Oct 6, 2016

सीने का नाप

 सीने का नाप 

 आज तोताराम एक नई ही सजधज में था- नाक की नोक पर नज़दीक की नज़र का चश्मा जो अब गिरूँ तब गिरूँ की मुद्रा में रखा था, कान पर टँगी पेन्सिल, कंधे पर कपड़े का सिलकर बनाया गया इंचीटेप |हमारे बचपन के साथी बशीर से मिलता-जुलता अंदाज़ जो आठवीं क्लास के बाद पढ़ाई छोड़कर सिलाई का काम करने लगा था और आज से कोई तीस-बत्तीस साल पहले अल्लाह को प्यारा हो गया था |एक बार तो हम पहचान ही नहीं पाए |आते ही बोला- मियाँ, ज़रा खड़े तो होइए |आपके सीने का नाप लेना है |

हमने भी उसी के अंदाज़ में कहा- उस्ताद, अब क्या नाप लेना है ? कफ़न की न तो सिलाई होती है और न ही नाप | दो गज का सफ़ेद कपड़ा होता है जिसमें लपेट कर ले जाते हैं और वह भी साथ में नहीं ले जाने देते |वह भी डोम राजा उतरवा लेते हैं |जहाँ तक और कपड़ों की बात है तो अब जो हैं वे भी जीते जी शायद ही फटें |

और अब हमारा क्या तो सीना और उसका क्या नाप |हम जानते हैं- कभी ३६ इंच का रहा हमारा सीना लगता है उम्र के साथ प्रतिवर्ष दो-तीन मिलीमीटर की दर से कम होता जा रहा है | इस उम्र में सारा शरीर थोड़ा घटता ही है, बढ़ता थोड़े ही है |हाँ, जब डी.ए. बढ़ता है तो सीना एक इंच बढ़ जाता है और फिर जब दवा और दूध लेने बाज़ार जाते हैं तो दाम सुनकर फिर एक इंच सिकुड़ जाता है मतलब मूषकः मूषकः पुनः | और यही स्वाभाविक है |इस उम्र में वज़न और नाप घटना-बढ़ना ठीक नहीं |ज्यादा घटे तो कैंसर और ज्यादा बढ़े तो दिल की बीमारी या मधुमेह |

बोला-एक बार मोदी जी ने कहा था- उत्तर प्रदेश का विकास करने के लिए ५६ इंच का सीना चाहिए जिसका लोग आज तक मज़ाक उड़ा रहे हैं |वैसे मैं ऐसे लोगों से सहमत नहीं क्योंकि इतने बड़े देश का प्रधान मंत्री बनने के बाद गर्व और ख़ुशी से इतना फर्क  पड़ना कोई बड़ी बात नहीं है |अब सर्जिकल स्ट्राइक के बाद मध्य प्रदेश के मुख्य मंत्री शिवराज सिंह जी ने कहा- मोदी जी सीना ५६ इंच का नहीं, १०० इंच का है |

अब भाई साहब, मुझे तो चिंता हो रही है लेकिन उन तक मेरी पहुँच नहीं है और फिर लिए उनके लिए तो बहुत से विशेषज्ञ चिकित्सक उपलब्ध हैं | वैसे इतना चढ़ाव भी स्वाभाविक नहीं है |

वैसे तू भी तो देशभक्त है, सो सोचा तेरा सीना भी ऊपर नीचे हो रहा होगा |इसलिए परहेज की दृष्टि से सोचा- नाप ही ले आऊँ और कोई खतरे की बात हो तो किसी अच्छे डाक्टर को दिखा दें |

हमने कहा-पाकिस्तान हमारे देश को लगी हुई त्वचा की ऐसी बीमारी है जो न तो ठीक होगी और प्राणघातक |बस, इस बीमारी के नाम से चतुर डाक्टर पीढ़ी दर पीढ़ी पलते रहेंगे |इसलिए सावधानी ही उपाय है |सावधानी हटी और दुर्घटना घटी |देश की सभी सीमाओं पर निरंतर चौकसी रखें | ये सर्जिकल स्ट्राइक तो चलते ही रहेंगे |कभी इधर से, कभी उधर से | ये ढोल पीटने के विषय नहीं हैं और न ही कोई बहुत स्तर की कूटनीति | यह तो रोज का खुजलाना है | बिना बात झेंपने और बिना बात मूँछ ऐंठने से कोई फायदा नहीं | बातें बनाने वालों और धंधा करने वाले, बिकाऊ और सनसनी खोजी मीडिया को भी ऐसे कामों में ज्यादा मुँह नहीं लगाना चाहिए |बस, गोलमोल ब्रीफिंग फेंकते रहो |


तू तो उत्तर प्रदेश में गन्ने के खरीद सेंटर का ५० साल पुराना एक सच्ची घटना सुन |एक दिन संयोग से एक बहुत ही साइस्ता मिजाज़ के भूतपूर्व नवाब साहब अपनी गन्ने की गाड़ियों के साथ आ गए |वहाँ एक लफंगा उनसे टकरा गया, गाली दी और बदसलूकी की |नवाब साहब बोले- मियाँ, इस ज़माने कौन किसी को क्या देता है ?शुक्रिया कि आपने गाली ही दी मगर दी तो सही |दूसरे दिन उस लफंगे की लाश रेल की पटरियों पर पाई गई |

Oct 5, 2016

बशर्ते कि......

