Jul 27, 2023

मोदी जी सीकर में क्या करने आ रहे हैं ?


मोदी जी सीकर में  क्या करने आ रहे हैं ?


आज सुबह ही हल्की बूँदाबाँदी सी शुरू हो गई। हम जैसे ही अपनी पेट 'कूरो' को घुमाने और लघु-दीर्घ शंकाओं से निवृत्त करवाने के लिए निकले तो देखा कूड़े के ढ़ेर में से तनिक सा झाँकते, स्वच्छ भारत लिखे कूड़ेदान के पास छाता ताने तोताराम चला आ रहा है । 

हमने छेड़ा- आज इतनी जल्दी ! तुझे पता है हम तुझे आजीवन चाय पिलाने के लिए वैसे ही अभिशप्त हैं जैसे देश की जनता स्वयंसेवकों से सेवा करवाने के लिए मजबूर है । हम तुझे चाय पिलाने से नहीं बच सकते । फिर भी ऐसी क्या जल्दी है जो दिन निकलने से पहले ही आ धमका । 

 बोला-  मोदी जी की कृपा से पेंशन मिल रही । ना सही ऐश लेकिन भूखे भी नहीं मरेंगे । हम तेरी चाय के मोहताज नहीं । और फिर आज तो चाय ही क्या, साथ में नाश्ते का पैकेट भी मिलेगा । जल्दी काम निबटा और चल मेरे साथ । पहुंचते-पहुंचते ही सात-आठ बज जाएंगे ।  

हमने पूछा- लेकिन चलना कहाँ है और क्यों  ? 

बोला- हद है मास्टर,  सारी दुनिया को पता चल गया है लेकिन तेरे कान पर जूँ तक नहीं रेंगी । 

हमने कहा- हमारा कान कोई प्रधान मंत्री का कान तो है नहीं जिसे कोई पकड़ न सके और जिस पर मणिपुर तक की जूँ भी नहीं रेंग सके । ब्रजभूषण को बचाने वाला कोई भी नेता हमारा कान तो महिला पहलवानों के कान की तरह कभी भी पकड़ सकता है । संसद मार्च के दौरान कोई भी लाठियाँ बरसा सकता है । 

कूड़ेदान के सामने ही लगे बिजली के खंभे की ओर इशारा करते हुए तोताराम बोला- उधर देख । वैसे तुझे आज के अखबार में भी सूचना देने वाले कई पम्पलेट मिल जाएंगे । 

हमने देखा, खंभे पर एक बोर्ड लगा हुआ है जिस पर लिखा है- विश्व के सबसे लोकप्रिय नेता, भारत के यशस्वी प्रधानमंत्री जी श्री नरेंद्र मोदी जी का वीरों की धरती, शिक्षा नगरी सीकर पधारने पर हार्दिक स्वागत । सभास्थल- साँवली रोड़, मेडिकल कॉलेज के पास, सीकर । निवेदक- क ख ग (करबद्ध फ़ोटो)  

हमने कहा-  यहाँ कौन देखने आएगा इन पोस्टरों को । तोताराम ये सब सत्ता से लाभान्वित और लाभ कबाड़ू  चतुर लोग हैं जो किसी न किसी बहाने बड़े बड़े नेताओं की आड़ में पोस्टर छपवाकर अपना राजनीतिक कद दिखाकर कोई बड़ा ठेका या चुनाव का टिकट कबाड़ना चाहते हैं और अपना कोई न कोई पाप छिपाना चाहते हैं । जब मौका लगेगा तब अधिक लाभ के लालच में ये ही सबसे पहले किसी और पार्टी में भाग जाएंगे । बैंकों से अरबों का लोन मिल गया तो ललित और नीरव की तरह नीरवतापूर्वक विदेश भाग जाएंगे । जिन्हें मोदी जी  के नाम से अपनी रोटियाँ सेंकनी हैं वे पोस्टर छपवाएं, स्वागत करने जाएँ, हमें क्या ? ये चापलूस लोग  श्री श्री रविशंकर की तरह दो ही क्या, हर अक्षर के बाद 'जी' लगाकर नाम लिख देंगे  जैसे श्री जी, न जी, रे जी, द्र जी, मो जी, दी जी । 

बोला- वैसे ये नीरव और ललित कौन ?

