Dec 20, 2025

अच्छा हुआ



अच्छा हुआ 


तोताराम के आते ही हमने कहा- तोताराम, अच्छा हुआ । 

बोला- इसमें कहने की क्या बात है । इस देश और दुनिया के सौभाग्य से मोदी जी हैं तो अवश्य ही सब कुछ अच्छा ही होगा । 28 वां वैश्विक सम्मान मिल गया । एक तरफ की छाती सम्मानों से ढँक गई । अब अगले 12 सालों में 28 सम्मान और मिल जाएंगे तो दूसरी तरफ का 28 इंच का एरिया भी कवर हो जाएगा । आगे से, पीछे से जिधर से भी देखो सम्मान ही सम्मान । मेडल ही मेडल । ​

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हमने कहा- तोताराम, तुम्हारी मेडलों की इस बात से हमें अपने बचपन का हिन्दी के नवभारत टाइम्स अखबार याद आ रहा है । हमारे यहाँ दिल्ली वाला संस्करण आया करता था जिसमें दूसरे पेज में छोटे-छोटे विज्ञापन छपा करते थे जैसे पाँच रुपये में डाक्टर बनें, जादुई अँगूठी, ज्योतिषियों-तांत्रिकों के विज्ञापन, दिल्ली के सिनेमा घरों में लगी फिल्मों के विज्ञापन, फिल्म किस सिनेमा घर में कितने सप्ताह से चल रही है, दिल्ली के कई बैंडों के विज्ञापन भी हुआ करते थे । बैंड मास्टरों की छाती पर कई तरह के मेडल, सजावटी झब्बे जैसे लटके हुए होते थे । हमें वे बैंडमास्टर सेना के किसी बड़े जनरल से कम नहीं लगते थे । मोदी जी की छाती के चारों तरह लटके 56 मैडलों की कल्पना करके हमें कुछ कुछ वैसी ही अनुभूति हो रही है ।

बोला- लेकिन मोदी जी की विनम्रता देख कि वे एक भी मेडल अपनी छाती पर लटकाए नहीं घूमते । इतने शर्मीले हैं कि एंटायर पॉलिटिकल साइंस की अद्भुत, अनुपम  और अभूतपूर्व डिग्री भी न तो अपने नाम के साथ लगाते हैं और न ही किसी को दिखाते हैं । यह तो पत्रकारों के कुचरणी करने पर शाह साहब ने दिखा दी लेकिन मोदी जी ने ऐसे आत्मप्रशंसा वाले कृत्य को रोकने के लिए हाई कोर्ट से गुप्त रखने की सिफारिश करवा ली । 

हमने कहा- हमारा 'अच्छा हुआ' कहने का अर्थ मोदी जी के डंके और मेडलों से नहीं था । 

बोला- तो फिर ?

हमने कहा- हम तो यह कह रहे थे कि अच्छा हुआ जो हमने नेहरू जी के समय में नौकरी शुरू की और मोदी जी के प्रधान सेवक बनने से पहले ही रिटायर भी हो गए । 

बोला- इसमें क्या अच्छा हुआ ? यह तो हमारा दुर्भाग्य है । अगर आज नौकरी लगी होती तो मोदी जी के हाथों से नियुक्ति पत्र लेते । अब कुछ लोग तो यही समझते हैं कि हमने न तो कहीं कोई सरकारी नौकरी की और शायद पढ़े लिखे भी हैं या नहीं । हो सकता है कि डिग्री भी ऐसी वैसी ही हो । 

हमने कहा- नेहरू जी को लोगों की फिक्र ही कहाँ थी । लगे रहते थे अपने मौज मजे में । मोदी जी 20-20 घंटे रोज काम करते हैं फिर भी ट्रेनों को हरी झंडी दिखाने, मंदिर मंदिर जाकर भगवानों की सुख सुविधा का ध्यान रखने के साथ साथ नौकरियों के नियुक्ति पत्र देने तक का काम करते हैं ।  

