Feb 27, 2019

पेंशन ही पेंशन : मिल तो लें



पेंशन ही पेंशन : मिल तो लें



सर्दी ने जैसे ही थोड़ा साँस लेने का मौका दिया कि मावठ ने फिर फफेड़ लिया |ऊपर से हवा |अभी भी सूरज नहीं निकला है |आकाश में बादल भी मंडरा रहे हैं | लगा दिसंबर के अंतिम दिनों की शून्य से नीचे वाली ठण्ड फिर लौटेगी |हमें कौनसा स्कूली बच्चों की तरह २६ जनवरी की के कार्यक्रम की रिहर्सल के लिए जाना है | तोताराम को आना होगा तो यहीं आ जाएगा |

तभी दरवाजे पर लाठी से ठोका लगाने की आवाज़ आई- चल बच्चा |क्यों इस पुण्य-बेला में घर में घुसा है |निकल, अगला जन्म सुधारने कुम्भ चलते हैं |

पता नहीं क्यों आवाज़ ढंग से पहचान नहीं पाए |रजाई में से ही कहा- बाबा, अभी तो हमें यही जन्म सुधार लेने दो |अगले जन्म का नंबर तो बाद में आएगा |हम कौन स्मृति ईरानी की तरह युवा हैं जो यह ठण्ड झेल पाएंगे |कौन फ्लू होने पर अमित शाह की तरह एम्स में हमारा इलाज करेगा |

उसी आवाज़ ने फिर दकाल लगाई- दरवाज़ा तो खोल माया-मोह में फँसे प्राणी |

हमने पत्नी से दरवाजा खोलने को कहा |

भगवा भेस, गले में गुटखे के पाउचों की माला धारण किए एक लंगड़ाती हुई आकृति प्रकट हुई |बड़ी मुश्किल से पहचाना, तोताराम |

पूछा- यह क्या नाटक है ?

बोला- नाटक कुछ नहीं |कुम्भ मेले में जा रहे हैं |अभी तो योगी जी वहाँ आसानी से मिल जाएँगे |फिर पता नहीं लोकसभा के चुनाव-प्रचार में जाने देश में कहाँ-कहाँ घूमेंगे |अभी तो सुपात्रों का चयन करने के लिए ३० जनवरी तक कैम्प भी लग रहे हैं |देर करना ठीक नहीं है

हमने कहा- न तो हमें तुम्हारा यह मनमोहक विदूषकी भेस समझ में आया और न ही योगी, कुम्भ, कैम्प के साथ कोई सामंजस्य बैठा पा रहे हैं |

बोला- योगी जी ने सभी निराश्रितों, दिव्यांगों के लिए पेंशन चार सौ रुपए महिने से बढाकर पांच सौ रुपया महिना कर दिया है | किसी को छूटने नहीं देंगे |चुनावों से पहले सबको कोई न कोई पेंशन दे ही देंगे |पता नहीं, मोदी जी पे कमीशन का एरियर देंगे या नहीं |

हमने कहा- किसी कैम्प में जाकर ऐसे ही पेंशन कबाड़ लेना कोई मज़ाक है क्या ? बड़ा सख्त प्रशासन है योगी जी का |ज़रा सी गड़बड़ करने पर वहाँ की मुस्तैद पुलिस सीधे-सीधे गोली चला देती है |

बोला- ऐपल वाले तिवारी पर गोली चलाने की घटना से घबराने की ज़रूरत नहीं है |उत्तर प्रदेश में हर समस्या और प्रश्न का उत्तर है |वहाँ समय पर गोली न होने या बंदूक न चलने की स्थिति में मुंह से ठांय-ठांय से काम चलने वाले पुलिसिए भी हैं | जब सरकारी खर्च पर करवाए जाने वाले विवाह समारोहों में चार-चार बच्चों के माँ-बापों को लाभ पहुंचा दिया जाता है तो ज्यादा नहीं तो एक-दो पेंशन तो कबाड़ ही लेंगे |

हमने पूछा- एक-दो मतलब ?

बोला- मोदी जी ने छोटे दुकानदारों के लिए पेंशन की योजना बनाई है तो देख गले में लटकी गुटखों की यह माला मेरे छोटा दुकानदार होने का प्रमाण है |और दिव्यांग होने के लिए मेरा लंगडाना तू देख ही रहा है |सुना है योगी जी की इस योजना को विस्तार देते हुए अखिलेश ने कहा है कि साधुओं को भी २० हजार रुपए महिना पेंशन दी जाए सो यह भगवा वेश है ही |आगे अखिलेश ने यह भी कहा है कि हमने तो रामलीला में काम करने वालों को भी पेंशन दी है |हम भी बचपन में मोहल्ले की रामलीला में वानर सेना में काम किया था तो उस स्कीम में भी चांस लग सकता है |

हमने कहा-लेकिन ५०० रुपए की पेंशन लेने जाने के लिए क्या हर महीने ६०० रुपए आने-जाने का खर्चा करेगा ?

