Mar 26, 2020

ताली बजा, थाली बजा और नहीं तो गाल बजा



ताली बजा, थाली बजा और नहीं तो गाल बजा  


हम और तोताराम तो वैसे ही 'अकाल-पुरुष' हैं |इस शब्द का विशेषरूप से अनावृष्टि से फसल न होने का कोई संबंध नहीं है | हमारा किसी 'अकालासुर' से भी कोई संबंध नहीं जोड़ा जा सकता जैसे अभी होली पर कोरोना बीमारी का भारत की 'पुराण-तकनीक' द्वारा व्याख्या करते हुए 'कोरोनासुर' का दहन किया गया |'अकालपुरुष' से हमारा मतलब ईश्वर से भी नहीं है |हम भी अन्य सामान्य प्राणियों की तरह नश्वर जीव हैं |अकालपुरुष तो हम अपने को इस अर्थ में मानने लगे हैं कि हम पर काल अर्थात समय की कोई बाध्यता नहीं है |हम सामान्य जीवों की तरह घड़ी से बंधे हुए नहीं हैं कि इतने बजे उठना ही पड़ेगा या इतने बजे किसी ड्यूटी पर जाना ही पड़ेगा या इतने बजे सो ही जाना है |हम अपना कोई भी रुटीन बना सकते हैं |

आजकल कोरोना के चक्कर में जनता का बाहर जाना, लोगों से अनावश्यक निकटता  से मिलना-जुलना बंद या कम किया जा रहा है क्योंकि पता ही नहीं चलता कि कौन कोरोनासुर बना घूम रहा है |यहाँ तक कि खुद उसे भी नहीं मालूम कि वह किस चीज को छूकर अपने साथ कोरोना के विषाणु लेकर घूम रहा है |एहतियात के तौर पर 'जनता कर्फ्यू' का विचार आया |इसीको गहनता से लागू करके चीन ने इस महामारी पर काबू पा लिया है |इसलिए भारत ने भी आज से यही तरीका अपनाया है |

वैसे भी हम और तोताराम न तो बहुत बाहर जाने के लिए बाध्य हैं और फिर जब मन की बात रोज ही कर लेते हैं तो किसी और के प्राण खाने के लिए जाने की आवश्यकता भी कम ही पड़ती है |सो आज सुबह से घर में ही कैद थे |रविवार के कारण बहू की छुट्टी थी |बेटा भी तीन घंटे अपने अस्पताल जाकर लौट आया |

यह मानव स्वाभाव है कि जिस बात से मना किया जाता है उसके लिए अधिक उत्सुकता अधिक हो जाती है |बेचारे आदम और हव्वा को वर्जित फल ने ही चक्कर में डाल दिया था | चूँकि मोदी जी ने सुबह सात से रात नौ बजे तक के कर्फ्यू का आदेशात्मक सुझाव दिया था इसलिए गली में शांति थी |हम भी बिना बात ही उत्सुकतावश और वर्जना को तोड़ने की छुपी कुई कुंठा के तहत सुनसान गली को कई बार देख आए थे |रोज नींद आती थी लेकिन आज वह भी नहीं आई |इस समय को बिताने के लिए हमारे पास स्मृति ईरानी की तरह अन्त्याक्षरी जैसा कोई बौद्धिक काम तो है नहीं सो समय का उपयोग यूट्यूब पर 'तीसरी क़सम' देखने में किया | 

अचानक मोहल्ले में छतों पर थालियाँ बजने की ज़बरदस्त समवेत ध्वनि सुनाई दी |आजकल तो डिलीवरी अस्पतालों में होने लगी है जहां थालियाँ बजाने का प्रावधान नहीं है |वैसे भी यह तो हो नहीं सकता कि मोहल्ले के दस-बीस घरों में एक साथ ही पुत्र-जन्म हो |बाहर निकल कर देखा- पूछा तो पता चला कि मोदी जी के निर्देशानुसार कोरोना से लड़ने वाले वीरों के प्रति सम्मान स्वरूप ये थालियाँ बजाई जा रही हैं | 

अन्दर आकर बैठे ही थे दरवाजे पर जोर-जोर से थाली बजाने की ध्वनि सुनाई दी |हम सब तो घर में हैं फिर यह थाली कौन बजा रहा है ? और यदि मोदी जी के आदेश का पालन करना है तो अपने घर की छत पर चढ़कर करे |यहाँ हमारे दरवाजे पर क्यों ?

इसी उधेड़बुन में दरवाज़ा खोला तो देखा कि तोताराम 'तीसरी क़सम' के गाने 'चलत मुसाफिर मोह लियो रे पिंजरे वाली मुनिया' में हीरामन की तरह बेतहाशा थाली पीटे जा रहा है |हमने उसे झकझोरते हुए कहा- क्या थाली को फोड़कर ही छोड़ेगा ?

बोला- जब तक मोदी जी का मेसेज नहीं आ जाता कि उन्हें थाली बजाने की आवाज़ सुन गई है तब तक यह थाली बजती रहेगी |और हाँ, तू थाली बजाते हुए मेरे पाँच-सात फोटो भी ले ले |पिछली बार न अंगुली पर अमिट स्याही लगाए फोटो मोदी जी को भेजा और न बेटी के साथ सेल्फी भेजी; पता नहीं मोदी जी क्या सोच रहे होंगे ?



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Coronavirus: 'जनता कर्फ्यू' के बाद लोगों ने ताली, थाली और शंख बजाकर PM मोदी की अपील का किया पालन, दिग्गजों ने भी लिया हिस्सा, देखें VIDEOS



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हमने कहा- मोदी जी के थाली बजाने का मतलब प्रतीकात्मक था कि देश किसी बहाने एकजुट हो |और अच्छी बात है कि देश इस समय कुछ मूर्खों और कुछ अधिक चतुर लोगों के नाटकों को छोड़कर एकजुट हो भी  रहा है |तू मोदी जी को सुनाने-दिखाने के लिए थाली बजा रहा है या इस एकजुटता में मन से शामिल हो रहा है ?और फिर मोदी जी ने रात नौ बजे तक इस जनता कर्फ्यू की बात की थी |तुझे नौ बजे तक घर रहना चाहिए था |अभी क्यों आगया ? यह तो मोदी जी के 'जनता कर्फ्यू' की मूल भावना का उल्लंघन है |

बोला- तू मुझे ही क्यों कह रहा है |अपने लेपटोप में देख कैसे राजनाथ जी, योगी जी और नड्डा जी घंटा, घड़ियाल, शंख और थालियाँ बजा बजाकर कर फोटो खिंचवा रहे हैं |और पता नहीं अखबार वाले भी इस राष्ट्रीय महत्त्व के काम के लिए वहां ठीक पांच बजते ही पहुँच गए या फिर इन नेताओं ने उन्हें कह रहा था कि ठीक समय पर आकर फोटो लेना और अपनी साईट पर डाल देना |जैसे कि कोई बहुत अर्जेंट और जनहित की सूचना हो |और कल अपने स्थानीय अखबार में सांसद और विधायक की फोटो देख लेना थाली बजाते हुए |

हमने कहा- लेकिन तेरी क्या मज़बूरी है ? तुझे कौनसा सरकार में कोई बड़ा लाभ का  पद चाहिए जो फुदक रहा है |हाँ, यदि तू उचित समझे तो हम अगले पंद्रह दिन के लिए अपनी 'बरामदा चाय-चर्चा' पर भी 'जनता कर्फ्यू'  लगा दें |

बोल- क्यों ? हम कौनसा किसी बड़े सेठ की पार्टी में सत्ताधारी पार्टी के बहुत से नेताओं की तरह कनिका कपूर के गाने के द्वारा कोरोना के प्रति जागरूकता फ़ैलाने जैसा कोई आपराधिक काम कर रहे हैं जिसे स्थगित कर दें |हम तो  मन की दो बात करके मन बहला लेते हैं |

अंध भक्तों और भारत के पौराणिक ज्ञान-विज्ञान के कुंठाग्रस्त स्वयंसेवकों की तरह बिना बात गाली और गाल बजा-बजाकर दुनिया में भारत की मूर्खता का प्रदर्शन तो नहीं करते |

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Mar 22, 2020

कोरोना का उद्भव

कोरोना का उद्भव 

तोताराम ने आते ही कहा- चाय अभी नहीं, ब्रेक में पिएंगे |

हमने पूछा- क्या आज मन की किसी लम्बी बात के बहाने हमें बोर करने का इरादा है ?

बोला- दुःख की बात है कि मस्तिष्क के दरवाजे बंद रखने वाले कुछ लोग ज्ञान से भी बोर होते हैं |अरे, ज्ञान के लिए तो जिज्ञासुओं ने गुरुओं की सेवा में जन्म खपा दिए और एक तू......

