Mar 10, 2024

बासी खिचड़ी और हाथी का गू

बासी खिचड़ी और हाथी का गू 


आज चाय पीने के बाद तोताराम ने थोड़ा जोर से आवाज लगाई- आदरणीया भाभीजी, संतुष्टि नहीं हुई । 


हमने कहा- सरकारें अपनी गारंटी और डबल इंजन के प्रचार में रोज अखबारों के पहले पेज में विज्ञापन दें लेकिन सब जानते हैं कि ये कैसी गारंटी हैं और इनसे किसे और कितना लाभ हो रहा है । लेकिन हम बिना किसी चुनावी लाभ और गारंटी का ढिंढोरा पीटे तुझे रोज चाय पिलाते आ रहे हैं फिर भी तेरी आत्मा को संतुष्टि नहीं हुई जो ‘आदरणीया भाभीजी’ की गुहार लगा रहा है । याद रख, मनुष्य का स्वभाव ही है कि वह कभी संतुष्ट नहीं होता । और ब्राह्मणों के लिए तो कहा गया है- असंतुष्टा द्विजा नष्टा । तभी कहा गया है- जब आवै संतोष धन सब धन धूरि समान । 


तभी पत्नी कटोरी में कुछ लाई और बोली- लाला, अभी और कुछ संभव नहीं है । यह थोड़ी सी खिचड़ी है, इसी से संतुष्टि प्राप्त करो । 


तोताराम ने अजीब सा मुंह बनाकर कहा- भाभी, लगता है यह मास्टर बहुत  घुन्ना और रहस्यमय व्यक्ति है । कहीं किसी निजी प्लेन से रात रात में जामनगर होकर आ गया और किसीको पता भी नहीं चला । 


पत्नी ने कहा- लाला, लगता है तुम्हारा दिमाग चल गया है ।कहाँ का निजी प्लेन ?  खिचड़ी का जामनगर से क्या संबंध ?  

 

बोला- अकबर के जमाने में बीरबल की खिचड़ी नहीं पकी और आज भी जनता की दाल नहीं गल रही है । 80 करोड़ लोग केवल पाँच किलो अनाज के लिए भिखमंगों की तरह लाइन लगाते हैं लेकिन जामनगर में हाथियों के लिए खिचड़ी पक रही है, दाल भी अच्छी तरह गल रही है । एक करोड़पति एंकर ने तो प्याला भरकर खिचड़ी खाते हुए फैसला दे दिया कि उसने ऐसी स्वादिष्ट खिचड़ी पहली बार खाई है । लगता है मास्टर भी वहीं से खिचड़ी कबाड़ लाया है । यह भी तो खुद को अंतर्राष्ट्रीय स्तर का पत्रकार समझता है ।

अगर यह जामनगर वाले अनंत अंबानी के निजी ज़ू  ‘वनतारा’ में हाथियों को खिलाई जाने वाली खिचड़ी नहीं है क्या आपके पालतू बिल्ले ‘फाल्गुन’ और पालतू कुतिया ‘कूरो’ के लिया बनाई थी ?


हमने कहा- वैसे ये दोनों ही खिचड़ी नहीं खाते फिर भी ऐसा नहीं है कि हम इनके लिए कोई अलग तरह की रोटियाँ बनाते हैं । वही आटा, वही सब कुछ । हाँ, जानवरों की रोटी चुपड़ना ठीक नहीं होता इसलिए घी नहीं लगाते । 

हो सकता है ‘वनतारा’  वाली खिचड़ी में पतंजलि  का घी रहा हो इसलिए एंकर ने तो खा ली लेकिन अनंत ने डाइटिंग के चलते नहीं खाई । तू तो खाले । तू तो 40 किलो का है । अच्छा है, देह यष्टि थोड़ा गदरा जाएगी तो पर्सनेलिटी बन जाएगी । 


बोला-तेरी यह भुक्कड़ वाली खिचड़ी खाकर क्या धर्म बिगाड़ना ? कहा भी है- गू ही खाना पड़े हाथी का तो खाओ ।  सो खिचड़ी ही खाएंगे तो अंबानी वाली खाएंगे ।

 

