Aug 30, 2019

जय श्रीराम बोलने का सही समय

जय श्रीराम बोलने का सही समय  

वास्तव में मनुष्य के सभी दुखों का कारण भगवान ही है। जरा-सी भी समझ नहीं है या तो पानी गिराएगा नहीं और यदि गिराएगा तो इतना कि सांस नहीं लेने देगा। मतलब कि किसी करवट चैन नहीं। कैसा घटिया वाटर मनेजमेंट है। यदि ढंग से बरसे तो इतने पानी में सारे काम हो जाएं और निर्यात के लिए भी बच जाए।
जब रामनाथ कोविंद जी राष्ट्रपति और वेंकैया जी उप राष्ट्रपति बने थे तो पत्रकार उनकी इन उपलब्धियों के कारण खोजकर लाए। कोविंद जी का पुश्तैनी घर टपकता था और वेंकैया जी राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की शाखा में कबड्डी खेलने जाया करते थे। हम भी अपने जीवन में ये दोनों विशेषताएं पाते है लेकिन किसी ने वार्ड पञ्च के टिकट के लिए भी नहीं पूछा। यह बात और है कि कोविंद जी 300 कमरों वाले राष्ट्रपति भवन में पहुंच गए जबकि हमारे दो कमरों वाले घर की छत अभी भी टपकती है। उपराष्ट्रपति बनने के बाद वेंकैया जी कबड्डी वाली टांग खिंचाई से बच गए लेकिन हमारी टांग तो जब पास बुक पूरी करवाने जाते हैं तो बैंक का क्लर्क ही कर देता है।
रात बारिश में छत के रणनीतिक बिन्दुओं के नीचे बाल्टियां रखकर मोदी जी की सलाह के अनुसार जल-संग्रहण करते रहे। इस चक्कर में सोने में देर हुई और बिना सत्ता-मद के भी सुबह हमारी आंख नहीं खुली। आंख तब खुली जब घर के दरवाजे पर ‘जय श्री राम’ का तुमुल नाद हुआ। हम मोदी-राज पार्ट टू से सीधे त्रेता में पहुंच गए? नींद में ही लगा- मंदिर बने बिना ही राम अयोध्या लौट आए या हनुमान संजीवनी बूटी ले आए या सीता माता की सुधि लेकर और लंका जलाकर लौट आए हैं। संकट मोचक पवनपुत्र का यह जयघोष। हम स्वप्न में ही खोए थे कि पुनः और जोर से वही तुमुल नाद हुआ। हम उठे, कहीं राष्ट्र के विकास और एकता के लिए तथा कहीं धर्म की रक्षा के लिए नारा-युद्ध तो शुरू नहीं हो गया। नारे अपने कल्याण और दूसरों के उद्धार दोनों के लिए जरूरी होते हैं।
मन मारकर उठे और दरवाजे पर देखा माथे पर पटका बांधे, हाथ में दंड लिए ऊर्ध्वमुख तोताराम चिल्ला रहा था- है किसी में दम तो आ जाए। रोक ले हमें। हम किसी ने नहीं डरते। लाठी-डंडे खाएंगे, प्राणों की भेंट चढ़ाएंगे लेकिन राम को नहीं बिसराएंगे।
हम उसके इस मर्मान्तक प्रलाप और विलाप का कारण समझ नहीं सके।
हमने कहा- वत्स, कौन है जो तुम्हारी राम-भक्ति में बाधा डाल रहा है? अचानक इस जयघोष का क्या कारण है? राम तो अन्तर्यामी है। मूक और मौन जीवों तक की पुकार सुन लेते हैं।
सुबह का समय है। चाय पी, अखबार पढ़, चर्चा कर, अपने मन की बात कर, दूसरों के मन की बात सुन। फिर तसल्ली से नहा-धो और राम-रहमान जो भी तेरा मन करे, भज ले। किसने रोका है? लेकिन यह कौन-सा समय है नारे लगाने का? न कोई रामनवमी और न ही दशहरे का जुलूस निकल रहा है।
बोला- बहुत हो चुका। अब ध्यान से सुन ले। अब राम का जयघोष अब नहीं करेंगे तो कब करेंगे?
हमने पूछा- क्या ज्योतिष के अनुसार यह कोई शताब्दियों में बनने वाला अभिजित मुहूर्त है या मोदी जी के नामांकन-पत्र भरने की तरह सर्वार्थ सिद्धि या साध्य योग है?
बोला- मुझे इतना तो पता नहीं लेकिन केरल के एक निलंबित पुलिस महानिदेशक जैकब थॉमस ने कहा है- ‘यही सही समय है और हमें ज्यादा से ज्यादा जय श्री राम कहना चाहिए’।
हमने कहा- ये पुलिस के बड़े अधिकारी हैं ये सब कायदे-कानून जानते हैं। कब, किसे, क्या बोलना चाहिए। कब किसको क्या बोलने के लिए गिरफ्तार किया जाना चाहिए और कब किसी कुछ भी बोलने पर भी छोड़ दिया जाना चाहिए। बड़े अधिकारियों के अपने गणित होते हैं। तुझे पता होना चाहिए कि क्यों किसी अधिकारी को रिटायर होने के दूसरे दिन ही सरकार में राज्यपाल, मंत्री या किसी आयोग के अध्यक्ष का पद मिल जाता है? ये सब सही समय पर ‘जय श्री राम’ बोलने के ही परिणाम हैं।
ये महाशय तो निलंबित हैं। इनके निलंबन को निरस्त करवाने में सरकार सहायक हो सकती है। केंद्र सरकार ‘भारत माता की जय’ के नारे की बजाय ‘जय श्री राम’ के नारे से अधिक खुश होती है। केरल में जहां भाजपा की एक भी सीट नहीं है वहां ‘जय श्री राम’ का नारा लगे और वह भी एक ईसाई के द्वारा। इससे सही समय और क्या हो सकता है जैकब साहब और भाजपा दोनों के लिए?
लेकिन तेरे इस जय-जयकार का गणित हमारी समझ में नहीं आया।

