Jun 22, 2014

तोताराम के तर्क और ज्योतिष-सम्राट श्री श्री शीतलाप्रसाद

भारत में जनवरी २०१४ में एक चाय शुरू हुई थी जिसने दिल्ली पहुँच कर दम लिया । अब बच गया खाली कप जिसके लिए ब्राज़ील में मारामारी चल रही है । खिलाड़ियों के सात्त्विक उत्साह की वृद्धि करने और ब्राजील की अर्थव्यवस्था के विकास में सहयोग देने के लिए एक लाख वेश्याएँ भी तैयार हो रही हैं । सुनते हैं कोई ३० लाख गुण-ग्राहक भी पहुँच चुके हैं । इस कुम्भ में सब एक महीने तक स्नान करके, पुराने पाप धोकर, फिर नए पाप बटोरने के लिए चार साल के लिए अपने-अपने धामों को चले जाएँगे ।

दीन-दुनिया की समस्याएँ तो ज़िन्दगी से जुड़ी हैं, यह नहीं तो वह । इनका क्या रोना-गाना ? सो इराक और उत्तर-प्रदेश में बलात्कार जैसी छोटी-मोटी समस्याओं को दरकिनार करके हम चार वर्ष में एक बार आने वाले इस कप के बारे में विचार कर रहे थे कि गाली-गलौच, टँगड़ी, लँगड़ी और छाती में सिर की टक्करों आदि के बाद अंततः इस धर्म-युद्ध में कौन विजयी होगा ?

पिछली बार २०१० में दक्षिण अफ्रीका में हुए वर्ल्ड कप में कोई 'पॉल बाबा' नाम के ऑक्टोपस और 'हैरी' नामक एक मगरमच्छ टीमों की जीत-हार का भविष्य बता रहे थे तो इस बार ब्राजील में इसी काम के लिए सेबेकाओ नाम की एक २५ वर्षीय आत्मा ने कछुए के रूप में अवतार लिया है । सुना है चीन में भी, 'पंडित' नाम का भ्रम पैदा करने वाले एक पांडा भी भविष्य बताने के लिए तैयार हैं । संयुक्त अरब अमीरात में एक ऊँट महोदय भी इस काम में लगे हुए । वहाँ सब शाह ही होते हैं तो इन ऊँट महोदय का नाम भी 'शाहीन' है । वैसे हमारे राजस्थान में 'ऊँट' को मूर्खता का प्रतीक माना जाता है । मूर्खों का भविष्य हमेशा ऊँट से जुड़ा हुआ रहता है और हमेशा अनिश्चित रहता है क्योंकि पता नहीं, ऊँट किस करवट बैठेगा, खुद ऊँट को भी नहीं ।

तभी तोताराम प्रकट हुआ, पूछने लगा- क्या मंथन हो रहा है ?
हमने कहा- अब अगले पाँच साल के लिए मंथन का काम सैंकड़े से दहाई, दहाई से इकाई और इकाई से शून्य सीटों में रह गए नेताओं का है । अपन तो अब अच्छे दिनों के स्वागत की तैयारी करेंगे, फिलहाल फ़ुटबाल वर्ल्ड कप के विजेता के बारे में सोच रहे थे कि किसकी भविष्यवाणी सही निकलेगी- कछुआ जी की, पांडा जी की या ऊँट महोदय की ?

बोला- मास्टर, क्या हमारे यहाँ भविष्य वक्ताओं की कमी है जो इन विदेशी जानवरों पर आश्रित हो रहा है ? हर चेनल पर, हर अखबार में, हर गली-नुक्कड़ पर; कोई तोते से कार्ड निकलवाकर, कोई हाथ देखकर, कोई बैल से सिर हिलवाकर, कोई फूल का नाम पूछकर आदमी, देश, टीम ही नहीं, तुम्हारे कुत्ते, भैंस और साइकल तक का भविष्य बताने वाले मौजूद हैं । चल, बाहर चल । तेरी उत्सुकता का शमन करने के लिए विश्व प्रसिद्ध, ज्योतिष सम्राट, पंडित श्री श्री शीतलाप्रसाद पधारे हैं ।

जल्दी से ज्योतिषी जी का स्वागत करने के लिए तोताराम के साथ बाहर निकले तो कोई दिखाई नहीं दिया । पूछा- कहाँ है सम्राट ?


