Jun 22, 2017

सर्वोच्च न्यायालय की ज़रूरत

  सर्वोच्च न्यायालय की ज़रूरत 

 सर्वोच्च न्यायालय के प्रधान न्यायाधीश जगदीश सिंह खेहर का दर्द भरा वक्तव्य पढ़ा तो बड़ा दुःख हुआ |सबसे बड़े न्यायाधीश, जिनका फैसला भगवान के फरमान की तरह होता है |नाम  जगत का ईश |पहले हम खेहर नहीं केहर अर्थात सिंह समझ रहे थे लेकिन ये खेहर निकले |लेकिन कोई बात नहीं, दो सिंह नहीं, एक ही सही |वैसे तो खालसा एक ही सवा लाख के बराबर होता है |

बोले- कोई वकील गलती करे तो भी सारी जमात उसके साथ खड़े होकर जजों को धमकाने लगती है |
खेहर साहब से तो मिलना संभव नहीं सो तोताराम से ही कहा- देख, तोताराम क्या ज़माना आगया है ? वकील जज को धमका रहे हैं |

बोला- ऐसा ही होता है |चल आज तेरा ही एक शे'र सुना देता हूँ-
जुटे झूठ से साथ पचासों 
सच के सँग ना पाँच भगत जी |

सच्चा आदमी किसी को क्या दे सकता है ? बल्कि वह तो अपनी सच्चाई और ईमानदारी के नशे में रहता है जब कि झूठा, अपराधी सबसे मिलकर चलता है |थानेदार को खुश करने के लिए चोर ही तो कुछ खर्च कर सकता है |नौकरी वाला ईमानदार अपनी तनख्वाह में से घर चलाए या नेता जी और थानेदार जी को खुश करे |और फिर आजकल अधिकतर वकील नेता भी हैं जो पता नहीं कब मिनिस्टर बन जाएँ और न्यायाधीश जी को ही नसीहत पिलाने लगें, उनके ट्रांसफर और पदोन्नति में टाँग अड़ाने लग जाएँ | और यदि सर्वेसर्वा हो जाएँ तो पता नहीं कब शाह बनो वाले केस की तरह सारी न्यायपालिका की ही मिटटी कूट दें |

हमने कहा- बेचारे दुःखी होकर बोले- ऐसे में बेहतर होगा कि सुप्रीम कोर्ट को ही बंद कर दें |

बोला- कोई बुराई नहीं है |अब न्यायालयों की कोई खास ज़रूरत रह भी नहीं गई है | कौन सी फिल्म कहाँ शूट होगी, होगी या नहीं, कौन क्या खाएगा, कौन किस पशु को कहाँ ले जा सकता है, कौन क्या पहनेगा, कौन किसके साथ शादी या प्रेम करेगा, कौन अपने धार्मिक स्थान पर लाउडस्पीकर लगाएगा, कौन कितने जोर से प्रार्थना करेगा, किसकी बरात घोड़ी और बैंड बाजे से निकलेगी, कौन कितना देशभक्त है जैसे छोटे-छोटे काम तक चलते-फिरते न्यायालय तय करने लगे तो फिर न्यायालयों को बंद कर देने से भी क्या फर्क पड़ेगा |हाँ, ये लाखों लोग जो न्याय के नाम पर जनता को धता बता रहे हैं वे ज़रूर बेकार हो जाएँगे लेकिन कुछ दिन बाद ये भी अपना कोई न कोई धंधा देख ही लेंगे |

हमने कहा- लेकिन तोताराम, फिर न्याय के नाम पर किसी मामले को बीस-तीस बरस लटकने और किसी को रात को तीन बजे कोर्ट खुलावाकर जमानत देने जैसे महान काम न्यायालय के बिना कौन करेगा ? 

