Mar 26, 2018

बुरा न मानो ख़ुशी-दिवस है

 बुरा न मानो ख़ुशी-दिवस है 

आज सामान्य दिनों की अपेक्षा कुछ ज्यादा ही जल्दी तोताराम की खनकती, छलकती   'उठ जाग मुसाफिर भोर भई, अब रैन कहाँ जो सोवत है' जैसी ललकार सुनाई दी |बस ऐसे जैसे किसी पार्टी के अध्यक्ष की आवाज़ किसी बहुप्रतीक्षित,बड़ी चुनावी जीत का बाद लहराने, इतराने लगती है |कह रहा था- अरे, जाग आलसी !यह भी कोई सोने की बेला है ? अरे, यह तो कमर-तोड़, सब कुछ ब्रेक कर डालने वाले डांस की बेला है | 

हम और पत्नी हड़बड़ाकर उठ बैठे |जल्दी से दरवाजा खोलकर बरामदे में जा पहुँचे | कहीं कोई नई आफत लेकर 'अच्छे दिन' या 'सबका विकास' तो नहीं आ धमका | जो विकास हो चुका है वही नहीं सँभल रहा है |

जैसे ही हम बरामदे में पहुँचे, तोताराम ने मानिनी नायिका की तरह इठलाकर कहा- बता, मैं क्या खबर लाया हूँ ?

हमने कहा- बन्धु, हम किसी के मन की क्या जानें ?

बोला- छियत्तर साल का होने जा रहा है और इतना-सा अनुमान नहीं लगा सकता |लोग तो जब चाहें सारे देश के मन की बात जान लेते हैं |

हमने कहा- वह 'सब के मन' की नहीं 'अपने मन की बात' होती है |इसी तरह यह तेरे मन की बात है, तू ही जाने |तू ही बता सकता है |बताए तो बता |न बताए तो न सही |अब हममें किसी के इतने नाज़ उठाने का दम नहीं है |

बोला- मैं तो सोचा रहा था कि तू जाने कितना इसरार करेगा लेकिन तूने तो मेरा उत्साह ही ठंडा कर दिया लेकिन खैर, पहले तो ख़ुशी के समाचार की ख़ुशी में यह मिठाई खा |फिर बताऊँगा |

हमने मिठाई खाई |पत्नी को बढ़िया-सी मसाले वाली गुजराती चाय बनाने को कहा और बरामदे में आसन जमाकर तोताराम से पूछा- अब बता, तेरी वह उछल पड़ने वाली ख़ुशी की बात |

बोला- १ जनवरी २०१६ से हमारा सातवें पे कमीशन का फिक्सेशन होकर एरियर बैंक में क्रेडिट हो गया है |

हमने कहा- यह तो मोदी जी के आजीवन प्रधान मंत्री बनने जैसी सुखद खबर है |और तू इतनी देर से छुपाए बैठा है |तुझे तो घर से ही फुल वोल्यूम में डी.जे. पर 'काल्यो कूद पड्यो मेला में ' बजाते हुए आना चाहिए था |

हम कमरे में गए और पेंशन के बचे हुए दस हजार रुपए लेकर आए और तोताराम से कहा-ले, ये हमारी तरफ से |जब तक तेरा मन हो सेलेब्रेट कर |

बोला- भाई साहब, आप खुश हो गए |आपके चेहरे पर जो नूर टपकता देखकर सब कुछ वसूल हो गया |रुपए का क्या है ? हाथ का मैल है |मेरे लिए तो अपने सिर पर आपका हाथ ही सबसे बड़ी नेमत है |

हम तोताराम के स्नेह से अन्दर तक भीग गए, कहा- अब घर क्या जाओगे |खाना यहीं खा लेना | उसके बाद पासबुक पूरी कराने के लिए यही से बैंक चले चलेंगे |

अब तो तोताराम ने हमारे हाथ पकड़ लिए और बोला- भाई साहब, अब चाहें तो मुझे सौ जूते मार लें |बड़ी गलती हो गई |मुझे ऐसा नहीं करना चाहिए था |

तोताराम के इस अचानक यू टर्न ने हमें और भी विचलित कर दिया, कहा- साफ़-साफ़ बता; चक्कर क्या है ?