हमने कहा- हाथी के मल को गू मत बोल । वैसे घोड़े, गधे और हाथी के मल को लीद कहते हैं लेकिन चूंकि हाथी गणेश का प्रतीक होता है तो उसे कम से कम गोबर जितना पवित्र दर्जा तो दिया ही जाना चाहिए । यदि तेरी अनुप्रास में निष्ठा है तो इसे ‘गजविष्ठा’ कह सकता है । 


बोला- तू माने या न माने लेकिन गू तो गू ही होता है, चाहे सूअर का हो या विष्णु भगवान का । 


हमने कहा- नहीं, ऐसा नहीं होता । व्हेल की उल्टी लाखों रुपए किलो में बिकती है । हाथी के निगलने के बाद कॉफी के जो बीज मल के साथ बाहर आते हैं उनसे बनी कॉफी दुनिया की सबसे महंगी कॉफी होती है । आजकल तो पाद भी बिकता है । सुनते हैं विकसित देशों में कुछ सुंदरियाँ गैस सिलेंडर की तरह शीशी में भरकर अपना पाद बेचकर लाखों रुपए कमाती हैं । कल का प्रवचन इसी पर होगा । फिलहाल इतना समझ ले कि वस्तु का कोई मूल्य नहीं होता उससे जुड़े संदर्भों का होता है । मोदी जी के 15 लाख के सूट को गुजरात के एक व्यापारी ने 4 करोड़ में खरीदा था । एक फुटबॉल खिलाड़ी के पुराने जूते भी लाखों में बिके थे ।  


बोला- हजारों व्यापारियों ने करोड़ों रुपए के चुनावी बॉन्ड क्या किसी महान राजनीतिक दर्शन से प्रभावित होकर खरीदे हैं ? सब साहब को खुश करके दस-बीस गुना कमाने के लिए खरीदे हैं ।तू कुछ भी कह लेकिन मीडिया की तरह मेरे इतने बुरे दिन भी नहीं आए हैं कि तेरी रात की बासी खिचड़ी खाऊँ और न ही इतना गया गुजरा हूँ कि किसी पद या सम्मान के लिए किसी विष्णु के अवतारी के पीछे बैठकर उसका पाद सूँघूँ  । 


हमने कहा- यह तेरा व्यक्तिगत फैसला है ।लाभान्वित हो या वंचित रह ।लेकिन बाद में किसी को दोष मत देना । बहुत से लोग बड़े लोगों के पीछे लगे रहकर  ‘पूज्य’ बन गए तभी तो ‘बहुत बड़े’ अवतारी लोगों को ‘पूज्यपाद’ कहा जाता है अर्थात ‘बहुत बड़े’ लोगों का ‘पाद’ भी पूज्य होता है ।   

 






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Mar 6, 2024

कौनसी एम सील


कौनसी एम सील 

तोताराम ने आते ही कहा- मास्टर, लीकेज की बड़ी समस्या है । 

हमने कहा- बुढ़ापे में यह समस्या हो ही जाती है, कभी आगे से तो कभी पीछे से ।

तोताराम में अजीब सा मुंह बनाते हुए कहा- आगे से, पीछे से क्या मतलब ?

हमने कहा- बुढ़ापे में जब प्रोस्टेट ग्रन्थि बढ़ जाती है तो यह नश्वर शरीर आगे से और जब अतिसार हो जाता है तो पीछे लीक होने लगता है । 

बोला- संस्कारी ब्राह्मण होकर कैसी वीभत्स रस की बातें करता है ?

हमने कहा- बात भले ही वीभत्स लगे लेकिन समस्या वास्तविक, जायज और महत्वपूर्ण है । राजा को हो जाए तो उसे भी विश्व नेताओं से भरे सम्मेलन से भी उठकर शौचालय जाना ही पड़ता है । 

तुझे कहाँ लीकेज हो रहा है ?