Jun 14, 2017

हवा हवाया

 हवा हवाया 

आज तोताराम एक नए ही अवतार में प्रकट हुआ- हाथों में अखबार का बना जापानी पंखे जैसा कुछ,ओठों को गोलाई दिए हुए, शरीर वाइब्रेंट मोड में मोबाइल की तरह थरथराता हुआ और साथ में गाना-
ये लो मैं आया 
हवा हवाया
ये ले रे बाई 
ये ले रे भाया |

हमने मुस्कराते हुए कहा- आओ,  हवा हवाई श्रीदेवी बाई |

बोला- इतना भी व्याकरण का ज्ञान नहीं है, क्या हिंदी पढ़ाई होगी बच्चों को | अरे, मैं तोताराम हूँ पुल्लिंग, तो फिर 'हवा हवाई' कैसे हो सकता है ? मैं 'हवा हवाया' हूँ |


हमने कहा- श्रीदेवी तो अब भी 'इंग्लिश-विंग्लिश' फिल्म की तरह हवा बाँध सकती है लेकिन तेरी तो बची-खुची हवा भी २००२ में रिटायर होते ही निकल गई थी |अब फिर यह 'हवा-हवाया' कहाँ से आगया ?

बोला- अब अपने देश के पाँच शहर दुनिया के सबसे अधिक प्रदूषित शहरों में शामिल हो गए हैं सो 'मेक इन इण्डिया' के तहत अब मैं हवा का धंधा करने वाला हूँ | चीन में भी, सुना है, स्वीडन की एक कंपनी थैलियों में भरकर हवा बेच रही है | उनके अनुसार एक साँस हवा की कीमत करीब चार रुपए आती है | यदि कोई प्राणायामी हुआ तो भी एक घंटे में साठ साँसें तो लेगा ही | अढाई सौ रुपए एक घंटे के |यदि इनोगरल ऑफर में ५०% की छूट भी दी तो सवा सौ रुपए तो कहीं गए ही नहीं | सवा सौ करोड़ के देश में एक करोड़ ग्राहक भी मिल गए तो सवा सौ करोड़ रुपए रोज का टर्न ओवर होगया | इससे ज्यादा 'दुनिया मुट्ठी में' अम्बानियों से भी नहीं हुई |और करना कुछ नहीं- पोलीथिन की थैली फूँक मारकर फुला देंगे और पकड़ा देंगे ग्राहक के हाथ में |

हमने कहा-तोताराम, अर्थव्यवस्था के ऐसे हवाई आइडिया तो सत्ता के शीर्षस्थ पद पर पहुँचे नेता के ही सुने जाते हैं और वे भी कुछ दिनों तक ही | बाद में जल्दी ही उनकी भी हवा निकल जाती है |यदि कोकाकोला पीने से ही 'जो चाहो हो जाए' तो फिर अमरीका अपनी समस्याएँ कोकाकोला पीकर ही सुलझा लेता | 

कहने लगा-हवा में बड़ी ताकत होती  है |हवा की ताकत अपने पालों में भरकर जहाज  बिना डीजल-पेट्रोल के सैंकड़ों टन भार ले जाता है |हवा के बल पर धूल भी एवरेस्ट पर पहुँच जाती है | पैकेट में हवा भरकर आलू की पाँच ग्राम चिप्स दस रुपए में बेची जा सकती है, हवा के बल पर वार्ड मेंबर का चुनाव न जीतने वाला भी मंत्री बन जाता है |हवा बड़े-बड़े वृक्षों को उखाड़ देती है  |

हमने कहा- तूने वह कहानी नहीं सुनी जिसमें हवा और सूरज की एक राहगीर के कपड़े उतरवाने की प्रतियोगिता होती है जिसमें हवा लाख कोशिश करने पर भी सफल नहीं होती जब कि धीरे-धीरे अपनी गरमी बढ़ाने वाला सूरज सफल हो जाता है |

बोला- लेकिन पी.के. की बनाई हवा से भाजपा चुनाव जीत गई कि नहीं |

हमने कहा- पी.के. कौन ? वह ट्रांजिस्टर वाला आमिर खान क्या ? उसकी तो खुद की हवा असहिष्णुता के मामले में अनुपम खेर ने ही निकाल दी थी |

बोला- बस, इतना ही जानता है ? अरे, मैं पी.के. मतलब प्रशांत कुमार की बात कर रहा हूँ जिसने भाजपा की इलेक्शन स्ट्रेटेजी बनाई थी | उसके बाद उसीकी बनाई हवा से बिहार में महागठबंधन जीत गया था और अब वही कांग्रेस के साथ है |