बोला- और मोदी जी की लोगों का सम्मान करने की इस भावना से प्रभावित होकर मुख्यमंत्री भी लोगों को नियुक्ति पत्र बांटने लगे हैं । 

हमने कहा- वैसे यह काम उस समय 15 पैसे के लिफ़ाफ़े से हो जाता था जबकि आज इस काम के लिए करोड़ों के विज्ञापन और तामझाम वाले आयोजन किए जाते हैं । लेकिन इन आयोजनों में और भी कई तरह के अभद्र नाटक भी तो होने लगे हैं । इसीलिए हम कहते हैं कि अच्छा हुआ जो सारे काम मोदी के आने से पहले ही निबट गए अन्यथा हमारा भी जुलूस निकल जाता । 

बोला- कैसे ?

हमने कहा- पता है, अभी दो पाँच दिन पहले बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश जी ने क्या अनीतिपूर्ण काम कर दिया ?

बोला- क्या ?

हमने कहा-वे कुछ डॉक्टरों को नियुक्ति पत्र बाँट रहे थे । जब एक मुस्लिम लड़की को नियुक्ति पत्र देने लगे तो अचानक उसका हिजाब खींच दिया । 

बोला- तो इसमें क्या हो गया ? हो सकता है हिजाब में छुपकर कोई और लड़की नियुक्ति पत्र ले जाती तो ? हो सकता है वह कोई आतंकवादी हो, घुसपैठिया हो । आजकल वैसे ही घुसपैठिये देश और विशेषकर बिहार में घुसकर कांग्रेस को चुनाव जिता रहे हैं । इसीके लिए शाह साहब सारे देश में SIR लगाए हुए हैं । बिहार की सुरक्षा के लिए नीतीश जी ने हिजाब खींच दिया तो क्या हो गया । देश की सुरक्षा के लिए सब कुछ जायज है । 

हमने कहा- लेकिन कल्पना कर अगर हमें नियुक्ति पत्र देते हुए कोई नीतीश जी जैसा नेता देश की सुरक्षा के नाते हमारी पहचान जानने के लिए हमारा कुर्ता खींचकर जनेऊ चेक करने लग जाता तो ?

बोला- तो क्या हो जाता ? वैसे भी आजकल बहुत से लोग स्वेच्छा से माला, तिलक, जनेऊ, पार्टी के चिह्न आदि का अशालीन प्रदर्शन करते हैं या नहीं ?

हमने कहा- हम ने तो जनेऊ पहनना वर्षों पहले ही छोड़ दिया है । जब कोई कर्मकांड करते ही नहीं तो दिखावा करने से क्या फायदा । मान लेते हैं जनेऊ चेक करना भी बुरा नहीं है लेकिन कल को नियुक्ति पत्र देने वाले राष्ट्रभक्त नेता को हमारी जनेऊ न मिलने पर उसे हमारे मुसलमान होने का शक हो जाता और वह खतना देखने के लिए हमारा पायजामा खींच देता तो कैसा लगता ? 

बोला- मास्टर, तू भी बात को खींच खींचकर  जब तक गटर में नहीं डाल देता तब तक तुझे चैन नहीं मिलता । 

हमने कहा- चलो इसे छोड़ते हैं लेकिन इतना तो तय है कि अच्छा हुआ जो हमने नेहरू जी के समय नौकरी शुरू  की और मोदी जी के आने से पहले रिटायर हो गए अन्यथा न खिंचता पायजामा लेकिन इतना तो तय है कि इनसे नियुक्ति पत्र लेते तो पेंशन तो नहीं ही मिलती ।  

नेहरू जी वाली पेंशन मिल रही है यह क्या कम अच्छा है । बहुत अच्छा है । बस, अब तो भगवान से यही प्रार्थना कर कि मोदी जी हमारे जीते जी पेंशन बंद न कर दें । अन्यथा इनका कोई ठिकाना नहीं । ये कुछ भी कर सकते हैं । स्टेडियम से पटेल और मनरेगा से गाँधी का नाम हटा दिया और 'राम' के दोनों तरफ दो गोडसे  'जी'  बैठा दिए । अब दिखा बेटे 'हे राम' बोलकर । 




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आजकल प्रधानमंत्री कहाँ है ?