बोला- मैं तो ठीक हूँ लेकिन —

हमने बात काटी, कहा- तो फिर कोई बात नहीं । टंकी से पानी लीक हो रहा है तो एम सील लगा ले । 

बोला- नहीं, यह पेपर लीक का मामला है ।  पुलिस भर्ती लीकेज जिसमें 50 लाख परीक्षार्थियों को लटका दिया और अब यू पी बोर्ड की 10 वीं, बारहवीं के गणित और बायोलॉजी के पेपर लीक । 

हमने - तो भी एम सील काम करेगी । एम सील मतलब ‘मोदी सील’ । 

बोला- मोदी सील, मोदी तो टायर बनाते थे क्या अब सील भी बनाने लगे ?

हमने कहा- वह मोदीनगर वाले गूजरमल मोदी नहीं, अपने विष्णु के अवतार मोदी जी । वे कई तरह की सीलें बनाते हैं जिनके द्वारा वे पेट की ही नहीं ‘मुंह’ वाली लीकेज भी निष्प्रभावी कर देते हैं । पहली एम सील मर्यादा वाली मतलब यूएपीए, इससे जेल में बंद होने वाले के सभी तरह के लीकेज बंद हो जाते हैं । दूसरी एम सील मनी वाली मतलब ईडी वाली, मनी लांड्रिन्ग वाली इससे भी मुंह तत्काल बंद हो जाता है । तीसरी सबसे शक्तिशाली होती है मौन वाली एम सील । कुछ भी हो 'मौन' लगाओ । धीरे धीरे सब अपने आप शांत हो जाएगा । हर खाते में 15 लाख, दो करोड़ नौकरी, नोटबंदी, मणिपुर, महिला पहलवान सब मुद्दे शांत हो गए कि नहीं ? 

ऐसे ही यू पी का यह पेपर लीक भी शांत हो जाएगा । 

बोला- लेकिन मौन के लिए आलोचना तो मनमोहन जी की की जाती थी । 

हमने कहा- मनमोहन जी के पास तो मौन का रेन कोट ही था इनके पास तो बहुत शक्तिशाली वाटर प्रूफ तकनीक है कि चाहे लक्ष्य द्वीप का तट हो या द्वारिका का मोरपंखी जल स्तंभनासन हो, सब जगह से सूखे निकल आते हैं । 



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Mar 3, 2024

पानी में पी एम

पानी में पी एम 


आज तोताराम ने आते ही कहा- गए । 

हालांकि ये शब्द कोई बहुत उत्साहवर्द्धक नहीं होते । अशुभ की आशंका जताते हैं लेकिन ऐसा तब होता है जब अंगुली का इशारा ऊपर की ओर हो । तोताराम का इशारा नीचे की ओर था । 

हमने पूछा-  कहाँ गए , कौन गए  ?

बोला- मोदी जी गए पानी में ।  

हमने कहा- तो इसमें क्या नई बात है ? ये मोदी जी है । गए हैं तो आ जाएंगे । हाँ, अगर भैंस गई होती तो चिंता की बात होती । भैंस का क्या ठिकाना,  मणिपुर के जल जाने, 700 किसानों के मर जाने और नोटबंदी से अर्थव्यवस्था नष्ट-भ्रष्ट हो जाने के बाद भी लौटती या नहीं । चूंकि मोदी जी है तो किसी राष्ट्रहित के काम से गए होंगे । वे बिना बात कुछ नहीं करते । सही समय पर सही काम करते हैं । 

बोला- फिर भी !

हमने कहा- फिर भी क्या; उनकी जल, थल नभ सब जगह अप्रतिहत गति है काक भुशुंडी जी की तरह । और पानी ! तुझे पता होना चाहिए जैसे कृष्ण बचपन में गेंद लाने के लिए पानी में कूद गए थे और कालिय नाग को यमुना छोड़कर जाने को विवश कर दिया था वैसे ही मोदी जी मगरमच्छों के बीच से उनके बच्चे को उठा लाए थे ।कुछ दिन पहले लक्ष्यद्वीप के तट पर जल-क्रीडा करके मालदीव की अर्थव्यवस्था को गड़बड़ा दिया था । अब मोरपंख बांधकर जल में तपस्या करके कृष्ण जन्मभूमि का मुद्दा निकाल लाएंगे ।