बोला- तेरे जैसे आदमी के लिए कहीं कोई जगह नहीं है। इतनी-सी बात भी नहीं समझा। अरे भले आदमी, यदि जय-जयकार मोदी जी ने सुन ली तो क्या पता एरियर दे दें। नहीं तो अगले जन्म के लिए ‘राम-नाम-बैंक’ में जमा हो जाएगा।
जय 


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Aug 24, 2019

मोदी जी का राम जी कनेक्शन



 


मोदी जी का राम जी कनेक्शन  




आते ही तोताराम बोला- मास्टर, मोदी जी कुछ न कुछ तो हैं।
हमने कहा- हैं क्यों नहीं? पहले चाय बेचा करते थे, फिर राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के प्रचारक रहे और उसी दौरान आडवानी के रामरथ के सारथी, फिर गुजरात के मुख्यमंत्री और अंततः देश के ‘न भूतो न, भविष्यति’ प्रधानमंत्री।
बोला- यह परिचय तो कोई भी दे सकता है। क्या तुझे उनमें कुछ अलौकिक दिखाई नहीं देता?
हमने कहा- हां, गणेश जी की प्लास्टिक सर्जरी, समय से पहले डिजिटल कैमरा और ईमेल भारत में लाने का श्रेय भी उन्हीं को जाता है।
बोला- छोटी-छोटी बातें छोड़। कुछ बड़ा सोच जैसे उमा भारती और वेंकैया जी ने सोचा।
हमने कहा- मतलब उन्हें अवतारी मानें? जिन्हें सरकार में कोई पद चाहिए उन्हें मोदी जी में ब्रह्मा, विष्णु, महेश कुछ भी नज़र आ सकते हैं। हमें तो उनमें एक कंजूस नज़र आता है, जो हमारा पे कमीशन का 31महिने का एरियर नहीं दे रहा है।
बोला- मास्टर, मैं बहुत गंभीर बात कह रहा हूं। मैं उमा भारती जैसों की तरह नहीं सोच रहा हूं जो जब, जिसको, जो चाहें बना दें। मैं सप्रमाण बोल रहा हूं। मुझे लगता है मोदी जी का राम से कोई न कोई कनेक्शन ज़रूर है।
हमने पूछा- क्या प्रमाण हैं?

सांकेतिक फोटो
बोला- जैसे त्रेता युग में राम ने नोटबंदी की थी वैसे ही मोदी जी ने भी नोटबंदी की। पहले उन्होंने कहा था कि काला धन समाप्त करने के लिए ऐसा किया है लेकिन बाद जब उन्होंने रामचरितमानस पढ़ा तो बताया कि वास्तव में नोटबंदी भारत को कैशलेस बनाने के लिए की गई है। राम के युग में भी हम कैशलेस समाज देखते हैं। राम स्वयं उससे बहुत प्रभावित थे। जब केवट ने उन्हें सरयू पार कराई तो उसे देने के लिए भी उनके पास पैसे नहीं थे। सीता ने उतराई के बदले अपनी अंगूठी देनी चाही लेकिन केवट भला था। उसने उनकी मज़बूरी का नाजायज़ फायदा नहीं उठाया और कहा- जब हालात ठीक हो जाएं और नए नोट छपकर आजाएं तब लौटते समय दे दीजिएगा।
हमने कहा- मानस के ऐसे ऊटपटांग अर्थ निकलना बंद कर।
बोला- मैं तुझे एक चौपाई सुनाता हूं। उससे स्पष्टरूप से त्रेता में नोटबंदी और कैशलेस होना सिद्ध होता है। अरण्यकांड में जब सुग्रीव ने ऋष्यमूक पर्वत से वन में घूमते राम-लक्ष्मण को देखा तो हनुमान जी से खबर लाने के लिए कहा। हनुमान जी के प्रश्न के उत्तर में राम कहते हैं-
कैशलेस दशरथ के जाए।
हम पितु वचन मानि वन आए।।
अर्थात हम दशरथ के पुत्र हैं। हमारे पिताजी कैशलेस हो गए हैं। उन्होंने कहा है कि जब तक हालात ठीक न हो जाएं तब तक वन में जाओ। हम उन्हीं की आज्ञा मानकर वन में आए हैं।
आगे की शेष कथा तुझे मालूम है ही।
हमने कहा- बस? या कोई और खुराफात?
बोला- खुराफात क्या? मैं तो यह कह रहा था कि उस समय महारानी कौशल्या खुद ‘कौशल विकास मंत्रालय’ का काम देखा करती थीं। उनके बाद राम के दोनों पुत्रों लव और कुश ने यह विभाग संभाला, जिसका मुख्यालय कौशल में था। अब तो तुझे मोदी जी के ‘राम कनेक्शन’ में कोई शक नहीं होना चाहिए।

हमने कहा- ये तथ्य तो दशरथ, राम, कौशल्या और मोदी जी क्या स्वयं तुलसीदास जी को भी मालूम नहीं थे। हमें लगता है तेरे जैसे शोधकर्त्ताओं के होते भारत के विश्वगुरु पद को कोई खतरा नहीं है। यदि हम कभी भारत के प्रधानमंत्री बने तो तुझे अवश्य उच्च शिक्षा मंत्री बनाएंगे। 


