Dec 26, 2018

हमारा सैंटा : उनका सैंटा



 हमारा सैंटा : उनका  सैंटा 


अब तो खैर, सबसे छोटा पोता भी बारह वर्ष का हो गया |सातवीं कक्षा में आगया |स्कूल में अपने हाउस का उपकप्तान भी है |हमें लगता है कि अब भी वह हमारी बहुत-सी बातों का विश्वास करता है | वास्तविकता ईश्वर जाने |लेकिन अब यह तो तय हो गया कि यदि हम अमरीका में होते तो भी वहाँ कोई-सा भी पोता सांता क्लाज़ पर विश्वास करने वाला नहीं है | अभी ब्रिटेन में अपनी तरह का एक सर्वे हुआ है जिससे पता चलता है कि आठ साल की उम्र का बाद बच्चे सैंटा पर विश्वास करना बंद कर देते हैं | सैंटा मतलब सांता क्लाज़ जिसके बारे में बच्चों को बताया जाता है कि क्रिसमस की रात को सांता क्लाज़ उनके लिए तरह-तरह के उपहार मोजों में भरकर क्रिसमस ट्री पर टांग जाता है | 

पता नहीं ,इस शोध से ईसाई धर्म के अनुयायियों पर क्या गुजर रही होगी |हम तो इसी बात को लेकर परेशान हैं कि हनुमान जी हिन्दू हैं या मुसलमान, ब्राह्मण हैं या दलित | वैसे हम हनुमान जी पर अविश्वास नहीं करते लेकिन कई दिनों से पूजा का कार्यक्रम रोके हुए हैं |क्या पता, पूजा करें ब्राह्मण समझकर और हनुमान जी निकल आएँ दलित |दलित की पूजा करके हमारा ब्राह्मण धर्म नष्ट हो जाए तो ? यहाँ तो कुछ लोगों का धर्म सूर्य-नमस्कार करने पर ही खतरे में पड़ जाता है |

हमने तोताराम से पूछा- तोताराम, सैंटा पर विश्वास करें या नहीं ? वैसे ईसाई होने के कारण सांता मुसलमानों के बाद तुम्हारा दुश्मन नंबर दो है |

बोला- मास्टर, हम हिन्दू धर्म में विश्वास करते हैं |हम तुम्हारी तरह छद्म धर्मनिरपेक्ष नहीं हैं | हम वास्तव में धर्मनिरपेक्ष मतलब सभी धर्मों का सम्मान करने वाले हैं |हम प्रगतिवादी हैं |निरंतर अपने को परिवर्तित करते रहते हैं |

हमने कहा- तुम्हें तो निक्कर से फुल पेंट तक आने में ही नब्बे वर्ष लग गए |

बोला- भारत को धोती छोड़ने में पाँच हजार वर्ष लगे |इस हिसाब से हमारी हाफ पेंट से फुल पेंट तक की प्रगति-यात्रा मात्र नब्बे वर्ष में बहुत तीव्र गति से हो गई |पहले हमारे ऋषि लम्बी दाढ़ी रखते थे लेकिन अब हम छोटी-छोटी दाढ़ी में आ गए हैं |कल को सफाचट भी हो जाएँगे |

हमने कहा- लेकिन इससे सभी धर्मों का सम्मान करने वाली बात कैसे सिद्ध होती है ? 

बोला- तुमने बताया कि ब्रिटेन के बच्चे आठ वर्ष के होते-होते सांता क्लाज़ पर विश्वास करना बंद कर देते हैं |उनका सांता वास्तव में विश्वसनीय होता ही नहीं | हमारे वाला सांता नितांत विश्वसनीय होता है | हमारे सांता पर तो आठ साल से छोटे बच्चे ही क्या,  देश के करोड़ों बुजुर्ग लोग तक विश्वास करते हैं |

हमने पूछा- क्या तुम्हारा यह सांता तुम्हारे लिए २५ दिसंबर की आधी रात को मोज़े में गिफ्ट भरकर क्रिसमस ट्री पर टांग जाता है ?

बोला- हमारा सांता तो २५ दिसंबर को क्रिसमस की ठिठुरती आधी रात को ही क्या, कभी भी गिफ्ट दे देता है |

हमने पूछा- तुम्हारा सांता किस-किस प्रकार की गिफ्ट देता है ? हम उसे पहचानेंगे कैसे ? क्या तुम्हारे सांता की ड्रेस और दाढ़ी अंग्रेजों वाले सांता जैसी ही होती है ? 