चंपत राय ने उन्हें वैसे ही विष्णु का अवतार नहीं कहा है । 

बोला- हाँ, यह बात तो है । देखा नहीं, कैसे जल के तल में  रेड कार्पेट पर बैठे शांत भाव से पद्मासन लगाए तपस्या कर रहे थे । वैसे सामान्य आदमी तो पानी में उतरता है तो उसके बाल कैसे लहराने लगते हैं । कैसा अजीब सा  दिखने लग जाता है । 

हमने कहा- महाभारत में दुर्योधन भीम से गदा युद्ध में घायल होने के बाद पानी में छुप कर रहने लगा था । इसे जल स्तंभन योग विधि कहते हैं ।मोदी जी उआसे क्या कम है ? मोदी जी का विज्ञान वर्तमान तक कम किन्तु सुदूर अतीत में और सुदूर भविष्य में ज्यादा गतिशील रहता है । तभी कभी वे समय से पहले डिजिटल कैमरा और नेट ले आते हैं तो कभी बादलों की आड़ लेकर रडार को धता बता देते हैं । 

बोला- लेकिन क्या उनकी सभी जिम्मेदारियाँ समाप्त हो गईं जो इस प्रकार के काम करते हैं ?

हमने कहा- किसी करिश्माई नेता के लिए ऐसे ऊटपटाँग काम भी जरूरी हो जाते हैं । तुमने देखा नहीं, कैसे पुतिन नंगे बदन घोड़ा दौड़ाते हुए अपनी 'ही मैनशिप' का प्रदर्शन करते हैं । इससे पहले भी जब चीन के राष्ट्रपति माओत्से तुंग के बीमार होने की खबरें सुनते थे तभी उनके जल क्रीड़ा करते फ़ोटो आते थे । एक बार बुश भी ऐसे ही साइकिल चलाते हुए टांग तुड़वा बैठे थे । 

यह एक कूटनीति है कि अपने विरोधी नेता की अस्वस्थता और नैतिक कमजोरियों के बारे में अफवाहें फैलाई जाएँ । इसलिए इसके साथ ही यह भी जरूरी हो जाता है कि खुद ही अपनी दमदार छवि बनाने के लिए ऐसे नाटक भी  करते रहो । 

बोला- क्या तभी राहुल ने पिछले साल भारत जोड़ों यात्रा में ठंड के बावजूद केवल टी शर्ट ही पहने रखी ? 

हमने कहा- हो सकता है । 





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Feb 16, 2024

पहले डंका, अब परचम

पहले डंका, अब परचम 


हमारा घर धार्मिक रूप से बहुत सट्रेजेटिक पॉइंट पर है । दक्षिण में जयपुर रोड़ जहां एक हनुमान और शिव मंदिर है, थोड़ा और दक्षिण में चलें तो इंडस्ट्रियल एरिया की मस्जिद और मंदिर भी हैं । पश्चिम में मंडी के मंदिर-मस्जिद और पूर्व में एक भक्त द्वारा बनवाया गया निजी मंदिर । चारों तरफ सूर्योदय से पहले ही परलोक सुधारने वाली पुण्य ध्वनियाँ मिलकर एक ऐसा कोलाज रचती हैं कि कुछ समझ में नहीं आता । 

वैसे भी धर्म समझने की कम और  अंधानुकरण की चीज अधिक है ।  

इन सब के बीच एक पतली सी आवाज सुनाई दी जैसे किसी कव्वाली में कोई एक अलग सा आलाप । 

लगता है तोताराम आ गया । 

 अंदर घुसते हो बोला- चल, छत पर चलते हैं । 

हमने पूछा- क्यों ? हम कोई इमाम हैं जो देखकर बताएंगे कि ईद का चाँद दिखाई दिया या नहीं । क्या किसी का करवा चौथा का व्रत खुलवाने की उतावली में सबसे पहले चाँद दिख जाने की सूचना देनी है । 

बोला- जब मोदी जी ने दीये जलाने, थाली बजाने का आदेश दिया था तब तो नहीं पूछा कि यह अवैज्ञानिक नाटक क्यों करें । ठीक है मैं प्रधान सेवक नहीं हूँ लेकिन मोदी जी से साढ़े सात साल बड़ा हूँ । महान हिन्दू संस्कृति का उत्तराधिकारी संस्कारी ब्राह्मण हूँ । ऐसे ही कोई बकवास थोड़े कर रहा हूँ । 

अब हम कोई बात बढ़ाए बिना तोताराम के साथ छत पर चले गए । तोताराम ने  मंडी की दीवार के पार इशारा करते हुए पूछा- इधर कौनसी दिशा है ?