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Aug 19, 2019

ग्राउंड ब्रेकिंग सेरेमनी उर्फ़ विकास के गड्ढे



ग्राउंड ब्रेकिंग सेरेमनी उर्फ़ विकास के गड्ढे 

हमारे सीकर में साल भर की बारिश दो दिन में ही हो गई। जो होना था वही हुआ।पहले से भरी हुई नालियां और भरकर उफनने लगीं।
तुलसीदास जी के शब्दों में-
छुद्र नदी भरि चली तोराई।
जस थोरेहु धन खल इतराई।।
कुछ नगरवासियों का सफाई प्रेम और कुछ स्थानीय निकाय का वास्तुशिल्प। पानी नालियों में उसी तरह जमा होता रहता है जैसे सत्ता में चारों तरफ बदमाशों का जमावड़ा। इलाके के नेता आपस में उलझकर जनता को कन्फ्यूज कर रहे हैं। एक कहता है- सड़कों पर गड्ढे किस देश में नहीं है? बदले में विश्वसनीय अखबार योरप के शहरों के उदाहरण देते हैं। दूसरा कहता है- क्या मैं बाल्टी लेकर तुम्हारी नालियों का पानी निकालूंगा? ऐसे ही समय निकल जाएगा और सब कुछ सामान्य हो जाएगा- नोटबंदी की तरह।
पिछले दो दिन से तोताराम सरकारी सलाह को मानकर घर से नहीं निकला। आज जैसे ही आया, बोला- लगता है इन दो दिनों में अमित शाह ने तुम्हारी गली का दौरा किया है।
हमने कहा- क्या तूने अमित शाह जी को इस स्तर का नेता समझ रखा है? जब गली में पानी भर गया था तो वार्ड मेंबर तक नहीं आया, और तू अमित भाई की बात कर रहा है। अरे, वे जब आएंगे तो बीबीसी और सीएनएन से सीधा प्रसारण होगा उनके रोड शो का और इलाके की यह हालत रहेगी? सड़क के दोनों और कनातें तान दी जाएंगी, फूलों के गमले रखवा दिए जाएंगे, इत्र छिड़का जाएगा।
बोला- मुझे क्या पता? मैं तो दो दिन से देख रहा हूं, वे उत्तर प्रदेश में ग्राउंड ब्रेकिंग कर रहे हैं। तुझे पता होना चाहिए, ग्राउंड ब्रेक करना आसान है लेकिन उसमें उसकी खुदाई से निकली मिट्टी वापिस भरना सरल नहीं होता। ऐसे में गड्ढों में पानी तो भरेगा ही।
हमने कहा- सिद्धांततः तो तुम्हारी बात ठीक है लेकिन तथ्यात्मक रूप से गलत।
बोला- यह भी कोई बात है? किसी से कुछ भी बुलवा दो और जब मामला उल्टा पड़े तो कह दो यह उनकी व्यक्तिगत राय थी। ‘ग्राउंड ब्रेकिंग’ में ग्राउंड नहीं तो क्या किसी का सिर फोड़ा जाता है?
हमने कहा- तू इस अनुवाद से भ्रमित हो गया है। याद रख जब कोई राष्ट्रवादी अंग्रेजी से हिंदी अनुवाद करता है तो ऐसा ही होता है? शिलान्यास कहते हुए उसमें हीनभावना आ जाती है। इसीलिए वह यज्ञोपवीत संस्कार को ‘थ्रेड सेरेमनी’ कहता है। वैसे ही यह ‘गड्ढा खोदना’ नहीं है, शिलान्यास है।
वैसे तुझे बता दें, हमारी गली में ये गड्ढे विकास के गड्ढे हैं- कुछ नगर परिषद की सीवर परियोजना और कुछ आइडिया टावर के केबल डालने के बाद जमीन में मिट्टी ढंग से वापिस नहीं भरी गई। वही अब बारिश से बैठ गई। धीरे-धीरे कूड़े कचरे से भराव हो जाएगा।

अब इस ग्राउंड ब्रेकिंग सेरेमनी विमर्श के बाद यदि ‘टी ड्रिंकिंग सेरेमनी’ करे तो बनवाएं चाय?


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Aug 15, 2019

स्वतंत्रता-दिवस की बधाई



स्वतंत्रता-दिवस की बधाई 


तोताराम ने पूरे जोश-ओ- खरोश से दरवाज़ा खटखटाते हुए हाँक लगाई, जय श्री राम |
स्वतंत्रता-दिवस की बधाई हो भाई साहब |

हमने दरवाज़ा खोलते हुए कहा- स्वतंत्रता-दिवस तो ठीक है लेकिन हमारा दरवाज़ा तोड़ने की स्वतंत्रता तुझे किसने दी ?

बोला- देखिए आदरणीय, उत्साह में होश थोड़ा-बहुत इधर-उधर हो ही जाता है |

हमने कहा- इस प्रकार तुम्हारा यह उत्साह देशी दारू के नशे की तरह हो गया कि स्वदेश के नाम पर किसी को भी उल्टा-सीधा कह दो |उत्साह को जोश से अधिक होश की ज़रूरत होती है |हम राम तो क्या उनके दास हनुमान जी तक के दासानुदास हैं लेकिन आज के दिन हमें तुम्हारा यह नारा भी कुछ अजीब लग रहा है |

बोला- तो क्या भारत में जय श्रीराम बोलना भी गुनाह है ? भारत में नहीं तो और कहाँ बोलेंगे जय श्रीराम ?