बोला- खर्चा क्यों करेंगे ?दो पेंशनों के बीच की अवाधि में वहीँ कहीं भिक्षाटन करेंगे |जब मोदी जी ने सब कुछ डिजिटल कर दिया है तो पेंशन लेने जाने की क्या ज़रूरत है |अपने आप ही खाते में क्रेडिट हो जाएगी |

हमने फिर शंका की- अगर किसी को पता चल गया कि तू एक पेंशन पहले से ही ले रहा तब क्या होगा ?

बोला- होगा क्या ? क्या सभी नेता एक से ज्यादा पेंशन नहीं ले रहे  ? एक ही नेता एम.एल.ए., एम.पी. या मुख्य मंत्री या बढ़ते-बढ़ते प्रधान मंत्री बन जाए तो वह सबकी अलग-अलग पेंशन लेता है |तो तोताराम दो पेंशन ले लेगा तो क्या पहाड़ टूट पड़ेगा |






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Feb 21, 2019

उनका पचपन, इनका पचपन और हमारा बचपन



उनका पचपन, इनका पचपन और हमारा बचपन 

आज तोताराम ने आते ही पूछा- सुना, मोदी जी का भाषण ?

हमने कहा- हमारे पास टी.वी. नहीं है | रेडियो के सेल ख़त्म हो गए हैं | और फिर हम कौनसा लोकसभा चुनाव के टिकटार्थी हैं या स्कूल के मास्टर जो 'मन की बात' सुनने और उसका प्रमाण प्रस्तुत करने को बाध्य हैं | यदि पे कमीशन के एरियर की घोषणा कर दी हो तो बता दे | इस शुभ समाचार के पुरस्कार स्वरूप चाय के साथ पकौड़े भी खिला देंगे  |

बोला- हर समय एरियर-एरियर |कभी देश के बारे में भी सोचा कर |मोदी जी ने पूरा खाका खींचकर रख दिया कि किस तरह उनके पचपन महिने कांग्रेस के पचपन साल से बेहतर रहे |

हमने कहा- बन्धु, हमारे पिताजी ने पचास की उम्र में वानप्रस्थ ले लिया था |चाचाजी पचपन साल की उम्र में रिटायर हो गए थे |बड़ी मुश्किल से रिटायर होने की उम्र अठावन, फिर साठ और अब कुछ नौकरियों में बासठ और पैंसठ हुई है |एक बड़ी प्रसिद्ध सिगरेट हुआ करती थी-५५५ | शायद उससे फेफड़े मज़बूत होते हों | एक बच्चों की दवा हुआ करती थी मुगली घुट्टी ५५५ | कपड़े धोने का एक पाउडर भीआता है ५५५ | अब पचपन हो या पाँच सौ पचपन | पचपन साल हों या पचपन महिने या कि पचपन दिन; सब उन्हीं के हैं |हमसे तो यह धरती पिछले सतत्तर साल में हिली नहीं |दाढ़ी की क्या हैसियत ? उसे तो हर हाल में मूँछों के नीचे ही रहना है |सच पूछो तो यह हमारा बचपन है कि इनके-उनके पचपन में उलझे रहते हैं |

बोला- जैसे कहावत है- 'आसार कह रहे हैं, इमारत बुलंद थी' वैसे ही जो नींव मोदी जी ने रखी है उस पर बनने वाली इमारत की भव्यता का तो अनुमान लगा |

हमने कहा- अनुमान से पेट नहीं भरता | हम तो फटाफट में विश्वास करते हैं |अब हमारे पास पचपन महिने तो क्या पचपन दिन का भी धैर्य नहीं है | जिसको कुछ करना होता है पचपन मिनट भी नहीं लगाता |ट्रंप ने आते ही मेक्सिको की सीमा पर दीवार बनाने की घोषणा कर दी |पैसे कम पड़े तो कई ज़रूरी काम रोक दिए |शपथ ग्रहण के बाद रजिस्टर में हस्ताक्षर करते ही पेन भी बंद नहीं किया |वैसे ही खुला का खुला लिए हुए व्हाईट हाउस में जाकर ओबामा केयर  को केंसिल किया |इसे कहते हैं काम करना |
भिश्ती ने एक दिन का बादशाह बनते ही चमड़े के सिक्के चला दिए कि नहीं ? 