बोला-  हमारा सांता सबके खातों में १५ लाख रुपए डाल देता है, एक सप्ताह में लाखों शौचालय बना देता है | बहुत पारदर्शी है, सबसे अपने मन की बात करता है | बिना पूछे ही किसी का भी विकास कर डालता है |

हमने कहा- अब उसकी वेशभूषा का वर्णन करने की ज़रूरत नहीं है |ज़रूर उसकी दाढ़ी सफ़ेद है लेकिन छोटी-छोटी |और वह फर वाली लाल ड्रेस नहीं बल्कि तरह-तरह के, नए-नए डिजाइन वाले कुरते-पायजामे पहनता है |

 



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Dec 23, 2018



यह प्रोस्थेटिक्स क्या होता है ? 

हमारे पास सरकार की चुनावी रणनीति के तहत ९९ रुपए में मिला स्मार्ट फोन नहीं है और न ही सौ रुपया महीने में असीमित कॉल, ईमेल, वोइस मेल आदि की सुविधा वाला कोई प्लान |हम तो आज भी आदिमकालीन लैंडलाइन पर ही ठहरे हुए है जैसे देश का विकास आँकड़ों, तरह-तरह के फार्मों और बैंक खातों में तथा  वनवास से लौटकर अयोध्या में 'मंदिर-प्रवेश' के लिए इच्छुक राम का रथ सर्वोच्च न्यायालय के आउटर सिगनल पर रुका हुआ है |इधर राम के नाम पर कुर्सी हथियाने वाले बहाने ढूँढ रहे हैं, उत्साही भक्त फावड़ा लिए शिलान्यास का गड्ढा खोदने को उतावले हैं उधर अयोध्यावासी डरे हुए हैं | अज़ब तनाव और सस्पेंस है |

सुबह-सुबह एक फोन आगया तो बाहर जाने से पहले फुनियाने लगे |टेबल पर एक तथाकथित विश्वसनीय अखबार का कल का अंक पड़ा था |सिनेमा वाले पेज पर एक हैडलाइन थी- 'प्रोस्थेटिक्स और वीएफएक्स की मदद से दीपिका बनेंगी लक्ष्मी' |

पत्नी अखबार नहीं पढ़ती लेकिन कभी-कभी किसी एक शब्द  का अर्थ पूछकर हमें उलझन में डाल देती है |चाहें तो हम भी एक ज्ञानी पति की तरह उतर दे सकते हैं |

ज्ञानी पति का किस्सा है- वह अपनी पत्नी के साथ गणगौर देखने के लिए जयपुर गया |गणगौर की सवारी में हौदा लगा हुआ हाथी भी था |पत्नी ने कहा- देखो जी, काईं पर काईं' | जानता तो पति भी नहीं था लेकिन स्वीकार कैसे करले |पति जो ठहरा |बोला- अस्याँ पर अस्याँ ही हो छै | 

सो हम भी पत्नी को ऐसा ही एक्सपर्ट उत्तर दे सकते थे लेकिन हमारा अध्यापक मन जिज्ञासुओं को बहकाने को पाप समझता है |कोई नेता होता तो प्लास्टिक सर्जरी और बत्तखों से ऑक्सीजन का पौराणिक नुस्खा बताकर सरलता से पीछा भी छुड़ा लेता तथा अपने ज्ञान और प्राचीन भारतीय विज्ञान की धाक भी जमा देता |  

प्रोस्थेटिक का मतलब ठीक तरह से हम भी नहीं जानते थे | यदि कुछ विस्तार से बताने की गुंजाइश होती तो कोई गप्प भी मार देते लेकिन पत्नी को तो एक शब्द या एक वाक्य में उत्तर चाहिए |जब कुछ बहुप्रचलित शब्दों जैसे नोटबंदी, जीएसटी और विकास आदि का अर्थ रविशंकर प्रसाद, जेतली जी और मोदी जी भी आज तक स्पष्ट नहीं कर सके  फिर हम तो राजनीति के निर्देशक-मंडल के खेत की ७७ वर्षीय मूली मात्र हैं |