आजकल प्रधानमंत्री कहाँ है ?  

 

तोताराम अभी पूरी तरह से बैठ भी नहीं पाया था कि हमने प्रश्न उछाल दिया । जैसे कि विपक्ष और जनता नौकरीशिक्षाचुनाव सुधारप्रदूषण और सरकारी उपक्रमों को बेचने और लोकतान्त्रिक संस्थाओं को कमजोर करने आदि की बात उठायें उससे पहले ही प्रधानमंत्री जी कोई न कोई सांस्कृतिकभावनात्मक और धार्मिक मुद्दा उछाल देते हैं और लोग उसी में उलझ जाते हैं । इसी के लिए हमारे राजस्थान में एक कहावत हैधाया तेरी छाछ राबड़ीगंडकाँ  सैं तो कढ़ा । मतलब छाछ राबड़ी दे या नहीं लेकिन तेरे यहाँ के कुत्ते जो मेरे पीछे पड़ गए हैं उनसे तो पीछा छुड़ा ।  

हमने पूछाआजकल ्रधामंत्री जी  कहाँ हैं ?  

बोलातुझे प्रधानमंत्री जी से क्या मतलब है ? तू क्या उनका बॉस लगा हुआ है जो तुझेसे छुट्टी और हैडक्वार्टर लीव लेकर जाएंगे । प्रधानमंत्री हैं चुने हुए और वह भी तीसरी बार । और सारा देश जोर लगा ले 1947 में भी वे ही चुने जाएंगे और तब तक प्रधान मंत्री बने रहेंगे जब तक देश की अर्थव्यवस्था 100-200 ट्रिलियन की न हो जाएदेश विभाजन करवाने वालों और मैकाले के भक्तों के मुक्त नहीं हो जाता और सतयुग जैसा पवित्र और सनातन राष्ट्र नहीं बन जाता तब तक वे 20-20/24-24 घंटे काम करते रहेंगे । जहाँ भी होंगे देश के हित में कोई न कोई काम कर रहे होंगे ।  

अगर किसी तीर्थमंदिरमठ की यात्रा कर रहे हैं तो देश के हित का चिंतन कर रहे होंगे । अगर विदेश में हैं तो देश का डंका बजा या बजवा रहे होंगे ।या फिर कोई सम्मान ग्रहण कर रहे होंगे ।  

हमने कहायह काम कोई और भी तो कर सकता है या फिर वह देश सम्मान डाक से भी भिजवा सकता है ।  

बोलाक्या करें । जब कोई देश उनकी विश्वगुरु छवि से इतना ही अभिभूत हो जाता है और सम्मान देने के लिए पीछे ही पड़ जाता है तो प्रधानमंत्री को ंतर्राष्ट्रीय संबंधों को ध्यान में रखकर जाना ही पड़ता है । 16 दिसंबर इथियोपिया में और 17 दिसंबर को ओमान वाले ने सम्मानित किया । 



हमने कहा-  सुबह ट्रेड डील और शाम को सम्मान । जैसे किसी अखबार के लोकल संस्करण में एक तरफ स्कूल का विज्ञापन और उसके पास ही संचालक का गुणगान । उन्हें भी सभी देशों से पूछ लेना चाहिए कि जिसे भी सम्मान देना है अभी लगे हाथ दे दे । दस-बीस दिन लगाकर सारे सम्मान लेकर आ जाएं और फिर थोड़ा सुस्ता लें । 75 के हो गए हैं । कुछ आराम भी कर लिया करें । 

वैसे जिस स्पीड से सम्मान बटोर रहे हैं उससे तो लगता है कहीं से लॉटरी निकल गई है और जमकर मॉल में खरीददारी कर रहे हैं ।  