कूड़े के ढेर के पास खड़े एक मरियल से गधे की और संकेत करके बोला- ये कौन हैं ? ये ही तो हैं शीतलाप्रसाद जी ।


हमने कहा- यह तो गधा है ।



बोला- सीधा है इसलिए तुझे गधा दिखाई दे रहा है लेकिन याद रख, सभी ज्ञानी और महान लोग सीधे ही होते हैं । चमक-दमक तो नकली और लम्पट लोग करते हैं । पिछले जन्म में शीतला माता का वाहन था इसलिए शीतलाप्रसाद नाम है ।

अरे, भविष्य में क्या है ? दो का मैच हो या दो बड़ी पार्टियाँ चुनाव मैदान में हों तो दोनों को ही गुप-चुप और अलग-अलग लेकर जीत का भविष्य बता दो । एक तो जीतेगा ही । हारने वाला भले ही कुछ नहीं बोले लेकिन जीतने वाला तुम्हारे चमत्कार के गुण गाता फिरेगा और तुम्हारा धंधा चल निकलेगा । लेकिन ये औरों की तरह लोगों को उल्लू नहीं बनाते ।

वैसे ये भविष्य बताने की अपेक्षा, भविष्य बनाने-बिगाड़ने में अधिक रुचि रखते हैं । पिछले चौसठ साल से सरकारें बनाते-गिराते आ रहे हैं । ध्यान से देखो, इनकी बाईं जाँघ पर अमिट स्याही का अमिट गोल निशान । यही नहीं, इनके किसी भी सजातीय भारतीय बन्धु के यह निशान मिलेगा, विदेशी नस्लों का पता नहीं ।

यदि फ़ुटबाल वर्ल्ड कप के बारे में जानना चाहते हो तो मैच खेल रही दो टीमों को नंबर दे दो- एक और दो । और फिर इनके पीछे खड़े होकर श्रद्धा भाव से इनकी पूँछ के बालों को सहलाओ । यदि ये बाईं लात फटकारें तो एक नंबर की टीम जीतेगी और दाईं लात फटकारें तो दो नंबर की टीम जीतेगी । यदि दोनों लातें एक साथ फटकारें तो मैच ड्रा होगा ।

यदि इस प्रक्रिया में प्रश्नकर्त्ता के घुटने फूट जाएँ तो उसके लिए तोताराम उत्तरदायी नहीं होगा ।


१४ जून २०१४


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Jun 14, 2014

चमत्कार को नमस्कार उर्फ़ मोदी का कुर्ता


तोताराम को बोलने का अवसर न देते हुए आज हमने ही शुरुआत की- देखा तोताराम, इसे कहते हैं चमत्कार । लगा ना अमरीका नमस्कार करने, अपने नरेन्द्र भाई को ? कल तक जो मादी को वीजा न देने पर अड़ा हुआ था आज अपनी उपविदेश मंत्री से कहलवा रहा है कि मोदी भारतीय जनता की आशाओं-आकांक्षाओं के प्रतीक हैं और अमरीका उनके साथ मिलकर भारत की जनता की आशाओं को पूरा करना चाहता है । वहाँ का मीडिया और फैशन जगत मोदी के आधी आस्तीन के कुर्ते पर फ़िदा हुआ जा रहा है । अब अधिकतम चुनावी रैलियाँ करने के कारण उनका नाम गिनीज बुक में शामिल करने को उतावला है ।


यह ठीक है कि पहले अमरीका ने मोदी को वीजा देने से इंकार किया । करता भी कैसे नहीं ? मोदी जी बिना चुने ही, गुजरात के मुख्य मंत्री जो बन गए थे । ऐसे में अमरीका कैसे उन्हें वीजा देता । यदि मोदी पाकिस्तान के अयूब, याह्या, जियाउल हक़, मुशर्रफ या मध्य-पूर्व के शेखों या हैती के शासक की तरह जनता के चुने हुए हृदय-सम्राट होते तो अमरीका वीजा दे भी देता लेकिन किसी डिक्टेटर को वीजा कैसे दे सकता था ? अब चुने गए तो स्वागत के लिए तैयार है । अमरीका सच्चे अर्थों में लोकतांत्रिक देश है ।

तोताराम बोला- पिछले साठ बरस से अखबार पढ़ रहा है, बुद्धिजीवी की पूँछ बना घूमता है और इतना भी नहीं समझता । सब मतलब की मनुहार है । पहले मनमोहन सिंह जी बिक्री करवाते थे दुनिया के पाँच स्थायी पंचों को, तो वे उनसे मिलने को उतावले रहते थे । जब कभी थोड़े से इधर-उधर हुए तो कभी 'अंडर अचीवर' और कभी 'सोनिया जी का गुड्डा' कहकर बदनाम करने लगते थे । अब खजाने की चाबी मोदी जी के पास आ गई है सो उनसे मिलने को बेचैन है । जिसकी जेब से हजार के नोट झाँकते है, लाला उसी को स्टूल पर बैठकर चाय पिलाता है । जो तेरी तरह दस चीजों के भाव पूछता है, हर चीज को दस बार उलट-पुलट कर देखता है और खरीदता कुछ नहीं, उसकी तरफ कौन दुकानदार देखेगा ?