हमने कहा- तोताराम, दुनिया में ज्ञान की कमी नहीं है और अपने भारत में तो उसका अजीर्ण हो रहा है |कमी है तो आचरण की है |लोग दुनिया को दिन में सौ बार हाथ धोने का उपदेश दे रहे हैं लेकिन खुद किसी का खून करके भी हाथ नहीं धोते हैं |

बोला- यह तो वही बात हो गई, जब रोजगार और शिक्षा की मांग करने वाले से पूछा जाए कि महमूद गज़नवी सोमनाथ का मंदिर तोड़ रहा था तब तू कहाँ था ? विषय से भटका मत | तुझे पता होना चाहिए कि हिंदी में शोध के लिए विषयों की बड़ी कमी चल रही है |अब तो नौबत यहाँ तक आ गई है कि लोग रामचरित मानस में मच्छर की भूमिका, गौमूत्र में नवरस, मन की बात के साहित्यिक आयाम,  चरित्र हनन का साहित्यिक महत्त्व आदि पर विषयों शोध करवाने लगे हैं |हो सकता है कुछ दिनों में  'भारतीय साहित्य में कोरोनावाद' जैसे विषयों का भी नम्बर आ जाए |इसलिए आज हम कोरोना के उद्भव पर चर्चा करेंगे  |  

हमने कहा- इसमें क्या तय करना है ? सभी कहते हैं कि सबसे पहला केस चीन के वुहान शहर में मिला |इसे मोदी जी की तरह अनुप्रासात्मक बनाते हुए ट्रंप प्रशासन के कई अधिकारी इसे 'वुहान वायरस' भी बता चुके हैं |और अब तो ट्रंप भी अपने ट्वीट में कोरोना वायरस को चीनी वायरस बता चुके हैं |ऐसे में इसके बारे में क्या चर्चा करना |अभी तो सभी बातें साफ़ हैं, हमारे सामने हो रही हैं, नोट कर ले |

बोला- लेकिन इससे पहले चीन अंदेशा जता चुका है कि कहीं चीन में कोरोना को लाने का काम अमरीकी सैनिकों ने तो नहीं किया है ? चीन के सरकारी समाचार पत्र ग्लोबल टाइम्स के एडीटर हू शिनजिन ने भी लिखा है- अमरीकी शेयर बाज़ार गिरने से ट्रंप की टीम को बड़ा झटका लगा है | अमरीका के पास इस महामारी से निबटने का कोई प्रभावी तरीका तो है नहीं |डर के इस माहौल में वे खुद को बचाने के लिए चीन को बलि का बकरा बना रहे हैं |

हमने कहा- सभी अपनी अक्षमता को छुपाने के लिए किसी न किसी को तो दोष देते ही हैं | वैसे यूनेस्को ने सही कहा है कि वायरस का कोई देश नहीं होता |कोरोना के खिलाफ जंग में हमें विज्ञान की ज़रूरत है न कि एक दूसरे पर कलंक लगाने की |

बोला- बात तो यूएनओ ने ठीक ही कही है लेकिन धंधा करने वाले हर मौके को अपने लाभ के लिए भुनाने का अवसर बना लेते हैं जैसे कुछ देश भक्त कहने लगे कि राहुल गाँधी इटली होकर आए हैं इसलिए उनकी भी जाँच करवाई जाए |कुछ ने इसे सी ए ए विरोधियों को खदेड़ने का बहाना बनाना चाहा |कुछ गौभक्तों ने पेशाब पार्टी करके विदेशों से आने वालों का शुद्धीकरण करने के लिए ज़बरदस्ती उन्हें गौमूत्र पिलाने का प्रस्ताव पास कर दिया |कुछ 'कोरोना भस्म' बाँटने लगे हैं |

हमने कहा-  हम तो चीन और अमरीका के बीच में पड़ते हैं  |ऐसे में यह वायरस भले ही चीन से आए या अमरीका से हमें तो लपेट में आना ही था |वैसे हम इसके प्रभाव से कुछ बच सकते थे यदि शी जिन पिंग के साथ झुला न झूलते या  ट्रंप से बार-बार भाग-भाग कर झप्पी-झप्पी नहीं करते |



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Image result for शी जिन पिंग से गले मिलते मोदी का फोटो

बोला- हमें क्या लार टपकती है |अपने स्वार्थ के लिए दोनों ही हमसे लिपटा-चिपटी करते रहते हैं |किसी को लहसुन, पतंग का मंझा, दिवाली की लड़ियाँ और देवी-देवताओं की मूर्तियों से लेकर दवा, फोन और इलोक्ट्रोनिक सामान बेचने हैं तो किसी को आधुनिक विमान और हथियार |

हमने कहा- तो मना कर दो |अपने यहाँ बना लो |विदेशी मुद्रा और स्वाभिमान दोनों बचेंगे | 

बोला- ऐसा नहीं हो सकता |यदि एक को नाराज़ कर दिया तो वह डोकलाम में आ बैठेगा या खुले आम पाकिस्तान की मदद करने लगेगा |दूसरे को नाराज़ कर दिया तो हमें 'राष्ट्र का बाप' कौन बनाएगा ? 






























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Mar 21, 2020

लाल जी की चिट्ठी



लाल जी की चिट्ठी 

तोताराम हमसे मुखातिब हुए बिना आते ही बरामदे में एक तरफ बैठकर जेब से एक कागज़ निकालकर पढ़ने लगा |

हमें बड़ा अजीब लगा |हमने कहा- ऐ मिस्टर, यह कोई होटल नहीं है जो आकर बैठ गए कि कोई वेटर तुमसे ऑर्डर लेने आएगा |इतना भी शिष्टाचार नहीं कि कोरोना के डर से दूर से ही सही, नमस्ते तो कर लेते |

बोला- देख नहीं रहा पढ़ रहा हूँ |महत्त्वपूर्ण पत्र है |

हम भी मज़ाक के मूड में आ गए पूछा- क्या ट्रंप का पत्र है ?

बोला- ट्रंप का नहीं तो उससे कम भी नहीं है | लाल जी टंडन जी का है |

हमने पूछा- ये दो 'जी' किस लिए ? आजकल सच्चे देशभक्त लोग तो गाँधी और नेहरू तक को एक भी 'जी' नहीं लगाते |

बोला- जयपुर में 'लाल जी सांड का रास्ता' नाम सुना है ? सवाई माधोसिंह का ख़ास सेवक था और उनकी कृपा के बल पर अपनी विशिष्ट दादागीरी के कारण आज भी 'जी' के बिना नहीं बुलाया जाता |ये तो तुझे पता होना चाहिए राज्यपाल है; कोई डाकपाल या लेखपाल नहीं |चाहें तो पूरी विधान सभा को पंगु बना कर रख दें |याद नहीं, एक 'उप' राज्यपाल दिल्ली के भी थे नजीब जिन्होंने ७० में से ६७ सीटें जीतने वाले ने केजरीवाल की साँस बंद कर दी थी |तीन साल तक कुछ नहीं करने दिया |

हमने पूछा- लेकिन उन्हें तुझसे क्या काम आ गया जो पत्र लिखा है ?

बोला-  मुझसे उन्हें कोई काम नहीं | यह पत्र तो उन्होंने मध्यप्रदेश के विधानसभा अध्यक्ष को लिखा है |

हमने पूछा- तो फिर तेरे पास यह पत्र क्या कर रहा है ?

बोला- इसमें उन्होंने विधानसभा अध्यक्ष नर्मदा प्रसाद प्रजापति को लिखा है- 'लगता है गलती से चिट्ठी मुझे भेज दी गई है' |तो समझ ले जैसे विधानसभा अध्यक्ष द्वारा किसी और को भेजी गई चिट्ठी गलती से राज्यपाल के पास पहुँच गई वैसे ही राज्यपाल द्वारा विधानसभा अध्यक्ष  को भेजी गई चिट्ठी तोताराम के पास पहुँच गई |

मध्य प्रदेश के राज्यपाल ने दिया स्पीकर को जवाब- लगता है चिट्ठी गलती से मुझे भेज दी

हमने कहा- तो फिर तेरा धर्म बनता है कि यह चिट्ठी लालजी को लौटा दे |किसी और की चिट्ठी पढ़ना शिष्टाचार के खिलाफ है |वैसे तोताराम, जब राज्यपाल, मुख्यमंत्री,विधानसभा अध्यक्ष सभी वहीं भोपाल में एक दूसरे के आसपास रहते हैं तो लिखा-पढ़ी की क्या ज़रूरत है ?वहीँ बतिया लें और कर लें कोई फैसला |यह मीडिया और तोताराम जैसे लोगों को चिट्ठियों की प्रति भेजने की क्या ज़रूरत है ? 

