सेल्फ़ी विद मिट्टी
आज जैसे ही तोताराम बैठने को हुआ, हमने कहा- तोताराम, अच्छे दिन देखेगा ?
बोला- यह मोदी जी के जुमले पर और कौनसा जुमला आ गया ? दिल्ली से लेकर द्वारका तक और देहरादून से धनुषकोटी तक सारा देश ढूँढ़-ढूँढ़कर परेशान है, ऐसे में तू कौनसा अदानी लगा हुआ है जिसकी रोजाना की आय एक हजार करोड़ बढ़ गई और वह भी तब जब कोरोना में सारी दुनिया मंदी और बेरोजगारी से त्राहि त्राहि कर रही थी।
हमने कहा- देखना हो तो देख ले । दस दिन से रसोई में मेज पर रखा हुआ है ? सूखने सूखने को हो रहा है । फिर जब उठाकर फेंके देंगे तो फिर देखने को भी नहीं मिलेगा ।
बोला- मास्टर, लगता है तेरे मन में उसी तरह खोट आ गया है जैसे मोदी जी के मन में दुबारा लोकसभा का चुनाव जीतने के बाद आ गया था । उसी के तहत उन्होंने हम बुजुर्गों की रेल किराये की छूट बंद कर दी, चुपके से गैस की सबसीडी डकार गए और बड़ी दादागीरी से कह दिया नहीं देंगे 18 महिने का डीए का एरियर। कर लो जो करना है । कोरोना का टीका क्या मुफ़्त में लगा था ? वैसे ही पहले तूने कहा था- अच्छे दिन । और अब कह रहा है- अच्छा दिन । मतलब इतनी सी देर में बहुवचन का एकवचन कर दिया ।
हमने कहा- इसमें हम क्या कर सकते हैं । जब है ही एक तो फाड़ कर दो कैसे कर दें ?
बोला- अच्छे दिन कोई वस्तु थोड़े है ? वह तो एक भाव है, एक विचार है । जैसे भारत । लोगों को चुनाव के लिए लड़ा-भिड़ाकर, घर घर तिरंगा फहराने का नाटक करने से क्या भारत बचेगा ?भारत बचेगा सबके मिलजुलकर प्रेम से रहने । किसी एक कौम को डराकर देश सुरक्षित हो सकता है ? सर्वेश्वर दयाल सक्सेना के शब्दों में कहें तो देश कागज पर बना कोई नक्शा मात्र नहीं होता । अच्छे दिन कोई चाय या समोसा हैं जो लाकर सामने रख देगा ? फिर भी खैर, दिखा अच्छे दिन ?
हमने कहा- दूर से दिखाएंगे । हाथ में नहीं देंगे । वैसे ही दूर से दर्शन कर लेना जैसे दूर से ही करोड़ों लोग मोदी जी के मन की बात सुन लेते हैं और उनके दर्शन कर लेते हैं ।
बोला- अब जो करना है कर करा ले । जो दिखाना है दिखा दे । बिना बात क्यों चाय का सत्यानाश कर रहा है ।
हमने अंदर से लाकर एक छोटा सा टमाटर तोताराम को दिखाते हुए पूछा- यह क्या है ?
बोला- छोटे वाला बेर ।
हमने कहा- अभी बेर का मौसम कहाँ ? यह टमाटर है ।
बोला- टमाटर ? और मास्टर के यहाँ ? सुना है आजकल चीन से नकली अंडे, प्लास्टिक की पत्ता गोभी आ रही है । हो सकता है यह प्लास्टिक का टमाटर हो । तू क्या कोई फकीर है जो चालीस हजार रुपए किलो का मशरूम खाएगा ? सुना नहीं, दिल्ली में बड़े बड़े रिटायर्ड अफसर 80 रुपये किलो के टमाटर के लिए लाइन लगा रहे हैं ।
जरा दिखा तो ! चेक करें ।
हमने कहा- यह शर्त तो सबसे पहले सुना दी थी कि हाथ से नहीं छूने देंगे । क्या पता तू किसी मोदी की तरह बैंक के हजारों करोड़ रुपए के कर्ज की तरह लेकर अमरीका भाग जाए ।
बोला- मोदी का नाम मत ले । क्या पता, सूरत के किसी बाद में बने 'मोदी' का जातीय अपमान हो जाए तुझे अधिकतम सजा दे दी जाए ।
खैर, मत छूने दे लेकिन यह तो बता तू यह बेमौसम की, बे औकात की चीज ले कहाँ से आया । डीए का एरियर भी नहीं मिला ।
बोला- चल बाड़े में, अमृत महोत्सव के समापन पर 'मिट्टी के साथ सेल्फ़ी' की तरह जहां इसका पौधा उगा हुआ था वहाँ की मिट्टी और इस टमाटर के साथ 'थैंक यू मोदी जी' का केपशन देते हुए एक सेल्फ़ी लेकर मोदी को भेज देते हैं ।
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(c) सर्वाधिकार सुरक्षित - रमेश जोशी । प्रकाशित या प्रकाशनाधीन । Ramesh Joshi. All rights reserved. All material is either published or under publication. Jhootha Sach