Dec 26, 2017

लोकतंत्र का ब्ल्यू व्हेल गेम



 लोकतंत्र का ब्ल्यू व्हेल गेम 

आजकल एक खेल चला है- ब्ल्यू व्हेल चेलेंज गेम |बच्चे चेलेंज के चक्कर में अपनी जानें गँवा रहे हैं |सरकारें, अभिभावक, अध्यापक उन्हें इससे बचाने के लिए चिंता कर रहे हैं |हमने अपने कम्प्यूटर पर खूब सर्च कर लिया लेकिन यह गेम नहीं मिला |उत्सुकता थी कि आखिर यह गेम है क्या ? हमें ऐसे खेलों के कोई डर नहीं लगता क्योंकि हम किसी चेलेंज के चक्कर में नहीं पड़ते | हमने कभी तिलक महाराज की तरह चेलेंज नहीं दिया कि स्वतंत्रता मेरा अधिकार है और मैं इसे लेकर रहूँगा, या गाँधी जी तरह अंग्रेजों को भारत छोड़ने का चेलेंज नहीं दिया, न इंदिरा जी की तरह गरीबी हटाने का चेलेंज फेंका और न ही मोदी जी की तरह कांग्रेस-मुक्त भारत बनाने का संकल्प लिया |

आज जैसे ही तोताराम आया तो हमने पूछा- तोताराम, यह ब्ल्यू व्हेल गेम क्या है ?

बोला- मुझे भी कोई ख़ास पता नहीं लेकिन मोदी जी से पूछा जा सकता है |

हमने कहा- मोदी जी को क्या पता ? उन्हें तो विकास से ही फुर्सत नहीं है |

बोला- यह तो ठीक है कि उन्हें विकास से फुर्सत नहीं फिर भी वे बहुत स्मार्ट हैं और किसी भी युवा से अधिक टेक्नोसेवी हैं | फेसबुक, ट्विटर आदि जानें किस-किस पर सक्रिय हैं जब कि मनमोहन जी और प्रणव दा को मोबाइल पर मेसेज करना तक नहीं आता |वे ब्ल्यू व्हेल गेम के बारे में ज़रूर जानते हैं तभी तो गुजरात के चुनाव-प्रचार के दौरान पाटन में एक रैली में उन्होंने कहा है कि कांग्रेस ब्ल्यू व्हेल गेम में फँस गई और वह १८ दिसंबर को अंतिम एपिसोड खेलेगी | 

हमने कहा- इसका मतलब कांग्रेस १८ दिसंबर को आत्महत्या कर लेगी |

बोला- मोदी जी के स्टेटमेंट का तो यही मतलब लगता है |

हमने कहा- जब यह खेल खतरनाक है |बच्चों को इससे बचाने की कोशिशें की जाती हैं तो मोदी जी को चाहिए कि कांग्रेस को चेताते |

बोला- क्यों चेताते ? वे तो पहले ही भारत को कांग्रेस-मुक्त बनाने का संकल्प कर चुके हैं |तूने वह कहावत नहीं सुनी कि खसम मरे का धोखा नहीं, सपना सच्चा होना चाहिए |

हमने कहा- लेकिन कांग्रेस कोई व्यक्ति नहीं है |कांग्रेस एक पार्टी है जिसका इतिहास और योगदान मिटाया नहीं जा सकता |नहीं सही उसके पास भाजपा जितने राज्यों में सत्ता, लेकिन उसके पीछे भी करोड़ों लोग हैं |आज भी कांग्रेस का मतलब करोड़ों भारतवासी है |यदि देश के करोड़ों लोग किसी गलत दिशा में जा रहे हैं तो देश का प्रधान सेवक होने और सबसे पहले एक सच्चा, देशभक्त भारतीय होने के नाते उनका फ़र्ज़ बनता है कि वे देश और कांग्रेस को बताएँ कि वह क्या गलत कर रही है और उसे क्या करना चाहिए |और वे हैं कि मज़े ले रहे हैं कि कब १८ दिसंबर आए, कांग्रेस अंतिम एपिसोड देखे, आत्महत्या करे और उनका सपना पूरा हो |

बोला- मोदी जी को इतना ओछा न समझ |उनकी प्रतीकात्मक शैली को समझ |

हमने कहा- तो फिर क्या प्रतीक है ? कैसे कांग्रेस आत्महत्या की तरफ बढ़ रही है ?

