Apr 22, 2024

अमरीका हमारा था और हमारा रहेगा


अमरीका हमारा था और हमारा रहेगा 


जैसे ही हमने तोताराम को चाय का गिलास पकड़ाया, वह जोर से उछलकर चिल्लाया- अमरीका हमारा था और हमारा रहेगा । 

हमने कहा- हमने कहा- ध्यान से, नहीं तो चाय तेरे कुर्ते पर गिर जाएगी ।  अमरीका, लेकिन कौनसा अमरीका ?  

बोला- अमरीका भी कोई दस-बीस हैं क्या ? एक ही तो है । अबकी बार ट्रम्प सरकार । 'नमस्ते ट्रम्प' वाला अमरीका ।वही अमरीका जहाँ की जनता ने बड़े विनम्र और संकोची मोदी जी के मना करते करते भी अरबों रुपए खर्च करके बड़े दिल से मोदी जी के लिए 'हाऊ डी मोडी' कार्यक्रम किया था ।  जानता नहीं क्या मैं ? वही अमरीका जिसके राष्ट्रपति को मोदी जी तू-तड़ाक से 'बराक' बुलाते हैं । 

हमने कहा- उस कार्यक्रम में न तो अमरीका का कोई पैसा खर्च हुआ था और न ही उसमें अमरीकी आए थे ।वह शुद्ध रूप से भारत मूल के कुछ धनिकों और मोदी जी की राजनीतिक महत्वाकांक्षा थी । लेकिन केवल अमरीका कहने से बात स्पष्ट नहीं होती । अंधभक्तों की तरह बात मत कर । अगर भूगोल नहीं पढ़ी है तो पढ़ और सुधार कर ले । अमरीका दो हैं- उत्तरी अमरीका और दक्षिणी अमरीका । और ये दोनों भी कोई दो देश नहीं हैं । दक्षिणी अमरीका में अनेक देश हैं । इसी तरह उत्तरी अमरीका में भी कई देश हैं । और तो और दोनों अमरीका के संधि-स्थल पनामा नहर के आसपास भी कई छोटे छोटे द्वीपीय देश हैं ।कुल मिलाकर दोनों अमरीकाओं में 35 देश हैं ।  तू जिस देश की बात कर रहा है उसे 'संयुक्त राज्य अमरीका' कहते हैं । 

बोला- मैंने तो रामचारितमानस में पढ़ा है कि हनुमान जी का बेटा मकरध्वज पाताल मतलब अमरीका के राजा महिरावण के महल का सेक्योरिटी इंचार्ज था । महिरावण को मारकर हनुमान जी ने पाताल का राज्य मकरध्वज को दे दिया था । इस हिसाब से सारा अमरीका हमारा हुआ कि नहीं । फिर भी अधिक नहीं तो कम से कम वाशिंगटन डी सी तो हमारा है ही क्योंकि महिरावण वहीं रहता था । 

हमने कहा- तो फिर जा और बैठ जा बिना वीजा के अमरीका के प्लेन में । अरे अंधभक्त, अगर ऐसा ही होता तो एक गुजराती परिवार अमरीका में घुसने के लिए अपने बीवी, बच्चे के साथ मेक्सिको की दीवार पर चढ़कर न कूदता और न मरता । 

बोला- तो फिर राजनाथ जी ने क्यों कहा कि पाक अधिकृत कश्मीर हमारा था और हमारा रहेगा । 

हमने कहा- यह नेताओं की भाषा है । वे चाहे जो बोलें । वे अर्द्ध झूठ, सम्पूर्ण झूठ, सफेद झूठ, काला झूठ कुछ भी बोलें । उन्हें सब छूट है । और अगर कोई ज्यादा ही चूँ चूँ करेगा तो वे उसका अर्थ, भावार्थ, व्याख्या समझाने लगेंगे ।