बोला- भाई साहब, आज तक आपसे कभी इतना बड़ा मज़ाक नहीं किया लेकिन पता नहीं, आज मेरी समझ को क्या हो गया ? आज २० मार्च है 'ख़ुशी दिवस' | तो सोचा है झूठा ही सही आपको खुश देखने के लिए नेताओं की तरह एक जुमला ही फेंक दूँ |

हमने कहा- तोताराम, स्टेंट लगवाने के बाद अब हमें अनुभव होने लगा है कि दिल को सामान्य रखें तो ही ठीक है |ज्यादा ख़ुशी हमें बर्दाश्त नहीं होगी |आगे से ध्यान रखना अन्यथा अगर कुछ ऊँचा-नीचा हो गया तो तू खुद को ही ज़िन्दगी भर माफ़ नहीं कर सकेगा |











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Mar 22, 2018

माननीय, श्रीमान, मान्यवर आदि-आदि .....



माननीय, श्रीमान, परमआदरणीय आदि-आदि ......

आज हम कुछ देर से उठे  |बाहर सड़क पर से ही बुलंद आवाज़ में कोई बोल रहा था |पूरा तो समझ में नहीं आया लेकिन कुछ वैसी ही विरुदावली थी जैसी किसी सम्राट या बादशाह के दरबार में पधारने या अपने अन्तःपुर में दाखिल होने पर  मागध, सूत, बन्दीजन,गन्धर्व-किन्नर, चारण आदि द्वारा उद्घोषित की जाती है | |

परम आदरणीय, श्री-श्री १०८, प्रातः-स्मरणीय, वंदनीय, अध्यापक शिरोमणि, विद्या-वारिधि, चमत्कार-चूड़ामणि, अग्रज श्री, क्या मैं तुच्छ, नाचीज़, दासानुदास आपकी पद-रज अपने मस्तक पर धारण कर अपना जन्म सुधारने का सौभाग्य प्राप्त कर सकता हूँ |

हमें लगा इस लोकतांत्रिक विश्व में विनम्रता का ऐसा नाटक, गुलामी का ऐसा नंगा प्रदर्शन क्या उचित है ? कुछ देर बाद फिर वे ही शब्द पर कुछ और करुण और आर्त | हे दीनबंधु, क्या आप सेवक से इतना रुष्ट हैं |आपके तोताराम को आपके अतिरिक्त और कहाँ शरण मिलेगी ? इस अंतिम काल में तो मुझे दर्शन लाभ से वंचित न करें |

अब तो हमें एक झटका-सा लगा |अरे, यह विरुदावली तो हमारे लिए ही थी |हम तो शर्मिंदा हो रहे थे कि लोग इस शब्दावली को सुनकर क्या सोच रहे होंगे ?

हमने तोताराम को अन्दर लिया और पूछा- यह क्या तमाशा है ?

बोला- भाई साहब, मैं अब तक आपसे तू-तड़ाक से बात करता रहा |पता नहीं, मुझे इस पाप का क्या दंड मिलेगा ? आदमी में कुछ तो अनुशासन होना चाहिए कि नहीं ?यदि आपकी जगह कोई अनुशासन-प्रिय व्यक्ति रहा होता तो पता नहीं क्या करता ? देखा नहीं, बंगाल में बीएसएफ के एक अधिकारी ने एक जवान द्वारा मोदी जी का नाम बिना 'श्री या माननीय' के लेने पर उसकी सात दिन की तनख्वाह काट ली |

हमने कहा- हम न तो अधिकारी हैं जो तुम्हें कोई दंड दे सकें और न ही हम मोदी जी जितने बड़े हैं कि बिना श्री या माननीय के हमारी बेइज़्ज़ती हो जाएगी |हमारे यहाँ तो विष्णु, शिव, ब्रह्मा, राम, कृष्ण, बुद्ध किसी से पहले श्री, माननीय आदि नहीं लगाते |राम का काम भी बिना श्री के मज़े से चल रहा था |उन्होंने कभी श्री रामचन्द्र प्रसाद सिंह सूर्यवंशी नहीं लिखा |लेकिन जब लोगों को राजनीतिक धंधे के लिए एक नारा और मुद्दा दरकार था तो राम  रोम-रोम में रमने वाले राम न होकर 'जैश्रीराम' हो गए  |सभी धर्मों में ईश्वर को तू ही कहा जाता है |जो जितना छोटा होता है उसे उतने ही ज्यादा नाटक और बड़े-बड़े विशेषण चाहिएँ |

