May 21, 2019

शौचालय का चौकीदार



 शौचालय का चौकीदार


कमलनाथ ने एक साक्षात्कार के दौरान मोदी जी की चौकीदारी पर प्रश्न उठाया-मोदी जी किसके चौकीदार हैं ? साथ ही कई क्षेत्रों का उल्लेख भी कर दिया- किसानों के चौकीदार, युवाओं के चौकीदार या शौचालयों के चौकीदार ?

तोताराम इस बात से दुखी था कि मोदी जी को शौचालयों का चौकीदार कहा गया |

बोला- मास्टर, संसार में राजनीति हमेशा रही है और रहेगी |लोग भी आते-जाते रहेंगे लेकिन समाज में इंसानी रिश्तों और आपसी व्यवहार की मर्यादा गिराना कहाँ तक उचित है ? कभी चाय वाला तो कभी चौकीदार |

हमने कहा- तोताराम, क्या किया जा सकता है ? कमलनाथ देश के सबसे धनवान पांच सांसदों में से एक हैं |कमल हैं तो लक्ष्मी को तो आना ही था | भाजपा के चुनाव चिह्न 'कमल' पर तो उनका १९४६ से ही कब्ज़ा है |और तो और ये तो देश का प्रधानमंत्री तय करने वाले राज्य के मुख्यमंत्री आदित्यनाथ के जन्म के पहले से  ही 'नाथ' भी हैं  |
वैसे तुझे ज्यादा चिंतित होने की ज़रूरत नहीं है क्योंकि यह केवल शब्दों की लड़ाई है और शब्दों की लड़ाई में मोदी जी को कोई नहीं हरा सकता |तिस पर कमलनाथ द्वारा सुझाए गए विकल्पों में से मोदी जी ने शौचालय की चौकीदारी का जो विकल्प चुना है वह उनकी बड़ी दूरदर्शी सोच को बताता है | 

बोला- कैसे ? 

हमने कहा-  युवाओं को चौकीदारी पसंद नहीं |किसान की चौकीदारी में बड़ा झंझट है |किसान दिन-रात काम में लगा रहता है |कमाई का कोई ठिकाना नहीं |ऊपर से पता नहीं, कब आत्महत्या करने की नौबत आ जाए | शौचालय की चौकीदारी का काम सबसे बढ़िया है |

तोताराम ने फिर पूछा- कैसे ?

हमने कहा- कभी सुलभ शौचालय के चौकीदार को देखा है ? मज़े से बैठा बीड़ी पीता रहता है |अन्दर जाकर किसी को दस्त आए या नहीं लेकिन वह तो घुसने से पहले की पूरी फीस ले लेता है |कल्पना कर, यदि जेब में दो ही रुपए हों और तुझे बड़े जोर की हाजत हो रही हो | शौचालय का चौकीदार अचानक अपनी मर्ज़ी से रेट दो रुपए की जगह दस रुपए कर दे तो ? और उस पर मनमाने ढंग से २८% जीएसटी भी लगा दे तो ? बाद में तू भले ही उपभोक्ता अदालत में चले जाना; 'जागो ग्राहक जागो'  गाते रहना लेकिन एक बार तो तेरा पायजामा खराब हो ही जाएगा |

वैसे शौचालय भी रसोई से कम महत्त्वपूर्ण नहीं है |शौच नहीं जाओगे तो खाओगे क्या ? मतलब शौचालय नहीं तो रसोई का भी कोई भविष्य नहीं | यह भी वैसी ही पहेली है जैसी  कि पहले मुर्गी हुई या अंडा ? 

बोला- वैसे तो यह बात ठीक है कि मोदी जी ने शौचालय को देवालय की ऊँचाई पर स्थापित कर दिया है |भले ही देशभक्ति पर दो राय हो सकती है लेकिन शौचालय की महत्ता पर दो राय नहीं हो सकती |

हमने कहा- तभी जब अकबर ने बीरबल से दुनिया के सबसे बड़े सुख के बारे में पूछा था तो बीरबल ने कहा था- जहाँपनाह, वक्त पर हाज़त का रवाँ हो जाना मतलब कि जब दस्त की हाजत हो उस समय ढंग का शौचालय मिल जाना |

बोला- तब तो यह भी हो सकता है कि जेतली जी अगले बजट में हवाई यात्रा फ्री करके प्लेन में शौच जाने का शुल्क ही किराए से दुगुना कर दें बेचारे यात्री पायजामा ख़राब होने के डर से देने भी लग जाएं |




