May 12, 2025

2025-05-08 ब्लेक आउट में 'भारत' की अवधारणा की चमक


ब्लेक आउट में 'भारत' की अवधारणा की चमक  




8 मई 2025 

परसों 6 मई को सरकारी स्तर पर घोषणा की गई कि 7 मई को देश के अनेक जिलों में 'मॉक ड्रिल' की जाएगी । युद्ध के समय जान माल की क्षति को कम से कम करने के लिए की जाने वाली एहतियाती कार्यवाही के अभ्यास को 'मॉक ड्रिल' कहते हैं । 6 मई की अर्द्ध रात्रि को भारत ने यथासमय पहलगाँव की आतंकवादी घटना का माकूल जवाब  पाकिस्तान में स्थित आतंकवादी ठिकानों को ध्वस्त करके दे दिया । 

कल 7 मई थी, भारत की इस आवश्यक कार्यवाही के समाचार के साथ ही 'मॉक ड्रिल' का दिन भी । दिन भर इंतजार किया कि कब साइरन बजे और लाइटें बुझाएं लेकिन हमारे इलाके में ऐसा कुछ नहीं हुआ लेकिन सुबह समाचार पढ़ा कि कुछ स्थानों पर ऐसा कुछ अभ्यास हुआ । साथ में उसके फ़ोटो भी थे । 

याद आ गया भारत पाकिस्तान का 1971 वाला दिसंबर के दूसरे पखवाड़े में हुआ निर्णायक युद्ध जिसने पाकिस्तान को विकलांग कर दिया । देश की सीमाओं को पूर्व की ओर से सदैव के लिए सुरक्षित कर दिया ।विश्व के इतिहास में एक विरल, सुनियोजित और सधा हुआ निर्णायक युद्ध । विश्व-इतिहास में भारत और इंदिरा गाँधी को स्थापित कर देने वाला युद्ध । 

इससे पहले भी स्वाधीन भारत ने तीन और युद्ध लड़े थे देश की पूर्वी-पश्चिमी और उत्तरी सीमा पर । 1947-48 में विभाजन के समय की अत्यंत संवेदनशील और संकटपूर्ण परिस्थितियों में उत्तर पश्चिम सीमा पर कश्मीर में । इस युद्ध में बहुत समझदारी से उन परिस्थितियों में जो कुछ सर्वश्रेष्ठ हो सकता था किया गया और उसमें आंशिक सफलता भी मिली । मुझे विभाजन और गाँधी जी की हत्या की तो याद है लेकिन इस युद्ध की नहीं । इसके बाद 1962 में उत्तर पूर्व में नेफ़ा में चीन के साथ युद्ध हुआ। यह भी आरोपित और विश्वासघातपूर्ण था । देश इसके लिए तैयार नहीं था और न  ही बहुत सक्षम । 

उस समय मेरी पहली-पहली व्यवस्थित नौकरी लगी थी जयपुर उद्योग लिमिटेड सवाईमाधोपुर की सीमेंट फेक्ट्री के स्कूल में । सारे देश में बहुत आक्रोश था अंदर से । आजकल के मीडिया के युग जैसा अवास्तविक, दिखावटी और  केलकुलेटेड नहीं । हमारे स्कूल में कलेक्टर महोदय आए थे भारत रक्षा कोष में चन्दा देने की अपील करने । सबने अपनी अपनी हैसियत के अनुसार दिया । मैंने भी जोश में आकर अपनी शादी की अँगूठी दे दी । उन दिनों आजकल की तरह न तो रिंग सेरेमनी हुआ करती थी और न ही कोई विशेष अँगूठी । वह मेरे ससुर ने सगाई में दी थी और उस पर मीनाकारी से लिखा से मेरा 'फर्स्ट नेम' लिखा हुआ था । बाल सुलभ जोश में कई कविताएं भी लिखी गईं जो अब कहीं संग्रह में नहीं हैं । पल-पल के समाचार सुनने का जुनून था लेकिन कोई रेडियो नहीं था । शाम को फेक्ट्री के क्लब में समाचार सुनने के लिए भीड़ लगा जाती थी । 

