सब सस्ता या मुफ्त में रोटी, मछली , चाय |
रसना अब सब छोड़कर नमो-नमो दोहराय |
नमो-नमो दोहराय, जियो मोदी जी युग-युग |
इससे बेहतर तो शायद ही होगा सतयुग |
जोशी हमने कहा- दो नमो-प्लेट दीजिए |
बोला- ताऊ, सन उन्नीस तक वेट कीजिए |
२७ मई २०१४
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(c) सर्वाधिकार सुरक्षित - रमेश जोशी । प्रकाशित या प्रकाशनाधीन । Ramesh Joshi. All rights reserved. All material is either published or under publication. Jhootha Sach
(नमो चाय,नमो रोटी, फिर चेन्नई में नमो मछली और अब लखनऊ के एक आम उत्पादक ने अपने द्वारा विकसित एक किस्म का नाम 'नमो आम' रखा -२३ मई २०१४ )
रोम-रोम में रम रहे मोदी बनकर राम |
कभी चाय, रोटी कभी और कभी बन आम |
और कभी बन आम, कभी बन जाते मछली |
वे ही उपवन, फूल वही औ' वे ही तितली |
कह जोशी कविराय यही ताकत का फंडा |
राजा की मर्ज़ी बच्चा दे अथवा अंडा |
२४ मई २०१४
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