बोला- तुझे पता होना चाहिए कि अपने यहाँ जेठ और छोटे भाई की पत्नी के बीच बातचीत का रिश्ता नहीं होता लेकिन जब बहू जेठ को कुछ उल्टा-सीधा सुनाना चाहती है तो अपने छोटे बच्चे का सहारा लेकर सुना देती है | घूँघट को लम्बा खींचकर, अपने छोटे बेटे को हल्का-सा धक्का देकर कहती है- कह दे तेरे ताऊ से, हमने किसी का लेकर नहीं खा रखा है आदि-आदि....   |'  बात भी कह दी गई और लोकलाज भी बनी रह गई |इसका एक और उदाहरण ले सकता है, जैसे सभी संसद में बैठते-मिलते हैं लेकिन एक दूसरे को सूट-बूटवाला, सूझ-बूझवाला, झूठ-मूठवाला आमने-सामने कह-सुनकर फैसला करने की बजाय कहीं दूर जनसभा में कहते हैं |अरे भाई,  जूतम पैजार, गालीगुप्ता, जो करना है संसद के अन्दर आपस में कर-करा लो | बेचारी जनता के कानों और दिमागों में  गन्दगी क्यों ठूँस रहे हो |

हमने कहा- वैसे बात तो इसपर होनी चाहिए कि विधायक रूपी लड़कियों को लेकर क्यों लोकतंत्र के दोनों ही दलों के बालब्रह्मचारी अपहरणकर्त्ताओं की तरह होटल-होटल भागते फिर रहे हैं |

बोला- मास्टर, ये विधायक भी कोई मासूम किशोरियाँ नहीं हैं |ये सब भी खेली-खाई छिनालों से कम नहीं है जो भरी जेब वाले यारों के संग रंगरलियाँ मनाती घूम रही हैं |





 


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Mar 19, 2020

कोरोना का वेद-पुराण सम्मत नुस्खा



कोरोना का वेद-पुराण सम्मत नुस्खा   


आज तोताराम ने हमारे हाथ पर एक छोटी-सी पुड़िया रखते हुए कहा- मास्टर, भले ही केरल की जनता ने हमारे राष्ट्रवाद और देशभक्ति को नहीं समझा लेकिन वह है तो हमारे ही देश का एक भाग |हम तो हर हालत में उनके प्रति अपने कर्तव्य का निर्वाह करेंगे |यह मुम्बई में दहन किए गए 'कोरोनासुर' की भस्म |कोरोना की अचूक दवा- 'सहस्र पुटी कोरोना भस्म' | इसे केरल के मुख्यमंत्री को भिजवा दे | वे इसमें और बहुत सी राख मिलाकर सभी अस्पतालों और अन्य संवेदनशील स्थानों पर छिड़कवा दें | जिन्हें कोरोना का ज्यादा भय लगता है वे थोड़ी भस्म एक ताबीज में रखकर दाहिने हाथ में बाँध लें |कोरोना का प्रकोप शांत हो जाने तक अपने माथे पर सवा पाँच इंच चौड़ी और सवा दो फुट लम्बी भगवा पट्टी बांधें जिससे कोरोना वायरस भयभीत होकर निकट नहीं आएगा |यदि किसी को कोरोना हो गया है तो उसे एक-एक ग्राम कोरोनासुर भस्म बनारस के गंगाजल के साथ दिन में तीन बार दें |

हमने कहा- यदि ठीक नहीं  भी होगा तो कम से कम बनारस का गंगाजल पीकर शीघ्र ही एक झटके में संसार के समस्त कष्टों से मुक्त होकर ऊपर चला जाएगा |वैसे क्या तू गोबर और गाय-पट्टी की तरह सारे भारत को ही अन्धविश्वासी समझता है ?

बोला- सो बात नहीं है लेकिन इसमें बुराई भी क्या है ? फायदा नहीं तो नुकसान भी क्या है ? 

हमने कहा- जब फायदा होने की संभावना ही नहीं है तो आदमी का समय  फालतू कामों में क्यों बर्बाद करवाया जाए |क्यों उसे वैज्ञानिक सोच से भटकाकर अंधविश्वास की ओर ले जाया जाए |जब भूत-प्रेत होते ही नहीं तो किसी को  'संकट मोचन' के चक्कर में डाला ही क्यों जाए ?

बोला- लेकिन यह एक प्रकार की मनोवैज्ञानिक चिकित्सा तो हो सकती है |मन को थोड़ी तसल्ली मिल जाए तो क्या बुरा है ?

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हमने कहा- ये सब झुनझुने हैं |इनसे बच्चे को थोड़ी देर बहलाया जा सकता है लेकिन अंततः उसे दूध चाहिए ही |वैसे केरल वालों को तुम्हारे इस अन्धतावादी उपचार की ज़रूरत नहीं है |वे अपने संकट सुलझाने में सक्षम हैं |पिछली बार जब बाढ़ आई थी और केंद्र सरकार ने मदद में नाटक किया था तब वहाँ की जनता के आपसी सहयोग और समझ से उससे पार पा लिया था |और अब इस कोरोना से भी वे अपनी समझ, तत्परता. सफाई, सघन जाँच और वैज्ञानिक दृष्टि से निबट रहे हैं |एक भी मौत कोरोना से नहीं हुई है |तीन लोग ठीक होकर घर जा चुके हैं |शेष भी ठीक हो जाएंगे |

बोला- कहीं तू अपने हिंदी भाषी इलाके को पिछड़ा हुआ कह कर देश का अपमान तो नहीं कर रहा ?तुझे पता होना चाहिए कि राम और कृष्ण यहीं हुए हैं | 

हमने कहा- ठीक है लेकिन हम उनके आदर्शों पर चलने की बजाय उनके नाम पर भेदभाव की घटिया राजनीति कर रहे हैं |जिन राज्यों में यह राजनीति नहीं है वहीँ इस देश के नोबल पुरस्कार विजेता और शीर्ष बुद्धिजीवी हुए हैं |केरल में शिक्षा की दर सबसे ज्यादा है | केरल वाले ही कमाकर सबसे ज्यादा विदेशी मुद्रा देश में भेज रहे हैं |सभी धर्मों के लोग वहाँ है लेकिन कभी उत्तरप्रदेश और दिल्ली जैसे दंगे वहाँ नहीं हुए और न ही होंगे |अच्छा हो, उनको कुछ सिखाने की बजाय उनसे कोई ढंग की बात सीखो | 

बोला- कोई बात नहीं |लेकिन हम तो उसी प्रकार उनके लिए वेद-पुराणों वाले वैज्ञानिक उपाय सुझाते रहेंगे जैसे कि ट्रंप बिना कहे ही जब-तब पाकिस्तान और भारत के बीच मध्यस्थता की अपनी इच्छा व्यक्त करते ही रहते हैं |








 


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Mar 18, 2020

मास्टर, पछाड़ दिया



मास्टर, पछाड़ दिया 



आज तोताराम ने आते ही उत्साहित होकर घोषणा की- मास्टर, पछाड़ दिया |


हमने पूछा- क्या मध्यप्रदेश में कमल ने कमल को पछाड़ दिया ?


बोला- यह क्या प्रश्न है ? कमल ने कमल को .....| क्या कारक चिह्न याद कर रहा है ?


हमने कहा- दोनों तरफ ही कमल हैं |एक का चुनाव-चिह्न और दूसरे का नाम | एक कमल को हारना है और एक कमल को जीतना है |हाँ, लोकतंत्र का मरण है | इन खिलाड़ियों का क्या है ? इन्हें तो कीचड़ में ही खेलना है |हर हालत में बेशर्मी के कीचड़ में स्वार्थ का कमल खिलना है |


बोला- मास्टर, मैं इस राजनीतिक खेल की बात नहीं कर रहा हूँ |मैं तो कोरोना की बात कर रहा हूँ | आंकड़े देख- कोरोना वायरस से अब तक 5833 लोगों की जान जा चुकी है, 1.55 लाख से अधिक संक्रमित हो चुके हैं |अमेरिका में कोरोना वायरस की वजह से 57 लोगों की मौत हो चुकी है और करीब 3000 लोग संक्रमित हैं | इटली में 1400 से अधिक लोग मारे जा चुके हैं, जबकि 21000 से भी अधिक संक्रमित हैं |हालांकि भारत में भी संक्रमण 100 का आंकड़ा पार कर गया है और दो लोगों की मौत हो गई है, लेकिन हम मजबूती से लड़ रहे हैं | 

कोरोना


हमने कहा-  यदि किसी देश में हजारों संक्रमितों में से दस मरे और हमारे यहाँ साठ में से दो मरे तो मृत्यु दर तो हमारे यहाँ ज्यादा हुई ना ? तुझे पता होना चाहिए कि अपने यहाँ केवल विदेशों से आए हुए लोगों की जांच हो रही है और उन्हीं के आंकड़े उपलब्ध है |यदि यही बीमारी गांवों में फ़ैल गई तो कोई कुछ नहीं कर सकेगा |ये जो दिन में बीस बार महंगे सेनेटाईज़र से हाथ धो रहे हैं वे तो वैसे भी अपने साधनों के बल पर बचे रहते हैं | जो सामान्य आदमी हर हालत में दो रोटी के लिए घर से निकलने को मज़बूर हैं वे भगवान के भरोसे बचते हैं |उनके पास घर में बैठने की सुविधा नहीं है | पीने तक को साफ़ पानी नहीं हैं तो दिन में बीस बार हाथ कहाँ से धोएँगे ? भगवान से प्रार्थना कर कि यह बीमारी वहाँ तक न फैले |


बोला- तू मोदी जी कोरोना से लड़ने की क्षमता पर शंका मत कर |ब्रिटेन की तो स्वास्थ्य मंत्री तक कोरोना से संक्रमित हो गई, कनाडा में प्रधान मंत्री की पत्नी लपेट में आ गई लेकिन भारत में कोई आस्थावान और भक्त तथा नेता कोरोना की गिरफ्त में आया हो तो बता ?