ऐसे में हमेशा की तरह पास बैठे तोताराम ने हमारी सहायता की, बोला- भाभी, यह वैसे ही है जैसे मैं जून २०१४ में मोदी जी के ५६ इंच के सीने की तर्ज़ पर अपने ३० इंच के सीने को छत्तीस इंच का दिखाने के लिए एक साथ कई कमीजें, स्वेटर और कोट पहनकर आया था और नुक्कड़ के ट्यूबवेल के पास चक्कर आकर गिर पड़ा था |

हमने कहा- तोताराम, उस दिन तो यदि कोई नहीं संभालता तो तू तो गया ही था |और पोस्ट मार्टम वाले कोई कारण भी नहीं बता पाते क्योंकि न तो गला घोंटने का निशान, न गोली,चाकू का चिह्न और न ही ज़हर दिए जाने का कोई प्रमाण मिलता |  

तोताराम ने आगे स्पष्ट किया कि इसमें चेहरे पर तरह-तरह के पदार्थों की परतें चढ़ाकर हुलिया एकदम बदल दिया जाता है जैसे चाची चार सौ बीस में कमल हासन को औरत बना दिया गया था या 'पा' फिल्म में अमिताभ बच्चन को एक अज़ीब-सा, कुपोषित-सा बच्चा बना दिया गया था |वैसे ही दीपिका पादुकोण को तेजाब से जली लक्ष्मी अग्रवाल बना दिया जाएगा |

हमने कहा- लेकिन दीपिका तो वैसे ही खूब चल रही है |उसे एक फिल्म के सबसे ज्यादा २० करोड़ रुपए मिल रहे हैं फिर यह सब करने की क्या ज़रूररत आ पड़ी ?

बोला- यह कोई मजदूरी और किसानी नहीं है जिसमें वास्तव में कोई काम करना पड़ता है |यह तो शो बिजनेस है | इसमें अधिकतर काम तो मेकअप, डुप्लीकेट, ट्रिक फोटोग्राफी और रीटेक से चल जाता है |जब तक शादी न हो तब तक दर्शकों को तरह-तरह के प्रेम-प्रसंगों में उलझाकर भी मल्टीप्लेक्स तक खींचा जा सकता है लेकिन शादी के बाद दर्शकों का रोमांच कम होने लगता है |तब कुछ विचित्र और नए काम करने ही पड़ते हैं जैसे कभी बौने का रोल, तो कभी किसी अनसुनी बीमारी से पीड़ित बच्चे का, या फिर अब दीपिका द्वारा तेजाब से जली हुई लक्ष्मी अग्रवाल का रोल |दर्शक यही सोचकर चले जाएँगे कि देखें, तेजाब से जली दीपिका कैसी लगती होगी |   

हमने कहा- देश-दुनिया में बहुत से ऐसे मुद्दे हैं जिन पर जनता का ध्यान आकर्षित किया जाना चाहिए |लोग सिनेमा वालों से जल्दी प्रभावित होते हैं तो फिर सिनेमा वालों को भी अपनी सामाजिक जिम्मेदारी समझते हुए ज्वलंत मुद्दों पर सकारात्मक फ़िल्में बनानी चाहिएँ |

बोला- मुद्दों और सामाजिक जिम्मेदारी वाला ज़माना गया |अब तो पैसे लेकर सेठों की लड़कियों की शादी में नाचकर पैसे कमाने से फुर्सत मिले तो मुद्दों पर ध्यान जाए |  


 


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Dec 21, 2018

हमारी नीयत " उनकी नीयत



हमारी नीयत : उनकी नीयत


आज जैसे ही तोताराम आया, हमने उसे बधाई देते हुए कहा- तोताराम, पता नहीं देश कितना स्वच्छ और कितना  स्वस्थ हुआ,  सबको एक दूसरे का कितना साथ मिला और कितना विकास हुआ, नोटबंदी से कितना काला धन लौट आया और कितना भ्रष्टाचारियों के तहखानों में पड़ा-पड़ा व्यर्थ हो गया, कितने आतंकवादियों की कमर टूट गई, कितनी बेटियाँ बचीं और कितनी पढीं लेकिन एक बात तय है कि मोदी जी ने लोकतंत्र को मज़बूत करने के लिए कांग्रेस-मुक्त भारत का जो एकसूत्री कार्यक्रम घोषित किया था वह अवश्य पूर्ण हो गया |

बोला- मास्टर, तेरा व्यंग्य मैं समझता हूँ | कहाँ हुआ देश कांग्रेस मुक्त ?