 राजनाथ जी के शब्द समझ । कहा है- पाक अधिकृत कश्मीर हमारा था और हमारा रहेगा । यह थोड़े कहा है- पाक अधिकृत कश्मीर हमारा है । नेता और धर्म सब केवल भूतकाल और भविष्यतकाल की बात करते हैं । भूतकाल को तुम बदल नहीं सकते और न ही उसका कोई प्रमाण । भविष्य अभी दूर है । उसके बारे में न कुछ कहा जा सकता है और न कोई तर्क वितर्क किया जा सकता है । मतलब कोई जिम्मेदारी नहीं । पाँच साल होने को आ रहे हैं, पहले अपने वाले कश्मीर में तो विधान सभा के चुनाव करवा दें । 

बोला- यह भी तो कहते हैं, हम घर में घुसकर मारते हैं । 

हमने कहा- हाँ, उसका भी उदाहरण सुन ले । विदेश मंत्री कहते हैं कि चीन की अर्थव्यवस्था हम से बड़ी है इसलिए हम उससे पंगा नहीं ले सकते । मतलब चुपचाप जूते खाते रहेंगे । और राजनाथ जी ने यह थोड़े कहा है कि हम पाकिस्तानियों में घर में घुसकर उन्हें मारेंगे । वे घर में घुसकर मारने का अर्थ यह भी तो बताया सकते हैं कि हम अपने घर में घुसकर मक्खियाँ मारेंगे । 


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Apr 13, 2024

डबल इंजन की शक्ति


डबल इंजन की शक्ति 


तोताराम यथासमय उपस्थित । चाय शुरु ।चर्चा हमने ही प्रारंभ की, कहा- तोताराम, आजकल डबल इंजन की सरकार और मोदी जी की गारंटी के  प्रतिदन पहले पेज पर आने वाले विज्ञापन नहीं दिखते । क्या बात है ? 

बोला- हमारी पार्टी तो वैसे ही आदर्शों से बंधी हुई है । हम व्यर्थ की, आत्मप्रशंसा वाली बातें कभी नहीं करते लेकिन क्या किया जाए अब आचार संहिता लागू हो गई है । चुनाव खत्म होते ही फिर देख लेना आकाशी उपलब्धियों के सचित्र विज्ञापन । क्या करें । ये उपलब्धियां होती ही बहुत बदमाश हैं । पता नहीं, फ़ाइलों से निकलकर कहाँ गायब हो जाती हैं ।इसलिए अपनी गांठ की और खून पसीने की कमाई से विज्ञापन देकर जनता को बताना पड़ता है कि तुम्हारा अमुक-अमुक भला हो गया है । अब खुश हो जाओ, गर्व करो ।  

हमने कहा- लेकिन तोताराम, अब तो हम भी कह सकते हैं कि अपने राजस्थान में जो काम कांग्रेस की सरकार में नहीं हुआ वह इस डबल इंजन की सरकार के आते ही हो गया । 

बोला- बहुत सकारात्मक हो रहा है । कहीं तेरे यहाँ शाम को कोई ई डी वाले तो नहीं आए थे जो रात रात में ही गौरव वल्लभ की तरह  ट्रिलियन के जीरो भूल गया और बिजेंदर की तरह सारी पहलवानी निकल गई ।

हमने कहा- ई डी वालों को विपक्षी नेताओं को निबटाने से ही फुरसत नहीं है । ऐसे में हमारे जैसों के यहाँ क्या लेने आएंगे । वैसे स्टेट बैंक वाले पूनिया जी ने बेकार ही डरा दिया ।जब घाटे में चलने वाली कंपनियां भी 100-200 करोड़ के बॉन्ड खरीद कर दे सकती हैं तो हमें तो हर महिने पेंशन मिलती है । हजार-हजार के ही सही दो-चार बॉन्ड खरीद लेते हो आज किस्मत सँवर जाती । देखा नहीं, चन्दा देने पर लोगों को जमानत मिल गई, केस वापिस हो गए, और तो और चुनाव लड़ने के लिए पार्टी का टिकट भी मिल गया । न सही कर्नाटक के बेल्लारी से लोकसभा का टिकट, अगर वार्ड मेम्बर का टिकट भी मिल जाता तो बुढ़ापा शान से कट जाता ।  घर के सामने की सड़क सीमेंटेड होती,  जिस नाली की महीनों सफाई नहीं होती वह रोज साफ होती । नल के अनेक कनेक्शन लगवाते और खंभे पर तार डालकर मुफ़्त की बिजली का मज़ा लेते । 

बोला- वह तो कल्पना का हेतुहेतुमद्भूत है लेकिन यह तो बता कि डबल इंजन की सरकार आने से ऐसा क्या हो गया जो कांग्रेस की पिछली सरकार में नहीं हुआ ?