बोला- हो सकता है कि राहुल को सोमनाथ मंदिर में गैरहिंदू की लिस्ट में डालकर, उन्हें शिवभक्त और जनेऊ के फंदे में फँसाकर वे कांग्रेस के नीचे से धर्मनिरपेक्षता की दरी खींचकर उसे अपनी धर्म की राजनीति के अखाड़े में लाना चाहते हों |ऐसा होने पर वे उसे बहुत अच्छे से परास्त कर सकते हैं क्योंकि धर्म की राजनीति में भाजपा का कोई ज़वाब नहीं |

हमने कहा- तोताराम, भारत में रहने वाला धर्म से अलग रह ही नहीं सकता |इतने धर्मों वाले देश को न तो आप नास्तिक बना सकते हैं और न ही एक धर्म वाला |उसके लिए तो सब धर्मों से ऊपर उठकर, सब के कल्याण की नीति ही काम करेगी |

यदि मोदी जी चुनाव जीतने के लिए देश के लोकतंत्र को किसी ब्ल्यू व्हेल के आत्मघाती  खेल में फँसते देखकर खुश हो रहे हैं तो यह बहुत खतरनाक बात होगी |सत्ता तो किसी को भी, कभी भी मिल सकती है और किसी के भी हाथ से भी जा सकती है लेकिन इस देश की यह बुनावट बड़े जतन से बनती |एक बार बिगड़ने पर पता नहीं, कब और कैसे सुधरेगी ? धर्म की राजनीति में चक्कर में दुनिया अभी क्या कम परेशान हो रही है ?

हमारा विश्वास है कि मोदी जी का ऐसा इरादा नहीं होगा |

तोताराम ने दोनों हाथ ऊपर उठाकर कहा- आमीन !  





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Dec 20, 2017

 मोदी जी का पौष बड़ा 

आज बड़ी पोती का जन्म दिन है |किसी महान व्यक्ति का जन्म दिन होता तो कोई न कोई 'दिवस' घोषित हो गया होता |वैसे आज के दिन को भी एक दिवस माना जा सकता है क्योंकि कई मायनों में यह विशिष्ट बन गया है |एक गुजरात में चुनाव प्रचार थम गया है, दूसरा मोदी जी संसद पर हमले की बरसी पर दिल्ली आने का समय निकाल पाए, तीसरा राहुल ने अडवाणी जी को मार्ग दिखाते हुए स्वागत किया, चौथा साल का पहला कोहरा पड़ा और पाँचवाँ आज पत्नी ने बिना आग्रह के पौष बड़ा मनाने की घोषणा की |

कोहरे के कारण बरामदे में नहीं  बैठे |रजाई में बैठे थे |तोताराम भी हमारे पैताने रजाई में पैर घुसाकर बैठ गया | हमने कहा- तोताराम, भले ही मोदी जी देश के विकास के नाम पर हम बुज़ुर्ग लोगों से रेल किराये की २०-२५%रियायत छीनना चाहते हैं, अच्छे दिन जुलमा सिद्ध हो चुका है, सातवें पे कमीशन को जेतली जी पचा ही गए हैं फिर भी भाग्य में थोड़ा बहुत दम बचा लगता है |

बोला- भ्राताश्री, इस आशावाद का कारण स्पष्ट करके मेरे रोमांच को शांत करने का कष्ट करें |

हमने कहा- देववाणी में नहीं सामान्य मनुष्यवाणी में बात कर और सुन, आज तेरी भाभी ने अपने आप ही पौष बड़ा महोत्सव की घोषणा कर दी और मुझे विश्वास है कि यह मोदी जी के जुमलों की तरह नहीं होगा |  