हमने कहा- तुम उनकी धर्मनिरपेक्षता के विरुद्ध हिन्दू धर्म की राजनीति कर रहे थे |अधार्मिक तो कांग्रेस वाले भी नहीं हैं | गाँधी जी घंटी बजाते हुए मंदिर नहीं जाते थे लेकिन वे किससे कम धार्मिक हैं ? अपनी वसीयत में गंगा के प्रति नेहरू जी की जो भक्ति है वह गंगा की राजनीति करने वाले किसीसे भी बढ़कर है | वे जब भारत की जनता को भारत माता कहते हैं तो वे भारत माता की जय की गिनती करने वालों से बहुत ऊपर होते हैं | हाँ,उन्होंने अपनी आस्तिकता का कभी प्रदर्शन नहीं किया |कभी जनता के पैसे से मंदिर-मंदिर घूमते नहीं फिरे |कभी चुनावों में मठाधीशों की शरण में नहीं गए | अब राहुल अपनी जनेऊ दिखाने और गोत्र बताने के लिए मज़बूर हो गए |क्या यह कांग्रेस की समाप्ति का संकेत नहीं है ?

बोला- हमारे योगी जी भी इससे खुश हो रहे थे | पहले हमें भी लगा था कि यह हमारी नैतिक विजय है |हम जिस प्रकार की राजनीति करने के पुराने विशेषज्ञ हैं राहुल उसमें आकर हमसे कैसे जीत सकता है |यह तो पानी में रहकर मगर से बैर वाली बात थी |हम अपने धार्मिकता के एजेंडे के कारण निश्चिन्त थे |अब राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ के नतीजों से पता चला कि राहुल ने हमारा मुद्दा चुरा कर हमें ही मात दे दी है |किसी का मुद्दा चुराना राजनीतिक भ्रष्टाचार है |अब हम लोकसभा के चुनावों में राहुल की इसी चोरी के खिलाफ जनता में जाएंगे |

हमने कहा- आपने भी तो कांग्रेस के सभी कार्यक्रम या तो वैसे के वैसे अपना लिए या फिर थोड़ा-सा नाम बदलकर ज़ारी रखा |पहले मनरेगा की आलोचना करते थे और सत्ता मिलते ही उसका बजट और बढ़ा दिया |क्या यह चोरी नहीं है ?

बोला- हमने तो सबअच्छी नीयत से किया था |धर्म के मामले में भी हमारी नीयत साफ है | हमारे धार्मिक एजेंडे को चुराने में राहुल की नीयत ठीक नहीं है |उसने कहा है कि वह मध्यप्रदेश में गौशालाओं के लिए काम करेगा |अब अमेठी में मंदिरों का जीर्णोद्धार करवा रहा है |उधर अखिलेश कह रहा है कि वह विष्णु का मंदिर बनवाएगा |ये सब बदनीयती से हो रहे हैं |

हमने कहा- बंधु, नीयत का तो कैसे पता चले |मंदिर जाने वाला लडकियाँ छेड़ने जा रहा है या जूते चुराने जा रहा है या प्रसाद के लालच में जा रहा है यह तो भगवान ही जान सकता है |केवल सोमनाथ मंदिर के प्रांगण में चारों खाने पट होकर फोटो खिंचाने से ही तो कोई साफ़ नीयत का सच्चा भक्त नहीं हो जाता |यह मामला भगवान पर ही क्यों नहीं छोड़ देते ? वह जैसी नीयत होगी फल दे देगा |

बोला- भगवान पर कैसे छोड़ दें | हमारे तो ये दो ही स्थायी मुद्दे थे |रहा विकास तो उस पर किसी को भरोसा नहीं  |कोई कहता है पागल हो गया है कोई कहता है कि बैंकों का पैसा लेकर भाग गया है |अब दो-चार महिनों में नए मुद्दे कहाँ से लाएँ ?