उस समय तनख्वाह थी 110 रुपए और फिलिप्स के तीन बैंड के रेडियो की कीमत थी 285/-रु। 25/- महिने की 12 किश्तों में रेडियो खरीदा । एक ही झटके में तनख्वाह एक चौथाई कम हो गई । रोज शाम को तार खींचकर रेडियो घर के सामने लगा दिया जाता । आसपास के 40-50 लोग इकट्ठे हो जाते । बीबीसी, ऑल इंडिया रेडियो सब सुने जाते ।  कुछ विवादास्पद क्षेत्र पर चीन ने कब्जा जमा लिया और  अक्टूबर-नवंबर 1962 में कोई एक महिने में यह युद्ध समाप्त हुआ । 

चूँकि देश को सैन्य क्षमता बढ़ानी थी और विदेशी मुद्रा का कोई समुचित भंडार नहीं, उधर अमेरिका पाकिस्तान को हथियारों और कूटनीति की मदद दे रहा । ऐसे में सोना ही एकमात्र विकल्प । स्वर्णनियंत्रण कानून लागू हुआ । हमारे गाँव की एक सेठानी मुंबई से कोई 40-50 किलो सोना ला रही थी । पूछा तो बताया रक्षाकोष में देने जा रही हूँ । अंततः उसने वह सोना हमारे यहाँ पधारे तत्कालीन रक्षा मंत्री चव्हाण को सौंपा । युद्ध काल में रक्षा मंत्री रहे कृष्णा मेनन से उनके अपर्याप्त रक्षा प्रबंधन के कारण विपक्ष के दबाव  में इस्तीफा ले लिया गया था । 


इसके बाद भारत ने अपनी सैन्य क्षमता बढ़ाई जिसका पता 1965 में पाकिस्तान से हुए युद्ध में चला । यह युद्ध अगस्त से सितंबर 1965 तक कोई डेढ़ महिने तक चला । इसमें पाकिस्तान ने कश्मीर पर कब्जा करने के उद्देश्य से शहरियों के वेश में अपने कोई 25-30 हजार सैनिक घुसा दिए । दोनों तरफ नुकसान हुआ लेकिन गाजीपुर के हवलदार अब्दुल हमीद ने बख्तरबंद जीप में बैठकरअमेरिका द्वारा पाकिस्तान को दिए गए अजेय माने जाने वाले पैटन टैंकों के मर्म स्थल पर अचूक वार करते हुए 8 पैटन टैंकों को नष्ट करके भारत के अब्दुल ने पाकिस्तान की चूड़ी टाइट कर दी और मोर्चा भारत के हाथ रहा ।इसी युद्ध में हमारे झुंझुनू जिले के नूआ गाँव के मेरे मित्र लियाकत अली के चाचा अयूब खां को भी शौर्य प्रदर्शन के लिए वीरचक्र मिल था । वे बाद में सांसद और मंत्री भी रहे । इसके  बाद रूस में पाकिस्तानी राष्ट्रपति अयूब और भारत के प्रधानमंत्री शास्त्री जी के बीच ताशकंद समझौता हुआ । उसी रात शास्त्री जी का दुखद निधन हुआ ।  

इसके बाद युद्ध नहीं लेकिन कारगिल डोकलाम जैसी घातक झड़पें हुई लेकिन जिस प्रकार 7 मई को ब्लेक आउट जैसी मॉक ड्रिल की बात आई वह 1971 में पाकिस्तान के साथ हुए ब्लेक आउट आदि के बाद पहली बार है । 

तब मैं बिरलागर विद्यालय, पोरबंदर में गया गया ही था । समुद्र के किनारे स्कूल बना है । जैसे राजस्थान का जोधपुर पाकिस्तान की जद में आता है वैसे ही कराची से जामनगर, पोरबंदर का समुद्री किनारा भी पाकिस्तानी हमले की जद में है । नया नया मामला था, बहुत उत्साह था आधी आधी रात तक लोगों से खिड़कियों पर परदे लगवाते, लाइट बंद करवाते घूमते थे । दो बार तो पाकिस्तानी हवाई जहाज कॉलोनी के पास समुद्र में बम गिरा कर चले गए । कोई जन धन हानि नहीं हुई ।मेरा एक चचेरा भाई उन्हीं दिनों वायुसेना में नियुक्त हुआ था ।  