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May 20, 2019

तोताराम का ब्लेक बॉक्स



  तोताराम का ब्लेक बॉक्स 

जब हम और तोताराम सातवें दशक के शुरू में नौकरी के लिए घर से निकले थे तो दरी में बंधे बिस्तर के साथ-साथ सफ़ेद पेंट से हमारा नाम लिखा लोहे का एक काला बक्सा हमारी भी आन, बान और शान का प्रतीक हुआ करता था जैसे कि ट्रेन में गार्ड का काला बक्सा या सेना से छुट्टी मनाने घर जा रहे जवान का नाम लिखा काला बक्सा या फिर आजकल लाल बत्ती लगी मंत्री की गाड़ी या किसी छुटभैय्ये नेता की 'अमुक पार्टी का जिलाध्यक्ष' या 'अमुक गाँव का सरपंच' लिखी जीप |

उस काले बक्से को क्रमशः एयर बैग, चमड़े के सूटकेस, फिर वी.आई.पी. के सूटकेस और फिर आजकल प्रचलित सिंथेटिक कपड़े के तरह-तरह की चेन लगे सूटकेसों ने प्रचलन से बाहर कर दिया है जैसे भाजपा कांग्रेस-मुक्त भारत बनाने पर तुली है |शुरू-शुरू में वी.आई.पी. के सूटकेस इतने महँगे होते थे कि सामान्य आदमी सुरक्षा की दृष्टि से उसे अपनी गोद में रखकर बैठता था हालांकि उस युग में उसकी मजबूती के बड़े विज्ञापन आया करते थे | लोह के बक्से इतने मज़बूत होते थे कि मज़े से उसको सीट बनाकर कहीं भी बैठा जा सकता था |

आज सुबह-सुबह तोताराम पिछली शताब्दी के दुर्लभ हो चुके काले बक्से के साथ जल्दी-जल्दी घर के आगे से जाता हुआ दृष्टिगोचर हुआ |हमने उसे लपका- तोताराम, अब तो अंतिम दौर का मतदान भी हो गया तो फिर ब्लेक मनी से भरा यह ब्लेक बोक्स कहां ले जा रहा है ?  

बोला- मास्टर, कम से कम तू तो नेताओं की तरह ऐसी घटिया बात मत कर |उन्हें तो येन-येन-प्रकारेण गद्दी कब्जानी है लेकिन तेरे साथ तो पतित होने की ऐसी कोई मजबूरी नहीं है | मैं समझता हूँ कि तेरा इशारा किस तरफ है ? क्या कोई किसी हेलिकोप्टर में अपनी मर्ज़ी से कोई सामान नहीं ले जा सकता ? हमारे यहाँ तो ऐसी परंपरा रही है कि लोग आते-जाते अपने किसी भी परिचित के हाथ छोटा-मोटा सामान भिजवा देते हैं |क्या आदमी का आदमी से आपस में इतना भी रिश्ता नहीं कि एक दूसरे की इतनी भी मदद कर सकें ?

हमने कहा- लेकिन तोताराम, चुनावों में आचार-संहिता के लागू होते ऐसी बातों से सन्देह तो होता ही है |तुझे क्या लगता है, क्या हो सकता है मोदी जी के हेलिकोप्टर में से कार में लोड किए गए उस काले बक्से में  ? 

तोताराम बरामदे में बैठ गया और बोला- कोई बात नहीं, थोड़ी देर सही |मैं जानता हूँ कि मोदी जी के बक्से में क्या रहा होगा फिर भी फ़िलहाल तू एक और काले बक्से की कहानी सुन ही ले |

किसी देश में एक राजा राज करता था |उसने अपने मार्गदर्शन के लिए किसी गुरुकुल के एक गुरु को अपने दरबार में रख लिया |गुरु बहुत ईमानदार था इसलिए राज के भ्रष्ट लोग उससे परेशान हो गए |

लोगों ने उसकी जासूसी करना शुरू कर दिया |लोगों ने देखा कि वह रात को दीया जलाकर एक काले बक्से खोलकर कुछ देर देखता | फिर उस बक्से को  बंद कर देता और सो जाता |

लोगों ने राजा से शिकायत की कि आप जिस गुरु को रखे हुए हैं वह राज की कुछ अति मूल्यवान वस्तुएं चुराकर रखे हुए है और रोज रात को उन्हें संभालता है |