हमने कहा- बैंगलूरू में एक मरा कि नहीं ?


बोला- लेकिन वह आस्थाहीन मुसलमान था | यदि हिन्दू होता,कोरोनासुर का दहन करता, गौमूत्र पीता, मोदी जी से भजन गाकर बचाने की गुहार करता तो शायद वह भी बच जाता |


हमने फिर कहा- और एक महिला दिल्ली में मरी वह ?

बोला- उसका धर्म नहीं बताया इसलिए कोरोना से लड़ने की हिन्दू तकनीक पर शंका नहीं की जा सकती |और कोरोना से मरने वाले को सरकार चार लाख रुपए भी तो देगी |

हमने कहा- लेकिन मृत्यु कोरोना से हुई है इसके लिए ज़रूरी है कि सुदूर स्थानों में वाला साधनहीन व्यक्ति अस्पताल तक पहुंचे तो |हाँ,  साल-छह महिने बाद ऐसे कई मामलों का घपला ज़रूर सामने आएगा कि कुछ प्रभावशाली लोगों ने डाक्टरों और अधिकारियों से मिलकर, कोरोना से क्या, बिना मरे ही चार-चार लाख का क्लेम उठा लिया था |


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Mar 16, 2020

कोरोना वायरस के साहित्यिक-सांस्कृतिक सन्दर्भ



कोरोना वायरस के साहित्यिक-सांस्कृतिक सन्दर्भ 

मोदी जी और अमित शाह जैसे बड़े-बड़े तीस मार खाँओं ने होली का कार्यक्रम तक स्थगित कर दिया |राष्ट्रपति भवन भी जनता के लिए बंद कर दिया गया है |दिल्ली के सिनेमा हॉल ३१ मार्च तक बंद |हमें बड़ा अजीब लगा |इतना भय तो हमने उस समय भी नहीं देखा जब हम बांग्ला देश के निर्माण के समय समुद्र के किनारे पोरबंदर में थे जहां जब चाहे पाकिस्तानी हवाई जहाज बम गिरा जाते थे |इसके बाद सार्स और स्वाइन फ्लू भी फैले हैं |हमें १९५७ में फैला इन्फ़्लूएन्जा भी याद है जो किसी को भी पकड़ लेता था और कोई कारगर दवा भी उपलब्ध नहीं थी |बस, वैद्यनाथ प्राणदा नामक भयंकर कड़वी दवा ही एक मात्र उपाय था |लेकिन आज ? पता नहीं, जो इतने डरे हुए हैं वे वास्तव में कोई महामारी फ़ैलने पर क्या करेंगे ? आज भी क्या उनमें से कोई किसी कोढ़ी ने घाव उस सहजता से साफ़ कर सकता है जिस सहजता से गाँधी जी उस समय अपने आश्रम में कोढ़ ग्रस्त परचुरे शास्त्री के घावों की मरहम पट्टी स्वयं किया करते थे |

वैसे हम बिना किसी भय के सामान्य जीवन बिता रहे हैं |आज जैसे ही तोताराम आया, हमने कहा-  ऐसा भी क्या भय |तोताराम, लगता है, यदि सचमुच में ही इस देश में कोई महामारी फ़ैल गई तो कोई किसी की खैरियत पूछने भी नहीं आएगा  |

बोला- मास्टर, तुझे भी आजकल की नाटकबाजी की हवा लग गई है |दुनिया सब ऐसे ही चलती रहेगी |यह देश महान है |यह ईश्वर में विश्वास करने वाला देश है | ईश्वर में विश्वास करने वाले की रक्षा भगवान करता है |अभी दो चार दिन रुक जा,  मोदी जी  वेदों में से कोई फ्री वाला घरेलू नुस्खा लाने ही वाले हैं या फिर रामदेव की ओर से कोई गोबर-गोमूत्र में कोरोना विनाशक तत्त्व खोज लिया जाएगा | तांत्रिक और ज्योतिषी भी कोई न कोई डोरा-जंतर, जाप-ताप खोजेंगे ही |

हमने कहा- फिलहाल हमें क्या करना चाहिए ?

बोला- करना क्या है ? हमेशा की तरह मोदी की भांति सभी कामों में बिना माँगे एक्सपर्ट राय देने वाले महानायक का वीडियो देख ले जिसमें उन्होंने कोरोना को भगाने का उपाय बताया है, कहते हैं- 

आवै करौना-फरौना जब 
ठेंगा दिखाओ तब |

हमने कहा- बात कुछ जमी हैं |

बोला- तो कोई बात नहीं |अपने राजस्थान की महिलाओं द्वारा निर्भय भाव से समूह में गाया जा रहा यह गीत आज़मा सकता है |महानायक जी का गीत भी इन्हीं के भावों से प्रभावित है |मातृशक्ति गा रही है-
करोना भाग ज्या, ओए करोना भाग ज्या 
भारत में थारो कांई काम रे |

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वैसे रामदास आठवले जी ने एक चीनी राजनयिक को जोर-जोर से 'गो कोरोना, गो' बोलकर कोरोना भगाने का एक वैज्ञानिक तरीका भी बताया है, चाहे तो उसे भी आजमा सकता है |



या फिर भोजपुरी गीत- 'मोदी जी बचाई हो , फैलेल करोना वायरस हो ' गाकर मोदी जी को पुकार सकता है |यदि उन्होंने सुनली तो फिर काम हो ही जाएगा |


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हमने कहा- मोदी जी तो खुद विदेश जाने से बचने लगे हैं और मंत्रियों को भी यही सलाह दी है |

बोला- मास्टर, भोजपुरी में कुछ कलाकार कोरोना के बारे कुछ और ही तरह की जानकारियाँ सामने लाए हैं जैसे- लहँगा में कोरोना वायरस घुसल बा, पयालवा के लहँगा में कोरोना वायरस, कोरोना वायरस बा चोली में और तोर जवानी कोरोना वायरस हो आदि |

हमने कहा- ये सब कोरोना के साहित्यिक-सांस्कृतिक सन्दर्भ हैं |इनमें जहाँ-जहाँ कोरोना वायरस के घुसने और पाए जाने वाले स्थानों का ज़िक्र है या जिस उम्र को कोरोना वायरस कहा गया है उससे अब हमारा कोई संबंध  नहीं रहा है |इसका खतरा तो रसिक नेताओं को अधिक है |

बोला- चलो कोई बात नहीं, कुछ दिनों में सब ठंडा पड़ जाएगा |तब तक कुछ दवा वाले, कुछ मास्क वाले और कुछ शेयर बाज़ार वाले पैसे कमा लेंगे |

हमने कहा- और लोग कुछ दिन के लिए दिल्ली के दंगे,  बेरोजगारी और सी ए ए को भी भूले रहेंगे |












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Mar 13, 2020

आजकल के संकट मोचक

आजकल के संकट मोचक

कल बहू ने खीर बनाई |शाम को जब चौके में पालथी मारकर बैठने लगे तो महसूस हुआ,  घुटना पीछे की ओर घूम रहा है जैसे ज्योतिरादित्य अपनी दादी की तरह कांग्रेस से भाजपा की ओर टिल्ट हो रहे हैं |बहू को बताया तो बोली- आपने आजकल सुबह पालथी लगाकर रामचरितमानस का पाठ करना छोड़ दिया है |खाना भी कुर्सी पर बैठकर ही खाते हैं इसलिए यह सब हो रहा है |थोड़ा-थोड़ा पालथी मारकर बैठना शुरू कीजिए, ठीक हो जाएगा |

बस, इसी प्रक्रिया में पालथी लगाकर 'संकटमोचन'  का पाठ कर रहे थे कि तोताराम आ टपका | हमने कहा- दस मिनट रुक अभी संकटमोचन का पाठ करके आ रहे हैं |

बोला- किस संकटमोचक का पाठ कर रहा है ?