हमने कहा- लेकिन बंगाल और तमिलनाडु तो छोड़, आसाम में भी कांग्रेस हार गई कि नहीं ?ऐसी हवाएँ केवल एक-दो बार चलती हैं | 

बोला- तो अपने को कौन ज़िन्दगी भरा यह धंधा करना और यहाँ रहना है | बस, साल-दो साल माल कमाकर माल्या और ललित मोदी की तरह चले जाएँगे लन्दन, जहाँ 'बिग-बैन' दी घंटी है और जिस पर 'पूरा लन्दन ठुमक दा'  है |




















Jun 6, 2017

मोदी जी से पाँच परसेंट ज्यादा

  मोदी जी से पाँच परसेंट ज्यादा 

शायद अपने पोते बंटी के १०वीं के रिजल्ट के कारण तोताराम नहीं आया |जब दोपहर तक कोई समाचार नहीं आया तो सोचा, खुद ही चले चलें तोताराम के यहाँ |बंटी का रिजल्ट वहीं सेलेब्रेट कर लेंगे | 

बंटी कोई दो बजे आया, मार्क्स शीट के प्रिंट आउट के साथ |तोताराम ने पूछा- कितने प्रतिशत रहे ?

बोला- मोदी जी से पाँच प्रतिशत ज्यादा |

तोताराम ने कहा- यह कोई उत्तर नहीं है |मोदी जी तो सेवक हैं |सेवक के मार्क्स नहीं, मन और माद्दा देखा जाता है |

हमने कहा- मोदी जी के ये सत्तर प्रतिशत अंक किसी परीक्षा के नंबर नहीं हैं |ये तो एक विश्वसनीय अखबार द्वारा दो लाख लोगों के उनके तीन साल के शासनकाल के मूल्यांकन के लिए करवाए गए के सर्वे के आधार पर दिए गए हैं |  राजनीति और बोर्ड की परीक्षा में अंतर होता है |उन्होंने तो मात्र ३१% मतों के बल पर ही स्पष्ट बहुमत वाली सरकार बना ली लेकिन तुम्हें इन अंकों के आधार पर किसी ढंग के स्कूल में एडमीशन मिलने से रहा |

बंटी बोला- दादाजी, आपकी बात ठीक है |लेकिन किसी कॉलेज से डिग्री लेने के बाद तो गारंटी है क्या रोजगार की ?  जिस तरह से मार्क्स आ रहे हैं उस हिसाब से अब मार्क्स की कोई खास इज्ज़त भी नहीं रह गई है |आपके ज़माने में सेकण्ड डिवीज़न यूनिवर्सिटी टोपर हो जाता था लेकिन आज ? ठीक है, कम से कम इतने मार्क्स में कोई घपले की शंका तो नहीं करेगा |

आपको याद होगा, परीक्षाओं से पहले मोदी जी ने कहा था कि टेंशन फ्री होकर परीक्षा दें फिरआप क्यों टेंशन ले रहे हैं ? उन्होंने यह भी तो कहा था- युवा नौकरी माँगने वाले नहीं,नौकरी देने वाले बनें | मेरी चिंता छोड़ें |मुझे नौकरी करनी ही नहीं |

तोताराम ने पूछा- तो फिर क्या करेगा ?

बोला- ट्रंप ने पेरिस समझौते से हाथ खींच लिए हैं तो अब भारत को ही तो पर्यावरण के संरक्षण का मोर्चा सँभालना पड़ेगा | यह इतना बड़ा काम है जो अकेले मोदी जी के वश का है भी नहीं | सो मैं अब अपना शेष जीवन विश्व पर्यावरण संरक्षण को समर्पित कर दूँगा और जब तक विश्व का पर्यावरण पूर्णतः ठीक नहीं हो जाता मैं विवाह भी नहीं करूँगा |

हमने कहा- तोताराम, जिस तरह अपने राजस्थान के एक न्यायाधीश महेश जी भाई साहब जी के अनुसार ब्रह्मचारी बने रहने के कारण मोर राष्ट्रीय पक्षी बन गया, हमें लगता है कि बंटी भी कुछ न कुछ बनेगा अवश्य | हमें तो इसमें भारत का भावी प्रधान मंत्री दिखाई दे रहा है |फिर हमने बंटी की ओर मुखातिब होते हुए कहा- वैसे बेटा, विश्व पर्यावरण सुधार की तुम्हारे दिमाग में कोई योजना तो होगी ?

