेंगे तब पहले कौन मुस्कराएगा ? पहले कौन हाथ बढ़ाएगा ? हाथ मिलाएंगे या गले मिलेंगे ? खाली हाथ मिलेंगे या कोई गुलदस्ता होगा या कोई पात्र ? कहीं किसी के हाथ में कोई बघनखा तो नहीं होगा ? जैसे अफ़ज़ल खान से मिलते समय शिवाजी के हाथ में था | राम और सुग्रीव की तरह किसी हनुमान की उपस्थिति में अग्नि की साक्षी में मिलेंगे ? या राम और विभीषण की तरह मिलेंगे और मिलते ही राम की तरह विभीषण को लंका का राजा घोषित कर देगे ? कृष्ण और सुदामा की तरह मिलेंगे या धृतराष्ट्रऔर भीम के लौह-पुतले की तरह मिलेंगे ? पाठक भीम के प्रति धृतराष्ट्र के वात्सल्य भाव के बारे अच्छी तरह जानते हैं | सिकंदर और पोरस की तरह मिलेंगे या समधियों की तरह या मनमोहन और मुशर्रफ की तरह मिलेंगे या फिर चोर और सिपाही की तरह ? मोहम्मद गौरी और जयचंद की तरह वतन का सौदा करने के लिए मिलेंगे या फिर राणा प्रताप और भामाशाह की तरफ मेवाड़ की स्वतंत्रता का जतन करने के लिए मिलेंगे ?

वैसे जिनको मिलना होता है वे कब और कैसे मिल लेते हैं ? जब भंडा फूटता है तो पता चलता है कि अमुक-अमुक मिले थे | बुज़ुर्ग लोग आश्चर्य करते हैं कि किसी को पता तक नहीं चला | पता नहीं कब और कैसे मिल लिए ? वैसे कुछ बस स्टाप पर लाइन में खड़े-खड़े ही मिल लेते हैं | कुछ वेलेंटाइन डे पर अखबारों में छद्म नामों से सन्देश छपवाकर मिल लेते हैं | कुछ हीरो या हीरोइन की बहन या सखी के घर मिल लेते हैं | कुछ भरी दुपहरी, बीच सड़क पर मोटर साइकल रोककर मिल लेते हैं भले ही दूसरे वाहन चालक कुढ़ते रहें | कुछ रैदास के चन्दन और पानी की तरह मिलते हैं, कुछ तेल और पाअनी की तरह मिलते हैं तो कुछ दूध और काचर के बीज की तरह मिलते हैं | कुछ के मिलने पर केवल भौतिक परिवर्तन होते हैं जब कि कुछ के मिलने पर रासायनिक परिवर्तन होते हैं और कभी-कभी कुछ के मिलने पर जैविक परिवर्तन भी हो जाते हैं | कुछ टूट कर मिलते हैं तो कुछ छूटकर, और कुछ रूठकर मिलते हैं | कुछ लुट कर तो कुछ लूटकर मिलते हैं | कुछ साइकल, कुछ प्लेन, कुछ हेलीकोप्टर से जाकर मिलते हैं तो कुछ सुदामा की तरह पैदल ही द्वारका के लिए 'मांगत खात चले तहाँ मारग बाली-बूँट'चल पड़ते हैं |कुछ सोहनी और महिवाल की तरह कच्चे घड़े के सहारे ही नदी पार करते मिलने के लिए चल पड़ते हैं | कुछ का मिलना लोगों को सुखद लगता है तो किसी के मिलने में जातीय पंचायत ही बीच में लट्ठ अड़ा देती है और कभी-कभी तो सज़ा भी सुना देती है | कुछ का मिलना शाश्वत हो जाता है तो कुछ चौबीस घंटे भी नहीं निकालते |

कुछ चाहकर भी नहीं मिल पाते तो कुछ को ज़बरदस्ती मिला दिया जाता है और वे जीवन भर रस्सी तुड़ाने के लिए मौका देखते रहते हैं | कुछ को मिलने के लिए खुला छोड़ दिया जाता है तो कुछ के मुँह पर सिद्धांतों की छींकी बाँध दी जाती है | कुछ जन्म-पत्री के आधार पर मिलते हैं तो कुछ संयोगवश | कुछ बिछुड़ कर कभी नहीं मिलते तो कुछ 'पाकीज़ा' की तरह बार-बार बिछड़-बिछड़कर मिलते रहते हैं |कुछ के मिलन में मंगल अमंगलकारी हो जाता है तो नंगे पाँव तीर्थ-यात्रा करनी पड़ती है | कुछ मध्यस्थ के थ्रू मिलते हैं तो कुछ स्वयं ही अपनी व्यवस्था कर लेते हैं | कुछ की जोडियाँ ऊपर से तय होती हैं तो कुछ की नाई-ब्राह्मण मिलाते हैं | कुछ का मिलना बेमेल मन जाता है तो कुछ का मिलना इसलिए अच्छा मन जाता है की चलो दो घर बिगड़ते एक घर ही बिगड़ा |

हम तो इतना ही जानते हैं की जिनमें मिलने की चाहत, लगन, ज़ज्बा, शिद्दत होते हैं वे कभी भी और कहीं भी मिल कर ही रहते हैं | ऐसे लोग समय व्यर्थ नहीं करते | हीरो मोबाइल पर मेसेज कर देता है कि डोली सजाकर रखना, मेहंदी लगाकर रखना , मैं मोटर साइकल स्टार्ट करके रखूँगा और बैठते ही छू | कृष्ण-रुक्मिणी का, अर्जुन-सुभद्रा का और पृथ्वीराज संयोगिता का अपहरण करके मिलते हैं | मिलने वाले ज्योतिषी से मुहूर्त निकलवाने में समय व्यर्थ नहीं करते | और न ही वास्तुशास्त्री से पूछते हैं कि उत्तर-पूर्व में मिलें या दक्षिण-पश्चिम में या कि फिर पिछवाड़े में | कुछ में मिलने की इतनी लगन होती है कि इस जन्म में मिलने की संभावना ख़त्म होते ही 'उस दुनिया' में मिलने के लिए चूहे मारने वाली दवा पी लेते हैं | तभी कहा है - नींद न देखे टूटी खाट, प्यास न देखे धोबी घाट |सच्चा पीनेवाला ८ पी.एम. का समय होते ही व्हिस्की या शैम्पेन का इंतज़ार नहीं करता | कुछ नहीं तो स्पिरिट ही पी जाता है फिर भले ही आँखें चली जाएँ या जान | मिलने की मन में हो तो फिर किसी स्थान विशेष के लिए आग्रह नहीं होता | मिलना है तो मिलना है फिर क्या झूमरी तलैया और क्या झोटवाड़ा |

अर्ज़ किया है-तेरा मिलना खुशी की बात सही , तुझसे मिलकर उदास रहता हूँ |

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