बोला- यह वाकया बताने का मेरा मतलब  यह नहीं था कि आप इतने तुच्छ हैं जो श्री न लगाने पर मेरी चाय बंद कर देंगे और न ही मोदी की ऐसी कुछ नीयत थी |उन्होंने तो उस जवान का दंड माफ़ करने के लिए कहा है |मुझे लगता है उस अधिकारी ने यह नाटक कहीं मोदी जी की कृपा प्राप्त करने के लिए न किया हो |आजकल नेताओं की ओर से तरह के घटिया स्टेटमेंट आ रहे हैं वे उनके व्यक्तिगत विचार कम और मोदी जी को खुश करने की चेष्टा अधिक है |वे सोचते हैं कि इससे मोदी जी खुश होंगे लेकिन वास्तव में वे मोदी जी का नुकसान ही कर रहे हैं |

हमने कहा- हमारा तो अब तक का अनुभव यही रहा है कि आजकल इस देश में नेताओं से अधिक बदजुबान और बदतमीज़ और कोई नहीं है |कुतिया, छोकरी और डोकरी तथा पिशाच व ब्रह्मराक्षस जैसे विशेषण नेताओं ने एक दूसरे को दिए या नहीं ? भारतीय राजनीति में यह युग थर्ड क्लास लोगों के लिए याद किया जाएगा |





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Mar 18, 2018

भारत रत्न के लिए आमरण अनशन


भारत रत्न के लिए आमरण अनशन

आज सुबह-सुबह तोताराम के स्थान पर उसका पोता बंटी आया और हमारे हाथ में एक लिफाफा देते हुए बोला- दादाजी ने कहा है कि आप दस बजे तैयार रहें |आपको उनके जुलूस के साथ कलेक्ट्रेट जाना है |

हम लिफाफे में से निकाल कर कुछ पढ़ें उससे पहले तो बंटी छू | देखा लिफाफे पर लिखा है- भारत-रत्न के लिए मास्टर तोताराम का आमरण अनशन |

पता नहीं, इस बूढ़े बच्चे को जाने क्या-क्या सूझता रहता है |इस पर न तो गुस्सा किया जा सकता है और न ही उपेक्षित  | 

खैर, दस बजे | सोचा, जब जुलूस के नारे सुनने शुरू हो जाएँगे तो बाहर निकल लेंगे |लेकिन तभी दरवाज़ा खटका और खोला तो तोताराम हाज़िर |हमने पूछा- तेरे समर्थक कहाँ है ? 

बोला- सत्य-मार्ग के पथिक भीड़ का इंतज़ार नहीं करते और न ही भीड़ के भरोसे कुछ करते हैं |जिन्हें अपने कर्म और नीयत पर विश्वास नहीं होता वे रैलियों और जुलूस में भाड़े के समर्थक जुटाते हैं |मीडिया को पैसे देकर चर्चित होते हैं |हम तो टैगोर के 'एकला चलो, एकला चलो , एकला चलो रे, तुमी एकला चलो, वाले हैं |

हमने कहा- यदि आमरण अनशन करना ही है तो मोदी जी द्वारा सातवाँ पे कमीशन न दिए जाने के विरुद्ध करता | यह भारत-रत्न लेकर क्या चाटेगा ? इसमें केवल सम्मान ही सम्मान है और वह भी काल्पनिक |इस उम्र में सम्मान नहीं, दवा-दारू का इंतज़ाम चाहिए |

बोला- भाई साहब, आपका यह अनुज इतना तुच्छ नहीं हो सकता |
अपने लिए जिए तो क्या जिए या फिर तू जी ऐ दिल, ज़माने के लिए |
मैं तो ताऊ को भारत-रत्न दिए जाने के लिए आमरण अनशन करने जा रहा हूँ |

हमने पूछा- क्या अडवानी जी ने तुझे कोई मेसेज किया है ?