बोला- क्यों नहीं, दादाजी | मैं स्थानीय से लेकर विश्व स्तर तक पर्यावरण के बारे में जागृति फ़ैलाने के लिए रंगोली, मेहंदी, चित्रकला, कविता,निबंध, वादविवाद प्रतियोगिताएँ आयोजित करवाऊँगा | पद-यात्रा, रैली, मैराथन करवाऊँगा | गाँव-गाँव में धार्मिक स्थानों में नदियों, पहाड़ों की आरतियाँ, भजन, कीर्तन, जागरण, पूजा-प्रसाद आदि  होंगे | पर्यावरण के लिए काम करने वालों के लिए 'पर्यावरण श्री' से लेकर 'पर्यावरण-रत्न' तक के सम्मानों का प्रावधान किया जाएगा |बस, सब की एंट्री फीस के रूप में 'विश्व पर्यावरण कोष' के लिए मात्र एक रुपए का सहयोग |

हमने कहा- तोताराम, जिस कल्कि अवतार की बात भविष्य पुराण में है वह शायद हमारी आँखों के सामने उपस्थित है |

तोताराम ने कहा- ये सब बच्चों को बहलाने की बातें हैं |विवाह न करने की भीष्म प्रतिज्ञा करके राहुल बाबा ने कांग्रेस का क्या उद्धार कर दिया जो ये महाशय विश्व पर्यावरण को सुधार देंगे |

Jun 1, 2017

बिका हुआ माल और चुना हुआ नेता...

  बिका हुआ माल और चुना हुआ नेता ....

आज कोई ठीक बारह बजे दरवाजे पर दस्तक हुई, देखा तो पसीने से तरबतर तोताराम | पूछा- तुझे कौनसा कांग्रेस-मुक्त भारत बनाना है जो इस बरसती आग में भी चैन से नहीं बैठता |क्या कोई विजन २०४२ लाया है ?

बोला- विजन २०४२ नहीं, विजन २०३२ 

हमने कहा- वह तो पुराना जुमला है |अब तक तो दस साल आगे की प्लानिंग चल रही होगी | बड़े विजन की यही समस्या होती है कि सामान्य आदमी उसके साथ नहीं चल सकता |वैसे छोड़ यह विजन | बता, इस समय कहाँ से आ रहा है ?

बोला- गरम पानी का एक कप ला, पहले चेकिंग करेंगे ?

हमने कहा- क्या देशभक्ति की चेकिंग करेगा ?

बोला- वह डिपार्टमेंट अलग है | ज्यादा प्रश्न नहीं |जैसा कहूँ, वैसा कर |

हम एक कप में गरम पानी लाए |तोताराम ने उसमें चीनी डालकर हमें पीने को कहा |जब हम पी रहे थे तो वह हमारे नाक के सामने एक लिफाफा लहरा रहा था |हमने पूछा- यह क्या नाटक है ?

बोला- यही चेकिंग है ? बता, कॉफ़ी का स्वाद और खुशबू आ रहे हैं ?

हमने कहा- भले आदमी जब कॉफ़ी डाली ही नहीं तो कैसा स्वाद और कैसी खुशबू |

बोला- लेकिन उसने तो इसे कॉफ़ी खुशबू वाला कह कर बेचा था |

हमने पूछा- लेकिन इसमें है क्या ?