हमने कहा- समझ सके तो समझ ले । हम तो उनका सरनेम बताने का जोखिम नहीं लेंगे । आजकल भक्तों की भावनाएं कभी भी आहत हो सकती हैं । यूं हमारे पास छिन जाने को राहुल की तरह सांसदी नहीं है लेकिन क्या पता पेंशन ही बंद करवा दें । स्पष्ट बहुमत बहुत बुरी चीज होती है । और आज तक दुनिया के किसी भी देश में, किसी भी नेता को ऐसा स्पष्ट बहुमत नहीं मिला जितना मोदी जी को । तो फिर वे क्यों न ईश्वर की तरह सर्वशक्तिमान बन जाएँ । तभी देखा नहीं, सभी मंत्री ही नहीं, राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति तक 'जी जी' के अलावा एक अक्षर भी नहीं बोलते । देखा नहीं, फ्रांस में एक अधेड़ महिला किस प्रकार मोदी के चेहरे के तेज को देखकर गदगद हो रही थी । 

बोला- बातों में टाइम खराब मत कर । जल्दी निकल लें तो ठीक रहेगा । देर हो जाने पर क्या पता बैठने की भी जगह मिले, न मिले । 

हमने कहा- लेकिन आजकल तो मोदी जी की जन सभाएं बड़ी निर्जन चल रही हैं । कुर्सियाँ ही पूरी नहीं भर पा रही हैं । और फिर यहाँ सीकर में क्या करने आ रहे हैं मोदी जी ?दिल्ली में तो संसद में 'अविश्वास प्रस्ताव' चल रहा है । 

बोला- वहाँ संसद में बैठकर करेंगे क्या ? बैठते ही हर कोई मुंह उठाकर पूछने लगेगा- मणिपुर क्यों नहीं गए ? कहाँ कहाँ जाएँ ? सारी दुनिया की तो जिम्मेदारी सिर पर आ गई। यहाँ तो 20-20 घंटे काम करना पड़ता है । नींद की कमी से आदमी का दिमाग वैसे ही खराब हुआ रहता है। खोपड़ी भन्नाई हुई रहती है । 

जाना था इम्फाल 

पहुँच गए फ्रांस 

बाबू, समझे क्या ? 

वैसे तो मोदी जी पास स्पष्ट बहुमत है, अविश्वास प्रस्ताव पास नहीं होगा फिर भी इस बहाने विपक्ष वाले कुछ न कुछ गालियां निकाल ही लेंगे । वैसे ही अब तक 92 गालियां इकट्ठी हो गई हैं । आदमी कब तक बर्दाश्त करे । यह भी कोई बात हुई- 20-20 घंटे सेवा करो और बदले में गालियां खाओ । 

हमने कहा- तो क्या संसद का सामना करने से बचने के लिए ही तो सीकर में नहीं आ रहे ?

बोला- तू तो ऐसा कहेगा ही लेकिन मोदी जी को सारी सदिच्छाओं के बावजूद नेताओं ने तीन कृषि कानूनों के द्वारा किसानों का कल्याण नहीं करने दिया । वही बचा हुआ कल्याण करने सीकर आ रहे हैं । 

हमने कहा- तो इसका मतलब मोदी जी कल्याण किये बिना मानेंगे नहीं । कोई बात नहीं, ठीक है । अभी घर चल कर सोचते हैं चलने के  बारे में कुछ । लेकिन भीग गए तो ?

बोला - भीग क्यों जाएंगे, देखा नहीं, बारह तानी का यह छाता !