तभी पत्नी प्रकट हुई, बोली- बिलकुल नहीं |लेकिन हाँ, बड़े बनाए ज़रूर मोदी जी की पसंद के अनुसार हैं |

तोताराम उछला- क्या बात है भाभी | नहीं सही पे कमीशन; न सही गुजरात के गरीब के उस बेटे जैसा जलवा और ड्रेस स्टेटमेंट; कम से कम उसकी पसंद के पौष बड़े तो हैं |
हम दोनों ने पत्नी द्वारा बनाए गए, मोदी जी की पसंद के पौष बड़े मुँह में रखे |हम दोनों का रिएक्शन एक जैसा था |

तोताराम ने मुँह बनाते हुए कहा- भाभी, लगता है आज घर में एक साथ नमक, मिर्च और तेल सब निबट गए हैं |

पत्नी बोली- ऐसी बात नहीं है लेकिन चूँकि मोदी जी ने पहले नमक छोड़ा, फिर मिर्च और उसके बाद तेल भी छोड़ दिया |सो इनमें दाल के अलावा कुछ नहीं है |

हमने कहा- भागवान, हमें सरकार का एक सामान्य सेवानिवृत्त सेवक रहने दे; मोदी जी की तरह देश का प्रधान सेवक मत बना |हो सकता है मोदी जी को गृहत्याग के बाद कुछ भी खाकर देश-सेवा करने की आदत बन गई हो लेकिन हमारे लिए इन्हें खा सकना संभव नहीं है |वैसे मोदी जी के बारे में ये विचित्र तथ्य तुम्हें बताए किसने ?

बोली- हमने तो मोदी जी के शासन के तीन साल पूरे होने के उपलक्ष्य में २६ मई २०१७ के अखबार में पढ़ा था |कोई एंडी मरीनो द्वारा मोदी जी पर लिखित 'नरेन्द्र मोदी : अ पोलिटिकल बायोग्राफी' से उद्धृत किया गया था | 

हमने कहा- तुमने अपने फायदे के हिसाब के सब छाँट लिया |मोदी जी १५ लाख रु.का सूट , ५० हजार रु. की मेवाडो घड़ी, १६ हजार रु. का माब्लांक का पेन, और बुल्गरी का साढ़े तेरह हजार रु. का चश्मा पहनते हैं और तुम हमें जोटर बाल पेन खरीदने से भी मना करती हो | कहती हो- महान साहित्य पेन के बल पर नहीं, अकल से लिखा जाता है |

तोताराम बोला- तुम मोदी जी का क्या खाकर मुकाबला करोगे ? वे तो ८०-८० हजार रु. के पाँच मशरूम रोज खाते हैं |इसीलिए इतने गोरे हो गए हैं |

पत्नी ने मोदी जी का पक्ष लेते हुए कहा- ये सब अफवाहें हैं | एक गरीब के बेटे का मजाक उड़ाने का गुजरात के युवा नेता अल्पेश ठाकोर का दुस्साहस है |लेकिन मोदी जी काम में व्यस्त रहने वाले व्यक्ति हैं इसलिए कांग्रेस के आरोपों की तरह इसका भी बुरा नहीं मानेंगे |

वैसे दुनिया में मोदी जी का एक अलग ही रुतबा है |ओबामा जी ने कहा था- सोच रहा हूँ मोदी-कुरता पहन लूँ |और सिंजो आबे ने तो उनका कुरता ही नहीं पायजामा और जैकेट भी पहन लिए |रुतबे से बिना खाए-पिए भी आदमी के चेहरे पर रौनक आ जाती है |तुम्हारे भाई साहब जो घुटनों पर हाथ रखकर उठते हैं, यदि इनके लिए ज्ञानपीठ पुरस्कार की घोषणा हो जाए तो दो दिन में शशि थरूर तरह जुल्फें झटकते दौड़ने लग जाएँगे |