हमने कहा- पश्चिम । 

तोताराम ने फिर पूछा- क्या दिखाई दे रहा है ?

हमने कहा- सब कुछ दिखाई दे रहा है , इजराइली बबूल, पॉलिथीन की थैलियाँ, सड़ती सब्जियां, ओने-कोने गर्दन झुकाए खुले में शौच करते लोग और शीतल-मंद-सुगंध पवन जहँ बैठे हैं सब्जी वाले । 

बोला- और उस दुकान की छत पर ?

हमने कहा- एक भगवा झण्डा । 

बोला- गुड । तेरी दृष्टि इस बुढ़ापे में भी ठीक है । और अब ध्यान से सुनकर बात क्या सुनाई दे रहा है ?  

हमने कहा- दलालों की आवाजें सुनाई दे रही हैं- पैंसठ रूपिया, सत्तर रुपिया , सत्तर रुपिया , एक दो तीन । और मंडी के मस्जिद मंदिर से उठता  अजान, भजन आरती और नगाड़ों का मिला जुला शोर जिसमें कुछ समझ नहीं आ रहा है । 

बोला- ठीक है । अब सुन, इसी दिशा में मक्का-मदीना और आबूधाबी हैं । मुसलमान इसी दिशा की ओर मुँह करके नमाज पढ़ते हैं । ये जो नगाड़े की आवाज है वह मोदी जी का डंका बज रहा है और यह जो भगवा झण्डा देख रहा है वह हिन्दू परचम है । हिंदुओं के लिए दोहरी खुशी का अवसर है । अयोध्या के बाद अब एक मुस्लिम देश में मंदिर का उद्घाटन । 

हमने कहा- तोताराम, अपनी भाषा और उसका स्वर ठीक कर । यह कोई इस्लाम को पराजित करके हिन्दू धर्म की ध्वजा लहराने जैसा मामला नहीं है । और न ही अयोध्या जैसा विवादास्पद । तू ये सब हिन्दू-मुस्लिम घृणा फैलाने वाले गोदी मीडिया की हैड लाइनें पढ़ रहा है ।ऐसा लिखने , बोलने और फैलाने वाले बहुत घटिया और खतरनाक लोग हैं । ऐसे लोग इस देश की हजारों साल से चली आ रही सद्भावना को बिगाड़कर चुनाव जीतना चाहते हैं । उन्हें पता नहीं चुनाव जीतने से बड़ी बात है देश की सुख-शांति । एक बार दिलों में घृणा भर जाने के बाद उसे निकालना सदियों तक संभव नहीं होता । नहीं रोका गया तो जो काम अंग्रेज नहीं कर सके वह ये टुच्चे और कमीने लोग कर देंगे । 

तुझे पता होना चाहिए यह मंदिर कोई मस्जिद ढहाकर, किसी को पराजित करके नहीं बनाया जा रहा है । इसके लिए वहाँ के राष्ट्रपति ने यह जमीन खुशी से धर्मिक सद्भाव के तहत  ‘सूरज के चमकने तक के लिए’ दान में दी है । इसका डिजाइन एक ईसाई ने तैयार किया है ।   

इस भाव और अवसर की पवित्रता को छोटा मत कर । नेता आते-जाते रहेंगे लेकिन इंसानी सद्भाव की यह मिसाल हजारों साल सलामत रहेगी । 

हो सके तो अमन और भाईचारे की दुआ मांग । 

तोताराम ने जोर से कहा- आमीन । 

हमने कहा- तो इस खुशी में इस शनिवार को हनुमान जी को एक किलो पेड़ों का प्रसाद चढ़ाएंगे और तेरे दो पेड़े पक्के । 

बोला- इसके लिए और भी जोर से आमीन । 

 



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