हमने कहा-  लेकिन इसका रंग तो काला है । तुझे याद नहीं, पाँच साल पहले भी जुलाई 2018 में मोदी जी राजस्थान आए थे तब उनकी सभा में काली पेंट, काली साड़ी, काला बुर्का ही क्या, काली बेल्ट तक भी वर्जित थी । मोदी जी श्वेत सात्विक विचारों और कर्मों वाले संत हैं । उन्हें यह तमोगुणी काला रंग अच्छा नहीं लगता । 

बोला- लेकिन मैंने तो बाजार में कहीं भगवा रंग का कोई छाता नहीं देखा ? 

हमने कहा- जिन खोजा तिन पाइयाँ, गहरे कीचड़ पैठ । मध्यप्रदेश या उत्तर प्रदेश से पता कर लेता ।वहाँ गंगा और नर्मदा का जल भगवा हो चुका है । कहीं न मिले तो कांग्रेस से भाजपा में आए आसाम के नए नए देशभक्त बने और सबसे ज्यादा 'हाय हाय हिन्दुत्व' करने वाले,, कभी भी अपने किसी भी  कृत्य से न शर्माने वाले सरमा से मिल लेते ।  उनके वहाँ तो गायें तक भगवा दूध देने लगी हैं । 

बोला- कोई बात नहीं, छाता नहीं ले चलेंगे लेकिन अपनी  28 इंची छाती वाली इस श्याम वर्णी देह यष्टि क्या करूँ ? 

हमने कहा- चल तो सही ? यहाँ भी जरूर कोई वाशिंग मशीन लगी हुई होगी जो अजित पवार की तरह तुझे भी उजला बना देगी । और हाँ, यदि तुझे ठीक लगे तो 'बी जे पी' का कोई बैनर-वैनर भी बनाकर साथ ले चलें । शोभा बढ़ जाएगी और लोगों का ध्यान भी जाएगा । 

बोला- लेकिन अपन तो  कानूनी रूप से भाजपा के सदस्य नहीं हैं । 

हमने कहा- तो क्या ? हमारी 'बरामद जनता पार्टी' तो है ही । शॉर्ट फॉर्म 'बी जे पी' । 

बोला- यह ठीक रहेगा । 'इंडिया'  का 26 दलों का गठबंधन बन जाने के बाद भाजपा को भी संख्या बढ़ाने के लिए पार्टियों की बड़ी जरूरत है । भले ही 38 में से 25 का एक भी सांसद न हो । 



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Jul 19, 2023

2023-07-19 ये तो नड्डा हैं


ये तो नड्डा हैं 

हम जैसे ही आज सवेरे पाँच बजे दूध लेने के लिए घर से निकले कि तोताराम हाजिर । 

हमने कहा- यह तो वही हुआ- गाँव बसा नहीं कि भिखमंगे हाजिर । 

बोला- भिखमंगे तो सेवक और शासक बने हुए है जो आजकल 24 के चुनाव से पहले ही गैंग बनाकर निकल पड़े हैं । मैं तो अपनी पेंशन से संतुष्ट हूँ । मुझे भीख मांगने की क्या जरूरत है ?  

हमने पूछा- तो फिर बैठ हम दूध लाते हैं । उससे पहले चाय तो बननी नहीं । 

बोला- आज चाय का नहीं, दिल्ली का प्रोग्राम है । 

हमने कहा- अगर हम जैसों को ही दिल्ली नसीब होनी होती तो बरामदे में बैठे-बैठे अस्सी पार नहीं हो जाते । जैसे आडवाणी जी को प्रधानमंत्री का पद मिलना होता तो निर्देशक मण्डल की आजीवन अध्यक्षता गले नहीं पड़ती । फिर भी तेरा दिल्ली का कार्यक्रम किसलिए बन रहा है ? कहीं मोदी जी ने तो नहीं बुलाया लिया ?