बोला- क्या किया जाए इस देश में लोकतंत्र के चलते विकास की गति बाधित होती है फिर भी नोटबंदी की या नहीं ? अब एक टर्म और मिला तो इस भव्य नींव पर इमारत भी खड़ी हो ही जाएगी |

हमने कहा- तोताराम, जिस तरह क़र्ज़ माफी, आरक्षण और बेरोजगारी-पेंशन आदि के झाँसे देकर चुनाव जीते जा रहे हैं उसे देखते हुए अब कोई भी कुछ नहीं कर सकेगा फिर चाहे पचपन साल वाले हों या पचपन महिने वाले हों |















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Feb 18, 2019

उत्तरायण दक्षिणायन

उत्तरायण-दक्षिणायन 


चूँकि हम बंगलुरु में हैं और तोताराम के पास यहाँ चाय पीने के लिए आने की कोई व्यवस्था नहीं है |यदि उसके पास व्यक्तिगत हवाई जहाज होता तो कोई आश्चर्य नहीं कि वह यहाँ भी चाय पीने के लिए आ धमकता | एक दो दिन तो सोचा- चलो, रोजाना की परनिंदा से पीछा छूटा |कुछ दिन शांति से भगवान को याद करेंगे |लेकिन भगवान भी आदमी को दुःख में ही याद आते हैं | ज़रा-सा सुख मिला नहीं कि फिर वही छल-छंद चालू |

अपने देश में याद करते ही सामने वाले के पास आत्मिक समाचार पँहुच जाने की ज़बरदस्त तकनीक है |सो हमारे सोचते ही फोन की घंटी बजी, आवाज़ तोताराम की थी, बोला- मास्टर, गुड मोर्निंग |लगता है बरामदे में बैठा चाय पी रहा है | तेरे वहाँ तो सूर्य उत्तरायण हो गया लेकिन यहाँ तो सूरज का ही पता नहीं है |उत्तरायण-दक्षिणायन की क्या कही जाए ? 

हमने कहा- इस दुनिया में एक ही सूरज है और वह अपने नियमों के अनुसार उत्तरायण-दक्षिणायन होता रहता है |

बोला- नहीं, ऐसी बात नहीं है |मैंने आज ही सुना है कि बेंगलुरु में सूर्य उत्तरायण हो गया |वहाँ हर संसदीय क्षेत्र में लोगों के मन की बात जानने के लिए 'भारत के मन की बात' नामक रथ घूमने लगे हैं |लोग उन रथों में बैठे जन-सेवकों को अपने मन की बात बता सकेंगे | उसी के आधार पर पार्टी अपना चुनाव घोषणा-पत्र तैयार करेगी | हो सकता है मन की बात के साथ-साथ उनसे अपने प्रश्नों के उत्तर भी मिल जाएँ | यहाँ तो अभी मौसम और जन-मन की बात दोनों के मामले में दक्षिणायन ही चल रहा है | हो सके तो तू उन रथ वालों के पास जाकर केवल एक शब्द कहना- पे कमीशन | वे कहें -हाउदू,  तो मुझे तत्काल फोन कर देना | 'इल्ला' कहें तो फोन के पैसे बेकार करने की ज़रूरत नहीं है | 

हमने कहा- उतावला मत हो |जल्दी ही सीकर में मिल लेना, ऐसे ही किसी 'देश के मन की बात' वाले रथ से और जन सेवकों से जान लेना सभी प्रश्नों के उत्तर |अब मई तक देश में ये ही नहीं, और भी कई तरह के रथ ही रथ घूमेंगे |वह बात अलग है कि उसके बाद जनता पथ-पथ में इन्हें ढूँढ़ती फिरेगी |और फिर यदि ज्यादा ही जल्दी है तो मानवता के सभी प्रश्नों का उत्तर दे सकने में समर्थ 'उत्तर प्रदेश' कौन-सा दूर है ? जा और जान ले आत्मा से लेकर परमात्मा तक के सभी प्रश्नों के उत्तर |

बोला- बन्धु, वहाँ तो हालत बहुत खराब है | कैसे उत्तर ? सभी प्रश्नों पर शीत-लहर की ठिठुरन पड़ी हुई है |

हमने कहा- लेकिन डरने की क्या बात है ? अब भी देश-दुनिया के भक्त, गंगा की गन्दगी से बेखबर, आस्था के बल पर, संगम में डुबकी लगा ही रहे हैं और अपने-अपने पाप बहा ही रहे हैं |तू भी लगा दे एक डुबकी |या तो इस पार या उस पार |या तो मोक्ष या अमित शाह की तरह 'वराह ज्वर' | 