हमने कहा- तोताराम, बिना बात का बतंगड़ मत बना |हमारा कहने का मतलब यह है कि ये दो अलग-अलग बातें हैं |इन्हें आपस में मिलाने से कन्फ्यूजन हो जाता है |और कृपा करके कन्फ्यूजन को फ्यूजन इनर्जी से जोड़कर हमारी बात का सत्यानाश मत कर देना | आजकल तेरे जैसे उत्साही लोग किसी भी बात को तार्किक ढंग से समझने की बजाय शब्दों और अनुप्रास में उलझाकर  हर बात का सत्यानाश करने में ही लगे हुए हैं |

बोला- लेकिन इसमें खराबी क्या है ?

हमने कहा- खराबी यह है कि स्वतंत्रता-दिवस इस देश के सभी लोगों धर्मों, जातियों, और भाषाभाषियों का है जबकि राम को सभी महान मानते हैं लेकिन सबके लिए राम उस तरह से आस्था का विषय नहीं है जैसे देश का झंडा और स्वतंत्रता-दिवस |तुझे पता है, कुछ लोग कहते हैं कि भारत पर आक्रमण के समय मुसलमान अपनी सेना के आगे गाय को कर देते थे |गाय हिन्दुओं के लिए अवध्य है |इसलिए वे हथियार नहीं चला सकते थे और मुसलमान जीत जाते थे जैसे कि शिखंडी को आगे करके पांडवों ने भीष्म को मार डाला |इसलिए घालमेल में षड्यंत्र होने की बहुत संभावना रहती है |

बोला- तो फिर भाजपा ने बसपा और सपा में रह चुके सेंगर को क्यों स्वीकार कर लिया ?

हमने कहा- इसे स्वीकार करना नहीं कहते |यह तो वैसे ही है जैसे अरब देशों में भारतीय मुसलमानों को दोयम दर्जे का माना जाता है |उन्हें नौकर तो रखा जा सकता है लेकिन शादी-ब्याह के संबंध नहीं किए जाते | सेंगर को भाजपा में लिया है सत्ता पक्की करने के लिए लेकिन संघ में तो नहीं लिया ना ? संघ पवित्र है उसकी पवित्रता बनाए रखने के लिए सबका प्रवेश वहाँ नहीं है | बुद्ध ने महिलाओं को संघ में ले लिया तो क्या हुआ ? सबको पता है |संघ यौनापराधों के अड्डे बन गए जैसे चर्च; जहाँ कुँवारी साध्वियां और वैसे की फादर-ब्रदर रहते हैं |उनकी नाजायज़ संताने उनके भतीजे-भतीजियाँ कहलाते हैं और वहीँ कान्वेंट में पढ़ते-पलते हैं |यह बात और है कि यहाँ किसी भी गाँव में कोई भी कान्वेंट खोल कर बैठ जाता है |तभी चर्चों और संघों की तरह ऐसे निजी स्कूलों में शिक्षा भ्रष्ट हो रही  है |
इसलिए जोर से बोल- जय भारत |

तोताराम ने हमसे भी ज्यादा जोर से नारा लगाया- जय भारत |


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Aug 9, 2019

डंके की चोट या डंडे की चोट



डंके की चोट या डंडे की चोट  



 





कुछ दिनों पहले दिल्ली के चिड़ियाघर के पिंजरे नंबर 19 के एक तोते हिरामन के बारे में छपा था कि जब लोग उससे हाल पूछते हैं तो वह कहता है- अच्छा हूं।
हमने भी जब तोताराम से कहा- अब शिकायत मत करना कि ‘अच्छे दिन’ का क्या हुआ? एक बार अखबार और मीडिया और भाजपा के मंत्रियों का विश्वास न भी करें लेकिन अब तो पशु-पक्षी तक मोदी जी का समर्थन कर रहे हैं।

बोला- यह हिरामन ही क्या, सब चतुर लोग दाख-छुहारे के लालच में गुण गा रहे हैं। सीबीआई तो बहुत पहले से ही ‘तोते’ के रूप में प्रसिद्ध है।
हमने कहा- चल, मत मान पशु-पक्षियों की; जे.पी.नड्डा जी की बात तो माननी ही पड़ेगी। महाराष्ट्र बीजेपी की विशेष कार्यसमिति बैठक को संबोधित करते हुए नड्डा ने कहा, ‘हमने कहा था अच्छे दिन आने वाले हैं, देश बदल रहा है। आज मैं डंके की चोट पर कहता हूं कि अच्छे दिन आ गए हैं और देश बदल गया है। इसको हमें समझाने की जरूरत नहीं।’
बोला- नड्डा जी भी कहते हैं, और लगता है तू भी आश्वस्त है तो चल, एक ट्राई और मार लेते हैं।
हमने कहा- अब और क्या ट्राई मारना बाकी रहा गया?
बोला- भाई साहब, अपना हाल तो सूरदास जी वाला है। कोई खीर के बारे में लाख उदाहरण देकर बताए लेकिन हमें तो तभी समझ में आएगा जब खीर खा लेंगे।


हमने पूछा- खीर से तेरा क्या मतलब है। राजधानियों में खीर नहीं, खिचड़ी पकती है। अब यह पता नहीं कि उस खिचड़ी का मतलब खाने वाली खिचड़ी होता है या षड्यंत्र वाली खिचड़ी या फिर कभी न पकने वाली बीरबल की खिचड़ी या फिर राजधानियों में बजट बनाने के दिनों में अधिकारी वित्त मंत्री के साथ जनता के टेक्स के पैसे से देशी घी का हलवा खाते हैं। वैसे दिल्ली चलकर क्या ट्राई मारेगा?
बोला- यही कि इन अच्छे दिनों में अपने पे कमीशन के ३१ महिने के एरियर का भी कोई प्रावधान है या नहीं ? कहीं यह भी कोई जुमला तो नहीं।
हमने कहा- हमारे हिसाब से तो चुप रहना ही ठीक है क्योंकि जो डंके की चोट पर कह सकते हैं, वे डंडे की चोट पर भी मनवा सकते हैं।