बोला- मेसेज तो नहीं किया लेकिन अगरतला में भाजपा के मुख्यमंत्री के शपथ ग्रहण समारोह में उनका फोटो, माणिक सरकार द्वारा उनका मन बहलाने की कोशिश और मोदी जी द्वारा उनके सम्मान के बाद मुझे लगा कि अडवानी जी तो निष्काम और निस्पृह व्यक्ति हैं,एकल शाखा के अनुशासित स्वयंसेवक  |नियम से, समय पर संसद पहुँच जाते हैं, किसी भी सार्वजनिक काम में, जुलूस और मार्च में पार्टी के साथ खड़े नज़र आते हैं |अपने लिए कभी कुछ नहीं कहेंगे लेकिन यह तो उन लोगों को सोचना चाहिए जिन्होंने ताऊ के कंधे पर चढ़ कर दुनिया देखी है |प्रधान मंत्री और राष्ट्रपति न बनाए जाने पर उन्होंने कुछ नहीं कहा |लेकिन जब अटल जी को भारत-रत्न दिया गया तब उन्होंने  इस काम को सही समय पर किए जाने का संकेत दिया था |

हमने कहा- वैसे तोताराम,यह सच है कि भाजपा के लिए अडवानी जी का योगदान एक दृष्टि से किसी से भी बड़ा है |उसे देखते हुए वे सरकार द्वारा दिए जाने वाले किसी भी सम्मान से बड़े हैं जैसे भारत के लिए महात्मा गाँधी |बिना नोबल के भी वे नोबल हैं |वैसे भी हमें तो अडवानी के भाजपा-रत्न होने में कोई संदेह नहीं है |और जो भाजपा-रत्न हो गया है वह स्वाभाविक रूप से भारत-रत्न भी हो ही गया क्योंकि 'भाजपा इज भारत' |

हमने कहा- अब तो कोई भी, किसी को भी, किसी भी सम्मान के लिए नामित कर सकता है |तो फिर भारत सरकार को एक पत्र लिख दे |इस नाटक की क्या ज़रूरत है ?

बोला- बन्धु, आजकल इस देश में, भारत-रत्न तो बहुत बड़ी बात है, नाक पोंछना, हाथ धोना और शौच जाना भी मीडिया की उपस्थिति में समारोह पूर्वक होता है |

हम तोताराम के साथ हो लिए |









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Mar 15, 2018

पी.एन.बी.घोटाला और वास्तुशास्त्र



पी.एन.बी. घोटाला और वास्तुशास्त्र  


हम बरामदे में बैठे चाय और तोताराम दोनों का इंतज़ार कर रहे थे |तोताराम ने आते ही हमारे टोपे को हटाकर माथे का मुआयना करना शुरू कर दिया |

हमने कहा- बन्धु, यह क्या बंदरों की तरह हमारे सिर में जूएँ ढूँढ़ रहा है |हमारे तो इतने बाल ही नहीं हैं जिनमें जूओं को छुपने के लिए स्थान मिल सके |वैसे भी हम नेताओं की तरह ऐसे बेशर्म हो गए हैं कि हमारे कान पर जूँ नहीं रेंगती |

बोला- मैं तेरी जूएँ नहीं, तेरी तीसरी आँख ढूँढ़ रहा हूँ | 

हमने कहा- तीसरी आँख तो भगवान शिव के पास होती है या फिर नियामक प्राधिकरणों के पास होती हैं |हमारी तो ये जो दो आँखें हैं वे भी पौष्टिक भोजन के अभाव में बुझते दीए की तरह हो रही हैं |शिव ही क्या, स्वयं भगवान को ही भक्तों ने अपने-अपने तहखानों में डाल रखा है और उसके नाम से खुद फरमान और फतवे ज़ारी कर रहे हैं |नियामक प्राधिकरणों की आँखों पर भी सत्ताधारियों ने पट्टी बाँध रखी है |किसी भी दल, धर्म, मद और पद के अंधे को कोई भी आँख वाला बर्दाश्त नहीं होता |जो भूल से भी अपनी आँखें खोलता है तो उसे अशोक खेमका की तरह ट्रांसफर ने नाम पर खदेड़ा जाता है |यदि ऐसा नहीं होता तो टू जी स्केम में सीबीआई विशेष जज सैनी के सामने क्यों प्रमाण और गवाह नहीं पेश कर सकी |बेचारे सात साल रोज दफ्तर में बैठे इंतजार करते रहे | 