राजा ने एक दिन अपनी उपस्थिति में गुरु का बक्सा खुलवाया |उस बक्से में वे दो कपड़े निकले जो गुरु पहले दिन पहनकर राजा की सेवा में आए थे | 

राजा के पूछने पर गुरु ने बताया- मैं अपने आप को अपनी असलियत याद दिलाते रहने के लिए रोज रात को सोने से पहले उन कपड़ों को देखता हूँ जो मैं यहाँ पहनाकर आया था और यह भी कि मुझे इन्हीं कपड़ों में यहाँ से जाना है |

सो मोदी जी के उस बक्से में चाय की वह केतली और कांच के छह गिलास होंगे जिनमें वे ट्रेन में चाय बेचा करते थे |हो सकता उनमें एक डंडा और टोर्च भी हों जो उन्हें  चौकीदार बनने के बाद मिले हैं |

तुझे पता है, गंगा मौसी गुजर गई | यह काला बक्सा उसी का है | इसमें उसके कुछ कपड़े हैं |कई दिन से मेरे पास पड़ा था |इसे उसकी बेटी को लौटाने जा रहा हूँ |

हम गंगा मौसी की याद में खो गए |





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May 15, 2019

तोताराम से साक्षात्कार

 तोताराम से साक्षात्कार 

आज जैसे ही तोताराम आया, हमने कहा- तोताराम, अभी तू घर जा और ज़रा ढंग के कपड़े पहनकर आ |

बोला-'ढंग के कपड़े' से तेरा क्या मतलब है ? इन कपड़ों में क्या बुराई है ? क्या यह मोदी जी द्वारा ओबामा को चाय पिलाने जैसा कोई विशेष अवसर है जो पन्द्रह लाख का सूट पहनना ज़रूरी है ? दो रुपए की चाय के लिए इतने नाटक ? यह तो वैसा ही तमाशा है जैसे कि आजकल उम्मीदवार नामांकन के लिए भी इस तरह रोड़ शो करते हुए जाते हैं जैसे कि कोई दिग्विजय करके आए हों | 

हमने कहा- आज हम तेरा इंटरव्यू लेना चाहते हैं |

बोला- तू सत्तर बरसों से हमें जानता है |इंटर और आउटर सभी तरह के व्यू देख चुका है |अब और कौनसा व्यू बाकी रहा गया है ? और फिर मेरे लिए नेताओं की तरह यह कौनसा चुनाव का मौसम है कि साक्षात्कार के द्वारा अपनी इमेज बनाऊँ |

हमने कहा- जा, ज़रा तैयार होकर आ | इस अतिरिक्त कष्ट के लिए चाय के साथ तुझे मिठाई भी मिलेगी |

खैर, तोताराम तैयार होकर आया और हमने बरामदे की बजाय कमरे में अड्डा जमाया ताकि पोती हमारा फोटो भी ले सके क्योंकि आजकल फोटो के बिना कोई बात विश्वसनीय लगती ही नहीं |सोचते हैं जब फोटो की कला थी ही नहीं या फोटो की सुविधा बहुत कम थी तब यह दुनिया कैसे चलती होगी ?

तोताराम ने कहा- इंटरव्यू से पहले मैं कुछ प्रश्न दूँगा और तुझे वे ही प्रश्न पूछने होंगे |

हमने कहा- तोताराम, इंटरव्यू इस तरह नहीं होते | यदि इस तरह पहले ही प्रश्न देकर इंटरव्यू देना है तो प्रसून जोशी, अर्णव गोस्वामी या अक्षय कुमार से बात कर ले |

बोला- ठीक है, जैसी तेरी मर्ज़ी |

हम- तोताराम जी, आपके इस उम्र में भी इतने स्लिम और स्मार्ट बने रहने का क्या रहस्य है ? छप्पन इंच की जगह अब भी आपका सीना २८ इंच का ही बना हुआ है |आप अपनी फिटनेस के लिए कौनसा पंच तत्त्व योगा करते हैं ? 

तोताराम- पञ्च तत्त्व या तत्त्वहीन, जैसा भी योगा लोग करते हैं वे वास्तव में वियोगी लोग हैं | हमारी तो कम उम्र में शादी हो गई, दूसरे हमें पत्नी के कठोर शासन से मुक्त होने का अवसर नहीं मिला, तीसरे हमें अधिक खाने की सुविधा नहीं मिली और चौथे हमें अपने हिन्दू होने का कोई गर्व नहीं हो सका |इसलिए हम अब तक २८ इंच के सीने वाले स्मार्ट बने हुए हैं |

हम- तोताराम जी, आप आम कैसे खाते हैं ? 