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Aug 7, 2019

हम किसके वंशज हैं



  हम किसके वंशज हैं


आजकल तोताराम के प्रश्नों का स्तर ऊंचा हो गया है |उसके प्रश्न कुछ-कुछ शोधार्थी जैसे होते हैं |यही चलता रहा तो वह किसी दिन अपना आस्था चैनल खोल लेगा या किसी राष्ट्रवादी पाठ्यपुस्तक कमेटी का अध्यक्ष बन जाएगा |

आज पूछने लगा- हम किसके वंशज है ?

हमने कहा-  भाजपा के एक मंत्री सत्यपाल जी के अनुसार वे खुद तो ऋषियों के वंशज हैं |जो भारत के पौराणिक विज्ञान की अपेक्षा डार्विन पर विश्वास करते हैं वे बंदरों के वंशज हैं |अब यह तेरे ऊपर हैं कि तू किस कुल में शामिल होना चाहता है ? 

बोला- भारत में सभी अपना संबंध किसी ऋषि या राजा से जोड़ते हैं इसलिए सभी क्षत्रियों और ब्राह्मणों के वंशज हैं तो ये अनुसूचित जाति/ जनजाति, दलित, पिछड़े और आदिवासी कहाँ से आगए ? मंत्री जी की अपनी बात तो समझ में आती है कि वे ऋषियों के वंशज है क्योंकि कहते हैं कि दशरथ का वंश शृंगी ऋषि के वरदान से चला था और शांतनु के बेटों का वंश पाराशर नाम के एक ब्राह्मण के पुत्र वेदव्यास से नियोग द्वारा चला था | इस वेदव्यास की माता एक निषाद कन्या थी |अब इस केमेस्ट्री से कौनसा नया रसायन बना होगा यह मंत्री जी जानें |

हमने कहा- सभी समाजों में किसी न किसी रूप में अपने पुरखों को याद करने का विधान है और उसके लिए कई तरह के कर्मकांडों का विधान भी है |हमारे सनातन धर्म में श्राद्ध का सिस्टम है |वर्ष में दो बार श्राद्ध किया जाता है- एक उस दिन जिस दिन  निधन हुआ है और दूसरा निधन की वही तिथि जब श्राद्ध पक्ष में आती है |संयोग से यदि किसी की मृत्यु श्राद्ध पक्ष में होती है तो अगली पीढ़ियों को एक दिन का फायदा हो जाता है और मृतात्मा और श्राद्ध जीमने वालों को एक दिन का नुकसान |

बोला- हर आदमी के जानें कितने पूर्वज हो चुके हैं ? ऐसे में उसका तो हर दिन किसी न किसी श्राद्ध में ही निकल जाएगा |किसी को भी अपने दादा- परदादा से अधिक किसी पूर्वज का नाम मालूम नहीं होता |

हमने कहा- तभी हमारे पूर्वजों ने इस विस्तार को सीमित कर दिया है |केवल तीन पीढ़ियों तक की ज़िम्मेदारी होती है |उसके बाद फ्री |वैसे भूल-चूक लेनी-देनी की शैली में श्राद्ध-पक्ष की अमावस्या को 'सर्व पितृ श्राद्ध' का विधान है- आधा लीटर दूध की खीर और चार पूड़ियों में सब पुरुखों को निबटा दो |

बोला- जब तीन-चार पीढ़ियों से पहले की कोई ज़िम्मेदारी हमारे शास्त्र ही नहीं मानते | तो अब कौन-सा किसी राज्य का बंटवारा हो रहा है जिसके लिए वंशज/पूर्वज  परंपरा जानने की ज़रूरत पड़ गई ? 

हमने कहा-  इसी भारत में जाबाला का पुत्र हुआ है जिसने ऋषि गौतम से कहा- मेरी माता को मेरे पिता का नाम नहीं मालूम क्योंकि उसके आश्रम में आने वाले कई ऋषियों से संबंध रहे हैं |इसी सत्यवादिता से प्रसन्न होकर ऋषि गौतम ने उसे ब्राह्मण माना और अपना शिष्य बनाया | उस देश में ऐसे प्रश्न ? 

तुझे पता है, अगली जनगणना में धर्म और जाति ही नहीं और भी बहुत सी बातें पूछी जाएंगी जैसे ब्राह्मण है तो कौन-सा गौड़ या खंडेलवाल, शनिदेव वाला या बढ़ईगीरी करने वाला, यज्ञ करवाने वाला या प्रेत-पत्तल जीमने वाला |दलित में भी पूछ सकते हैं - गटर साफ़ करने वाला या हर मंत्रिमंडल में घुस जाने वाला |मुसलमान में भी शिया सुन्नी ही नहीं अहमदिया, देवबंदी और भी जाने क्या-क्या |

बोला- इतने विस्तार से तो होमियोपेथी वाला डाक्टर भी नहीं पूछता |लोगों की गिनती न हुई, ब्रह्म सूक्त हो गया |

हमने कहा- कुछ भी कर लें लेकिन आदमी की फितरत का किसी को भी पता नहीं लग सकता कि वह कब गाँधी-भक्त और कब गोडसे-भक्त बन जाएगा |फिर भी देश की सुरक्षा के लिए चेकिंग तो ज़रूरी हैं ना क्योंकि यहाँ कुछ जन्म से ही देशद्रोही और कुछ जन्म से देशभक्त; कुछ जन्म से अपवित्र और कुछ जन्म से ही पवित्र होते हैं |

बोला- क्या आदमी का वंशज होने से काम नहीं चलेगा ? 

