May 26, 2017

जी.एस.टी. का मतलब

  जी.एस.टी. का मतलब 

आज जैसे ही तोताराम आया, हमने पूछा- तोताराम, इस जी.एस.टी. का क्या मतलब होता है ?

बोला- तुझे  मतलब से क्या मतलब ? समझ ले एक टेक्स है जो हमेशा की तरह सब को देना पड़ेगा और उसका भार अंततः भले आदमी पर पड़ेगा | 

हमने पूछा- पोस्ट मार्टम के बाद पता चले कि मृत्यु भूख से हुई है तो भी भूख के विरुद्ध कोई कार्यवाही नहीं होती लेकिन फ़ाइल का पेट भरने के लिए पोस्ट मार्टम तो करवाना ही पड़ता है | हमें पता है कि हम टेक्स से बच नहीं सकते फिर भी जनरल नोलेज के लिए पूछ रहे हैं | तुझे पता हो तो बता दे |

बोला- भले ही देश में एक भाषा, एक प्रकार की शिक्षा, एक प्रकार के कानून नहीं हैं फिर भी हमारा एक देश और एक झंडा है और अब तो सब जगह एक ही पार्टी का शासन भी हो गया है तो फिर राष्ट्र की एकता के लिए टेक्स भी एक ही होना चाहिए |यह उसी दिशा में एक कदम है |

हमने कहा- तोताराम, पढ़ा तो हमने भी है इसके बारे में लेकिन हमें तो यह जी.एस.टी. मतलब गब्बर सिंह टेक्स समझ में आता है |

बोला- मौजाँ ही मौजाँ वाली बीरू-बसंती की जुगलबंदी में यह गब्बर सिंह कहाँ से आगया ?

हमने कहा- हमने उत्तर प्रदेश के विधान सभा के चुनावों में कसाब ( कांग्रेस, समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी )की तर्ज़ पर जी.एस.टी.का फुल फॉर्म बनाया है |जिस प्रकार शोले फिल्म में गब्बर सिंह जो चाहता है वही होता है |उसके किसी काम के पीछे कोई तर्क नहीं होता वैसे ही तुम्हारे इस जी.एस.टी. के पीछे भी कोई तर्क नहीं है | 

बोला- यह क्या कहता है तू ? कई वर्षों के मंथन के बाद बड़े-बड़े अर्थशास्त्रियों ने इसे बनाया है |

हमने कहा- बता, इसमें क्या औचित्य है कि चश्मे का फ्रेम महँगा और लेंस सस्ता ? एक तरफ डिजिटल की बात करते हैं लेकिन मोबाइल और बैंक ट्रांजेक्शन पर टेक्स | इस टेक्स पद्धति से वीरों का मनोबल कम होगा क्योंकि ईंटें सस्ती होने और पत्थर महँगे होने से वे ईंट का ज़वाब पत्थर से कैसे दे सकेंगे ? अब जब व्हील चेयर और वाकिंग स्टिक पर टेक्स लगा दिया तो बूढ़े और विकलांग विकास के साथ कैसे कदम से कदम मिलाकर चल सकेंगे ?

बोला- लेकिन सुनने की मशीन पर तो कोई टेक्स नहीं लगाया |आम आदमी चाय ही पीता है, उस पर भी केवल पाँच प्रतिशत टेक्स ही लगाया है |

हमने कहा- तोताराम, कुछ भी कहो; हमें तो लगता है यह पूरा कार्यक्रम ही मोदी जी को ध्यान में रखकर बनाया गया है |चाय मोदी जी का ट्रेड ब्रांड है | वे चाय बेचते-बेचते और चाय पर चर्चा करते-करते ही प्रधान सेवक बने हैं इसलिए कोफ़ी पर २८% जब कि चाय पर केवल ५% टेक्स लगाया गया है |कोई भी मोदी जी के 'मन की बात' न सुनने के लिए बहाना न बना सके इसलिए सुनने की मशीन को टेक्स फ्री कर दिया गया है | मुलायम, लालू, अखिलेश, सीताराम येचुरी, राहुल क्लीन शेव्ड रहते हैं जब कि मोदी जी दाढ़ी नहीं बनाते | ऐसे में रेज़र, आफ्टर शेव लोशन पर २८% टेक्स लगाकर विरोधियों को निशाना बनाया गया है और अप्रत्यक्ष रूप से मोदी जी  को फायदा पहुँचाया गया है |

बोला- कुछ भी कह लेकिन इस समय बहुमत का बीरू गब्बर सिंह के कब्ज़े में है इसलिए जनता-बसंती को गब्बर के इशारे पर 'जब तक है जान...' नाचना ही पड़ेगा |

May 18, 2017

नेता जी की बेइज़्ज़ती

 नेता जी की बेइज़्ज़ती 

आज तोताराम के साथ एक प्राणी आए |जनता के दुबलाने के कारण और साक्षात् प्रमाण;  खाते-पीते, हृष्ट-पुष्ट; सेवा से मेवा-वसूली से प्राप्त समृद्धि के प्रतीक |

हमने उत्सुकता ज़ाहिर की, कौन हैं ?

