Dec 30, 2016

श्री श्री जगदगुरु परमहंस स्वामी कैशलेसानंद महाराज

 श्री श्री जगदगुरु परमहंस स्वामी कैशलेसानंद महाराज

हमें तो अपने चारों ओर वे ही और वैसे ही लोग दिखाई देते हैं जो आज से सत्तर वर्ष पहले दिखाई दिया करते थे |आज भी मशीनों से अधिक मानव पर विश्वास करनेवाले लोग | सुना है जापान में एक रोबोट ने एक श्रमिक को दबोच लिया |लोगों ने स्विच बंद करके उसे छुड़ाया लेकिन तब तक वह मर चुका था |आदमी हो तो दया की संभावना भी रहती है लेकिन मशीन का क्या | न कोई संवेदना और न ही किसी दंड का भय |

पहले जहाँ आदमी हाट-बाज़ार में जाता था तो घूमने के साथ-साथ चार लोगों से संपर्क भी होता था |दुनिया जहान की चार बातें भी सुनने समझने को  मिलती थीं लेकिन आजकल तो ऐसी-ऐसी दुकाने खुल गई हैं जिनमें सामान उठाओ, मशीन से बिल बन जाएगा और आपके कार्ड से भुगतान हो जाएगा |सामान लो और जाओ |यदि आपने पैसे नहीं चुकाए तो ऐसी व्यवस्था भी है कि आप बाहर नहीं निकल सकेंगे और यदि ज्यादा चालाकी लगाई तो अलार्म बज जाएगा |आपकी हर गतिविधि सी.सी.टी.वी. कैमरे में कैद हो ही रही हैं |मतलब कि आदमी या आदमी के बच्चे का आदमी से कोई संपर्क नहीं |ऐसे में क्या ख़ाक शोपिंग हुई ?

लेकिन आज यही फैशन चल पड़ा और हमारा देश तो हर फैशन में सबसे आगे रहता है |भले ही खाने को दाने नहीं लेकिन विकास के नाम भाड़ के आसपास ज़रूर चक्कर लगाएँगे और मौका लगा तो भुनवाने का बिल भी पास करवा लेंगे |इसके लिए कहा गया है कि घोड़े को देखकर मेंढ़की ने कहा मुझे भी नाल लगवानी है |हमारा राम-राम करके महिना निकलता है |कहीं से कोई उधार मिलने की उम्मीद नहीं |ब्लेक या बेनामी कुछ होने का तो सवाल ही नहीं |रिश्वत का तो जब नौकरी में थे तभी कोई स्कोप नहीं था |किसे शब्द की वर्तनी अशुद्ध होने से फर्क पड़ने वाला था या दोहे-चौपाई की मात्राएँ कम ज्यादा होने से किसे नुकसान होना था |सो रिश्वत की बात तो दूर, लोग फ्री में भी जानना-सुनना नहीं चाहते थे |लेकिन अब सुना है स्मार्ट फोन लेना पड़ेगा, बिना नकदी का डिजिटल कैशलेस लेन-देन करना पड़ेगा | और हमारी हालत यह है कि महामहिम प्रणव दा की तरह एस.एम.एस. करना, किसी का नंबर सेव करना, किसी के आए हुए फोन का नंबर फिर से निकालना और रस भरी  बातों का निमंत्रण देने वाले अनचाहे मेसेज या कॉल आने तक को रोक सकना नहीं जानते | सो अब कैशलेस और डिजिटल होने में डर लगता है |गलत बटन दब  गया तो कहीं महिने की पेंशन से हाथ न धो बैठें |

यदि यह सब नहीं किया तो मोदी जी पता नहीं आतंकवादियों, भ्रष्टाचारियों, रिश्वतखोरों, कालाबाजारियों, नशीली दवाओं का व्यापार करने वाला और मानव तस्करी करने वाला बताकर जेल में न डाल दें |बंदा कड़क है |कहता है किसी को छोडूँगा नहीं |अब इस  'पोल्यूशन अंडर कंट्रोल' की तरह बात-बात में  'देशद्रोह अंडर कंट्रोल'  की जाँच में पता नहीं कहाँ फँसा दिए जाएँगे | मन में बड़ी घबराहट है |हम कोई गलत धंधा तो कर नहीं रहे कि नैतिक-अनैतिक पुलिस से हमारी जान-पहचान हो और वे कुछ ले-देकर निबट लें |एक्स्ट्रा कमाई नहीं तो एक्स्ट्रा खर्चा कहाँ से करें |

चिंतित थे कि तोताराम प्रकट हुआ |गले में एक लाकेट, माथे पर तिलक, कलाई में मोटा सा कलावा, भगवा कुर्ता और हल्की-हल्की दाढ़ी |बिलकुल शुद्ध भारतीय और देशभक्त |जैसे ही हमने समस्या उसके सामने रखी तो बोला- कोई बात नहीं |आज मेरे साथ चलना |श्री श्री जगदगुरु परमहंस स्वामी कैशलेसानंद महाराज आए हुए हैं |आजकल सब जगह कैशलेस हो रहा है और लोगों को इसे लेकर कई तरह की शंकाएँ और समयाएँ हैं | इसलिए उनके भक्तों ने समस्या-समाधान शिविर लगाया है |अभी तो फ्री एंट्री है |बाद में चल गया तो हो सकता है प्रवेश शुल्क लगना भी शुरू हो जाए |