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Aug 5, 2019

मियाँ, मुर्गी है कोई विधायक नहीं



मियाँ, मुर्गी है कोई विधायक नहीं 

ऐसा संयोग हुआ कि पिछले दो दिन से सुबह-सुबह बरसात हुई और बौछारों के कारण बरामदे में नहीं बैठ सके | चाय पर चर्चा कमरे में ही हुई जैसे कि आजकल कर्नाटक में 'चाय पर चर्चा' या तो कहीं किसी बाहुबली के फ़ार्म हाउस में हो रही है या फिर 'विधान सौधा' के स्वागत कक्ष में |आज धूप खिली है जैसे संसद में कई बिल पास हो जाने पर अपने कोटा वाले लोकसभाध्यक्ष ओमजी भाई साहब का मुखारविंद |

जैसे ही चाय पीने को हुए कि पिछली गली के हमारे एक रिटायर्ड मुस्लिम मित्र ज़मील मियाँ प्रकट हुए और हमसे पूछा- किबला, कहीं हमारी मुर्गी आपके इधर तो नहीं आई |

हमने हलके-फुलके मूड में ज़वाब दिया- मियाँ, जब पूरा दाना नहीं दोगे तो बेचारी  भागेगी नहीं तो क्या करेगी ?

बोले-मास्टर साहब, अभी हम मज़ाक के मूड में नहीं हैं |वैसे आपको बता दें कि हम मुर्गी को माता नहीं मानते लेकिन ऐसा नहीं है कि हम उसे ऐसे ही अल्लाह के भरोसे हकाल दें |कोई भावनात्मक मुद्दा नहीं है | जब तक अंडा देती है, दाना खिलाते हैं | जब अंडा देने लायक नहीं रहेगी तब काट लेंगे | 

अब तो हमें भी मज़ा आने लगा |

हालाँकि बात हमसे हो रही थी लेकिन तोताराम ने लपक लिया, बोला- मियाँ, इधर आपकी या किसी और की कोई मुर्गी नहीं आई | आजकल ज़माना खराब है |मुर्गे-मुर्गियों के बारे में लापरवाही बरतना ठीक नहीं |कर्नाटक से दिल्ली तक तरह-तरह के वेश में मुर्गी-चोर घूम रहे हैं |प्लेन में बैठाकर पता नहीं कहाँ, किस फ़ार्म हाउस या रिसोर्ट में ले जाते और पता नहीं क्या करते हैं ? हो सकता है तुम्हारी मुर्गी भी किसी ऐसे ही मुर्गी-चोर जनसेवक के हत्थे चढ़ गई हो |आपके यहाँ रहती तो ज़िन्दगी भर मुर्गी की मुर्गी ही रहती | क्या पता, उधर मंत्री पद का चांस लग जाए |

मियाँ थोड़े नाराज़ हुए बोले- ज़नाब, ठीक है मुर्गी है लेकिन ईमान की इतनी कच्ची नहीं है |वह हमें अंडा देती है और हम उसे दाना |हमें कोई ग्रांट तो मिलती नहीं कि गौशाला की तरह घपला करें |मुर्गी को पता है कि जब तक अंडा देगी तब तक जिएगी और दाना खाएगी | उसके बाद कटना ही है चाहे मुसलमान के यहाँ कटे, चाहे हिन्दू के यहाँ |अखबारों में पढ़ते नहीं, लुच्चे लोग शादी का झाँसा देकर कैसे मूर्ख युवतियों का यौन शोषण करते रहते हैं |

हमें अपनी मुर्गी के चाल, चरित्र और चेहरे पर पूरा विश्वास है |

हमें लगा, मियाँ मुर्गी के ग़म में तैश खा गए |हमने उन्हें शांत करते हुए कहा- मियाँ, हमें आपकी मुर्गी के न मिलने का निहायत अफ़सोस है लेकिन क्या किया जाए ?मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ में १५-१५ साल से जमी भाजपा और केंद्र में १० साल से जमी कांग्रेस  सत्ता से बाहर हो गईं | कांग्रेस का तो लोकसभा में  विपक्ष के नेता तक का दर्ज़ा छिन |तो क्या कोई मर गया ? इसलिए धैर्य रखिए, गुस्सा थूकिए और चाय पीजिए | 

चाय का कप थामते हुए मास्टर ज़मील बोले- पंडित, हमें मुर्गी से ज्यादा ग़म इस बात का है कि तोताराम ने हमारी मुर्गी की नीयत पर शक किया |