बोला- ऐसे समय में मैं मोदी जी के बुलावे का इंतजार नहीं कर सकता है । उन्हें तो मणिपुर वालों को संभालने और पहलवान लड़कियों से बात करने तक का समय नहीं मिल रहा है । इस समय तो देश का सत्यानाश करने वाले लोगों से देश को बचाने के लिए एन डी ए का विस्तार करने में लगे हुए हैं । हारे और बिना एक भी सांसद वाले दलों को भी कबाड़ रहे हैं । काँग्रेस ने 28 दल जुटा लिए तो इन्हें भी कम से कम 56 तो चाहियें ही । 

हमने कहा- ये तो पहले से ही 56 इंची हैं । एक अकेला सब पर भारी । अब क्यों चिराग लेकर, किनारे लगा दी गई  जीरो सांसद वाली 25 पार्टियों  के लिए स्वागतम का बोर्ड लगाकर एयर इंडिया के महाराजा की तरह खड़े हुए हैं ? 

बोला- तभी तो । आज मोदी जी को जब गिनती बढ़ाकर विपक्षियों से बड़ा अलाइन्स दिखाना है तो अपनी पार्टी को भी इस नड्डा गठबंधन में शामिल कर देते हैं । 

हमने कहा- तेरी कौन सी राजनीतिक पार्टी है । कब रजिस्ट्रेशन करवाया ? 

बोला- जब देश हजार तौबा करके डिग्री नहीं देख पाया, केयर फंड का हिसाब पता नहीं कर पाया, 20 हजार करोड़ रुपए के असली मालिक का नाम पता नहीं कर पाया तो हमारे दल के रजिस्ट्रेशन और नाम से किसी को क्या फ़र्क पड़ जाएगा ?  समझ ले हमारी पार्टी का नाम है- एन डी ए । 

हमने कहा- लेकिन एन डी ए तो मोदी जी के गठबंधन का नाम है ।  

 बोला- क्या नाम और एब्रिविएशन (संक्षिप्तीकरण) पर किसी का ठेका थोड़े ही है । अटल जी ने भी तो नेशनल डिफेंस अकेडमी (एन डी ए ) के होते हुए एन डी ए बना लिया तो हम एन डी ए क्यों नहीं बना सकते ? 

हमने पूछा- तो फिर तेरे इस 'एन डी ए' का फुल फॉर्म क्या है ? 

बोला- नोट डूइंग एनीथिंग । 

हमने पूछा- तो क्या तू यह इशारा करना चाहता है कि नेशनल डेमोक्रेटिक अलाइन्स ने कुछ नहीं किया ?

बोला- ऐसी बात नहीं है । लेकिन पिछले नौ साल में क्या कभी एन डी ए का नाम सुना ? अरे, एन डी ए तो छोड़ लोगों को तो विदेशमंत्री, रेलमंत्री, रक्षामंत्री तक के नाम नहीं मालूम । मोदी जी के अलावा सभी तो 'नोट डूइंग एनीथिंग'  ही तो हैं । ऑनली डूइंग मोदी मोदी । 

हमने कहा- लेकिन अब जैसे विपक्षी गठबंधन का नाम INDIA  ( I से इंडिया, N से नेशनल, D से डेवलपमेंटल , I से इनक्लूसिव और A से अलायंस )  हो गया वैसे क्या एन डी ए ने भी कोई रूप-परिवर्तन किया है ?