बोला- मनुष्य हैं ?

हमने कहा- मनुष्य तो इतना वज़नी नहीं होता |
बोला- सज्जन हैं |

हमने कहा- सज्जनों की तो आजकल हालत ख़राब है जब कि ये तो भगवान की दया के बिना ही माशा अल्लाह...
बोला- नेता जी हैं |

हमने कहा- तो फिर सच बात क्यों नहीं बताता |वैसे ये आज इतने गंभीर क्यों है ?क्या देश के विकास की चिंता में खोए हैं ?

बोला- नहीं, किसी ने इनकी बेइज़्ज़ती कर दी | 

हमने कहा- जो इनके पास है ही नहीं,  उसे कौन नुकसान पहुँचा सकता है ? 
अब तो नेता जी फट पड़े- क्या हमारी कोई इज्ज़त ही नहीं |

हमने जान छुड़ाने के लिए कहा- जब किसी ने इज्ज़त हतक कर दी तो फिर रही कहाँ ?

कहने लगे- तभी तो हमने दावा कर दिया है करोड़ों का |अब हालत देखना बच्चू की |

हमने कहा- लेकिन आपने भी तो उसकी सरे आम कुटाई की थी |

बोले- वह तो समाज को अनुशासन, सभ्यता, आज्ञाकारिता सिखाने के लिए हमारा कर्त्तव्य था |आपको पता होना चाहिए कि देश भक्ति, अनुशासन आदि सभी श्रेष्ठ गुण कूट-कूट कर ही भरे जाते हैं |

हमने कहा- अगर वह भी आपको बदले में ईमानदारी, मानवीयता सिखाने के लिए कुटाई कर दे तो ?

बोले- तो हम सौ करोड़ का दावा कर देंगे |

हमने कहा- नेताजी, अपनी इज्ज़त अपने कर्मों से होती है |कोई गाली दे या पिटाई कर दे तो वह समाप्त नहीं होती |वह पैसे से नहीं नापी जा सकती |गाँधी जी की अंग्रेजों ने पिटाई की लेकिन वे उनकी बेइज़्ज़ती नहीं कर सके | क्योंकि उनकी इज्ज़त अपने कर्मों से थी न कि किसी पद से |
अब तो मामला कोर्ट में है सो हम क्या कहें ? फिर भी एक कहानी सुनिए |किसी ने किसी के एक थप्पड़ मार दिया |केस चला |जज ने पचास रुपए का जुर्माना कर दिया |अभियुक्त ने उसी वक्त फरियादी को एक थप्पड़ मारा और जज के पास जाकर बोला- साहब, छुट्टे नहीं हैं | दो थप्पड़ों के जमा कर लीजिए |

यदि आपकी बेइज़्ज़ती करने वाला खरबपति होता और इसी तरह हिसाब करने लग जाता तो क्या होता ?
जाइए और अपने कर्मों से इज्ज़त कमाइए |धर्म का धंधा करने वालों द्वारा हल्ला मचाने की बात और है अन्यथा आपने कभी भगवान की बेइज्ज़ती देखी है ? 

May 13, 2017

हवा में उड़ता जाए उर्फ़ जग का मुजरा....

 हवा में उड़ता जाए उर्फ़ जग का मुजरा...