हमने कहा- नवंबर 2023 में हम अस्सी से ऊपर थे और कांग्रेस सरकार के अनुसार हम इतने अक्षम थे कि विधान सभा चुनाव में बूथ पर जाकर वोट भी नहीं डाल सकते थे सो राज्य सरकार ने चुनाव वालों को घर भेजा और वोट डलवाया  । अब भाजपा की केंद्र सरकार ने राज्य की भाजपा सरकार के सहयोग से हमें दो-तीन महिने में ही इतना सक्षम बना दिया कि हम दो किलोमीटर जाकर, लाइन में लगाकर वोट डाल सकते हैं । 

बोला-  इस गरमी में यदि तू इस मतदान-यात्रा में शहीद हो गया तो हो सकता है तुझे इमरजेंसी में जेल गए लोगों की ‘लोकतंत्र प्रहरी-पेंशन’ और मस्जिद विध्वंस के लिए अयोध्या गए वीरों की ‘कार सेवक पेंशन’ की तरह कोई ‘मतदान शहीद पेंशन’ ही मिल जाए ।

हमने कहा- ये सब तो वैसे ही चंडूखाने की चर्चाएं हैं लेकिन इस बारे में एक बात बताएं- कल मतदान वाले तेरी भाभी का घर से वोट डलवाने आए थे तो हमने देखा कि मत पेटी के सील नहीं लगी थी । अगर ऊपर कोई चंडीगढ़ वाला मसीही मसीहा बैठा हुआ तो कुछ गड़बड़ भी हो सकती है । 

बोला- जब चुनावों में जीतने के लिए लोगों को जेल में डाला जा सकता है, गला दबाकर चन्दा लिया जा सकता है, विपक्षी पार्टी का बैंक खाता सील किया जा सकता है, जीते हुए नेता खरीदे जा सकते हैं तो हमारे एक वोट का क्या रोना । 

  


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Mar 22, 2024

विश्व कविता दिवस और सबसे बड़ा महाकाव्य


2024-03-21 

विश्व कविता दिवस और सबसे बड़ा महाकाव्य 

आज तोताराम ने बाहर से ही बहुत जोर से आवाज लगाई-  महाकवि, प्रणाम । बधाई हो । 

जैसे कर्नाटक के 2023 के विधान सभा के चुनावों में   ‘जय  बजरंग बली’  का नारा गूँजा था वैसी ठसक तोताराम की आवाज में थी । कर्नाटक का नारा भी अद्भुत रहा । जहां गूँजा वहाँ तो कुछ नहीं हुआ लेकिन छह महीने बाद हमारा बरामदा अर्थात राजस्थान में कांग्रेस की सरकार गिर गई ।वैसे ही हम भी चारपाई से गिरते गिरते बचे । पता नहीं आवाज की तरंगें थीं या प्रशंसा का नशा । सच है,  निंदा तो आदमी एक बार फिर भी मन मसोसकर झेल जाता है लेकिन प्रशंसा उसे हिलाकर गिरा ही देती है ।  

हमने बैठे बैठे ही कहा- यहाँ कोई महाकवि नहीं रहता । 

बोला- मजाक मत कर ।मैं तुझे ही कह रहा हूँ । मुंह मीठा करवा या नहीं लेकिन दरवाजा तो खोल । 