बोला- किया क्यों नहीं ? अब  NDA में N का मतलब न्यू इंडिया है, D का मतलब डेवलप्ड नेशन यानी विकसित राष्ट्र ओर A का अर्थ है एस्पिरेशन यानी लोगों की आकांक्षा है। D से डेमोक्रेटिक कहीं नहीं है । 

हमने कहा- यदि इसे  नेशनल अलाइन्स ऑफ डबल डेवलपमेंट एसपिरेशन NADDA कर दिया जाए तो कैसा रहेगा ? एक पंथ दो काज । इससे यह भी पता चल जाएगा कि 2014 से पहले घुटनों के बल रेंग-रेंगकर खिसकने वाला भारत नौ साल में मोदी जी के नेतृत्व में कैसे फर्राटा दौड़ लगाने लग गया है । 

बोला- हो तो सकता है लेकिन मोदी जी के होते हुए फ्रेम में उनके अलावा भगवान भी नहीं आ सकते ये तो नड्डा  हैं ।

  


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Jul 7, 2023

'मोदी मोदी' और कुछ नहीं

'मोदी मोदी' और कुछ नहीं  

आज जैसे ही तोताराम आया तो उसके बैठने से पहले ही हमने आकाशवाणी कर दी- आज 7 जुलाई है ।

बोला- कल मुझे उपदेश दे रहा था और आज खुद बकवास कर रहा है- आज 7 जुलाई है । 7 जुलाई है तो क्या करूँ ? कल 6 थी तो आज सात ही होगी । यह भारतीय पंचांग की तरह वैज्ञानिक थोड़े ही है जो कभी कोई तिथि टूट जाती है तो कभी कोई तिथि दो बार हो जाती है । मोदी जी के मन की बात का कार्यक्रम है तो महिने का अंतिम रविवार ही होगा । या जैसे किसी ट्रेन को हरी झंडी दिखाई जाएगी तो मतलब मोदी जी ही दिखाएंगे । यह काम न तो गार्ड का है और न ही रेल मंत्री का । यह इतना महत्वपूर्ण काम है जिसे मोदी जी के अतिरिक्त कोई नहीं कर सकता । क्या पता कोई अनाड़ी झंडी दिखाए तो ट्रेन जानी हो जूनागढ़ और चली जाए जामनगर ।

हमने कहा- आज तो तू बड़ी द्विअर्थी बातें बोल रहा है । समझ ही नहीं आता कि मोदी जी की प्रशंसा कर रहा है या टांग खींच रहा है ।

बोला- मैं क्या खाकर किसी की टांग खींचूँगा ? मैं तो सीधी का एक निरीह और सीधासादा आदिवासी दशहत हूँ । सत्ता के अहंकार ने जिनकी बुद्धि भ्रष्ट कर दी है वे लोग संविधान तक पर पेशाब कर देते हैं तो मेरे जैसे की क्या औकात । तू तो अपना लैपटॉप देखकर यह बता कि आज भी पेंशन विभाग का कोई मेल आया या नहीं ?

हमने कहा- लगता है मोदी जी भूल गए हों । अब बच्चों को परीक्षा के लिए टिप्स देने से लेकर, मेट्रो से दिल्ली यूनिवर्सिटी जाने तक के सब छोटे-मोटे काम उन्हें ही करने पड़ते हैं तो हो सकता है टाइम नहीं मिला  हो ।

बोला- हाँ, यह बात तो है । पहले दिल्ली में रहते हुए 13 महिने तक किसानों से मिलने का समय नहीं मिला । जब समय मिला तो बस, इतना कह कर पल्ला झाड़ लिया- हम किसानों को तीन कानूनों के फायदे समझा नहीं पाए । मतलब कि तीन कानून तो सही थे लेकिन किसान ही बेवकूफ थे जो समझ नहीं पाए ।

गए तब भी नहीं ।  ट्रक के पीछे लिखी इबारत की तरह डर बरकरार है । अबकी बार बच गया  तो क्या ? 'फिर मिलेंगे'  ।