आज तोताराम आया तो उसकी धज ही कुछ निराली थी- शरीर पर शादी वाला ५८ साल पुराना सूट ठाँसे, सिर पर हैट, टाई, सूट, कोट के कालर पर बाईं तरफ गुलाब का फूल, आँखों पर धूप का सस्ता-सा चश्मा,दाएँ हाथ में मोबाइल, बाएँ हाथ से पहियों वाले सस्ते से सूट केस को घसीटता  हुआ जैसे ही बरामदे के आगे से चुपके से गुजरने लगा तो हमने टोका- ये सज,ये धज;  कहाँ चले ?अगर किसी युवती-रक्षक, एंटी रोमियो दल से हत्थे चढ़ गया तो उम्र का लिहाज किए बिना ही तेरी चाँद पर जो चार बाल बचे हैं उन्हें भी उड़ा देंगे |लेकिन एक बात बता, इतना खर्चा किया है तो जूता भी कोई ब्रांडेड लिया होता |

बोला- मैं जयपुर से दिल्ली की हवाई यात्रा करने जा रहा हूँ |मोदी जी ने इच्छा ज़ाहिर की है-'मैं हवाई यात्रा में हवाई चप्पल वालों को देखना चाहता हूँ' |यह ठीक है कि मेरी इस सज-धज से इन चप्पलों का कोई मेल नहीं है और यह भी सच है कि यदि रास्ते में पट्टा टूट गया तो जुलूस निकल जाएगा |इसलिए एहतियात के तौर पर मैंने दो सेफ्टी पिने रख ली हैं |हवाई यात्रा में हवाई चप्पल वालों को देखने के लिए उन्होंने मात्र २५०० रुपए प्रति घंटा की यह नई रियायती हवाई यात्रा योजना शुरू की है | मोदी जी की निगाह में हवाई चप्पल वाले आम आदमी होते हैं |वे खुद आम आदमी रहे हैं और बचपन तो कम से कम हवाई चप्पल में ही कटा होगा |सो देश के जन-जन में मन को जानने वाले प्रधान सेवक की इस इच्छा को पूरा करना मेरा धर्म है |

हमने पूछा-  कहीं गायकवाड़ के चप्पल-संचालन से घबराकर तो यह शर्त नहीं रखी है ?

बोला- नहीं, ऐसी बात नहीं है | आम आदमी यदि चमरौधे के जूते पहने होगा तो भी उन्हें किसी विमान कंपनी के अधिकारी के सिर पर चलाना तो बहुत दूर की बात, वह तो बेचारा अपने जूतों की सुरक्षा के लिए या तो समेट कर अपने हाथ में ले लेता है या फिर बैठते हुए नितम्बों के नीचे लगा लेता है |उसके सिर पर तो माननीय सांसद और विधायिका-पति ही क्या, कोई सरपंच तक भी जूते बरसाने की हैसियत रखता है |बेचारा कर भी क्या सकता है ? ज्यादा चूँ-चूँ करेगा तो कोर्ट कह देगा हम क्या करें तूने ही इन्हें स्पष्ट बहुमत दिया है, अब भुगत | वह तो बेचारा इसी में संतुष्ट रहता है कि किसी ने उसके सिर पर जूता नहीं मारा और यदि किसी ने स्नेहवश मार भी दिया तो इतना जोर से नहीं मारा कि सिर फूट जाए |सिर बचा हुआ है यही गनीमत है |और आम आदमी विमान कंपनी के कर्मचारी से शिकायत क्या करेगा |उसे तो सूट-बूट धारी कर्मचारी यदि  सीट रिज़र्व होते हुए भी डाँट कर फर्श पर बिठा देगा तो वह चुपचाप फर्श पर बैठकर यात्रा करके भी कुछ नहीं बोलेगा |उलटे जिन्दी भर मोदी जी के गुण गाता रहेगा कि उसे ज़िन्दगी में हवाई-यात्रा का अवसर तो मिला |

हमने कहा- तोताराम, आम आदमी की बात तुमने ठीक कही लेकिन नीति आयोग के अनुसार ४० रुपए रोज़ कमाने वाला गरीब नहीं है | तुझे तो ७०० रुपए रोज पेंशन मिलती है |तू आम आदमी नहीं है |

बोला- कुछ भी हो लेकिन हवाई चप्पल वाला तो हूँ |इसलिए सस्ती यात्रा करने का अधिकारी हूँ |

हमने कहा- लेकिन यह  यात्रा कोई सस्ती भी नहीं है |जयपुर से बैंगलुरु के सवा दो घंटे लगते हैं और एयर एशिया वाला किराया ३५०० रूपए ले रहा है मतलब एक घंटे के १५०० रुपए |जयपुर से दिल्ली एक घंटे से ज्यादा का रन नहीं तो २५०० रु. तो ज्यादा हैं  | हम भी पिछले साल सस्ते के चक्कर में जयपुर से दिल्ली के लिए गरीब-रथ नामक ट्रेन में बैठ गए थे |बाद में पता चला कि वह दूसरी ट्रेनों से महँगी थी |