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Dec 15, 2017



महापुरुषों को क्लीन चिट

आज तोताराम ने आते ही कहा- देखा, न्याय के घर देर है, अंधेर नहीं |

हमने कहा- ऐसे न्याय को सिर पर रखकर नाचें क्या जो मुद्दई के मरने के बाद फैसला दे |खेती सूखने के बाद वर्षा का क्या अर्थ ?  का बरखा जन कृषी सुखानी |यशवंत सिन्हा जी ने भी अपने बेटे के जी.एस.टी. के बाद में अच्छे परिणाम मिलने वाले वक्तव्य पर कहा था- तब तक तो हम मर जाएँगे |बाद मरने के मेरे उनका सलाम आया तो क्या ?

बोला- न्याय तो न्याय है |और दंड भी दंड है |ये सब जब भी कार्यान्वित हों, अच्छा ही है |रावण ने जब जो किया उसका दंड उसे उस समय मिल गया |फिर भी हर साल उसका पुतला जलाया जाता है |यदि अब अदालत फैसला दे दे कि रावण ने कुछ गलत नहीं किया तो उसका पुतला जलाने पर प्रतिबन्ध लग सकता है |

हमने पूछा- तो क्या अदालत ने रावण के पक्ष में फैसला दे दिया  ?

बोला- रावण तो नहीं लेकिन राम, लक्ष्मण, बुद्ध, तुलसीदास और मोदी जी के पक्ष में ज़रूर फैसला दे दिया है |

हमने कहा- क्या बात कर रहा है ? ये सब तो हमारे देश के वे महान पुरुष हैं जिन पर हम गर्व करते हैं |जिन्हें हम देवता का दर्ज़ा देते हैं |इन पर क्या आरोप हैं जो इन्हें अदालत की क्लीन चिट की ज़रूरत आ पड़ी ?और जहाँ तक मोदी जी बात है तो उन्हें क्या कोई क्या खाकर क्लीन चिट देगा ? वे तो खुद ही सारी दुनिया को क्लीन या डर्टी चिट देने की स्थिति में हैं | वे जो कहें वही सत्य है |

बोला- जब से साहित्य में भक्ति काल समाप्त हुआ है तब से लोग किसी न किसी विमर्श में चक्कर में महापुरुषों में गलतियाँ निकालते रहते हैं |जिसका भी मन हुआ पूछने लगता है- राम ने सीता को क्यों त्याग दिया ? वनवास तो राम को हुआ था फिर लक्ष्मण उनके साथ क्यों गए ? यदि गए तो राम की तरह अपनी पत्नी को साथ क्यों नहीं ले गए ? सिद्धार्थ क्यों अपनी पत्नी यशोधरा को बिना बताए, गुपचुप रात में खिसक लिए ? तुलसीदास जी को भक्ति और कविता करनी थी तो पत्नी को क्यों त्यागा ? और अब तो इनके बहाने से मोदी जी को भी लपेट रहे हैं |कहते हैं जब देश-सेवा ही करनी थी तो शादी क्यों की ?क्या गाँधी की तरह पत्नी के साथ रहते हुए देश सेवा नहीं की जा सकती थी ?

हमने कहा- चलो; सीता, उर्मिला, यशोधरा के साथ तो रोटी-पानी की समस्या नहीं थी लेकिन तुलसीदास की पत्नी रत्नावली और मोदी जी की पत्नी जसोदा बेन ने तो वास्तव में ही कठिन परिस्थितियों में जीवनयापन किया होगा ?

बोला- जिसने चोंच दी है वह चुग्गा भी देता है |पोजिटिव सोच |जब सिर पर जिम्मेदारी आती है तो अबला का भी सशक्तीकरण हो जाता है |वैसे यदि ये महापुरुष इन छोटी-छोटी बातों के बारे में ही सोचते रहते तो देश-दुनिया के दुःख-दर्द कैसे दूर होते ? रावण अब तक तो अपहरण के चक्कर में दण्डकारण्य से दिल्ली तक पहुँच गया होता |बुद्ध के बिना सत्य-अहिंसा का सिद्धांत दुनिया को कौन देता ?