पदक लाने वाली बेटियाँ जिन्हें वे अपने परिवार की बेटियाँ कह रहे थे, तक से मिलने का समय नहीं निकाल सके । कोई एक काम है ? सेंगोल ग्रहण करना, राष्ट्रपति के बिना, सावरकर के जन्म दिन पर संसद का उद्घाटन करने जैसी बड़ी जिम्मेदारी अकेले ही उठाना । संविधान निर्माता अंबेडकर को पुष्पांजलि अर्पित करने तक का समय नहीं मिला  ।और यह हाल तब है जब चौबीस घंटे में 20-20 घंटे काम करते हैं। दाढ़ी बनाने तक का तो समय मिलता नहीं । पहले भी जनसेवा के लिए समय बचाने के चक्कर में कुर्ते की बाहें काटकर आधी कर ली थी । 


और तो और देश के लिए विदेश जाने की मजबूरी के कारण दो महिने से जलते मणिपुर तक नहीं जा सके तो हम अपना रोना क्या रोयें । वे कोई राहुल गांधी थोड़े ही हैं जिन्हें बात बिना बात यहाँ-वहाँ मोहब्बत की दुकान खोलते फिरने के अलावा कोई काम ही नहीं है । किसी दिन बिना परमीशन के दुकान चलाने और जी एस टी जमा न कराने के अपराध में जेल में न डाल दिए जाएँ तो सब अकल आ जाएगी । स्पष्ट बहुमत की सरकार । कोई मजाक नहीं है । तीस साल में पहली बार किसी पार्टी को इतनी सीटें मिली हैं । 

हमने कहा- अब सचमुच हमें मोदी जी को दोष देना छोड़ देना चाहिए । उन्हें जनता की सेवा के अतिरिक्त और काम ही क्या है ।आशा रखे न कि कबहुँक दीन दयाल के भनक पड़ेगी कान !

बोला- और हाँ, तू जो उल्टी-सीधी बातें करता रहता है- कभी 2 करोड़ नौकरियां, कभी 15 लाख, कभी अच्छे दिन, कभी डीए का 18 महिने का एरियर, कभी मोदी जी की डिग्री, कभी महंगाई, कभी 20 हजार करोड़ रुपये का हिसाब-किताब; हो सकता है मोदी जी ने ड्रोन से हमारी फ़ोटो खींच ली हो या तेरे लैपटॉप में पेगासस घुसाकर सब पता कर लिया हो । अब से सब कुछ बंद ।

सिर्फ 'मोदी-मोदी' और कुछ नहीं । 

हमने कहा- और क्या ? पेंशन की कीमत पर अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की क्या बिसात !

  




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Jul 6, 2023

आज छह जुलाई है


आज छह जुलाई है 


तोताराम ने आते ही घोषणा की- आज छह जुलाई है है । 

हमने कहा- इसमें हम क्या कर सकते हैं ? कल पाँच जुलाई थी और कल सात जुलाई होगी । यदि मोदी जी सूरज को यथासमय हरी झंडी दिखा देंगे तो परसों आठ जुलाई भी होगी ही । हमारी आजादी को आने वाले 15 अगस्त को 76 साल हो जाएंगे । मोदी जी वाली वास्तविक आजादी को भी नौ वर्ष और दो महिने हो चले हैं । 2025 के दशहरे को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की स्थापना को 100 वर्ष पूरे हो जाएंगे । यह सब तो वैसे ही प्रकृति का विधान है जैसे मासिक धर्म या मन की बात ।  और मन की बात के धर्म पर तो 50-55 वर्ष के बाद राजोनिवृति का नियम भी लागू नहीं होता । 

हम तो सामान्य बातें कर रहे हैं । मन की बात के खर्च की बात करके हम आप नेता गढ़वी की तरह मुकदमे के चक्कर में नहीं पड़ना चाहते ।   