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Dec 7, 2018

सबसे लम्बी जीभ



सबसे लम्बी जीभ 

आज तोताराम फिर एक नई खबर के साथ हाज़िर हुआ, बोला- आ जा मास्टर, जब तक चाय बने तब तक थोड़ा गर्व की गरमी से फूल कर फुरफुरी ले लें |

हमने कहा- गर्व  किसी के दिए से आता है क्या ? वह तो मन-मस्तिष्क की एक आतंरिक,सार्थक और सकारात्मक अनुभूति है जो आपको और बेहतर करने को प्रेरित करती है |

बोला- खुद कुछ किए बिना भी ज्ञान और जानकारी से गर्व आता है |जैसे भले ही हमें पटेल की दुनिया की सबसे ऊँची प्रतिमा से कुछ मिले या न मिले, फिर भी जब सामान्य ज्ञान की किसी किताब में बच्चा पढ़ता है कि अमरीका की लिबर्टी की मूर्ति से भी दुगुनी ऊँची मूर्ति हमारे देश में है तो उसके मनोबल में कुछ तो बढ़ोतरी होगी ही |

हमने कहा- जब तक बता न लेगा तब तक तू न खुद शांति से बैठेगा और न हमें बैठने देगा |तो बता ही दे कि हम गर्व क्यों करें ?

बोला- नेपाल के एक ३५ वर्षीय ड्राइवर यज्ञ बहादुर कटवाल की जीभ इतनी लम्बी है कि वह अपना माथा अपनी ही जीभ से चाट सकता है |

हमने कहा- लेकिन वह तो नेपाल का है |हम उस पर कैसे गर्व कर सकते हैं ?

बोला-  एवरेस्ट नेपाल में है लेकिन बहुत से लोगों को यह पता नहीं |वे उसे भारत में ही समझते हैं और गर्व कर लेते हैं |इसी तरह से नेपाल भारत का पड़ोसी है और एकमात्र हिन्दू राष्ट्र है |क्या हमारे गर्व करने के लिए इतना पर्याप्त नहीं है ? 

हमने कहा- ठीक बात है तोताराम | बहुत बार व्यक्ति को अज्ञान और लापरवाही के कारण अपनी महानता का ज्ञान नहीं होता |भारत के साथ भी यही मामला है |वह दुनिया का सबसे प्राचीन, महान, ज्ञान-विज्ञान और सभी मानवीय गुणों में अग्रगण्य देश है |जब हमारे इतिहास का कोई सच्चा ज्ञाता हमें बताता है तो आँखें खुलती हैं |इसलिए जीभ की लम्बाई के मामले में यदि तू ध्यान से देखेगा तो पता चलेगा कि हमारे देश में हजारों किलोमीटर लम्बी जीभ वाले महामानव भरे पड़े हैं |

बोला- अब या तो तू मेरा मजाक उड़ा रहा है या नेताओं के चुनावी भाषण की तरह बहुत बड़ा झूठ बोल रहा है |

हमने कहा- ऐसी बात नहीं है |ऐसे-ऐसे करोड़ों लोग भरे पड़े हैं जो, अपना माथा तो बहुत छोटी बात है, यहाँ दिल्ली में बैठे-बैठे ही अमरीका में बैठे ट्रंप के तलवे चाट सकते हैं |विदेश में बैठे-बैठे स्टेट बैंक के ग्यारह हजार करोड़ चाट जाते हैं | एक बड़ा नेता दिल्ली में थूकता है |वह थूकने का ही विशेषज्ञ है | उसके पास थूककर चाटने का समय नहीं है |इसलिए उसका थूका हुआ कहीं दूसरे मंत्रालय या राज्य में बैठा हुआ उसका भक्त अपनी लम्बी जीभ से चाट लेता है | क्या यह दुनिया की सबसे लम्बी जीभ होने का प्रमाण नहीं है ?

बहुत से लोगों की जीभ इतनी लम्बी होती है कि वह भीड़ में से होती हुई, जूतों-मोजों को खोलती-हटाती तलुवों तक पहुँचकर अवतारी नेता के चरणों को चाट लेती है |हमारे यहाँ तो लम्बी जीभ के ऐसे-ऐसे रिकार्ड हैं  कि एक व्यक्ति रेडियो-टीवी और टेली कांफ्रेंसिंग से चाय पर चर्चा के बहाने देश के १२५ करोड़ लोगों का दिमाग चाट जाता है |

वैसे आज भी दुनिया में ऐसे पिछड़े लोग हैं जो अपना थूका हुआ भी नहीं चाट सकते और पिछड़ते चले जाते हैं |