पिछले २५-३० वर्षों से गठबंधन की सरकारें बनती आ रही थीं |किसी को स्पष्ट बहुमत नहीं मिल रहा था |कांग्रेस देश को गड्ढे में डाले जा रही थी, देश का विकास अवरुद्ध हो गया था |यदि मोदी जी भी गृहस्थी के इस बंधन में चिपके रहते और देश सेवा के लिए पत्नी को त्यागकर घर से नहीं निकलते तो कौन देश को विकास के रास्ते पर ले जाता ? कौन बुलेट ट्रेन लाता ? कौन जी.एस.टी.के रूप में देश में दूसरी आजादी लाता |हर बार वही १५ अगस्त |नोटबंदी नहीं होती तो वे ही 'सोनम गुप्ता बेवफा है' वाले पुराने नोट लिए फिरते |

हमने कहा- तो क्या इन महान पुरुषों के त्याग और बलिदान से औरतें सुरक्षित हो गई हैं ? अमरीका से आसाम तक कहीं सत्य-अहिंसा के दर्शन हो रहे हैं ? क्या अर्थव्यवस्था सुधर गई ? और जहाँ तक तेरी जी.एस.टी. का सवाल है तो भले ही मोदी जी इसे 'गुड एंड सिंपल टेक्स' कहें लेकिन आई. आई. टी. और एम. बी.ए. करके कई फाइनेंस कंपनियों में काम कर चुके चेतन भगत को ही जब जी.एस.टी. समझ में नहीं आई तो इन महानताओं का क्या अचार डालें ?

तोताराम ने कहा- जब सर्वोच्च न्यायालय ने कह दिया है कि अदालतें पत्नी को साथ रखने के लिए पति को मज़बूर नहीं कर सकतीं तो फिर सारा चेप्टर ही क्लोज़ |अब यदि तुझमें हिम्मत है तो तू भी देश सेवा के लिए या फिर साहित्य सेवा के लिए भाभी से दूर रह सकता है |लेकिन याद रख, ये सब केवल कानून के मामले मात्र नहीं हैं |ऐसे कामों में लिए भी बड़ी हिम्मत की ज़रूरत होती है |

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Dec 5, 2017

सवेरे-सवेरे : शुभ-शुभ

 सवेरे सवेरे : शुभ शुभ 

विकास के मामले में हमारा सीकर भी पीछे नहीं है इसलिए यहाँ के मौसम विशेषज्ञों ने  पाँच सात दिन पहले बताया था कि दिल्ली वाला स्मोग कुछ-कुछ यहाँ भी आ गया है |फिर भी हम सकारात्मक सोच वाले हैं सो अच्छे दिनों के आगमन की तरह आशा लगाए हुए हैं कि स्वच्छ भारत की समस्त गन्दगी और ब्रांडेड राष्ट्रीय योगियों के खींच लेने के बाद भी सीकर की हवा में ज़रूर कुछ न कुछ आक्सीजन बची हुई अवश्य होगी |इसलिए सुबह-सुबह तोताराम के साथ घूमने के लिए निकल जाते हैं क्योंकि मोदी जी ने सातवें वेतन आयोग के अनुसार केंद्रीय विद्यालय के सेवानिवृत्त कर्मचारियों का बढ़ा हुआ मेडिकल भत्ता हज़म कर लिया है इसलिए अब घूमकर ही बुढ़ापे और बीमारियों से लड़ने का सहारा बचा है |