बोला- अब अकेले जेतली जी क्या करें ? नोटबंदी सँभालें या जी.एस.टी. या फिर बैंकों का पास वर्ड कब्जाकर, दावोस घूमने वाले लेकिन नीरवतापूर्वक अपने काम को अंजाम देने वले नीरव मोदी और चौकसी भाई को सँभालें | नियामक प्राधिकरणों ने भी अपनी तीसरी आँख को काम में नहीं लिया | और मैं तो कुछ तेरी गलती भी मानता हूँ कि यहाँ बरामदे में बैठा-बैठा फालतू की पंचायती करता रहता है |यह भी नहीं हुआ कि थोड़ा समय निकालकर पंजाब नॅशनल बैंक का ही एक-आध चक्कर लगा लेता और घोटाला पकड़ लेता |देश के प्रति तेरी भी तो कुछ ज़िम्मेदारी बनती है कि नहीं |जेतली जी ने कहा है कि नेता तो ज़िम्मेदार हैं लेकिन नियामक प्राधिकरणों की ओर से ही कमी है जो सतर्क नहीं रहते |

हमने कहा- ऐसे में उपदेश, दर्शन और नैतिकता का ही सहारा है |सो उन्होंने भी अपना आस्था चेनल खोल दिया है |कहा है- कारोबार जगत को अपने भीतर झाँक कर भी देखना चाहिए |यह क्या कि हर समय पैसा कमाने के बारे में ही सोचना |ऊपर वाले ओ क्या ज़वाब देंगे ?

बोला- ऊपर वाले को तो पता नहीं लेकिन नीरव ने नीरवतापूर्वक जेतली जी को ज़वाब दे तो दिया कि आपने हल्ला मचाकर हमारी साख खराब कर दी |धंधा तो चलता ही साख के बल पर है |अब जब धंधा जमेगा तो देखेंगे |फिलहाल तो काम में व्यस्त हैं | 

अब जब तक नीरव जी यहाँ आने का समय निकाल सकें तब तक भारत के परंपरागत वैज्ञानिक पंजाब नॅशनल बैंक के मुख्यालय के वास्तुदोष में घोटाले के मूल कारण तलाशते रहें |

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Mar 5, 2018

बनना और बनाना



 बनना और बनाना 

हमने कहा- तोताराम, मोदी जी बड़े दिल वाले हैं |समझ ले कि उन्होंने तुम्हें क्षमा कर दिया | अब तू मोदी जी को कंजूस और निर्दय मानने के इस पापबोध से मुक्त हो जा |

वास्तव में मोदी जी का यह आस्था चेनल अब विस्तृत होता जा रहा है |हमें लगता है कि अब उन्हें रोज रेडियो और टी.वी. पर भारत ही नहीं बल्कि विश्व के सभी भक्तों की समस्याओं का समाधान करना चाहिए |जिसे आस्था है उसे फायदा भी अवश्य होगा | आस्था के बल पर मीरा विष पीकर भी नहीं मरी तो ये नौकरी, बीमारी, परीक्षा का तनाव, लड़कियों घर से बाहर असुरक्षा की अनुभूति आदि तो नितांत मामूली बातें हैं |
वैसे हमने तो पूरा कार्यक्रम सुना नहीं |तूने सुना है तो बताऔर क्या कहा मोदी जी ने ?