तोताराम- मिले तो सही |जब, जैसे, जो मिले खा जाते हैं | और कच्ची हो तो गुठली तह खा जाते हैं |

हम- क्या आपको डाल पर पका हुआ आम पसंद है ?

तोताराम- किसे पसंद नहीं डाल पर पका हुआ आम ? लेकिन आम को पकने तक डाल पर छोड़ता ही कौन है ? 

हम- यदि आपको थोड़ा कम पका आम मिले तो आप क्या करते हैं ?क्या आप उसके पकाने का इंतजार करते हैं या उसे थोड़ा कच्चा ही खा लेते हैं ?

बोला- हमें इंतज़ार करने की ज़रूरत नहीं |हम अब चाहे डाल पर लगे आम को अपनी मर्ज़ी से फटाफट पका देते हैं |

हम- यह तो बहुत अद्भुत तकनीक है |क्या आप हमारे दर्शकों को बताएंगे कि आप यह कैसे करते हैं ?

तोताराम- हम पेड़ के नीचे खड़े होकर कविता-पाठ करते हैं तो कुछ देर में आम पककर गिर पड़ता है जैसे कि मोदी जी की 'मन की बात' से पककर श्रोता उनके सामने समर्पण कर देते हैं |


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May 3, 2019

भारत भारती पुरस्कार



भारत भारती पुरस्कार  

आज सुबह-सुबह तोताराम ने आते ही हमारे सामने एक बड़ा-सा आलू और एक आम लाकर रख दिया और बोला- बता, इन दोनों में क्या फर्क है ?

हमें हँसी आगई, कहा- यह भी कोई पूछने की बात है ? इतना तो दो साल के बच्चे को स्कूल जाने से पहले ही मालूम होता है |हम तो सतत्तर साल के हो गए |तूने क्या हमें अब इन्हीं प्रश्नों के लायक समझ लिया है |भले ही भाजपा ने टिकट के लायक न समझा हो लेकिन इस प्रश्न का उत्तर तो आडवानी जी भी दे सकते हैं | फिर भी खैर,  सुन |

आलू एक कंद है जिसकी मूल रूप से दक्षिणी अमरीका के पेरू देश में कोई ७००० साल पहले भी खेती होती थी |इसका पौधा एक डेढ़-फुट ऊंचा होता है |भारत में यह जहाँगीर के ज़माने में पुर्तगालियों द्वारा गोवा में लाया गया था |आज भारत एक प्रमुख आलू उत्पादक देश है |आलू सब्जी बनाने के साथ-साथ भूनकर भी खाया जाता है |इसके चिप्स भी बनते हैं |हालाँकि आलू के अस्तित्त्व को लालू से जोड़ा गया है लेकिन आलू लालू के जन्म से पहले भी प्रासंगिक था और आगे भी रहेगा |यह बात और है कि बाज़ार के गणित के हिसाब से कभी-कभी आलू के भाव इतने गिर जाते हैं कि किसान उसे सड़कों पर फेंके देते हैं लेकिन विज्ञापन और व्यापार के प्रताप से आलू के चिप्स के भावों में कोई दुष्प्रभाव नहीं पड़ता |

आम एक फल है जिसे फलों का राजा कहा जाता है | यह भारत का राष्ट्रीय फल है |इसे पाँच महावृक्षों में शामिल किया गया है | इसका पेड़ बहुत ऊंचा होता है |आजकल छोटे कद के आमों की नस्ल भी विकसित कर ली गई है | कुछ आदमी भी आम होते हैं जिन्हें ख़ास लोग चूसते हैं | और बेमौसम के लिए इसे बर्फ में लगा देते हैं या फिर इसके रस को जमकर आम पापड़ा भी बना लेते हैं | इसके कई प्रकार होते हैं जैसे- लंगड़ा, दसेरी, हापूस, तोतापुरी, फजली, चौसा, आम्रपाली, मलीहाबादी आदि-आदि | कच्चे आम का अचार बनता है |

तोताराम बोला- बस, प्रभु |इतना ही बहुत है |इतना तो मूल रूप से प्रश्न पूछने वाले को भी मालूम नहीं होगा | तेरा उत्तर बिलकुल सही है सौ में से सौ नंबर | 

हमने पूछा- इस एक छोटे से प्रश्न के उत्तर में ऐसा क्या है ?