मियाँ, मुर्गी है कोई विधायक नहीं |















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Aug 3, 2019

काम किसी का , नाम किसी का




काम किसी का, नाम किसी का


हमने कहा– तोताराम,आजकल दुनिया बड़ी चालाक हो गई है। काम किसी का और श्रेय कोई और ले जाता है । अब दिल्ली में ही देखो केजरीवाल ने कुछ नहीं किया । वैसे ही फ्लाई ओवरों का उदघाटन करते फिर रहे हैं । जनता का पैसा अपने व्यक्तिगत प्रचार में फूंक रहे हैं । झूठ के बल पर अपनी दूकान चल रहे हैं ।
तोताराम ने पूछा- कैसे पता चला? दिल्ली कब गया था ?
हमने कहा- हम दिल्ली तो नहीं गए लेकिन 1971 में जन्मे ज्ञानी,स्पष्ट वक्ता, फिल्मों और समाजवादी पार्टी के प्लेटफोर्म पर सेवा कर चुके और अब दिल्ली भाजपा के अध्यक्ष श्री मनोज तिवारी ने कहा है। बोला- मनोज तिवारी की बात छोड़ तू बता देश में कौन-कौन सी कल्याणकारी योजनाएं चल रही हैं और उन्हें किसने शुरू किया? हमने कहा- हम रोज अखबार पढ़ते हैं, टी.वी. देखते हैं, रैलियों और जुलूसों में भाग लेते हैं। मन की बात का एक भी एपिसोड मिस नहीं किया। हमसे क्या छुपा है ।तत्काल पूरी सूची सुना दी जैसे मोदी जी अपने जन्म से पहले का भी कांग्रेस का देश का सत्यानाश करने वाला इतिहास एक सांस में सुना देते हैं । वैसे ही सुन उन योजनाओं के नाम जिन्हें मोदी जी ने शुरू किया और फिर हमने यह लिस्सट के सांस में सुना दी।
1. जन धन योजना
2. बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ
3.स्वच्छ भारत मिशन
4. सरदार पटेल नॅशनल मिशन फॉर रूरल हाउसिंग
5. प्रधानमंत्री ग्रामीण आवास योजना
6. अटल मिशन फॉर रेजेनुवेशन एंड अर्बन ट्रांस्फोर्मेशन ( अमृत )
7. दीनदयाल उपाध्याय ग्राम ज्योति योजना
8. प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना
9. ग्रोथ क्लेम्स
10. साइल हेल्थ कार्ड
11. परम्परागत कृषि विकास योजना
12. प्रधानमंत्री मातृत्त्व वंदन योजना
13. अटल पेंशन योजना
14. प्रधानमंत्री जन औषधि योजना
15. प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना
16. मेक इन इण्डिया
17. डिजिटल इण्डिया
18. स्किल इण्डिया
19. मिशन इन्द्रधनुष
20. दीन दयाल उपाध्याय ग्रामीण योजना
21. पहल
22. भारत नेट
23. सागरमाला
तोताराम बोला- अब सुन उन सब योजनाओं के नाम जो मोदी जी के प्रधानमंत्री बनने के पहले से ही चली आ रही हैं। और फिर जेब से लिस्ट निकालकर पढ़ दी।
1.भारत सेविंग बैंक डिपोजिट2005
2. नॅशनल गर्ल चाइल्ड प्रोग्राम 2005
3. निर्मल भारत अभियान 2013
4. राजीव आवास योजना 2013
5. इंदिरा आवास योजना 1985
6. जवाहरलाल नेहरू नॅशनल अर्बन रिन्यूअल मिशन 2005
7. राजीव गाँधी ग्रामीण विद्युतीकरण योजना 2005
8. इर्रिगेशन बेनिफिट प्रोग्राम 2007
9.नीम कोटेड यूरिया2004
10. नॅशनल प्रोजेक्ट ओन मनेजमेंट ऑफ़ साइल हेल्थ एंड फर्टिलिटी 2008
11. राष्ट्रीय कृषि विकास योजना एंड अदर प्रग्रम्स 2007
12. इंदिरा गांघी मातृत्त्व सहयोग योजना 2010
13.जन औषधि स्कीम 2008
14. कम्प्रेहेंसिव क्रोप इंश्योरेंस स्कीम 1985
15. नॅशनल मेन्यूफेक्चरिंग पालिसी 2011
16. नॅशनल ई गवर्नेंस 2006
17. नॅशनल स्किल डेवलपमेंट प्रोग्राम 2010
18. यूनिवर्सल इम्यूनाइजेशन प्रोग्राम 1985
19. नॅशनल रूरल लाइवलीहुड मिशन 2005
20. डाइरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर फॉर एल.पी.जी. 2013
21. नॅशनल ओप्टिकल फाइबर नेटवर्क 2011
हम तो हतप्रभ। तोताराम ने हमारे ज्ञान की हवा निकाल दी।
हमने कहा- तोताराम, इनमें कहीं हिंदी की अंग्रेजी और कहीं अंग्रेजी की हिंदी बना दी गई है। सब जगह नेहरू, इंदिरा, राजीव की जगह दीनदयाल के नाम फिट कर दिए हैं। कुछ भी नया नहीं है।
बोला- यही तो महत्त्व है विज्ञापन का। जब तेरे जैसे भी अपने ज्ञान के लिए विज्ञापन पर निर्भर हैं तो सामान्य आदमी की तो बात ही क्या? मोदी जी बावले नहीं है जो जनता का खून पसीने के 5 हजार करोड़ से भी अधिक रुपया मात्र 5 साल में फूंक डाले। मनमोहन जी तो राम-राम करके दस साल में पांच हजार करोड़ भी खर्च नहीं कर पाए। तभी तो किसी को पता नहीं चला कि वे कुछ कर भी रहे हैं या मौन ही बैठे हैं ।
हमने कहा- तभी सच ही कहा है- राम से बड़ा राम का नाम। राम जीवन भर धक्के ही खाते रहे लेकिन राम का नाम लेकर, उनके नाम का रथ निकालकर चतुर लोग गद्दी पर जा बैठे। काम किसका है इससे महत्त्वपूर्ण यह है कि पेंटिंग पर नीचे अपना नाम कौन लिख गया। सब संयोग की बात है- बम बना कांग्रेस के काल में और माचिस दिखाकर श्रेय अटल जी भाई साहब ले गए। मंगल यान की योजना सफलता पूर्वक पूरी हो चुकी थी मनमोहन जी के समय में और हरी झंडी दिखाने पहुंच गए मोदी जी।
बोला- यह सब विज्ञापन कला, सतर्कता और हर कहीं फोटो खिंचवाने की बेशर्म और साहसी कला का कमाल है।
हमने कहा- तो तोताराम, क्या तुम्हारे अनुसार 2014 के बाद से कुछ भी नया नहीं हुआ?
बोला- हुआ क्यों नहीं। हुआ है। अभूतपूर्व काम हुआ है। और बिना किसी की तनिक सी भी मदद लिए हुआ है और एक दिन में ही हुआ है।
हम आश्चर्यचकित। कोई राष्ट्रीय महत्त्व का बड़ा काम और हमारी नज़र से छूट गया ! सकुचाते हुए पूछा- बता तो कौन-सा ऐसा काम है?
बोला- नोटबंदी।
जिस उपलब्धि पर सारा देश स्तब्ध है उसके बारे में हम क्या उत्तर दे सकते थे।   