तोताराम ने हमारे पैर छूते हुए कहा- जैसे संस्कारी पार्टी के युवा कार्यकर्ता और सीधी के भाजपा विधायक शुक्ला जी के सीधे-सादे प्रतिनिधि प्रवेश शुक्ला की तरह मैंने धर्म, राष्ट्र और जातीय श्रेष्ठता और डबल इंजिन की सरकार की हनक में किसी आदिवासी युवक का अपनी मूत्र धार से अभिनंदन नहीं किया फिर भी तेरे इस विकट और अनंत विस्तार वाले उत्तर के लिए स्वयं को अपराधी मानते हुए शिवराज सिंह की तरह तेरे चरण धो सकता हूँ, तुझसे माफी मांग सकता हूँ और तुझे शाल भेंट कर सकता हूँ । और पैर धोते हुए फ़ोटो भी खिंचवा सकता हूँ । हालांकि उनकी तरह मेरी कोई चुनावी मजबूरी नहीं है । 

हमने कहा- ठीक है, लेकिन इस छह जुलाई का हम क्या करें ? 

बोला- करना क्या है ? पेंशन लेने बैंक नहीं चलेगा ?

हमने कहा- लगता है मोदी जी ने फिर नोट बंदी, तालाबंदी की तरह  मास्टर स्ट्रोक मार दिया ।  अभी तक पेंशन वालों का हमारे मेल पर मेसेज नहीं आया है । 

बोला- मतलब ?

हमने कहा- मतलब यही कि जैसे कोरोना के नाम पर 300 रुपए का टीका लगाकर अठारह महिने के डीए के तीस हजार रुपए हजम कर गए थे वैसे ही पेंशन ही न मार दी हो । 

बोला- अब कौनसी राष्ट्रीय विपदा आ गई ?

हमने कहा- अभी अमरीका जाकर हजारों करोड़ के हथियारों का सौदा कर आए हैं । उसका पैसा कहाँ से निकालेंगे ? 


बोला- लेकिन डंका तो बजा आए ना ?  देखा नहीं, कैसे तोपों की सलामी दी गई । बाइडेन की पत्नी ने अपनी विशेष देखरेख में विशेष डिनर बनवाया । मेन्यू सुन- लेमन डिल योगर्ट सॉस, क्रिस्प्ड मिलेट केक, समर स्कावशेश, मैरिनेटेड मिलेट, ग्रिल्ड कॉर्न कर्नल सलाद, कंप्रेस्ड वाटरमेलन, टैंगी एवाकाडो सॉस, स्टफ्ड पोर्टोबेल्लो मशरूम, क्रीमी सैफरॉन इन्फ्यूस्ड रिसोट्टो और इनफ्यूस्ड स्ट्रॉबेरी शॉर्टकेक । 

हमने कहा- अब तू भी हमारी तरह मेन्यू के बहाने हमें पका रहा है । इसके व्यंजनों के नाम मोदी जी और शाह जैसे अंग्रेजी के विद्वान टेलिप्रॉम्प्टर से भी ना पढ़ पाएं । 

बोला- और ऐसा सम्मान आज तक भारत के किसी भी प्रधानमंत्री को नहीं मिला । 

हमने कहा- सो बात तो मत कर । 1949 में राष्ट्रपति ट्रू मैन नेहरू जी को लेने प्लेन के अंदर तक गए थे जबकि इन्हें लेने भारत में अमरीका के राजदूत के अलावा अमरीका का कोई अधिकारी नहीं था । राजीव गांधी पर वहाँ के राष्ट्रपति रीगन छाता ताने चल रहे थे । और ये तो जब हजारों करोड़ का बिजनेस देने गए थे और वह भी दुगुने-तिगुने दामों में तो फिर स्वागत का इतना दिखावा तो बनता ही है ।  

बोला- कोई बात नहीं एक महिने और भुगत लेंगे । अगले महिने सही । 

हमने कहा- आकाश अंबानी अभी हजारों करोड़ का लोन जुटाने में लगे हैं । यदि स्टेट बैंक ने कृपा  कर दी तो अगले महिने के बारे में भी कुछ नहीं कहा जा सकता । बैंक और कहाँ से देगा ? 

 


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