जो समय हमारे घूमने का होता है वही भारतीय गृहणियों का घर और बर्तनों की सफाई का होता है |लेकिनआज भी उनमें इतनी अक्ल और सभ्यता बची हुई है कि वे कूड़ा और बर्तन माँजने के बाद पानी इधर-उधर देखकर ही फेंकती हैं |सो आज तक कोई हादसा नहीं हुआ |लेकिन वाहन वालों में इतनी सभ्यता और धैर्य कहाँ ? वे तो 'विकास' की तरह पगलाए हुए हैं |न अपनी जान की फ़िक्र, न किसी और की जान की परवाह |और गली की स्थति यह है कि जहाँ पानी होना चाहिए वहाँ तो कई-कई दिन तक दिखता नहीं और जहाँ नहीं रुकना चाहिए वहाँ से निकलता नहीं |सो हुआ यूँ कि वीर-जाति के, नए-नए जीप चालक बने एक युवा ने ऐसे ही सड़क पर बने एक जल-संग्रहण केंद्र, जिसे लोक भाषा में गड्ढा कहते हैं, में से होते हुए अपनी जीप दौड़ा दी |

वही हुआ जो होना था |गड्ढे में का कीचड़, न चाहते हुए भी मोबाइल पर आने वाले अवांच्छित मेसेजों, टी.वी. के विज्ञापनों और नेताओं  के जनता के न चाहने पर भी रेडियो पर 'अपनी बात' की तरह हमारे पूरे पायजामे को अभिषिक्त कर गया |सड़क के किनारे चाय की दुकान पर बैठे दो सज्जन तो किसी दुर्घटना की आशंका से हमारे पास दौड़ भी आए |हमें सुरक्षित देखकर बोले- कोई बात नहीं मास्टर जी, पायजामे का क्या है धुल जाएगा |जान बची | सड़क से ज़रा दूर हटकर ही चला करें |सड़क जनता के लिए थोड़े है |और फिर विकसियाये हुए नेता, पगलाए कुत्ते और जीप वाले युवा का कोई ठिकाना नहीं |

तोताराम बोला- कोई बात नहीं |विकास और लोकतंत्र में यह सब होता ही रहता है |जैसे विकास से प्रदूषण फैलता है वैसे ही लोकतंत्र की गतिशीलता से कीचड़ भी उछलता ही है |मोदी जी ने तो पहले २५ अक्टूबर २०१५ को वैशाली,बिहार में और  अब भुज ,गुजरात में २७ नवम्बर २०१७ को कहा ही है कि जितना कीचड़ फेंका जाएगा उतना ही अधिक कमल खिलेगा |हालाँकि २०१५ में बिहार में कमल नहीं खिला लेकिन कमल जब भी खिलेगा, खिलेगा कीचड़ में ही |सो जैसे ही बिहार में भी किसी तरह से महत्त्वाकांक्षा के कीचड़ की व्यवस्था हुई तो कमल खिल ही गया |

कीचड़ में उगने के बावजूद कमल शुचिता का प्रतीक है |कमल पर लक्ष्मी विराजती है |इसलिए अपने पायजामे के इस प्रकार कीचड़ाभिषिक्त होने से दुःखी मत हो |यह तो सुबह-सुबह बहुत शुभ हुआ है | जितना भी और जैसा भी कीचड़ नौसिखिये राहुल गाँधी मोदी जी पर उछाल पा रहे हैं उसके भरोसे ही तो मोदी जी गुजरात में चुनाव जीतने की आशा लगाए हुए हैं |तू भी इस कीचड़ के भरोसे आशा कर सकता है कि शायद सातवाँ पे कमीशन मिल जाए |

हमने कहा- जब कीचड़ के भरोसे ही चुनाव जीता जा सकता है तो मोदी जी क्यों राहुल के गैर हिन्दू और उनकी दादी के फोटो पर गलत केप्शन लगवाकर छपवाने जैसी हरकतों का कीचड़ उछलकर राहुल की जीत का रास्ता खोल रहे हैं |

बोला- कीचड़ तो दूसरे उछालते हैं |मोदी जी को तो विकास से ही फुर्सत नहीं है |और लोग हैं कि गुजरात के एक गरीब के बेटे को नोटबंदी, जी.एस.टी. द्वारा किए गए  विकास का दंड देने पर तुले हुए हैं |


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