बोला- कोई बात नहीं |मोदी जी की इच्छा है तो २५०० का खर्चा ही सही |जब बंदा देश के विकास के लिए दिन में १८ घंटे काम करता है, देश-दुनिया में भागा फिरता है तो हम उसकी ख़ुशी के लिए इतना भी नहीं कर सकते क्या ? समझ लेंगे चार दिन पेंशन नहीं मिली |

हमने कहा- लेकिन मामला २५०० रु. का ही नहीं है |यहाँ से जयपुर बस अड्डा और फिर वहाँ से हवाई अड्डा |फिर दिल्ली हवाई अड्डे से मोदी जी के घर जाकर अपना हवाई टिकट और हवाई चप्पल दिखाने के लिए खर्चा | फिर इतना ही वापसी का खर्चा |   

बोला- कोई बात नहीं दो तीन हजार और जोड़ ले |

हमने कहा-  'कंडीशंस अप्लाई' के छुपी हुई कुछ और शर्तें भी हो सकती हैं जैसे तुझे अपने साथ पानी की बोतल और खाना नहीं ले जाने देंगे और प्लेन में इनके मनमाने पैसे वसूल कर लेंगे तब क्या करेगा  ? 

बोला- एक घंटे की ही तो बात है | नहीं पिएँगे पानी, नहीं करेंगे नाश्ता | 

हमने कहा- अगर पेशाब लगा और टॉयलेट यूज़ करने के अलग से वसूल कर लिए तो ?

बोला- बहुत हो चुका, अब तू चुप कर |भले ही कुछ भी हो लेकिन मोदी जी की ख़ुशी के लिए मैं जाऊँगा | तुझे पता नहीं है, इतने खर्चे में भी यह यात्रा महँगी नहीं है | मुझे खिड़की के पास वाली सीट मिली है | इसमें एक पंथ दो काज हो जाएँगे |एक तो हवाई चप्पल वाले की हवाई यात्रा से मोदी जी को ख़ुशी मिलेगी दूसरे क्या पता, हवाई यात्रा करते हुए मुझे जयपुर-दिल्ली के कहीं बीच भटकते हुए अच्छे दिन या तीन साल की उपलब्धियाँ ही दिखाई दे जाएँ |  

फिर तो मैं लोन लेकर एक हवाई जहाज खरीद लूँगा और लोगों को अच्छे दिन दिखाने  का धंधा शुरू कर दूँगा |

हमने कहा- तोताराम, मेरे ख्याल से अगर भारत का मतदाता कुछ न करे तो भी नेताओं ने उसे हर चुनाव में हवा में उड़ाने का तरीका खोज लिया है | कभी हर खाते में १५ लाख रुपए तो कभी अच्छे दिन तो कभी हर एक को घर, ए.सी. वाहन आदि तो कभी हवाई चप्पल में हवाई यात्रा |मतलब कि शाम के ड्रिंक का हैंगओवर ख़त्म हो उससे पहले नई बोतल खुल जाती है |सपनों की एक अनंत शृंखला, कल्पनाओं का एक विराट आसमान | यदि दिमाग से तर्क वाला सिस्टम हटा दिया जाय तो लगता है कि बिना किसी अभाव और तनाव के एक मधुमती भूमिका में ही ७५ से १०० वर्ष तक का अपना यह चौथा आश्रम- संन्यास आश्रम बीत सकता है |

क्या करना है हवाई-यात्रा का ? बैठ और चाय पी | यहीं से 'राम झरोखे बैठकर जग का मुजरा' लेते हैं  |

May 4, 2017

काम से बड़ा...

  काम से बड़ा ....


जब से सरकारी डेयरी में नकली घी और दूध बिकने के समाचार पढ़े हैं  तब से मन होते हुए भी इन्हें खाने से डर लगने लगा है | फिर भी डाक्टर ने एक मशीन पर दौड़ाकर कह दिया- मास्टर जी, चिकनाई कम खाया कीजिए और घूमा कीजिए |आपके ह्रदय की धमनियाँ सिकुड़ गई हैं |हमने कहा- डाक्टर, यह घी खाने से नहीं बल्कि विकास और जुमलों के झटके खाने से हुआ है |लेकिन कोई बात नहीं, एक किलोमीटर घूम भी लिया करेंगे |