बोला- मोदी जी ने भी कहा था कि जब आप कुछ बनना चाहते हैं और बन नहीं पाते तो तनाव में आ जाते हैं |हर समय आप उससे तुलना करते रहते हैं जिसके जैसा आप बनाना चाहते थे |इसलिए कुछ बनने का चक्कर छोड़कर कुछ करिए |जब आप कुछ करेंगे तो जितना करेंगे उतना संतुष्टि का भाव आएगा | और संतुष्टि का यह भाव आपको और अधिक करने की प्रेरणा देता रहेगा |तनाव का तो प्रश्न ही नहीं उठेगा |उन्होंने अपना उदाहरण दिया कि मैं तो संघ का एक सामान्य प्रचारक था |अपना काम करता रहा और जो होता गया, सो हो गया |

हमने कहा- तोताराम, ऐसी स्थिति दो प्रकार के लोगों की हो सकती है एक तो सर्व साधन संपन्न परिवार में जन्मा और दूसरा वह जिसके सामने अपना छोटा-मोटा कुछ भी काम है |न तो किसी बड़े सेठ की संतान को कोई समस्या नहीं है और न ही किसी कारीगर, छोटे व्यवसायी या किसान के सामने दुविधा नहीं है |ये दोनों तनाव मुक्त रहते हैं |एक वर्ग और भी है जो इन दोनों का बाप है, वह है स्वयंसेवक, प्रधान से लेकर सामान्य तक |इसके पास कोई काम नहीं होता |होता है तो बस, सेवा का जूनून होता है |जो भी सामने पड़ जाता है उसी की सेवा कर देता है |

इस श्रेणी के सभी तीनों बने बनाए होते हैं |इनका काम शेष बचे भले, डरपोक, पढ़े-लिखे और नौकरी पेशा लोगों को बनाना होता है |इस प्रकार समाज को दो वर्गों में बाँटा जा सकता है एक बने बनाए लोग और एक वे जिन्हें ये लोग बनाते हैं |

बनाने के कई तरीके हो सकते हैं |स्कूल, कोचिंग, कैरियर, नौकरी, ट्रांसफर, लोन, बीमा, टेक्स, बचत, सुरक्षा, पर्यावरण, देश-समाज की सेवा, धर्म, आश्वासन, विश्वास, धैर्य, पुनर्जन्म, जाति, धर्म आदि सब के नाम पर इसी वर्ग को लूटा, सताया या बनाया जाता है | टेक्स भी यही वर्ग देता है |संस्कृति और सभ्यता को धोना भी इसका कर्तव्य  होता है | 

बोला- तेरे कहने का क्या मतलब है ? क्या तू यह कहना चाहता है कि मोदी जी हमें बना रहे हैं ? 

हमने कहा- बन्धु, यह तो हम अभी से नहीं कह सकते |इसके लिए तो २०३२ तक इंतज़ार करना पड़ेगा क्योंकि मोदी जी की योजनाएँ बहुत दूरदर्शी और दूरगामी होती हैं |वे आज-कल नहीं बल्कि अगले जन्म तक की सोचते हैं |सच्ची श्रद्धा के बिना न तो उन्हें समझा जा सकता है और न ही उनका अनुसरण किया जा सकता |  यदि २०३२ तक तू जिंदा रहा तो हिसाब लगाना कि कितना तुझे बनाया गया और कितना तू अपनी  योग्यता से बना |यदि मोदी जी ने पेंशन बंद नहीं की, पेंशन पर २८% जी.एस.टी. नहीं लगाया और पुराने नियमों को नहीं बदला तो नब्बे वर्ष का हो जाने के कारण डेढ़ गुना हो जाएगी |वैसे यदि सच्ची श्रद्धा से उनके आस्था चेनल को सुनता रहा तो यह नहीं तो अगला जन्म अवश्य सुधर जाएगा बशर्ते कि अगल जन्म हुआ तो |

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Mar 2, 2018

स्वामी जी से क्लीन चिट



 स्वामी जी से क्लीन चिट 

आज होली की पूर्व संध्या है |कल होलिका दहन |

पता नहीं, वह समय कहाँ गया जब लोग साल भर का कूड़ा जलाकर थोड़ा हल्का हो लेते थे |आजकल तो लोग कूड़ा तो कूड़ा, मन-मुटाव तक का भी अचार डाल लेते हैं |न जीते हैं, न दुनिया को जीने देते हैं |