बोलामोदी जी ट्रम्प की तरह थोड़े हैं जो बेशर्मी से नोबल के लिए लार टपकाएं ।  

हमने कहाकोई बात नहीं ।ठीक है,  वे गाँधी नेहरू से भी महान है और दुनिया उनको सम्मान देकर खुद सम्मानित होना चाहती है । फिर भी जब राम लाल जी आ जाएँ तो हमें बता देना । हम भी उन्हें ‘बरामदा विश्वरत्न सम्मान’ से विभूषित करना चाहते हैं ।  

बोलासम्मान तो ठीक है लेकिन उन्हें  खुद को तो समय नहीं मिलेगा लेकिन हो सकेगा तो ओंम बिरला जी या अर्जुन राम जी जैसी राजस्थान की किसी विभूति को भेज देंगे । और कुछ नहीं तो एक दिन बस से दोनों भाई चले चलेंगे दिल्ली । राजस्थान रोड़वेज बस का किराया तो लगेगा नहीं 80 प्लस वालों का । फ्री में काम हो जाएगा । लेकिन बात तो मोदी जी की हो रही थी फिर बीच में यह राम लाल जी कौन आ गया ?  

हमने कहाहमने मोदी जी का नाम बदलकर राम जी लाल कर दिया है ।  

बोलाऐसे कैसे हो सकता है ? 

हमने कहाकोई बात नहींअगर तुझे ठीक नहीं लगता तो राम जी लाल की बजाय रामकुमाररामसिंहरामविलासराम बिहारीराममोहन,रामनिवासरामप्रसाद या नाथूरामबलीरामकालूरामलालाराम रख देते हैं ।  

बोलायह क्या बकवास है । तुझे पता नहीं नाम बदलना बहुत बड़ा अपमान है । लोग सबसे बड़ी शर्त यह लगाते हैं कि अगर मैं यह/वह न कर सकूँ तो मेरा नाम बदल देना ।  

हमने कहाअगर ऐसी बात है तो मोदी जी ने हर साल दो करोड़ नौकरियों और सबके खातों में 15-15 लाख रुपये डालने का वादा पूरा नहीं किया तो उनका बदल जा सकता है ।  

बोलावह कोई वादा नहीं था चुनावी जुमला था ।  

हमने कहातो फिर मोदी जी ने मनरेगा का नाम क्यों बदला । गाँधी की जगह ‘’जी राम जी’  क्यों कर दिया ।  

बोलातुझे राम से क्या ऐतराज है । राम तो गाँधी जी को भी बहुत प्रिय थे । गाँधी जी ने मरते समय नेहरू जी का नहीं बल्कि राम का नाम लिया था । राम का नाम भारत की योजनाओं में नहीं होगा तो क्या पाकिस्तान की योजनाओं में होगा ?  

हमने कहावैसे गाँधी जी अंतिम समय में राम नहीं ‘हे नाथूराम .... जैसा कुछ कहने वाले थे । फिर भी तुझे प्रधानमंत्री का नाम रामजी लाल होने में क्या ऐतराज है ?  जब मोदी जी मनरेगा का नाम जी राम जी कर सकते हैं तो हम भी प्रधानमंत्री का नाम रामजीलाल कर सकते हैं । अगर भारत के प्रधानमंत्री का नाम रामजीलाल नहीं होगा तो क्या पाकिस्तान के प्रधानमंत्री का नाम रामजीलाल होगा ।  

हम तो गृहमंत्रीरक्षामंत्रीवित्तमंत्रीआर एस एस के प्रधान सबका नाम राम से रखेंगे । अगर इस अपराध पर फाँसी लगती है तो भी हमें कोई ऐतराज नहीं है ।  

तेरा नाम तो सौभाग्य से तोताराम है ही । हमारा नाम भी तू चाहे तो रमेश जोशी की जगह राम  जोशी कर सकता है । 



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