युद्ध हाथों में घातक हथियार लेकर ही नहीं लड़ा जाता बल्कि कूटनीति से भी लड़ा जाता है । चाणक्य शत्रु देश में अराजकता फैलाने के लिए तरह तरह के प्रपंचों का उल्लेख करते हैं । पाकिस्तान के साथ युद्ध में हमारे यहाँ की समावेशी विविधता का दुरुपयोग करके देश में अशान्ति फैलाने का प्रयास एक सामान्य हथकंडा है । इस बार पहलगांव वाली इस आतंकवादी वारदात में धार्मिक एजेंडे वाली कूटनीतिक चाल का बहुत खुला और घटिया उपयोग किया गया । धर्म पूछकर पुरुषों को मारा गया और महिलाओं को इस नेरेटिव का प्रचार करने के लिए  छोड़ दिया गया । 

इसका तत्काल प्रभाव हुआ और अपरिपक्व छिछले लोगों द्वारा इसका दुष्प्रचार भी किया गया । यदि ऐसा बड़े पैमाने पर हो जाता तो यह एक प्रकार से पाकिस्तानी एजेंडे की ही सिद्धि होती लेकिन भारत की समझदार जनता ने,  जिसके अधिसंख्य भाग के विचारों में 'भारत' की अवधारणा, भारत का विचार एक स्पष्ट आकार ले चुका है, इसे नाकाम कर दिया ।  

इसमें सबसे अधिक प्रभावोत्पादक भूमिका रही विनय नरवाल की नवविवाहिता पत्नी हिमांशी नरवाल की जिसने बहुत स्पष्ट तरीके से कहा कि अपराधियों को दंड मिलना चाहिए लेकिन इसकी आड़ में कश्मीरियों और मुसलमानों को निशाना बनाकर पाकिस्तान के मंसूबों को पूरा नहीं होने देना चाहिए । कुछ दुष्टों/मूर्खों ने इस एजेंडे को चलाने और हिमांशी को ट्रोल करने का कुकर्म किया लेकिन 'भारत' की परिपक्व सोच ने इसे नाकाम कर दिया ।  

आतंकवादियों के हमले में पर्यटकों की जान बचाने में खुद अपनी जान न्यौछावर कर देने वाले 30 वर्षीय सैयद आदिल हुसैन शाह के सर्वोच्च बलिदान और एक बच्चे की जान बचाने के लिए उसे पीठ पर बैठकर भाग रहे सज्जाद अहमद भट्ट ने धर्म की आड़ में फैल  रहे  कट्टरवाद को अँगूठा दिखाते हुए 'भारत' की अवधारणा को और पुष्ट किया है । 

भारतीय सेना ने जिस प्रकार संतुलित, गंभीर और विवेकपूर्ण तरीके से 'ऑपरेशन सिंदूर' किया और उसकी ब्रीफिंग की वह भी भारतीय लोकतंत्र और 'भारत' की अवधारणा की परिपक्वता का प्रमाण है । 

'भारत' की अवधारणा नाम की यह रोशनी हमारा मार्गदर्शन करती रहे । 


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Mar 29, 2025

2025-03-25 गालिब का पुनर्जन्म


2025-03-25

गालिब का पुनर्जन्म








हालत कैसी है, यह बात अलग है लेकिन कागजों में सड़कें हर गाँव कस्बे और घर के आगे बनी हुई हैंनहीं है तो कागजों में देखें जरूर मिल जाएँगीदेखें जरूर मिल जाएँगीविस्तार से पूछ नहीं सकते क्योंकि यह डाटा प्रोटेक्शन, निजता और अंततः राष्ट्र की सुरक्षा का मामला भी हो सकता हैसो सड़क हमारे घर के ठीक सामने है, चौड़ी है और व्यस्त सड़क हैसुबह शाम तरह तरह के लोग घूमने घामने इसी रास्ते से जाते हैंवे सभी एक दूसरे को शक्ल और कुछ गतिविधियों से पहचानते भी हैंइन लोगों में एक गुप्ता जी भी हैंअध्यापक रह चुके हैं भले ही गणित के लेकिन अध्यापक होने के कारण सर्वज्ञ होने का भ्रम होना स्वाभाविक हैवैसे ही जैसे हर सच्चे हिन्दू को किसी भी मस्जिद के नीचे मंदिर के अवशेष देख सकने की दिव्यदृष्टि स्वतः ही प्राप्त है ।  

