Sep 25, 2017

बाँध दिवस


बाँध-दिवस उर्फ़ मोदी जी का जन्म दिन 

१४ सितम्बर २०१७ को हमने तोताराम को बीजेपी ट्रेन अर्थात बुलेट ट्रेन की बधाई दी थी तो आज  तोताराम ने घर के बाहर से ही कोर्ट के हरकारे की तरह जोर से चिल्लाकर हमें बधाई दी- भाई साहब, बाँध-दिवस की बधाई हो |

आजकल पता नहीं, लोगों और सरकारों को कोई काम है या नहीं ? एक दिन में कई-कई दिवस मना डालते हैं | और कुछ नहीं तो हाथ धो दिवस, कान कुचर दिवस, नाक साफ़ कर दिवस, मच्छर-दिवस, मक्खी-दिवस |अरे भले आदमियो ! कभी 'काम-दिवस', कभी 'चुप-रह-दिवस', कभी 'अपनी प्रशंसा मत कर दिवस', कभी 'सामान्य रह दिवस' जैसा भी तो कुछ कर लिया करो |जिसे काम नहीं करना हो वह दुनिया को दिवसों में उलझाता है |कोई कहे बच्चियाँ सुरक्षित नहीं हैं | सरकार कुछ करे | तो सरकार कहती है- 'बालिका बचाओ दिवस' मना तो रहे हैं |अखबारों में विज्ञापन नहीं देखते ? रैलियाँ, जुलूस, गोष्ठियाँ कर तो रहे हैं |विद्यालयों में रंगोली, मेहंदी, चित्रकला, वाद-विवाद प्रतियोगिता आदि हो तो रहे हैं |

हमने कहा- बाँध-दिवस पर हमें हाथ-पैर बाँध कर पटकेगा क्या ? मोदी जी भी अपने भाषणों से मुसीबतों की मारी जनता को हिलने का मौका नहीं दे रहे हैं |बाँधे हुए हैं अपनी भाषण कला से जादू से |पता नहीं, यह सम्मोहन कब टूटेगा ?

बोला- मैं तुम्हारी इस प्रतीकात्मक भाषा में नहीं, वास्तव में कह रहा हूँ कि आज मोदी जी का जन्म दिन है और अब आगे से देश इस दिन को बाँध-दिवस के रूप में मनाएगा |
हमने कहा- ऐसी क्या बात है ? बाँध तो इस देश में बहुत पहले से बनते चले आ रहे हैं |आजादी से पहले भी सिंचाई के लिए बाँध बनते ही थे | नेहरू जी ने भी स्वतंत्रता मिलने के बाद बहुत से बाँध बनवाए, कृषि विश्वविद्यालय खुलवाए, खाद के कारखाने स्थापित करवाए |तभी तो आज हम इतनी बड़ी आबादी का पेट भर पा रहे हैं | यह बात और है कि प्रशासन अपनी क्षमता के बल पर गोदामों में अन्न सड़ा भी रहां है |

बोला- मोदी जी ने बताया है कि यदि पटेल और अम्बेडकर होते तो नर्मदा बाँध कब का बन गया होता | मेरे ख्याल से १९६० में ही बन गया होता | वैसे कांग्रेस तो इस बाँध को बनने ही नहीं देना चाहती थी | हमेशा अडचनें और डालती रही |

हमने कहा- बन्धु, किसी और को उल्लू बनाना | हम कोई बच्चे या अनपढ़ नहीं है |पटेल १९५० में गुज़र गए थे और अम्बेडकर १९५६ में |जब कि इस बाँध का प्रस्ताव १९५० में बना और १९६१ में नेहरू जी ने इसका शिलान्यास किया |यदि कांग्रेस इस बाँध को नहीं बनाना चाहती तो फिर शिलान्यास ही क्यों किया ?चलो कोई बात नहीं |बाँध बन गया |यदि एहसान नहीं मानना है तो न सही | लेकिन इस अवसर पर भी कांग्रेस को कोसना हमें तो ओछापन लगता है |

बोला- कोसें कैसे नहीं ? यदि कांग्रेस होती तो यह बाँध अब तक भी नहीं बनता |यह तो भगवान की कृपा से २०१४ में मोदी जी प्रधान सेवक बनकर आ गए और ताबड़-तोड़ मेहनत करके मात्र तीन साल में ही बाँध बनवा दिया |इतना बड़ा बाँध और इतनी जल्दी ! अब तो कई देशों के प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति उनके पास 'तत्काल टिकट' की तरह 'तत्काल बाँध बना' तकनीक सीखने के लिए आने लगे हैं |अब ऐसे में उनके जन्म दिन को 'बाँध-दिवस' के रूप में मनाने में क्या, क्यों और कैसा संकोच  ?

हमने कहा- तोताराम, यदि मोदी जी १८३७ में पैदा हो गए होते तो १८५७ में ही देश को आज़ाद करवा दिया होता और हमें गुलाम भारत में जन्म ही नहीं लेना पड़ता |

बोला-  लेकिन किया क्या जाए ? सब संयोग की बात है, बन्धु ! मैं तो कहता हूँ यदि मोदी जी चाणक्य के समय में पैदा हो गए होते तो अंग्रेज ही क्या यवन, शक, हूण, तुर्क, तातार, मुग़ल, फ्रांसीसी, पुर्तगाली आदि कोई भी इस देश कर कब्ज़ा तो दूर आँख उठाकर भी नहीं देखा सकता था |एक मज़े की बात तुझे पता है ? मोदी जी के आते ही अकबर ने बैक डेट से हल्दीघाटी के युद्ध में अपनी हार स्वीकार कर ली है |और देख नहीं लिया कि मोदी जी के डर से चीन कैसे डोकलाम से दुम दबाता, माफ़ी माँगता हुआ भाग खड़ा हुआ |पाकिस्तान की घिग्घी बँधी हुई है |और तुम्हें क्या बताऊँ, जब भी बाहर निकलता हूँ तो मुझे जगह-जगह सड़क पर कमर टूटे हुए आतंकवादी, काले धन वाले, घूसखोर और जमाखोर आदि मिलते हैं |

हमने कहा- सत्य वचन, महाराज |








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