हमने कहा- तू तो हर बात में किन्तु, परन्तु लगाता है लेकिन मोदी के आधी बाँह के कुर्ते पर फ़िदा होने में अमरीका को क्या फायदा हो सकता है ?

कहने लगा- है, इसमें भी कुछ रहस्य है । हो सकता है अगर सावधान नहीं रहे तो हल्दी और नीम की तरह वह अब मोदी के कुर्ते और दाढ़ी के स्टाइल को भी पेटेंट करा लेंगे । और यदि यह भी नहीं हुआ तो वह मीडिया में 'कुर्ता-कुर्ता' का हल्ला मचा-मचाकर मोदी का ध्यान अपने विकास कार्यक्रमों से हटाकर कुर्ते में ही उलझा दे । जैसे १९८५ में राजीव गाँधी तीन चौथाई बहुमत मिलने के कारण, भारत को स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद से ही परेशान करने वाली बहुत सी समस्याओं को संविधान में संशोधन करके हमेशा के लिए सुलझा सकते थे लेकिन भाई लोगों ने उन्हें आदिवासियों में घुमा-घुमाकर ही पाँच वर्ष निकाल दिए । कुछ करने का मौका ही नहीं दिया और उसके बाद में किसी को कुछ करने लायक बहुमत ही नहीं मिला । जैसे मीडिया हर जगह 'सुंदरी' ढूँढ़ता है । कोर्ट में सैंकड़ों कैमरे लगे रहते हैं जो विभिन्न कोणों से फोटो खींचते हैं और जो सबसे उत्तेजक फोटो होते हैं उन्हें बेचकर पैसा कमाया जाता है । सानिया के खेल से ज्यादा उसकी छोटी स्कर्ट प्रचारित होती है । महिला टेनिस खिलाड़ी नहीं बल्कि 'टेनिस-सुंदरियां' कही जाती हैं । ऐसे ही यह कुर्ता और दाढ़ी का प्रेम है । विकसित देश लोगों को उलझाने के विशेषज्ञ हैं ।

जिस दिन मोदी जी भारत-हित को प्रमुखता देने लग जाएँगे, आयात की बजाय निर्यात बढ़ाने लग जाएँगे, योरप-अमरीका को ठेके देने कम कर देंगे, देश-प्रेम और स्वालंबन के काम करने लग जाएँगे उस दिन पता चलेगा इस 'कुर्ता-प्रेम' का ।

हम तोताराम को सच सिद्ध होते देखना चाहते हैं ।

१३ जून २०१४

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Jun 10, 2014

तोताराम के तर्क और लालच की हद


पहले तो कोई खास रोमांच नहीं होता था और न कोई खटका लेकिन जब से चुनाव खिसक-खिसका कर मई में आ रहे हैं उससे थोड़ा टेंशन हो जाता है । निवर्तमान सरकार जाते-जाते आधा-अधूरा सा बजट घोषित करने के साथ ही महँगाई भत्ते की भी विगत जनवरी से लागू होने वाली एक क़िस्त घोषित कर जाती है । दिल में यह धुकधुकी लगी रहती है कि क्या पता नई सरकार उसे मानेगी या नहीं ? अबकी बार यह धुकधुकी कुछ अधिक थी । इसलिए भी कि मोदी जी मितव्ययी हैं, जब अपने लिए पूरा-सा ब्लेड का खर्चा भी नहीं करते तो क्या पता विकास के लिए संसाधन जुटाने के लिए मास्टरों के महँगाई भत्ते पर ही कैंची न चला दें ।

इसी टेंशन में मार्च, अप्रैल और मई निकल गए, साँसें अटकी रहीं । जुलाई से मिलने वाली क़िस्त का तो बैंक में जाकर पता कर आते थे कि क्रेडिट हुआ या नहीं लेकिन आजकल गरमी के मारे हिम्मत ही नहीं पड़ रही है । तोताराम के पास नहीं है लेकिन हमारे पास एक लेपटोप है । उसी पर हमारी एसोसिएशन के महासचिव ने मेल भेज दी कि डी.ए. क्रेडिट हो गया है । सो आज आते ही हमने तोताराम को सरप्राइज़ दिया- तोताराम, मुँह मीठा करवा, अपना डी.ए. क्रेडिट हो गया ।