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Dec 3, 2018

विजय तो विजय है



विजय तो विजय है

आते ही तोताराम ने हमारे सामने अख़बार फेंका और बोला- ले देख, हमारी विजयी शुरुआत |

हमने कहा- अभी तो वोटिंग भी पूरी नहीं हुई तो विजय कैसी ? सर्वे भी कोई बहुत साफ़ नहीं हैं |और सर्वे का क्या ?  वे तो ज्योतिषियों, अखबारों और चैनलों की तरफ दो पैसे फेंककर कभी भी, किसी भी तरह के करवाए जा सकते हैं |

बोला- यह कोई सर्वे नहीं है |ये तो महंत जी के धर्मयुक्त सत्य वचन हैं |उन्होंने कह दिया है कि राहुल गाँधी का जनेऊ दिखाना हमारी नैतिक विजय है |

हमने कहा- तोताराम, यह योगी जी का स्टेटमेंट नहीं हो सकता |

पूछने लगा- क्यों नहीं हो सकता ? आजकल तो जाने कैसे-कैसे घटिया स्टेटमेंट आने लगे हैं |इस स्टेटमेंट में क्या कमी है ?

हमने कहा- योगी जी तो नाथ पंथ को मानने वाले हैं |नाथ पंथ तो बौद्ध धर्म से ही विकसित हुआ है | बौद्ध धर्म शुरू ही वैदिक काल में अनावश्यक कर्मकांड और आडम्बरों के विरुद्ध हुआ था | योगी और संत तो चाहे जिस पंथ के हों वे आडम्बरों में विश्वास नहीं करते |वे सभी प्रकार के कर्मकांडों से मुक्त हो जाते हैं |वे खुद भी जनेऊ धारण नहीं करते |

बोला- लेकिन योगी जी अब केवल मठ और नाथपंथ तक ही सीमित थोड़े हैं |अब वे भाजपा के स्टार प्रचारक हैं |उन्होंने कह दिया है कि हनुमान जी की तरह जब तक वे भाजपा को जिता नहीं देते तब तक 'मोहि कहाँ बिसराम' | इसलिए उन्हें वह सब कुछ करना पड़ेगा जो चुनाव जीतने के लिए किसी भी पार्टी और नेता को करना पड़ता है |यह तो उनकी सज्जनता है जो वे इतने कोमल शब्दों का प्रयोग कर रहे हैं अन्यथा ब्रह्मचर्य का तेज और जोश तथा तपस्या की शक्ति ! चाहें तो एक क्षण में विपक्षी रावण का घर जला दें |

हमने कहा- लेकिन यह नैतिक विजय क्या है ?

बोला- इसका मतलब यह है कि भाजपा के नेताओं और कार्यकर्त्ताओं के समाज में प्रेमभाव बढ़ाने वाले, जात-पाँत, ऊँचनीच मिटाने वाले, दलितों को गले लगाने वाले, सर्वसमभावी एवं समरसतावादी बयानों और आचरणों के कारण कांग्रेस भी उदार होने के लिए मजबूर हो गई है |इससे बड़ी नैतिक विजय और क्या होगी ?

हमने कहा- तोताराम, ठीक है |संतों का काम संसार को प्रेम का सन्देश देना है | गुरु नानक के अनुयायियों ने अमृतसर में जो स्वर्ण मंदिर बनाया है उसकी नींव एक मुसलमान के हाथों रखवाई गई थी |सांप्रदायिक सद्भाव का इससे बड़ा उदाहरण और क्या हो सकता है ? लेकिन हमारा मानना है कि जब राजनीति का उद्देश्य केवल सत्ता प्राप्त करना हो जाता है तो वह लोकतंत्र नहीं बल्कि युद्ध हो जाती है | और कोई भी युद्ध भले ही, वह 'धर्म-युद्ध' के नाम पर लड़ा जाता हो लेकिन समाप्त होते-होते 'अधर्म-युद्ध' में बदल जता है |फिर चाहे वह योगिराज कृष्ण के नेतृत्त्व में लड़ा जाने वाला महाभारत का युद्ध ही क्यों हो ?

बोला- मास्टर, विजय तो विजय है |चाहे वह नैतिक हो या अनैतिक | अंग्रेजी में भी तो कहा गया है-नथिंग सक्सीड्स लाइक सक्सेस |















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