  बशर्ते कि.....

कल जब तोताराम आया था तो उसे थोड़ा सिर-दर्द हो रहा था और बदन भी टूट रहा था |आज सूरज चढ़ आया और तोताराम अनुपस्थित |सोचा, चलो तोताराम को ही देख आएँ कहीं बुखार,जिसे समझ न पाने के कारण, कोई भी डाक्टर सरलता से वाइरल कह कर पीछा छुड़ा लेता है वैसे ही जैसे सरकार जनहित में पैरासीटामोल का विज्ञापन करके अपने कर्त्तव्य की इतिश्री समझ लेती है |पहले मच्छर रात में मौका देखकर संगीत सुनाकर काटते थे लेकिन आजकल तो चोरों, चेन झपटने वालों और लड़कियों को छेड़ने वालों की तरह दुस्साहसी हो गए हैं, दिन में ही आक्रमण कर देते हैं |

देखा तो तोताराम बरामदे में बैठा तुलसी का काढ़ा पी रहा था |पास में ही पोता बंटी बैठा था |तोताराम ने कहा- बेटा, जा दादाजी के लिए अन्दर से चाय तो ले आ | पता नहीं क्या हुआ, बंटी ने बड़ी बेअदबी से कहा- रोज कहते हैं, किसी भी काम को मन लगाकर करो, धर्म समझकर करो तो शिखर पर पहुँच जाओगे जैसे चाय पहुँचा-पहुँचाकर मोदी जी प्रधानमंत्री बन गए |ला तो दूँगा चाय बशर्ते कि आप अभी चिप्स के पैकेट के लिए दस रुपए दो तो |मैं इन बातों में आने वाला नहीं |प्रधान मंत्री तो दूर,चाय पहुँचाने से कोई वार्ड मेंबर भी नहीं बनता देखा |मोदी जी चाय बेचने से नहीं बल्कि महँगे तकनीकी इवेंट मैनेजमेंट के बल पर प्रधान मंत्री बने हैं |

हमें भी बुरा तो लगा- कहा बेटा, कोई भी फल की गारंटी नहीं दे सकता |किसान खेत जोतता है , सिंचाई करता है फिर भी कोई गारंटी नहीं कि फसल सही सलामत हो ही जाए |तभी कृष्ण गीता में निष्काम कर्म करने की बात कहते हैं | 

आज तो बंटी किसी पार्टी के प्रवक्ता की तरह तर्क कर रहा था | बोला- नेताओं और व्यापारियों की तो बात छोड़िये , मदर टेरेसा को संत घोषति किए जाने पर सर्वोच्च न्यायालय के पूर्व मुख्यन्यायाधीश काटजू जी ने क्या कहा- मैं भी मदर टेरेसा की तरह बीमारों की सेवा करने को तैयार हूँ बशर्ते कोई मुझे एक करोड़ डालर देने का वादा करे | और आप मुझसे बिना फल की आशा के चाय मँगवा रहे हैं |चाय मैं ला तो बिना किसी शर्त के भी दूँगा बस, चाय लाने से कोई प्रधान मंत्री बन जाएगा यह जुमला मुझे मत सुनाइए | 

हमने कहा-  तोताराम, कुछ भी हो बच्चा कह तो ठीक रहा है | क्या बिना किसी अगर, मगर, किन्तु, परन्तु या बशर्ते...के कुछ काम नहीं किया जा सकता ? मदर टेरेसा को क्या पहले किसी ने कोई गारंटी दी थी कि सेवा के बदले इतना दान मिलेगा ? अब काटजू साहब से कोई क्या कहे | अरे साहब,अगर हममें ही इतना सेवा भाव होता तो अच्छे भले लोग दलित और महादलित नहीं बनते, सदियों से वन-वन भटकने वाले भोले-भालेआदिवासी हथियार क्यों उठाते |

और अपने कटारिया जी को ही देख लो |कह रहे हैं-जितना पैसा सरकारी गौशाला पर खर्च किया जा रहा है उतने में तो कोई भी स्वयंसेवी सस्थान अच्छे तरीके से जिम्मेदारी सँभाल सकता है बशर्ते कि ईमानदारी से काम करे | बस, वही बशर्ते .. का चक्कर |अरे साहब, ईमानदारी से ही काम करना होता तो गौशाला में गोबर -मूत सूँघने की और झूठे-सच्चे बही-कहते बनाने की क्या ज़रूरत थी |दुकान पर बैठ कर डंडी ना मारते लालाजी  | 

जेतली जी भी कहते हैं-देश का विकास बहुत तीव्र गति से हो सकता है और हमारी ग्रोथ रेट नौ प्रतिशत हो सकती है बशर्ते कि... लोग ईमानदारी से टेक्स दें |अजी साहब, दोनों काम नहीं हो सकते, टेक्स भी ईमानदारी से दो और पार्टी को भी चंदा दो |ठीक है, पार्टी को चंदा देंगे बशर्ते कि........