हमने कहा- हमें तुम्हारी यह प्रशंसा  मजाक लगती है । यह प्रशंसा वैसी ही है जैसे वरुण गांधी और मेनका गांधी को प्रियंका या राहुल के खिलाफ भाजपा का टिकट दे दिया जाए । हाँ और ना दोनों में फंसे । अरे, जब मोदी जी ने बीसियों लड़के लड़कियों को इसी महीने में क्रियेटर्स अवॉर्ड दिए तब भी हमें याद नहीं किया । और कुछ नहीं तो तुझे 60 साल से चाय पिलाने के लिए  ‘भोजन श्रेणी’ में ही नामांकित कर देते । 

बोला- लेकिन हम लोगों को तो स्वयं को पुरस्कारों से उसी तरह दूर कर लेना चाहिए जैसे लता मंगेशकर ने खुद को फिल्मफेयर पुरस्कारों से दूर कर लिया था  या जैसे आडवाणी जी ने उम्र को देखते हुए सक्रिय राजनीति से सन्यास लेकर बरामदे में बैठना स्वीकार कर लिया है । 

हमने कहा- लेकिन आडवाणी जी को जबरदस्ती बैठाया गया है ।  उन्होंने भारतरत्न लेने से मना कर दिया क्या ?

बोला- भारतरत्न है ही ऐसी चीज ।  

हमने कहा- इस सम्मान की औकात तो तीन से बढ़ाकर पाँच करने पर ही पता चल गई थी । हो सकता है अगर लोकसभा चुनाव को देखते हुए जरूरत पड़ी तो और दस बीस लोगों को दिया जा सकता है । राष्ट्रीय लोक दल को पटाने के लिए चरणसिंह को भारतरत्न दिया जबकि चरणसिंह भाजपा की पूर्ववर्ती जनसंघ को पसंद नहीं करते थे ।  लेकिन छोड़,  यह बता, हमें किस बात की बधाई दे रहा है ? 

बोला- आज ‘विश्व कविता दिवस’ है ना, महाकवि । 

हमने कहा- हमने कौनसा महाकाव्य लिख दिया जो महाकवि संबोधित कर रहा है । हमने तो पिछले तीस बरसों में नरसिंहा राव, मनमोहन सिंह, अटल जी और मोदी जी पर कुछ फब्तियाँ कसने के अलावा और लिखा ही क्या है ? जैसे वाल्मीकि और तुलसी राम के कारण हैं वैसे ही अन्य व्यंग्यकारों की तरह हम भी इन्हीं महापुरुषों के कारण हैं । हमारा क्या है ? 

मोदीमय तिहुं लोक बखाना 

हम सब केवल भक्त समाना 

बोला- सही पकड़े हैं । न लिखा हो महाकाव्य लेकिन यह जन भावना है जैसे राम-कृष्ण सभी केवल नायक है लेकिन अमिताभ बच्चन महानायक है । बहुत से प्रधानमंत्री हुए लेकिन राम मंदिर के रुपए-पैसे संभालने वाले चंपत राय के अनुसार विष्णु के अवतार केवल मोदी जी ही हैं । 

ऐसे में अगर मैं तुझे महाकवि मानता हूँ तो किसी को क्या ऐतराज है । 

हमने कहा- तोताराम, अपने इलाके के एक कवि हुए हैं परमेश्वर द्विरेफ । वे तुलसीदास को भी महाकवि नहीं मानते थे क्योंकि उनके रामचरितमानस में केवल सात सर्ग हैं जबकि परिभाषा के अनुसार महाकाव्य में कम से कम आठ सर्ग होने चाहियें । 

बोला- इस हिसाब से तो पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविन्द जी को सबसे बड़ा महाकवि माना जाना चाहिए । तुलसीदास उन्हें कवियों की श्रेणी में मानते हैं- 

जम कुबेर दिक्पाल जहाँ  ते 

कवि कोविद कहि सके कहाँ ते 

और फिर उन्होंने तो ‘मदर ऑफ डेमोक्रेसी’ की महिमा पर मात्र 191 दिनों में साढ़े अठारह पेज का एक महाकाव्य लिख मारा है - वन नेशन वन इलेक्शन । दुनिया के सबसे बड़े महाकाव्य ‘महाभारत’ से भी बड़ा । 