आज जैसे ही तोताराम के साथ घूमने निकले तो ऑक्सीजन तो खैर क्या मिलनी थी, मंडी के कोने पर पहुँचते ही होटल के खाने की जूठन और गन्ने के रस निकले हुए भूसे के सड़ने से दारू और दवा का एक मिलाजुला भभका आया |हमने तो नाक पर हथेली रख ली लेकिन तोताराम ने बड़ी श्रद्धा से नारा लगाया- स्वच्छ भारत : स्वस्थ भारत |

थोड़ा आगे चले तो प्राइवेट बसों के स्टेंड पर चाय वालों ने पिछले दिन के डिस्पोजेबल गिलास, नमकीन और गुटकों के पेपर इकट्ठे करके जलाने का प्रातःकालीन यज्ञ शुरू कर दिया था |हमें खाँसी चलने लगी लेकिन तोताराम ने फिर एक नारा लगा दिया- स्वच्छ वायु : लम्बी आयु |

मोदी जी ने कहा है कि गुस्सा करो, गन्दगी पर गुस्सा करने से ही गन्दगी मिटेगी |एक बार करके भी देख लिया लेकिन गन्दगी में कोई अंतर नहीं आया | आज फिर हमें गुस्सा आ गया, लेकिन इस बार गन्दगी पर नहीं, तोताराम पर, बोले- तोताराम, यह क्या ? हम तो धुएँ और बदबू के मारे मरे जा रहे हैं और तुझे चुनावी मौसम की तरह नारे सूझ रहे हैं |

बोला- मुझे चुनावों से क्या लेना ? मैं तो ब्रिटिश शोधकर्त्ताओं की आज्ञा का पालन कर रहा हूँ |उनका कहना है कि यदि हमें तनाव से बचाना है तो हमें अपनी डिक्शनरी से 'तनाव' शब्द को ही निकाल देना चाहिए |तनाव शब्द के उच्चारण से भी तनाव होता है |नेपोलियन की डिक्शनरी में यदि 'असंभव' शब्द तो वह ऐसे असंभव काम कर ही नहीं सकता था | |मेरी समस्या यहाँ है कि मुझे अपनी डिक्शनरी से तनाव, गन्दगी,महँगाई, निराशा, भूख, भय, भ्रष्टाचार, आतंकवाद, पराजय, असफलता आदि शब्द निकलवाने हैं | सुना है एक प्रकाशक ऐसी डिक्शनरियाँ छाप रहा है जिसमें वे ही शब्द होंगे जो आप चाहेंगे |मोदी जी और अमित शाह भी एक ऐसी ही डिक्शनरी छपवा रहे हैं जिसमें कांग्रेस शब्द होगा ही नहीं |और भी शब्दों के वे अर्थ होंगे जो देश के लिए लाभदायक हों जैसे कसाब का अर्थ कसाई नहीं बल्कि कांग्रेस, समाजवादी और बसपा होता है |वर्णमाला में में ग से गाँधी नहीं बल्कि गोडसे होगा |

याद रख, हम जो सोचते हैं, बोलते हैं वही हो भी जाता है तभी कहा गया है- राम से बड़ा राम का नाम |

हमने कहा- तेरी बात तो ठीक है |इसी तरह काम से बड़ा काम का नाम |तभी लोग काम करने की बजाय काम का विज्ञापन अधिक कर रहे हैं |जगह-जगह काम की चर्चा अधिक कर रहे हैं |इतनी चर्चा सुनकर यह लगता है कि कहीं हमारी ही आँखें तो खराब नहीं हो गई ? विकास हो रहा हो और हमें दिखाई नहीं दे रहा हो  | वरना वाट्सअप वाली युवा पीढी झूठ थोड़े ही बोल रही है  | हो सके तो किसी दिन टाइम निकालकर ज़रा, अपनी डिक्शनरी देखकर बताना कि उसमें सातवाँ वेतन आयोग है कि नहीं ? यदि है तो उसे भी अपनी माला में शामिल कर लें अन्यथा विकासाय स्वाहा, नरेंद्राय स्वाहा, अरुण जेटल्यायै: स्वाहा कर दें |

May 1, 2017

रोम-रोम में लाल बत्ती

   रोम-रोम में लालबत्ती 

हमने पूछा-तोताराम, मोदी जी को प्रधान सेवकाई करते कितने दिन हो गए ?
बोला- वेरी सिंपल, कल जितने नंबर का 'मन की बात' कार्यक्रम सुना, उतने ही महिने हो गए उन्हें प्रधान मंत्री अर्थात प्रधान सेवक बने हुए |

हमने कहा- और कभी यह कार्यक्रम मिस होगया तो फिर कैसे कैलकुलेट करेंगे ?