बोला- यह तो पता नहीं लेकिन योगी जी ने कहा है कि राहुल गाँधी को आम और आलू में फर्क नहीं मालूम |हो सकता है, यदि राहुल गाँधी को यह फर्क मालूम होता तो वे बिना किसी हील-हुज्जत के उन्हें भारत का प्रधानमंत्री बना देते |लेकिन अब जो रिटिन में ही फेल हो जाए उसे इंटरव्यू में कैसे बुलाएं ? प्रधानमंत्री को तो बड़े-बड़े सौदे करने पड़ते हैं |ऐसा अज्ञानी आदमी पता नहीं कब कहाँ मुल्क को ठगा दे |

हमने कहा- लेकिन इसमें राहुल गाँधी की क्या गलती है ? सर्वज्ञता का ठेका लेकर बैठे बहुत से लोग जौ और गेंहूँ के पौधों में फर्क नहीं बता सकते, गाजर घास और गुलदाऊदी में कन्फ्यूज हो जाते हैं |कौआ सबसे चालाक होता है लेकिन कहते हैं कि कोयल अपने अंडे उसके घोंसले में रख देती है |कौआ उन अण्डों को सेता रहता है |जब बच्चे निकलते हैं तो असलियत का पता चलता है |

और फिर इसमें हिंदी के मास्टरों की भी गलती है |वे वर्णमाला सिखाते समय कभी 'आ' से आम पढ़ाते हैं तो कुछ 'आ' से आलू बताते हैं |कभी 'आ' से आडवाणी और कभी आज़ाद पढ़ाते हैं |और आजकल तो 'आ' से आदित्यनाथ पढ़ाने लगे हैं |ऐसे में बच्चा कन्फ्यूज होगा ही |इसी चक्कर में देश गोडसे और गाँधी तक के मामले में स्पष्ट नहीं हो पा रहा है |अब तू बता आज़ाद, आज़ाद, आज़ाद, आज़ाद, आज़ाद में क्या फर्क है ?

बोला- यह भी कोई प्रश्न है ? आज़ाद माने आज़ाद, स्वतंत्र |

हमने कहा- यह भारत है |इसमें इतने से ज्ञान से पार नहीं पड़ेगी |वैसे तो इस देश के १३५ करोड़ लोग आज़ाद ही हैं |यहाँ ये पाँच आजाद क्रमशः आज़ाद माने अबुल कलाम आज़ाद,  आज़ाद माने अब्दुल कलाम आज़ाद मिसाइल वाले, आज़ाद माने चन्द्रशेखर आज़ाद, आज़ाद माने भागवत झा आज़ाद वैसे उनका बेटा भी आज़ाद ही है  और गुलाम नबी आज़ाद |  हमने अपनी शिक्षा में इन्हें अलग-अलग अर्थों में बताया है |और जो आलू और आम में अंतर नहीं कर सकता वह प्राचीन भारत के ज्ञान की खोज और उपयोग कैसे कर सकेगा ? छोटी-छोटी चीज के लिए विदेश भागेगा जब कि अपने यहाँ प्रक्षेपास्त्र, विमान, बम, प्लास्टिक सर्जरी, दूरदर्शन, इंटरनेट सब कुछ थे और ढूँढो तो अब भी हैं |कोई ठेका देकर तो देखे | साइकल के पंचर निकालने वाला मंगल यान बनाने का ठेका ले सकता है |

बोला- अब मई में क्या देर है ? तू भगवा कुरता सिलवाकर तैयार रह | योगी जी से मिलवा देंगे |तेरा भारत भारती पुरस्कार पक्का |

हमने कहा-ज़र्रा नवाज़ी के लिए शुक्रिया |  जहाँ तक आम और आलू में फर्क की बात तो कोई ज्यादा फर्क नहीं है, अच्छे-अच्छे चकरा  जाते हैं | 'आ' तो दोनों में समान है |रही 'म' और 'ल' की दूरी की बात तो इन दोनों के बीच केवल दो ही व्यंजन पड़ते है- 'य' और 'र' |वैसे भी यदि आम फलों का  राजा है तो आलू सब्जियों का |

राजाओं को छोटी-मोटी बातों से फर्क नहीं पड़ता |






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