हमने कहा- क्या अब  'लौह पुरुष' आडवानी जी और 'राष्ट्रपिता' मोदी जी की तरह अब हनुमान जी की जगह भी भाजपा के कोई डुप्लीकेट 'संकट मोचन' आ गए  ?

बोला- समस्या के अनुसार विभिन्न देश-कालों में पारंपरिक प्रतीकों के अवतरण होते रहे हैं | राम और हनुमान जी के समय में समस्याएँ कुछ और थीं |उस समय तो यही समस्या थी कि किसी कर्तव्यनिष्ठ व्यक्ति को भेजा जाए जो सीता माता का पता लगाकर आए |इसके हनुमान जी से उपयुक्त कोई नहीं हो सकता था |न परिवार का झंझट, न टीए डीए की समस्या |

आजकल की समस्याएँ दूसरी हैं |आजकल सीता की खबर लाने जैसा सामान्य काम नहीं है |आजकल तो किसी कुटनी की तरह लम्पट प्रेमी के लिए किसी सुंदरी युवती को पटाकर लाने जैसा संश्लिष्ट और गर्हित काम है |आजकल सभी राजनीतिक दल एक दूसरे के विधायकों पर डोरे डालकर उन्हें भगा ले जाना चाहते है फिर अपना 'ओपरेशन' पूरा करना चाहते हैं |

हमने- तोताराम, यह तो बहुत ही निकृष्ट काम है |लोकतंत्र का मतलब है जहां आपका मन मिले उस राजनीतिक पार्टी के टिकट से चुनाव लड़ो और जीतने के बाद उसके कार्यक्रम को लागू करने में पूरी ताक़त लगा दो |यदि किसी पार्टी के सिद्धांतों या नीतियों में आपका विश्वास नहीं है तो कोई बात नहीं उससे और अपनी विधायकी या सांसदी से इस्तीफा दे दो |अपनी पसंद की जिस पार्टी से चाहो चुनाव लड़ो |जिन्हें तुम संकट मोचक कहते हो ये तो भडुए हैं, लुच्चे हैं, दलाल है, रंडी से भी गए-गुजरे बिकाऊ लोग हैं और ऐसे ही वे विधायक और सांसद |

बोला- ठीक है, हनुमान जी ने ईमानदारी से माता सीता का पता लगाया लेकिन वे भी तो आते-आते विभीषण को राम की पार्टी का सदस्य बना ही आए |

हमने कहा- तोताराम भले ही तेरे ये नेता राम के सच्चे या झूठे जैसे भी भक्त हों लेकिन हम हनुमान जी की इनसे तुलना कतई पसंद नहीं  करते |हनुमान जी ने राम के लिए दलाली नहीं की थी |विभीषण तो पहले से ही राम के भक्त थे | लेकिन तेरे इन विधायक और तथाकथित संकट मोचक नेताओं का बहुत ही गैरजिम्मेदाराना भूतकाल है |ये खुद अब तब स्वार्थ के लिए इधर-उधर होते रहे हैं |नरेश अग्रवाल और कुलदीप सेंगर का क्या भाजपा और सिंधिया का क्या कांग्रेसी |

वैसे आजकल कौनसे संकट मोचक बाज़ार में चल रहे हैं ?

बोला- भाजपा के एक संकटमोचक तो अरविन्द लिम्बावली हैं जो मध्य प्रदेश के कांग्रेस से बागी विधायकों को बंगलुरु के किसी रिसोर्ट में बंधक बनाकर रखे हुए हैं |अब कांग्रेस का संकट मोचन करने पहाड़ से हरीश रावत उतर आए हैं |मध्य प्रदेश के गोपाल भार्गव कांग्रेस विधायकों को भाजपा की 'कुटनियों' और 'भगावतों' से बचाने के लिए जयपुर के किसी रिसोर्ट में ठहरे हुए हैं |

हमने कहा- यदि पार्टियों को अपनी विधायक रूपी पत्नियों पर इतना भी विश्वास नहीं है तो कब तक करेंगे रखवाली ? ले लें तलाक और बसाएं अपनी नई सुखी गृहस्थी |पति पत्नी और पत्नी पति पर निरंतर शंका करे तो चल ली गृहस्थी |

बोला- आजकल न तो पति एक पत्नी निष्ठ हैं और न ही पत्नियां पतिव्रता |  एक से बढ़कर एक छिनाल और  ज़ार हैं | सब एक दूसरे की बीवी और प्रेमिका को ले भागने की फ़िराक में है |इसीलिए सब टेंशन में हैं |कोई न सेवक है, न ईमानदार |

हमने कहा- तो फिर यह चुनाव का नाटक करने की क्या ज़रूरत है ? कोई भी, कहीं से भी चुनाव लड़े, जो जीत जाए उसकी पैसे वाले बोली लगाएं और बना लें सरकार |

बोला- वास्तव में यही हो रहा है |तू इसे लोकतंत्र और जनता की सरकार और खुद को सरकार निर्माता मानकर खुश होना चाहे तो तेरी मर्ज़ी |वरना तो पैसे और गुंडागर्दी का खुला और बेशर्म खेल चल रहा है |

हमने कहा- तो फिर ये कैलाश विजयवर्गीय क्या हैं ? किस चक्कर में गुरुग्राम में घूम रहे हैं ?

बोला- वे भी भाजपा के संकट मोचक ही हैं लेकिन आजकल अपने विधायकों को लेकर गुरुग्राम में  पर्यटन करवा रहे हैं |सुना नहीं, कह रहे थे कि फेस्टिव मूड में हैं |छुट्टियां मनाने आए हैं |


Story image for विधायकों के साथ दिल्ली में विजयवर्गीय from Oneindia Hindi




हमने कहा- लेकिन तोताराम,  फोटो में तो वे बहुत टेंशन में लग रहे हैं |एकदम चौकन्ने, जैसे कोई चोरी का माल ले जा रहे हों ? और फिर यह भी कोई समय है पर्यटन का ? लोग तो होली पर दूर-दूर से चलकर घर आते हैं और कैलाश जी इन्हें पर्यटन करवाने लाए हैं पत्नी-बच्चों से अलग |परिवार से दूर कैसी मौज-मस्ती ? और फिर पर्यटन की करना था तो केरल कश्मीर, अंडमान आदि जाते |गुरुग्राम भी कोई पर्यटन की जगह है ? न प्राकृतिक सुन्दरता, न कोई ऐतिहासिक या धार्मिक स्थान |बस, प्रदूषण, धूल, गर्मी और बड़ी-बड़ी कंपनियों के कार्यालयों के अलावा क्या है गुरुग्राम में ?

बोला-  लेकिन हरियाणा में अपनी सरकार तो है इसलिए इनकी प्रेमिकाओं/अविश्वसनीय पत्नियों को भगा लिए जाने का खतरा कम है |



 

 



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Mar 10, 2020

कोई ऐसे ही जगद्गुरु थोड़े बन जाता है

कोई ऐसे ही जगद्गुरु  थोड़े बन जाता है


आज थोड़ा देर से उठे |इसलिए नहीं कि रात को होली का अतिरिक्त हुड़दंग मचाया था बल्कि इसलिए कि इस बार रंग लगाने के लिए किसी के आने की संभावना सामान्य से कम थी |इसके कई कारण हो सकते हैं | ठण्डी सुबह, लोगों में घटती सामाजिकता और बढ़ता अहंकार तथा नेताओं की तरह सब कुछ ट्वीट या मेसेज के द्वारा निबटा सकने की तकनीकी सुविधा |

आज हम उठे क्या, तोताराम ने ही उठाया, बोला- अरे आलसी, लोग तो मकर संक्रांति की ठण्ड में भी सूर्योदय से पहले गंगा-स्नान कर लेते हैं और तू धुलेंडी के दिन भी बिस्तर नहीं छोड़ना चाहता |अरे, यह तो वासंती मस्ती में तन-मन के सभी कल्मष और कुंठाएं विसर्जित करने का दिन है |प्रेम की नई इबारत लिखने का मुहूर्त है |

हमने कहा- तोताराम, रटी-रटाई बातें दुहराने से कुछ नहीं होता |हम तो सामान्य आदमी हैं |इस देश के सुपर स्मार्ट और घर में 'घुसकर मारने वाले' वीर पुरुष तक कोरोना से डरकर घर में छुपे हुए हैं |भारतीय संस्कृति और परंपरा  के नाम पर किसी को भी हड़काने और सिर फोड़ डालने वाले सच्चे हिन्दू और देशभक्त भयभीत होकर दुबके बैठे हैं |

बोला- डरने की कोई बात नहीं |
'यह देश है वीर जवानों का अलबेलों का मस्तानों का,
 इस देश का यारो क्या कहना, होय |

लेकिन डरने वालों से तेरा इशारा कहीं अपने राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, गृहमंत्री और रक्षामंत्री की तरफ तो नहीं है ?