हमने कहा-  'एक देश, एक चुनाव' पर कमेटी ने 62 पार्टियों से संपर्क साधा था। इनमें से 47 ने जवाब दिया। 32 पार्टियो ने एकसाथ चुनाव कराने का समर्थन किया, 15 पार्टियों ने इसका विरोध किया और 15 पार्टियों ने इसका जवाब नहीं दिया। 

वह तो एक रिपोर्ट है और वह भी गद्य में है । 

बोला- ‘गद्य काव्य’ क्या काव्य नहीं होता ? और फिर इसकी आत्मा तो देख । बीज वाक्य ‘वन नेशन :वन इलेक्शन’  ही जब काव्यात्मक है तो यह एक काव्य ही है । एक वाक्य का भी महाकाव्य हो सकता है । 

मुझे तो मोदी जी का साढ़े चार शब्दों का एक छंद ही इस देश का, इसकी आत्मा का,  इसके लोकतंत्र का ‘एन्टायर  पॉलिटिकल साइंस’ की तरह एक ‘एन्टायर महाकाव्य’  लगता है - ‘ अबकी बार : चारसौ पार’ । 

हमने कहा- ठीक है । 

बोला- ठीक है तो एक चाय और मँगवा । इसी ‘एन्टायर महाकाव्य’ पर चर्चा करते हैं । 

हमने कहा- चर्चा में क्या रखा है ? काम से काम चलेगा । चर्चा तो ठलुओं का काम है । 

बोला- मुझे भी पता है । जिन्हें कुछ नहीं  करना होता वे ‘बनाने’ के लिए चर्चा ही करते हैं । 

हमने पूछा- क्या बनाने के लिए ?

बोला- वही जो बाबाजी ने एक बार पत्रकार को कहा था । 

हमने कहा- वह तो एक गाली था । 

बोला- गाली नहीं, हमारी उत्तर भारत की हिन्दी पट्टी का एक शृंगारिक और निकट सामाजिक रिश्ता स्थापित करने वाला  विशेषण है । 

-रमेश जोशी 



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Mar 21, 2024

अब तो कर ले नमस्कार


अब तो कर ले नमस्कार

 

तोताराम आया और बैठने से पहले ही बोला- अब तो कर ले नमस्कार । हमने कहा- अब यही शेष रह गया है कि हम छोटे भाई को आते ही उठकर नमस्कार करें । लेकिन तू कौनसा रोज आते ही हमारे चरणस्पर्श करता है । हम तो बालसखा है । इन सब औपचारिकताओं से मुक्त हैं । बोला- यही तो खराबी है तुझमें । किसीकी सुनना नहीं, बस अपनी ही दले जाना । अरे, नमस्कार मुझे नहीं; चमत्कार को नमस्कार कर । चमत्कार को नमस्कार तो दुनिया सदा से करती आई है । हमने कहा- किस किस को नमस्कार करें । यह देश तो है ही चमचाकारों का ।

बोला- मास्टर, शब्दों से मत खेल । मैं चमचों की नहीं, चमत्कारों की बात कर रहा हूँ। हमने कहा- हम चमत्कारों को चमचों से इसलिए जोड़ रहे हैं कि चमचों के बिना चमत्कारों को प्रचार नहीं मिलता । वे सामान्य जन बनकर चमत्कारों का प्रचार करते हैं और अपनी दिहाड़ी पक्की करते हैं । गाय पालने और उसकी सेवा करने की बजाय गाय की मूर्ति पूजने की बात सबसे ऊंचे स्वर में गाय की पूंछ पकड़कर सरकारी ग्रांट की वैतरणी पार करने वालों में गौशालाओं अध्यक्ष से लेकर मेवात के गौ रक्षक ही अधिक होते हैं । गोबर-गौमूत्र से केन्सर ठीक करने वाले जुकाम होते ही एम्स में भागते हैं ।