खुश होना और मुँह मीठा करवाना तो दूर की बात, सड़ा-सा मुँह बनाकर कहने लगा- पहले तो चालीस बरस तनख्वाह पेली, साढ़े चार हजार पेंशन पर रिटायर हुआ जो बैठे-बिठाए अब तक बढ़कर अठारह हज़ार हो गई तिस पर भी जब देखो - हाय डी.ए., हाय पे कमीशन । अरे, संन्यास आश्रम में घुसने की उम्र आ गई लेकिन यह लालसा, तृष्णा ख़त्म नहीं हुई । कहाँ ले जाएगा इतना धन ? स्विस बैंक में भी जमा करना सुरक्षित नहीं रहा । पता नहीं, कब जेतली जी के महात्मा गाँधी (बाबा रामदेव) अनुलोम प्राणायाम के बल से स्विस बैंक के काला धन भारत खींच लाएँ । फिर क्यों मरा जा रहा है डी.ए.-डी.ए. करके ।


अब तो हमें बर्दाश्त नहीं हुआ । कौन जनसेवक और धर्म सेवक ऐसा है जो आती लक्ष्मी को छोड़ देता है । भले ही संसद में जाए या न जाए, एक दिन भी मुँह नहीं खोले, खोले तो प्रश्न पूछने के भी पैसे ले ले, सांसद-निधि में से बीस प्रतिशत कमीशन खाए, अपने फर्स्ट क्लास के रेल के पास बेच दे, केन्द्रीय विद्यालय के दो एडमीशन भी नीलाम कर दे, मौका लगे तो मुफ्त फोन से पी.सी.ओ. खोल ले, सांसद वाला मकान खाली करना पड़े तो पंखे और परदे उतार कर ले जाए । एक साल भी सांसद या एम.एल.ए. रह जाए तो ज़िन्दगी भर पेंशन पेलता है । हमने तो चालीस बरस नौकरी की है ईमानदारी से ।



तोताराम ने हमें टोकते हुए कहा- मैं जनसेवकों की बात नहीं कर रहा हूँ । इन्हें कौन नहीं जानता । ये सब तो मौसेरे भाई हैं । न किसी लम्पट नेता को आज तक फाँसी हुई है और न ही होगी । जेतली जी ने मोदी जी के शादीशुदा होने के मुद्दे पर कांग्रेस के हल्ला मचाने पर कहा नहीं था, कि राजनीति का एक अघोषित एजेंडा होता है । यह अघोषित एजेंडा क्या है ? यही तो मौसेरा भ्रातृत्त्व है । मैं तो मुकेश अम्बानी की बात कर रहा हूँ । बन्दे का जिगरा देखा, चाहता तो सारा मुनाफ़ा अपनी तनख्वाह में जोड़ लेता लेकिन पाँच साल से उसी तनख्वाह पर काम कर रहा है । डी.ए. तो डी.ए., इन्क्रीमेंट तक नहीं लिया । है कोई ऐसा सादगी पसन्द और मितव्ययी ?

हमने हाथ जोड़ते हुए कहा- नहीं, भैया नहीं । उलटे, बेचारे ने खुद ही घटाकर अपनी तनख्वाह ३९ करोड़ से मात्र पंद्रह करोड़ वार्षिक कर ली है । पता नहीं, कैसे काम चलता होगा बेचारे का ?


तोताराम भी कौन सा कम है, उसी सुर में बोला- मैं सब समझता हूँ तेरा व्यंग्य । लेकिन तू यह क्यों नहीं सोचता कि उसे इसमें कितने बड़े-बड़े खर्चे मेंटेन करने पड़ते हैं । कभी पत्नी को चार सौ करोड़ की नाव, कभी दो सौ करोड़ का पत्नी का पचासवाँ जन्म-दिन, जब भी कहीं जाना हो तो हवाई जहाज में तेल भरवाना, एंटीलिया का सालाना पाँच करोड़ का बिजली का बिल, और तिस पर इतने बड़े मकान का झाड़ू-पोचा । तेरी तरह थोड़े है कि एक ही हवाई चप्पल को पूरे साल फटकारता रहे, दो कुरते-पायजामे में दो साल निकाल दे । कहने को भारत का सबसे धनी व्यक्ति है लेकिन काम चलाता है केवल १५ करोड़ सालाना में ।

हमने कहा- बन्धु, तुमने जो हिसाब बताया है उससे हमारा दिल वास्तव में भर आया है इसलिए तू भी क्या याद करेगा । जा, जब तक सरकार मुकेश अम्बानी की गैस के दाम नहीं बढ़ाती तब तक हम इस बार का डी.ए. मुकेश राहत कोष में देने का वादा करते हैं ।


८ जून २०१४


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