हमने कहा- कुछ भी समझ ले लेकिन जहाँ डरने की बात है तो दुनिया के महाबली नंबर वन श्री डोनाल्ड ट्रंप महोदय ने भी कहा है कि वे कोरोना के डर के एक हफ्ते से अपना चेहरा नहीं छू रहे हैं |अब सोच, जो अपना चेहरा छूने से डरते हैं वे किसी और के आँसू क्या पोंछेंगे ?

बोला- तू जिन लोगों के कोरोना से भयभीत होने की बात कर रहा है वे सब वीर हैं |वे कोरोना के बाप से भी नहीं डरते लेकिन उन्हें मानवता की सेवा के लिए डरना पड़ता है |सबसे पहले खुद को बचाना ज़रूरी है जिससे दूसरों को बचा सकें |और जहां तक घर में घुसकर मारने की बात है तो वह पकिस्तान के लिए है जो आतंकवाद का केंद्र है |अब चूंकि यह वायरस चीन से आया है इसलिए घर में घुसकर मारने का प्रश्न नहीं उठता |हम तो यही खैर मनाते रहते हैं कि कहीं वह फिर से डोकलाम  में न घुस आए | चीन पर घुसकर मारने वाली वीरता नहीं चल सकती |

हमने कहा- इसीलिए तो हम तुझे भी कहते हैं कि थोड़ी सावधानी रखा कर |तुझे बीमार होने पर नेताओं की तरह कौन-सी एम्स में इलाज़ की सुविधा मिलेगी |

बोला- मास्टर, हम भारतवासी है |जिसे जगद्गुरु कहा जाता है |और जगद्गुरु कोई ऐसे ही थोड़े बन जाता है |दुनिया डरती रहे लेकिन अपने यहाँ मुम्बई में कल होलिका दहन के साथ-साथ इस बीमारी की जड़, कोरोना वायरस को फैलाने वाले 'कोरोनासुर' का दहन कर दिया गया है |अब यह चाहे किसी को भी परेशान करे लेकिन भारतीयों को और उनमें भी हिन्दुओं को परेशान नहीं कर सकता |

वर्ली इलाके में बना 'कोरोनासुर' का पुतला।

हमने कहा- तोताराम, यह केवल कोरोना वायरस को समाप्त करने का मामला ही नहीं है |यह भारत के प्राचीन और वेद-पुराणों में संचित ज्ञान-विज्ञान का एक बहुत बड़ा प्रमाण है |हमारे पुराणों में विभिन्न असुरों की उत्पत्ति और विनाश के लिए यही मुम्बई वाली तकनीक अपनाई जाती थी |

खैर, आज हम तो रंग खेंलेंगे नहीं क्योंकि अन्दर से थोड़ी-सी ठण्ड की फुरफुरी-सी अनुभव हो रही है |लेकिन तू चाहे तो देश हित के लिए आतंकवादासुर, इस्लामिक कट्टरासुर, सीएए विरोधासुर, कांग्रेस के भड़कावासुर आदि विभिन्न असुरों के पुतले जलाकर सस्ते में मीडिया में पब्लिसिटी प्राप्त कर सकता है और देश को वैज्ञानिक सोच को आगे बढ़ा सकता है |

बोला- तो आज शाम को राष्ट्रभक्ति का यही कार्यक्रम सही लेकिन शर्त है कि इसकी अध्यक्षता तुझे ही करनी पड़ेगी |

हमने कहा- देश के बड़े-बड़े सेवक कोरोना के डर से होली ही तो नहीं खेल रहे हैं, रिमोट से दहन तो कर ही सकते हैं |यदि कोई नहीं मिलेगा तो हम लगा देंगे इन 'असुरों' को पलीता लेकिन इसमें एक पुतला 'सांप्रदायिक सद्भाव खंडनासुर' का भी होना चाहिए |

बोला- इसके बारे में तो अपने इलाके के 'देश भक्ति सेल' वाले भैय्या जी से पूछना पड़ेगा |


 





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Mar 9, 2020

कोरोना की स्पीड और दिशा



कोरोना की स्पीड और दिशा 


आज तोताराम ने आते की ब्रेकिंग न्यूज फेंकी- मास्टर, गाज़ियाबाद पहुँच गया है |

हमने कहा- बिना प्रसंग-सन्दर्भ क्या समझें ? 

बोला- अब लोगों के 'अच्छे दिन' और '१५ लाख रुपए'  वाले बहम निकल गए हैं |देश के एक सामान्य व्यक्ति तक को विश्वास हो गया है कि वह एक जुमला ही नहीं बल्कि एक धोखा था |इसलिए तेरे जैसे तथाकथित बुद्धिजीवी को अच्छे दिन आने जैसी मूर्खतापूर्ण कल्पना तो करनी ही नहीं चाहिए |आजकल तो कोरोना का फैशन है सो उसके अतिरिक्त और किसके आने की खबर हो सकती है ?

हमने कहा- लेकिन भाजपा सांसद रमेश बिधूड़ी तो कह रहे हैं कि राहुल गाँधी की जाँच की जानी चाहिए क्योंकि वे इटली होकर आए हैं |इटली अपने राजस्थान से पश्चिम दिशा में है और गाजियाबाद पूर्व में |यदि इटली से आ रहा होता तो जोधपुर की तरफ से आता |यह गाजियाबाद की तरफ से क्यों आ रहा है ?

बोला- हो सकता है वह पार्टी का आधिकारिक वक्तव्य न हो |बिधूड़ी जी की अपनी व्यक्तिगत राय हो |वैसे जहाँ तक समाचारों की बात है तो सबसे पहले कोरोना वायरस के प्रकोप का पता चीन के वुहान शहर में लगा था | तो इस बात का औचित्य समझ में आता है कि कोरोना गाज़ियाबाद की तरफ से आ रहा है |

हमने पूछा- तो तेरे हिसाब से अपने सीकर तक पहुँचने में उसे कितना समय लगेगा ?

बोला- यह तो साधन पर निर्भर करता है |यदि प्लेन या बुलेट ट्रेन या हेलिकोप्टर से चले तो अब तक तो पहुँच गया है |यदि पैदल आए तो भी एक हफ्ते में तो पहुँच ही जाएगा |

हमने पूछा- लेकिन बिधूड़ी जी का इटली वाला भी आ पहुँचा तो ? कैसे पहचानेंगे ?



कार्टून


बोला- देख, यदि चीन की तरफ से गाज़ियाबाद होता हुआ तो बहुत संभव है उसका रंग भगवा हो |क्योंकि चीन का राजनीतिक रंग लाल है और नस्लीय रंग पीला है |कुछ रास्ते की थकान और कुछ योगी जी के प्रदेश के ऊपर से आने के कारण, बहुत संभव है उसका रंग भगवा होगया हो |

हमने फिर प्रश्न किया- यदि इटली वाला कोरोना हुआ तो ?

बोला- तो फिर बहुत संभव है उसका रंग हरा होगा  |क्योंकि एक तो वह पश्चिम से आ रहा है और पाकिस्तान के ऊपर से आएगा तो हरा हो ही जाएगा |और जहाँ तक  राजनीतिक रंग की बात है तो इटली हमें उतना ही प्रिय है जितना भाजपा को राहुल गाँधी |और फिर कुछ विद्वान केजरीवाल और राहुल में पकिस्तान परस्ती भी देखते हैं तो निश्चित है कि इटली की तरफ से आने वाले कोरोना वायरस का रंग हरा ही होगा |

हमने कहा- तो फिर तो इनके उपचार भी अलग-अलग ही होंगे ?

बोला- ज़रूर |यदि चीन वाला कोरोना है तो अपने घर की सजावट चीनी सामान से करो, उसके साथ झूला झूलते हुए चीनी कप-प्लेट में चीन की चाय पिओ |और यदि इटली-पाकिस्तान वाला हरा वायरस हो तो किसी के बहकावे में आकर उसे देशभक्ति के काढ़े से ठीक करने में समय बर्बाद मत करना |नहीं तो, हो सकता है केस बिगड़ जाए और तुम्हारी जान पर बन आए |उसे तो सीधे गोली ही मार देना जैसे लोकतंत्र की रक्षा के लिए देश को  'कांग्रेस मुक्त' करना  |

हमने पूछा- मोदी जी का तो चीन से बहुत गहरा संपर्क और संबंध है |उनकी जाँच के बारे में क्या ख़याल है ?