बोला- तेरे जैसे नास्तिकों को धर्म में विश्वास ही नहीं है । अरे, धर्म पर ही यह दुनिया टिकी हुई है। हमने कहा- दुनिया धर्म नहीं, कर्म पर टिकी हुई है । धर्म पर बैठे बैठे खाने वाले टिके हुए हैं, दुनिया नहीं । अनाज उपदेशों से नहीं उगता । एक बार प्रसिद्ध तर्कवादी श्रीलंका के प्रोफेसर अब्राहम थॉमस कावूर ने एक बड़े चमत्कारी बाबा को चेलेंज दिया था कि यदि बाबाजी चमत्कार दिखा दें तो वे अपनी सारी संपत्ति उन्हें दे देंगे लेकिन बाबा टाल गए । हम तो कहते हैं भभूत निकालने वाले बाबा रेता ही निकाल दें । निर्माण कार्य सस्ता हो जाए और नदियों के तट पर अवैध खनन की जरूरत न पड़े ।

बोला- मैं तो आँखों देखी बता रहा हूँ । राम मंदिर में जनवरी में प्राणप्रतिष्ठित काले पत्थर की मूर्ति को मुस्कराते हुए देखा है। प्रमाणस्वरूप तोताराम ने हमारे सामने अखबार में छपी एक फ़ोटो कर दी । हमने कहा- ये सब फोटोग्राफी और कंप्यूटर का कमाल है । शायद इसे ‘डीप फेक’ कहते हैं । यह भी समझो लंबी फेंकने जैसा ही कुछ है । यह एक बड़ा घोटाला है । यह हमारे मूर्तिपूजक धर्म में ही नहीं बल्कि इस्लाम, ईसाई धर्म में भी है । वे भी अपने अनुयायियों को मूर्ख बनाने के लिए तरह तरह के चमत्कार करते हैं ।तंत्र-मंत्र, भूत-प्रेत सब करते हैं ।

लेकिन हमारे यहाँ फिर भी कबीर और दयानन्द सरस्वती जैसे सुधारक संत हुए हैं जिन्होंने ऐसे अंधविश्वासों और मूर्तिपूजा का विरोध किया है । ऐसे प्रगतिशील इतिहास वाले समाज को तू क्यों अंधविश्वासों में धकेलना चाहता है ? तोताराम, एक झूठ को स्वीकार कर लेने से फिर और और झूठों का ऐसा अंबार खड़ा हो जाता है कि उसके सामने सारे समाज का सामान्य विवेक नष्ट हो जाता है । जब मूर्ति में प्राण प्रतिष्ठित हो गए हैं, वे मुस्कुरा रहे हैं तो फिर मंजन भी करेंगे, खाना ,कलेवा, स्नान, शयन भी करेंगे ।

बोला- हाँ, करते क्यों नहीं ? तभी तो पूजा में इस प्रकार सभी विधिविधान हैं । जगन्नाथ भगवान तो साल में एक बार बीमार भी होते हैं । उन 15 दिनों में भगवान 56 भोग नहीं खाते । केवल काढ़ा पीते हैं । हमने कहा- तो फिर इस अवधि में उनके भक्तों को भी केवल काढ़ा पीना चाहिए । बोला- ऐसा कैसे हो सकता है । भक्त तो बेचारे भौतिक जीव हैं । उनके साथ तो सभी सांसारिक सत्कर्म और खटकर्म लगे ही रहते हैं ।

हमने कहा- फिर भी तोताराम । पहले की बात और थी । बीमारियाँ कम और छोटी-मोटी हुआ करती थी लेकिन आजकल तो एक दूसरे के पास बैठने, बात करने मात्र से हो सकती हैं । कोरोना भी सुन रहे हैं आजकल फिर किसी नए रूप में सक्रिय हो रहा है । अच्छा हो, भगवान को ऐसे कोरोना संक्रमित भक्तों से बचाया जाए ।राम तो मर्यादा पुरुषोत्तम हैं और वैचारिक रूप से संक्रमित व्यक्ति में कोई मर्यादा नहीं होती । वैसे भी बच्चों को संक्रमण अधिक होता है । रामलला भी तो अभी पाँच साल के ही हैं । इसलिए ध्यान रखना चाहिए । लोगों का चेकप करके ही गर्भगृह में प्रवेश देना चाहिए ।