कहने लगा-   कल अखबार में पढ़ा था कि डाक विभाग ने कॉफ़ी खुशबू वाले २ लाख टिकट जारी किए हैं |एक टिकट एक सौ रुपए है | टिकट सीकर के प्रधान डाकघर में भी उपलब्ध हैं |सो वही लाया हूँ |इस भाव में क्या महँगा है ? खर्चा पानी और चीनी का और मज़ा कॉफ़ी का |पचास कप तक भी खुशबू देता रहा तो भी फायदा ही है |

हमने कहा- खुशबू से क्या होता है ? क्या घी का काम घी की खुशबू से चल जाएगा ?खुशबू से हाड़ नहीं चलते |शरीर को तो वस्तु चाहिए | 

बोला- शादियों के समय चाहे जितना पनीर, मावा, दूध दही ले लो |क्या ये कोई विकास के आश्वासन हैं जो कोई भी छुटभैया फेंक देगा | सब जाने किस-किस में खुशबू मिला कर बेच-खिला देते हैं |और खुशबू भी रासायनिक, नकली |याद नहीं क्या, कुछ वर्षों पहले नींबू वाले वाशिंग पाउडर और आम वाले कोल ड्रिंक बेचे जाते थे बाद में जब किसी ने केस किया तो पता चला कि इनमें केवल खुशबू है और वह भी नकली |लेकिन आजकल सब खुशबू का खेल है फिर चाहे वह व्यापार हो या राजनीति |रसायनों पर राड़ मचाने वाले रामदेव भी वनीला खुशबू वाला ग्वारपाठे का रस बेचते हैं | सो बता इसमें थोड़ी बहुत भी कॉफ़ी की खुशबू आती है क्या ?

हमने कहा- तोताराम, सच कहें या झूठ ? 

बोला- सच ही कह, चाहे वह कितना ही कड़वा हो |

हमने कहा- बन्धु, हमें तो इसमें लीद की सी दुर्गन्ध आती है |

कहने लगा- तब ठीक है, सुना है अच्छी कॉफ़ी की खुशबू ऐसी ही होती है |तुझे पता है, सबसे महँगी कॉफ़ी कैसे बनती है ? इसके लिए कॉफ़ी के बीजों को कई दिनों तक हाथी की लीद में लपेटकर रखा जाता है | उस कॉफ़ी में ऐसी ही गंध आती है |जब तक गंध आएगी तब तक ठीक है |जब गंध आना बंद हो जाएगी तो तू अपनी पत्रिका के किसी अमरीकी पाठक या मित्र को पत्र लिख कर लिफाफे पर लगा देना |

हमने लिफाफे में से टिकट निकालकर देखा तो टिकट मात्र दस रुपए का था |
हमने कहा- तोताराम, अमरीका के लिफाफे पर ३५ रुपए का टिकट लगता है लेकिन यह तो दस रुपए का ही है |तुझे पता होना चाहिए, ये विशेष टिकट ऐसे ही नाटक होते हैं |इनकी कीमत केवल काल्पनिक होती है |जैसे कि कभी-कभी 'विचित्र किन्तु सत्य' समाचारों में आता है कि फलाँ देश में, फलाँ सन का एक पेंस का एक टिकट पचास हजार डालर में बिका |यह भी वैसा ही टिकट है |एक चोंचला |हम तो कहते हैं, भले ही पोस्ट कार्ड में बदबू आए लेकिन समय पर पहुँच तो जाए |उस पर तो कोई ध्यान दे नहीं रहा है |

वैसे तूने समाचार पूरा नहीं पढ़ा |उसमें यह भी लिखा था कि इससे पहले चंदन, गुलाब और जूही की खुशबू वाले टिकट भी जारी किए गए थे |यह सब वैसे ही है जैसे वन काटकर वन्य प्राणी दिवस या गोरैया दिवस मनाना |लाखों कारें साल में सड़कों पर उतारकर पर्यावरण रक्षा पर निबंध प्रतियोगिता आयोजित करना या रोटी और दवाएँ महँगी करके योग से तन मन की सभी समस्याओं का इलाज बताना | गंगा की सफाई के लिए उसकी आरती के तेल का बजट बढ़ाने या गंगा-रंगोली प्रतियोगिता आयोजित करवाने से कुछ नहीं होगा |

बोला- तो वापिस कर आता हूँ |

हमने कहा- तेरे जैसे पढ़े-लिखे बेवकूफ क्या बार-बार फँसते हैं ? वापिस कोई नहीं लेगा |बिका हुआ माल और जीता हुआ नेता वापिस नहीं बुलाया जा सकता |