बोला- जाँचें तो सामान्य लोगों की होती हैं |मोदी जी तो सच्चे योगी हैं |उन पर किसी प्रकार का कोई भी वायरस असर नहीं कर सकता |  

हमने कहा- तो फिर चाय बंद |आज से रामदेव जी का नाम लेकर गिलोय का काढ़ा शुरू |अपने नीम पर से उतारी हुई है |

बोला- अपने लिए च्यवनप्राश और जनता के लिए गोमूत्र और नीम गिलोय ! क्यों इस नश्वर शरीर के चक्कर में क्यों सुबह का मज़ा किरकिरा करता है ?चिंता मत कर |इस देश का कोई वायरस कुछ नहीं बिगाड़ सकता |यह मरता है तो अपनों के मारे ही मरता है |

हमने कहा- तोताराम, प्राचीन भारत के शास्त्रों में सब प्रकार का ज्ञान-विज्ञान बताते हैं तो फिर इस कोरोना का भी कोई न कोई इलाज़ ज़रूर होना चाहिए |

बोला- है ना, है क्यों नहीं ? यदि कोरोना के वायरसों में से कुछ को हिन्दू और कुछ को मुसलमान बना दिया जाय तो वे आपस में लड़ते रहेंगे और हम, मतलब सेवक सुरक्षित रहेंगे |





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Mar 8, 2020

दूर से ही ठीक है



दूर से ही ठीक है 


आज अजीब संयोग हुआ |पत्नी का चाय लेकर बरामदे में आना और तोताराम का बरामदे के पास प्रकट होना |हमारी हालत 'मैं इधर जाऊँ या उधर जाऊँ, बड़ी मुश्किल में हूँ मैं किधर जाऊँ' |चाय थामें या तोताराम की अभ्यर्थना करें |तभी तोताराम ने सब संकोच दूर का दिया, बोला- चाय संभाल | मेरी तो दूर से ही 'राम-राम' ठीक है | 

हमने कहा- यह भी कोई बात हुई |भले ही अडवानी जी कितना ही कुढ़ रहे हों पर क्या उनकी मोदी जी से दुआ-सलाम बंद हो गई ? हमने तेरे साथ ऐसा क्या कर दिया जो एक पल में साठ साल की दोस्ती को धता बताकर दूर से ही 'राम-राम'  ?

बोला- भाई साहब, राष्ट्रहित और जनहित से पहले आत्महित ज़रूरी है |हम बचेंगे तो दोस्ती बचेगी |

हमने कहा- बात साफ़ कर |पहेलियाँ मत बुझा |हुआ क्या ?

बोला- इस साल मोदी जी, अमित शाह, जे पी नड्डा आदि सभी विशिष्ट लोग होली-मिलन से दूर ही रहेंगे |

हमने कहा- प्रेम के इस त्यौहार को नेताओं के कमीनेपन ने खूनी होली बना डाला |अब किस मुँह से होली खेलेंगे ?

बोला- यह तो कोई बात नहीं है |इतना बड़ा देश है |दंगे-फसाद, खून-खराबा तो होते ही रहते हैं | साल में दस-बीस बार कोई सिरफिरा किसी स्कूल-मॉल में गोली चल देता है, सौ-पचास आदमी मर जाते हैं तो क्या ट्रंप साहब क्रिसमस मनाना छोड़ देते हैं या अपने फ्लोरिडा वाले रिसोर्ट में गोल्फ खेलना बंद कर देते हैं |लेकिन अब हमारे सेवकों का  होली-मिलन ठीक नहीं है |

हमने कहा- बड़ा अद्भुत सस्पेंस हैं, बात हजम नहीं हो रही है | कल सुना था, मोदी जी मीडिया को छोड़कर झोला उठाकर चल देंगे |अब किसी गुफा में बैठकर चिंतन करेंगे लेकिन वह टेंशन तो दूर हुआ |अच्छा हुआ जो यह अर्द्ध सत्य निकला | एक दिन में ही  पोपुलैरिटी चेकिंग हो गई  |लाखों निठल्ले युवा बिलख पड़े तो क्या करें मोदी जी को फिर सोशियल मीडिया पर आना पड़ा |पर अब होली मिलन ?तुलसी ने तो होली ही नहीं, सामान्य परिस्थिति तक के लिए  कहा है-
तुलसी या संसार में सबसे मिलियो धाय |
ना जाने किस भेस में नारायण मिल जाय || 

बोला- यह उन्होंने सामान्य परिस्थिति के लिए कहा था | विशेष परिस्थिति के लिए वे कहते हैं-
तुलसी या संसार में भाँति-भाँति के लोग |
सबसे बच कर चालियो लिए फिरत हैं रोग ||
तुझे पता है, आजकल कोरोना वायरस फैला हुआ है |यह कोई शाहीन बाग़ तक करंट पहुंचाने या गोली मारने का सुझाव देने जैसा सामान्य काम थोड़े ही है |जान का खतरा है, भाई साहब !

हमने कहा- हमारे मोदी जी तो सबसे दौड़ कर गले मिलते हैं चाहे चीन के राष्ट्रपति हों, या जापान के प्रधान मंत्री; फ़्रांस के राष्ट्रपति हों या इज़राइल के प्रधानमंत्री |अभी देखा नहीं, कैसे ट्रंप से गले मिल रहे थे ? एक प्राण, दो देह !यदि कहीं कोरोना वगैरह कुछ हो जाता तो ?







बोला- वह बात और है |पहली बात तो नेता लोग खुद ही खतरनाक वायरस होते हैं |उनका कोई वायरस क्या बिगाड़ेगा ? घोड़े की लात के घोड़ा नहीं मरता, आदमी की बात और है | और फिर उनकी चमड़ी इतनी मोटी होती है जिसमें कोई वायरस नहीं घुस सकता | क्या कभी तुमने किसी नेता को भूख, कुपोषण से मरते देखा है ? कभी उसका घर बाढ़ में बहता है, दंगे में जलता है ? | ये सब तो हम पर ही लागू होते हैं | 

हमने कहा- जब यही बात है तो फिर छोड़ ये नेताओं वाले नखरे और आ बैठ |होली की योजना बनाते हैं ?अपन कौन कूटनीति के कोरोना लिए फिरते हैं |



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Mar 3, 2020

साबरमती आश्रम में ट्रंप



साबरमती आश्रम में ट्रंप 


२४ फरवरी २०२० को 'नमस्ते ट्रंप' नाम के एक सौ करोड़ी, अभूतपूर्व, वर्ल्ड रिकार्ड वाले स्वागत समारोह से पहले ट्रंप अपनी तीसरी मॉडल पत्नी मेलानिया के साथ गाँधी के साबरमती आश्रम में पधारे |धन्य भाग |आश्रम के, गाँधी के, अहमदाबाद के, गुजरात के, जगद्गुरु भारत के |पिछले ६० वर्षों में कई अमरीकी राष्ट्रपति भारत आए लेकिन इस आश्रम में आने वाले ट्रंप पहले हैं |और मज़े की बात कि उन्हें गाँधी ही याद नहीं रहा |

हमने कहा- तोताराम, यह भी कोई बात हुई कि गाँधी के आश्रम में कोई अमरीकी राष्ट्रपति पहली बार आए, गाँधी जी को सूत की माला अर्पित करे,  झुककर खादी का अंगवस्त्रम स्वीकार करे, चरखा चलाने का अभिनय करे, जूते उतारकर गाँधी के कक्ष में जाए लेकिन 'पर्यटक पुस्तिका' में गाँधी के बारे में एक शब्द भी नहीं लिखे 

बोला- इसमें आश्चर्य की क्या बात है |ये गोरे हैं जर्मनी वाले, असली आर्य-रक्त |और गोरों ने हमेशा इस दुनिया पर राज किया है |इनके लिए 'काले' मनुष्य की श्रेणी में ही नहीं आते |तभी तो अंग्रेजों के समय में कई स्थान कुत्तों और भारतीयों के लिए निषिद्ध थे |याद है, चर्चिल ने तो गाँधी को अधनंगा फकीर कहा था |

हमने कहा- भले ही गाँधी जी अमरीका नहीं गए लेकिन भारत से बाहर गाँधी जी की सबसे अधिक प्रतिमाएं अमरीका में ही हैं | इनसे पहले ओबामा और उनसे भी पहले मार्टिन लूथर किंग साबरमती आश्रम तो नहीं आए लेकिन राजघाट की पर्यटक पुस्तिका में उन्होंने जो लिखा है वह अद्भुत है |

किंग कहते हैं-  ईसा मसीह ने हमें राह दिखाई थी और गाँधी ने भारत में हमें दिखाया कि वह राह सच में काम करती है |
मैं बाकी देशों में किसी तरह पर्यटक की तरह जा सकता हूँ  मगर भारत तो मैं तीर्थयात्री बनकर आया हूँ  |  