पत्नी ने पकौड़े बनाए |इनका मोदी जी की किसी रोज़गार योजना और चिदंबरम जी की भिखमंगई से कोई संबंध नहीं है |यह तो बस, सेलेब्रेट कर रहे हैं |जैसे ही दो-दो पकौड़े खाकर हमने और तोताराम ने चाय की तरफ हाथ बढ़ाया, किन्ही दो अदृश्य हाथों ने हम दोनों के हाथ थाम लिए |आवाज़ आई- बस, मास्टरो, तुम्हारा समय समाप्त हो गया है |चलो, हमारे साथ |

हम दोनों सन्न |यह अचानक क्या हुआ ? लेकिन यह कोई सरकारी बैंक का घपला तो है नहीं कि किसी के साथ खिंचवाया फोटो दिखाकर बच जाते या किसी सरनेम का सहारा लेकर विदेश भाग जाते | लगा गले में एक नाज़ुक सी रस्सी बँधी है और हम दोनों किसी के साथ उड़े जा रहे हैं |न कोई बस, न ट्रेन |प्लेन का तो सवाल ही नहीं |

हम तो डरे हुए थे लेकिन तोताराम चुप नहीं रह सका, बोला- बन्धु, हम आपका नाम तो नहीं जानते |यह भी पता नहीं कि आपके उस लोक में कौनसी भाषा बोली जाती है | लेकिन यदि कुछ ले-देकर छूटने की संभावना हो तो बताओ |

तभी आवाज़ आई- तुम्हारी तरह हमारे यहाँ किसी की पार्टी और धर्म देखकर कानून नहीं बनाए जाते | और जुमले तो बिलकुल भी नहीं चलते | न ही हज सब्सीडी पर दूसरों को गाली देकर नागालैंड में यरूशलम की तीर्थ-यात्रा के लिए सब्सीडी का वादा किया जाता है |या केंद्रीय विद्यालय के रिटायर्ड कर्मचारियों को सातवाँ पे कमीशन न देकर चुनाव जीतने के लिए त्रिपुरा के राज्य-कर्मचारियों को सातवें पे कमीशन का झाँसा दिया जाता है | 

हमने कहा- भाई साहब, आपको यह सब कैसे मालूम ?

आवाज़ आई- हम नीरव रहकर काम करते हैं |हम कोलाहल नहीं हैं |और यह भी समझ लो, हमारा नीरव मोदी से कोई लिंक नहीं है |

तोताराम बोला- लेकिन भाई साहब, ऊपर ले जाने से पहले अगर हो सके तो एक बार जेतली जी या मोदी जी बँगले की तरफ से निकल चलो | 

आवाज़ आई- उधर चलकर बिना बात क्यों टाइम खोटी कर रहे हो ? जिन्हें कुछ देना होता है वे इतना समय नहीं लगते |छब्बीस महिने कम नहीं होते |पिछली सरकारों ने क्या कभी पे कमीशन के लिए इतना तरसाया था ?

हमने कहा- कोई बात नहीं |यदि हो सके तो एक बार सुब्रमण्यम स्वामी जी से हमारी बात करवाते चलो |

आवाज़ आई- उनसे तुम्हें क्या काम आ गया ? वे किसी की पैरवी नहीं करते |उनका तो अपना ही एक अलग एजेंडा है | 

हमने कहा-  वे किसी स्वाभाविक मौत को भी हत्या सिद्ध करने की ताकत रखते हैं |यदि हम दोनों की इस सुखद मृत्यु को उन्होंने हत्या बता दिया तो हम दोनों की पत्नियों की तो आफत हो जाएगी ? 

तभी पत्नी ने झकझोरा तो हमारी आँख खुल गई |कह रही थी- कब तक सोते रहोगे ? होली का सगुन का तो थोड़ा-बहुत सामान ले आओ |

हम सोच रहे थे- मरने का स्वप्न दीर्घायु होने का संकेत होता है |न सही पे कमीशन |हो सकता है, शतायु होकर ही मोदी जी से पे कमीशन का हिसाब-किताब बराबर कर लें |


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