बोला- बिजली, पानी, नकदी, पेंशन, डी.ए. का एरियर, सातवें वेतन आयोग का फिक्सेशन कुछ भी मिस हो जाए लेकिन 'मन की बात' कार्यक्रम मिस नहीं हो सकता |आजकल तकनीकी इतनी विकसित हो गई है कि यदि वे विदेश में होंगे तो भी यह कार्यक्रम समय पर प्रसारित होगा |और फिर यह कोई लाइव थोड़े ही होता है |बाकायदा इसकी रिहर्सल और सलीके से रिकार्डिंग होती और एडिटिंग होती है | 

हमने कहा- लेकिन कुछ भी हो तोताराम, बंदा बोलता बहुत बढ़िया है |लगता है किसी संत-महात्मा के सद्विचारों का एक पावन झरना झर रहा है और उसमें भीगकर समस्त सृष्टि के तन-मन का कल्मष धुल रहा है |लगता है कोई बुद्ध, महावीर, शंकराचार्य, ईसा बोल रहा है | कल देखा, कितनी गूढ़ बात कही- मन से भी लाल बत्ती निकलनी चाहिए |

तोताराम ने उत्तर दिया- बात तो मोदी जी की ठीक है | वे खुद जन से जुड़े हैं |भारत के गाँव-गाँव सामान्य आदमी की तरह घूमे हैं, बौद्धिक किए हैं | अपनी संस्कृति में विनम्रता ही महानता की पहचान मानी गई है | अभिमान को पाप का मूल कहा गया है | लोकोक्ति भी है- थोथा चना बाजे घना |पहले तो राजा लोग भी जब किसी ऋषि के आश्रम में जाते थे तो अपना मुकुट, सेना, रथ सब आश्रम से बाहर छोड़ देते थे |

 हमने कहा- तोताराम, सच है |आजकल के ये तथाकथित बदजुबान वी.आई.पी. होते ही बड़े टुच्चे हैं |सड़क पर गाड़ी पर लाल बत्ती नहीं दिखेगी तो क्या |इनके साथ छोटी-छोटी दाढ़ी वाले दारू पिए हुए,  बूथ लेवल के कार्यकर्ताओं की आँखों में जो लाल बत्तियाँ जलती रहती हैं उनका भी इलाज़ होना चाहिए | पिछले दिनों पंजाब के एक मंत्री जी किसी  स्कूल के उद्घाटन के एक कार्यक्रम में गए |वहाँ जब उन्होंने देखा कि उद्घाटन-पट्ट पर उनका नाम तीसरे नंबर पर लिखा हुआ है तो हो गए पाजामे से बाहर और लगे प्रधानाध्यापिका को डाँटने |जब कि उस स्कूल को बनाने में उनका कोई योगदान नहीं था | अपने राजस्थान के एक विधायिका-पति ने पुलिस वाले की पिटाई कर दी |शिव सेना के एक कुख्यात माननीय जी के साथ प्लेन में लाल बत्ती थोड़े थी ? उनके मन में जो लाल बत्ती थी उसीने विमान कंपनी के कर्मचारी पर चप्पलें बरसवा दीं |यही दिमागी लाल बत्ती उत्तर प्रदेश की एक नवनिर्वाचित संसद-सदस्या को पुलिस अधिकारी को उसकी खाल उतरवाने की धमकी दिलवाती है और उत्तर प्रदेश के खादी-ग्रामोद्योग विभाग के मंत्री से एक विकलांग और मोदी जी के अनुसार दिव्यांग संविदा कर्मचारी का सबके सामने अपमान करवाती है |

बोला- इसमें तो मोदी जी क्या करें ? उन्हें भी तो सरकार बनानी-चलानी है |और फिर आजकल देश में ७५० भले आदमी टिकट देने के लिए नहीं मिलते |एक तिहाई घोषित अपराधियों से काम चलाना पड़ता है |यह मानसिकता तो जाते-जाते जाएगी |

हमने कहा- तोताराम, यह मानसिकता, दिमाग की यह लाल बत्ती एक मिनट में निकल जाए यदि जनता एक बार इनकी भाषा में इन्हें ज़वाब दे दे तो उस व्यक्ति पर कठोर कार्यवाही करवाने के लिए इन वीआईपियों  के पक्ष में सारे पक्षी और विपक्षी नेता एक साथ पिल पड़ेंगे  क्योंकि सबके मन से जीतने तो जीतने, हारने के बाद भी लाल बत्ती नहीं निकली है |