गुप्ता जी ने शुरु शुरु में प्राइवेट स्कूल में पढ़ाना, फिर कोचिंग सेंटर में हाथ आजमाया, घर की बैठक का दरवाजा सड़क की तरफ खोलकर गुटखा और नमकीन के पैकेट लटकाकर दुकान भी खोलीअब पूर्णतः देश और समाज की सेवा में लगे हुए हैंवैसे आजादी के समय तो कोई खतरा नहीं था लेकिन पता नहीं किस औररंगजेब का राज्यगया कि अचानक हिन्दू धर्म खतरे मेंगया हैसो गुप्ता जी भी धर्म को बचाने के लिए तरह तरह की रैलियों में जाने लगे हैंफिर भी दिन 24 घंटे का होता हैजिन्हें 20-20 घंटे और कभी कभी 24-24 घंटे काम करना पड़ता है उनकी बात और है लेकिन गुप्ता जी को समय मिल ही जाता है ।  

गुप्ता जी हमारी बरामद संसद के सदस्य नहीं हैंफिर भी हम उन्हें बैठने और बोलने का अवसर दे देते हैंहम कोई ओम बिरला थोड़े हैं जिन पर राहुल गाँधी कोबोलने देने के राष्ट्रीय महत्व का गुरुतर दायित्वपड़ा होआज गुप्ता जी बैठते ही कहा- मास्टर जी, इजाजत हो तो एक शेर अर्ज करूँ ? 

हमने कहा- गुप्ता जी, अब इस देश को यही देखना शेष रह गया था कि आप जैसे हर काम में गणित लगाने वाले को शायरी जैसा फालतू काम करना पड़ रहा हैखैर यहाँतो मानदेय है औरतालियाँबस, सीधे और संक्षेप में अर्ज कर दीजिए 

बोले 

हुई मुद्दत कि गुप्ता मर गया पर याद आता है  

वो हर इक बात पे कहना कि यूँ होता तो क्या होता 

 

तोताराम जो अब तक अपने स्वभाव के विपरीत चुप बैठा था, बोल पड़ा- गुप्ता जी, चोरी और सीनाजोरी ? गालिब की जगह गुप्ता फिट कर दिया तो यह शे’र तुम्हारा हो गया ? संयोग से गालिब में चार मात्राएं और गुप्ता में भी चार मात्राएं तो फिट हो गया लेकिन बाकी क्या दुनिया जानती नहीं 

गुप्ता जी बोले- तोताराम जी, आप नाराज क्यों हो रहे हैंहम अपना ही शे’र सुना रहे हैंपिछले जन्म में हमीं गालिब थे ।  

तोताराम ने कहा- क्या बात करते हो ? मुसलमानों मेंतो अवतार होते हैं औरही पुनर्जन्मवहाँ तो सब मरते रहते हैं और जब सब मर जाते हैं और सारा वेटिंग रूम भर जाता है तो नई सृष्टि बनाने से पहले खुदा सब मर चुके लगों को उनके राष्ट्रवादी वचनों के हिसाब से मंत्रालय अलोट कर देता है और फिर सृष्टि और सुशासन चल निकलते हैं ।     

 हमने कहा- गुप्ता जी, तोताराम ठीक कहता हैमुसलमानों में पुनर्जन्म नहीं होता, इसीलिए वहाँ खुदा के कई कई अवतार और एक साथ कई कई पैगंबर नहीं मिलतेजैसे मोदी जी की तरह पिछले जन्म में शिवाजी थे वैसे ही यदि आप पिछले जन्म में गालिब थे तो प्रमाण दीजिएजैसे ऑडिशा से सांसद प्रदीप पुरोहित गंधमर्दन पहाड़ी क्षेत्र के गिरिजा बाबा संत ने बताया कि देश के आज जो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हैं, वे अपने पूर्व जन्म में महाराज छत्रपति शिवाजी थे।  

गुप्ता जी बोले- एक क्या कई संतों से कहलवा देंगेयहीं से जाने कितने संत गुजरते हैंनहीं तो हमारे साथ जेल में चले चलना वहाँ भी बड़े बड़े चमत्कारी संत मिल जाएंगे अगर लोकतंत्र की रक्षा के लिए अघोषित पैरोल पर कहीं प्रवचन करने नहीं गए हुए होंगे तो ।  

हमने कहा- गुप्ता जी जब आपके पक्ष में ऐसे ऐसे संतों के प्रमाण हैं तो यही उचित है कि हम मान लें कि सेल्यूलर जेल से माफी माँग कर सावरकर नहीं महात्मा गाँधी रिहा हुए थे और पटेल को 60/- रुपए महिना पेंशन मिला करती थी ।  

  

 


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