बोला- ठीक है, अभी तो नहीं |लेकिन तू आ जा |इस बारे में भी विचार करेंगे |तब तक शायद यह ठिठुरन भी कम हो जाएगी और तरह-तरह के अखाड़ों की अखाड़ेबाजी भी |
हमने कहा- इस देश में अखाड़ेबाजी कभी कम नहीं हो सकती जैसे कि हर मौसम चुनावों का मौसम होता है | कभी लोकसभा, कभी विधान सभा तो कभी नगर निकाय |और कुछ भी नहीं छात्र संघों के चुनाव ही सही |





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Feb 4, 2019

पार्टी का राष्ट्रीय प्रवक्ता




पार्टी का राष्ट्रीय प्रवक्ता  



आज सुबह उठे तो लगातार तीन-चार छींकें आईं और बदन भी कुछ टूटता-सा अनुभव हुआ |जैसे ही तोताराम आया, हमने उसकी तरफ हाथ बढ़ाते हुए कहा- देख तो, कहीं 'वराह-ज्वर' तो नहीं हो गया ?

बोला- मास्टर, आज तेरे इस नए शब्द और संस्कृत-प्रेम ने तबियत खुश कर दी |वास्तव में बात वस्तु या विषय की नहीं, शब्दों की भी होती है |एक ही बात शब्द बदलते ही चमत्कारी और शालीन अर्थ देने लगती है |अंग्रेजी में गाली सुनकर भी लगता है जैसे भारत का हैप्पीनेस इंडेक्स ऊँचा उठा गया है |शब्द के अंत में विसर्ग और हलंत न या म आते ही सब कुछ देवत्त्व को प्राप्त हो जाता है |अब देख, कांग्रेस के प्रवक्ता बी के हरिप्रसाद ने अमित शाह के 'स्वाइन-फ्लू' को क्या कहा- सूअर का जुकाम |अरे, हमारे यहाँ तो सूअर को अंग्रेजी में 'पिग' कहा जाता है |'स्वाइनफ्लू' में तो कुछ दबा-ढका रहता है |उसका ग्रामीण हिंदी में अनुवाद करने की क्या ज़रूरत थी ? यह सब दुर्भावनावश और छोटी सोच के तहत किया गया था |

अब तूने भी तो वही स्वाइनफ्लू होने की शंका की लेकिन क्या बढ़िया शब्द निकाला है |कुछ भी हो तेरे पास दिमाग तो है |कभी-कभी काम में ले लिया कर |वाह- वराह-ज्वर |लगता है सूअर जुकाम नहीं 'आस्था चेनल' शुरू होने वाला है |

हमने कहा- तोताराम, ज्यादा प्रशंसा करने की जरूरत नहीं है |अब यदि हम कहें- प्रियवर, आज रात का अवशेष दुग्ध विकृत हो गया है अतः उसके विकल्प के रूप में आप अल्प उष्ण जल का पान कर हमें कृतार्थ करें | तो तुम्हें कैसा लगेगा ?

बोला- भाई साहब, भाषा कुछ भी हो लेकिन इस समय चाय तो आवश्यक है |दूध की नहीं तो नीम्बू वाली ही बनवा दें |

हमने कहा- तो फिर शब्दों की टांग क्यों तोड़ रहा है ?काने, अंधे, लंगडे, बहरे को पुराने संबोधन 'विकलांग' की जगह 'दिव्यांग' कहने से क्या फर्क पड़ जाएगा ? पहले भी तो अंधे को 'प्रज्ञाचक्षु' कहते ही थे |आजकल अपने इलाके के 'पाँच हजारी मासिक' वाले हिंदी पत्रकार 'कुत्ते' को 'श्वान' लिखने लगे हैं तो क्या कुत्ते का स्तर ऊँचा उठ गया ? अब यदि कभी तू किसी डाक्टर के पास अपना मोतियाबिंद का ओपरेशन करवाने जाए और ओपरेशन के बाद डाक्टर कहे- तोताराम जी, क्या बताएं ?दुःख है, हम आपकी आँख नहीं बचा सके |अब आप  'दिव्यांग' हो गए हैं तो कैसा लगेगा ?

बोला- कुछ हो मास्टर, 'कुत्ता' सुनने पर गली का खजुआ और कें-कें करता जीव ध्यान में आता है लेकिन 'श्वान' शब्द से लगता है जैसे किसी सत्ताधारी पार्टी का राष्ट्रीय  प्रवक्ता आ रहा है |







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