बोला- जब भक्तों और दर्शन पर ज्यादा नियम कायदे कानून लगाएंगे तो आमदनी कम नहीं हो जाएगी ? मोदी जी और योगी जी तो देश की अर्थव्यवस्था को धार्मिक-पर्यटन उद्योग की तरफ ही ले जा रहे हैं । तभी तो हर छोटे बड़े तीर्थ में कॉरीडोर विकसित किये जा रहे हैं । सुनते हैं राम मंदिर में इन डेढ़ दो महीनों में कोई 40 हजार का धंधा हो गया है । हमने कहा- फिर भी इतना तो किया ही जा सकता है कि रामलला को मास्क पहना दिया जाए क्योंकि आजकल के भक्त तरह तरह की शारीरिक और मानसिक बीमारियों से ग्रस्त पाए जाते हैं विशेषरूप से बड़े बड़े सेठ । और वे ही लोग सबसे देर तक और निकट से दर्शन करते हैं ।

बोला- कुछ नहीं होता । मोदी जी ने तो बंगाल में कोरोना के पीक समय में धुआंधार रैलियाँ की थीं । हमने कहा- मोदी जी की बात और है । वे राम से भी बड़े हैं । ऐसे ही थोड़े कहा गया है कि राम से बड़ा राम का नाम । वैसे ही ‘राम से बड़ा राम का भक्त’ । देखा नहीं, मंदिर प्रवेश के समय कैसे रामलला को मंदिर में ले जा रहे थे जैसे कोई अभिभावक बचे को स्कूल छोड़ने जा रहा हो ।बोला- अब जब 2024 का चुनाव सिर पर है और चुनाव राम को आगे करके लड़ा जा रहा है तो ऐसे प्रतिबंधों और नियमों के बारे में सोचना संभव नहीं है । हमने कहा- हो सकता है 500 पार के चक्कर में मोदी जी रामलला को ही 2029 का चुनाव लड़वा दें ।

बोला- 2029 क्या, अब भी चुनाव प्रभु ही तो लड़ रहे हैं । वही तो चेहरा हैं । मोदी जी तो निमित्त मात्र हैं । उनके भरोसे ही तो मोदी जी 400 पार कह रहे हैं । मैं तो सोचता हूँ कहीं 600 पार न हो जाएँ । एक तो 24 घंटों जागने वाले, दूसरे विष्णु अवतारी तीसरे चमत्कारी मोदी जी और चौथे प्रभु-कृपा । कुछ भी मुमकिन है । लेकिन रामलला ने एक छोटी सी लीला क्या दिखा दी तू उसकी आड़ में फेंटेसी पर फेंटेसी पेले जा रहा है । कल को कहेगा गर्भगृह में अटेच शौचालय क्यों नहीं । अब बात समाप्त कर । अगर किसी की भावना आहत हो गई और एफ आई आर दर्ज हो गई तो चार-पाँच साल हिरासत में ही कट जाएंगे । और इससे ज्यादा समय तेरे पास बचा भी नहीं है ।

वैसे मैं अपनी चमत्कार वाली बात पर अब भी कायम हूँ । आने दे राम नवमी जब ‘सूर्य तिलक’ होगा और सारा विश्व रामलला के चमत्कार को नमस्कार करेगा। हमने कहा- वही सूर्यतिलक ना जब रामनवमी को सूर्य की किरणें सीधे गर्भगृह में विराजे रामलला के मस्तक पर पड़ेंगी ? बोला- हाँ। तो हमने कहा- यह कोई दैवीय या बाबा का चमत्कार नहीं है । यह विज्ञान पर आधारित सूर्य की गति और कोणों के सामंजस्य और गणना के द्वारा किया जा रहा है । इसमें किरणों और मूर्ति की स्थिति को त्रिकोण करने में बैंगलुरु की डीएसटी इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ एस्ट्रोफिजिक्स ने तकनीकी सहायता प्रदान की है और बैंगलुरु की ही एक कंपनी ‘आप्टिका’ ने लेंस और पीतल ट्यूब का काम किया है ।


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