बोला- ट्रंप साहब का तो प्रोपर्टी का पुश्तैनी धंधा रहा है जिसमें व्यक्ति नहीं, जगह का मौका और मार्किट वेल्यू देखी जाती है |वे गाँधी के बारे में क्या जानें | तभी तो उन्होंने २०१९ में ह्यूस्टन में 'हाउ डी मोदी' कार्यक्रम में मोदी जी को 'भारत का बाप' बता दिया था |हो सकता है गाँधी की मुद्रा में चरखा चलाते मोदी जी का फोटो देखकर उन्होंने मोदी जी को ही गाँधी समझ लिया हो |और फिर मोदी जी ने ही तो उनके स्वागत का  का विश्व रिकार्ड बनवाया है |ऐसे में उनके अलावा और किसके बारे में लिखते | 

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 हमने कहा- अच्छा हुआ जो ये शुद्ध आर्य दम्पती गाँधी के जिंदा रहते नहीं आए अन्यथा वह बूढ़ा इन्हें फ़र्श पर बैठाकर अपने अल्यूमिनियम के कटोरे में जाने कौनसा दाल-दलिया खिला देता |और मेलानिया को तो ज़रूर ही चर्खा चलाना सिखा देता जैसे न्यूयार्क टाइम्स की फोटोग्राफर मार्गरेट व्हाईट १९४६ में जब गाँधी जी का फोटो लेने आई तो उन्होंने शर्त रखवाई कि पहले चर्खा चलाना सीखो तो फोटो खिंचवाऊँगा |

बोला- लेकिन तू ट्रंप साहब की इस बात के लिए प्रशंसा में एक शब्द भी नहीं कहेगा कि २००६ में जहाँ बुश के सुरक्षाधिकारी कुत्ते राजघाट पर विस्फोटक सूंघने के लिए चढ़ गए थे वहाँ ट्रंप साहब ने साबरमती में गाँधी की मूर्ति की केवल मेटल डिटेक्टर से ही चेकिंग करवाई |

हमने कहा- तोताराम, पता नहीं इन महाशक्तियों को उस निहत्थे फकीर की मूर्ति से भी क्यों इतना डर लगता है ?

बोला- जहाँ प्यार नहीं होता वहाँ डर नहीं होगा तो और क्या होगा ?





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Mar 2, 2020

दो सितारों का ज़मीं पर है मिलन...



दो सितारों का ज़मीं पर है मिलन...




आज जैसे ही तोताराम आया, हमने पूछा- तोताराम, क्या कल अमावस्या थी?
बोला- अब पंडितों को भी तिथियों का ज्ञान नहीं रहा है| भले आदमी, जब आज ‘फलरिया दूज’ (फाल्गुन शुक्ल पक्ष की द्वितीया) का विवाह का अबूझ मुहूर्त है तो कल फागुन शुक्ल की प्रतिपदा थी | वैसे जहाँ तक चाँद दिखाई देने का प्रश्न है तो वह न अमावस्या को दिखता है और न ही प्रतिपदा को |
हमने कहा- कल हमें दोपहर ठीक बारह बजे सूरज कुछ धुंधला सा लगा| लगा, कहीं सूर्यग्रहण तो नहीं? सूर्यग्रहण अमावस्या को ही तो आता है|
बोला- वैसे कल न तो अमावस्या थी और न ही सूर्यग्रहण| लेकिन जहाँ सूरज के धुंधला दिखाई देने की बात है तो वह सच है| कल ठीक इसी समय दुनिया के सबसे बड़े महाबली, विश्व की सर्वमान्य महाशक्ति के शलाका-पुरुष, महामहिम ट्रंप भारत की धरती पर अवतरित हुए थे| और फिर धरती पर उनके स्वागत के लिए भारत को महाशक्ति बनाने वाले, करिश्माई, अनथक श्रम करने वाले और भारत के न भूतो, न भविष्यति नेता तत्पर हों तो फिर सूर्य तो धुंधला नज़र आना ही था |दो सितारों का ज़मीं पर है मिलन आज की रात…|
हमने कहा- वैसे यह सच है कि ट्रंप अतिमहत्त्वाकांक्षी, निरंतर सोचने वाले और निडर किस्म के हैं |उनमें ताक़त हासिल करने की ज़बरदस्त भूख है| जिद्दी हैं इसलिए सख्त निगोशियेटर भी हैं |
बोला- तू उनके बारे ऐसी तकनीकी शैली में कैसे कह सकता है ?
हमने कहा- यह हम नहीं बल्कि ब्रिटिश इन्स्टीट्यूट ऑफ़ ग्राफोलोजिस्ट्स की प्रोफ़ेसर ट्रेसी ट्रस्सल ने आँका है | यदि हमें उनका कमेन्ट नहीं मिलता तो भी हमने उनके दस्तखत देखकर ही अनुमान लगा लिया था |
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बोला- कैसे ?
हमने उत्तर दिया- उनके दस्तखत देखे ? ऐसे लगता है जैसे किसी ने दो देशों के बीच काँटेदार तारों की दीवार बना दी हो |तुझे पता होना चाहिए कि ट्रंप ने राष्ट्रपति बनते ही सबसे पहले दो काम किए थे |पहला मेक्सिको की सीमा पर दीवार बनाने का फैसला और दूसरा ओबामा वाली हेल्थकेयर स्कीम को समाप्त करना |ये दोनों ही निर्णय कोई जिद्दी और निडर आदमी ही ले सकता है |
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बोला- मैं तो इस ग्राफोलोजी को मानता नहीं |अपने मोदी जी निर्णय लेने के मामले ट्रंप से ज्यादा निडर हैं लेकिन उनके हस्ताक्षर देख कितने सौम्य, सरल और सहज हैं|
हमने कहा- तभी तो ट्रंप साहब मोदी जी को मानते हैं |और जहाँ तक स्वागत की बात है तो ट्रंप भी भौचक्के रह गए |क्या इवेंट मनेजमेंट था |दुनिया का सबसे बड़ा स्टेडियम, ट्रंप के जीवन की ही क्या, दुनिया के किसी भी नेता के आज तक के स्वागत से अधिक भीड़ और दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र के सबसे शक्तिशाली नेता द्वारा स्वागत| सब कुछ नंबर वन |वैसे अमरीका में मोदी जी का भी स्वागत तो ज़बरदस्त हुआ था २०१४ में मेडिसन स्क्वायर और २०१९ में ह्यूस्टन में |
बोला- उसमें ट्रंप या ओबामा की क्या छाप है |पैसा फेंको, तमाशा देखो |
हमने कहा- तोताराम, बात कुछ हज़म नहीं हुई |वहाँ भी भारतीयों का ही खर्चा और यहाँ भी भारत का ही खर्चा |यहाँ तो ट्रंप को खर्चा करना चाहिए था |
बोला- क्यों ? हम मेज़बान थे तो खर्चा मेहमान का क्यों ? ट्रंप ने हमें महाशक्ति, सांस्कृतिक दृष्टि से समृद्ध बताया है| भले ही उच्चारण सही नहीं था लेकिन सचिन, विराट कोहली, दिल वाले दुल्हनिया ले जाएंगे और विवेकानंद का ज़िक्र किया | भारत की धरती पर उतरने से पहले हिंदी में ट्वीट किया |इतने गर्व के बाद भी तुझे स्वागत के खर्च की पड़ी है ? अरे, इतनी प्रशंसा के बाद तो कोई गला भी काट ले तो परवाह नहीं |
हमने कहा- गला तो कटा ही है| अरे, कोई दुकानदार हजार दो हजार का सामान लेने वाले ग्राहक को ठंडा-गरम पिलाता है और एक हम हैं कि तीन बिलियन डालर का सामान भी खरीदें और सौ करोड़ का स्वागत भी करें |
बोला- तभी तो ब्रिटिश ग्राफोलोजिस्ट ने ट्रंप को सख्त निगोशियेटर कहा है |
हमने कहा- तोताराम, इस आयोजन को यदि हम आर्थिक गतिविधि में बदल सकें तो वारे-न्यारे हो जाएंगे |स्टेडियम है ही, गाने-बजाने वाले सेट हो ही गए हैं, झुग्गी-झोंपड़ियों को छुपाने के लिए दीवार बन ही गई |क्यों न स्वागत का वर्ल्ड रिकार्ड बनाने के लिए लालायित धनवानों का यहाँ दो-दो सौ करोड़ में स्वागत करने का स्थायी कार्यक्रम ही बना लें |
बोला- तो इसी बात पर एक खुशखबरी सुन ले |जनवरी की पेंशन बीस दिन देर से ही सही लेकिन खाते में आ गई है|





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