 











 

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Aug 1, 2019

सिंह इज सिंह



 सिंह इज सिंह  


तोताराम ने बिना किसी भूमिका के, बड़ा गोलमोल-सा प्रश्न किया- कुछ ज्यादा नहीं हो गया ?

हमने पूछा- ज्यादा क्या ? कैसे बताएँ ? पता तो चले कि तुम कर्नाटक के सिद्धांतवादी लोकतंत्र की बात कर रहे हो या मोदी जी के पाँच ट्रिलियन डॉलर के जी.डी.पी. की बात कर रहे हो ? 

बोला- मैं तो भाजपा के अतिवादी दृष्टिकोण की बात कर रहा हूँ |क्या सत्रह वर्ष से लगातार चुने जाते रहे लोकप्रिय जनसेवक, लंधौरा और कुंज बहादुरपुर रियासत के राजा रामदयाल सिंह के पौत्र और स्वतंत्रता सेनानी राजा विजय सिंह गुज्जर के ५३ वर्षीय बोडी बिल्डर, बहादुर, सुपुत्र; नारायण दत्त तिवारी, बहुगुणा और हरीश रावत के मंत्रीमंडल में मंत्री रहे, २०१६ में लोकतंत्र की रक्षा के लिए आत्मा की आवाज़ पर भाजपा में  शामिल हुए और कल तक मंत्री रहे कुँवर प्रणव सिंह चैम्पियन को ज़रा सी बात पर इस तरह निष्काषित करना क्या उचित है ?

हमने कहा-चिंता मत कर | जिस तरह बार-बार आत्मा एक शरीर से दूसरे में आती-जाती रहती है  वैसे ही ये भी फिर किसी न किसी पार्टी में जाकर फिर सेवा करने लग जाएँगे |

बोला- मेरा कहने का मतलब यह था कि क्या जुर्म इतना बड़ा है ? 

हमने कहा- तोताराम, जुर्म कभी छोटा-बड़ा नहीं होता |छोटा-बड़ा होता है आदमी |आदमी छोटा है तो रोटी चुराने पर भी उम्र कैद की सजा हो सकती है |मोदी जी के नाम से पहले 'माननीय' और 'श्री' न लगाने पर बी.एस.ऍफ़. के एक जवान का सात दिन का वेतन काट लिया गया | निमंत्रण-पत्र में  राबर्ट वाड्रा के नाम की स्पेलिंग सही न होने पर क्लर्क को लेफ्ट-राईट करवा दिया गया | दिल्ली में ही महात्मा गाँधी की हत्या करने वाले का महिमा-मंडन हो रहा है | राजीव गाँधी की हत्या पर उम्र कैद |

  
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बोला- दुनिया जहान की बात छोड़ | तू तो यह बता कि क्या चैम्पियन जी का जुर्म इतना बड़ा है ?

हमने कहा- हमें तो व्यक्तिगत रूप से कोई ऐतराज़ नहीं है |वैसे ऐतराज़ तो तथाकथित शुचितावादियों को भी नहीं हैं लेकिन फिलहाल इमेज के लिए ऐसा करना पड़ रहा है |कभी लोकतंत्र खतरे में पड़ जाएगा तो इन्हीं को माला पहनाकर फिर घर वापसी करवा लेंगे |

हम तो यह कह सकते हैं कि कोर्ट इन्हें कोई सजा नहीं दे सकता |शराब वैध है | टेस्ट करवा लो ९९% नेताओं और धर्माधिकारियों के खून में अल्कोहल मिलेगा | बंदूक का लाइसेंस है, किसी का खून नहीं किया | क्षत्रिय हैं तो क्या लूडो खेलेंगे ? क्या तलवारें लेकर सड़कों पर जुलूस निकालना कोई गाँधी जी वाला 'दांडी मार्च' है ?  और नाच, सो मंदिरों से लेकर सरकारी उत्सवों में तक में कहाँ नहीं होता ? और तमंचा डांस की प्रेरणा देने वाली फिल्म को सेंसर ने पास क्यों किया ? 

बोला- मेरा भी यही मानना है |और फिर देखा नहीं,  कैसा बढ़िया नृत्य कर रहे हैं ? कितने स्वस्थ और प्रसन्न लग रहे हैं ? कुंठाविहीन, सहज, सरल और मासूम |

हमने कहा- और फिर राजा को राजा जैसा लगना भी चाहिए |सिंह इज सिंह |























 

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