वे उस शिविर में कैशलेस से घबराने वाले लोगों को विशेष प्रकार के प्राणायाम और आसन करवाएँगे, साइबर हैकिंगरोधी कवच, लाकेटआदि  'ऑफर प्राइस' में बाँटेंगे | एक साइबर यंत्र भी है जिसे अपने आधार कार्ड के साथ चिपकाने से बैंक खाते का पासवर्ड हैक नहीं होगा |जन्म राशि के अनुसार विभिन्न प्रकार से अभिमंत्रित राशि-रत्नों जड़ी अँगूठियाँ भी शिविर में रियायती मूल्यों पर उपलब्ध हैं | कैशलेसेश्वर महादेव और कैशलेसेश्वर हनुमान चालीसा भी हैं जिनका रोज रात को पाठ करने से भी कैशलेसी के कष्टों का निवारण होता है |यह सामग्री खरीदने पर एक पुस्तक भी मुफ्त उपलब्ध है- 'वैदिक काल में कैशलेस व्यवस्था' और 'कैशलेस और सोने की चिड़िया'  |  और भी बहुत कुछ है |

अगले दिन हम तोताराम के साथ शिविर में गए | शिविर में दो द्वार थे एक प्रवेश द्वार और दूसरा  निकास द्वार  | शिविर में आसन, प्राणायाम के बाद हमें लॉकेट आदि सभी सामग्री खरीदने के कारण  'साइबर यंत्र'  मुफ्त में मिला जिसे उन्होंने खुद ही हमारे आधार कार्ड पर चिपका दिया |शिविर समाप्ति के बाद जैसे ही निकास-द्वार से बाहर निकलने लगे तो गेट पर खड़े स्वयंसेवकों के कहा- कैशलेसेश्वर महादेव और केशलेसेश्वर हनुमान मंदिर के निर्माण के लिए सौ-सौ रूपए की रसीद भी कटवा लें और अपने नाम का 'देश भक्ति का प्रमाण पत्र' भी ले जाएँ जो किसी भी आर्थिक आपराधिक गतिविधि में फँसने पर काम आएगा |

मरता क्या न करता |डरता हर-हर करता |

हो सकता है यह हमें कैशलेसी के आर्थिक कष्टों से बचाए या नहीं लेकिन शायद कई प्रकार के सांस्कृतिक पुलिसियों से बचा ले |

अगले दिन जब बैंक में 'जीवन-प्रमाण-पत्र' देने और पासबुक पूरी करवाने के लिए गए तो पता चला कि हमारे खाते में से बीस हजार रुपए गायब हैं | देश को काले धन, आतंकवाद, नशीली दवाओं के व्यापार, भ्रष्टाचार, मानव तस्करी, घूसखोरी आदि जैसी बुराइयों से बचाने के लिए इतनी कीमत कोई बड़ी तो नहीं है |इसके बाद तो आगे अच्छे ही अच्छे दिन हैं |








Dec 24, 2016

हर चेहरे पर मुस्कराहट

  हर चेहरे पर मुस्कराहट 

आज तोताराम आया तो बहुत खुश था |हमें बड़ा सुखद आश्चर्य हुआ |कल ही हमारी मुख्यमंत्री ने कहा था कि हर चेहरे पर मुस्कराहट लाएँगे | हम इसे गरीबी मिटाओ और अच्छे दिन की तरह का एक जुमला ही समझ रहे थे लेकिन यह क्या ? कल मैडम ने घोषणा की और आज तोताराम के चेहरे पर माधुरी दीक्षित जैसी ब्रोड मुस्कराहट चिपकी हुई है |चमत्कार |

हमने पूछा-तोताराम, क्या तू वास्तव में मुस्करा रहा है या हमारी आँखों में कुछ गड़बड़ है |
बोला- तेरी आँखें बिलकुल ठीक हैं |मैं वास्तव में मुस्करा रहा हूँ |

हमने पूछा- तो क्या सातवें पे कमीशन का एरियर आ गया ? 

बोला- नहीं, लेकिन अब एक बहुत बड़ी समस्या का हल मिल गया |बिजली की जो दरें अब तक बात-बिना बात बढ़ रही थीं वे नहीं बढेंगी |और हो सकता है अब कम भी होने लग जाएँ |

हमने कहा- यह कैसे हो सकता है ? क्या आटा फिर से गेहूँ बन सकता है ? क्या चूजा फिर से अंडा बन सकता है ? क्या महँगाई बढ़कर कम होती है ? 

बोला- हो सकती है क्योंकि पहले बिजली की चोरी होती थी लेकिन अब आगे से नहीं होगी |

हमने कहा- क्यों ? क्या अब दबंग ग्रामीण और उनके नेताओं को देश के विकास में हिस्सेदारी नहीं चाहिए ?

बोला- यह बात नहीं है लेकिन अब से बिजली की चोरी नहीं होगी क्योंकि अब स्कूलों में बच्चों को प्रार्थना-सभा में बिजली चोरी न करने और अपने अभिभावकों को इसके प्रति जागरूक बनाने की शपथ दिलवाएँगे |

हमने कहा- हाँ, यह बात तो है |अब तक बेचारे माता-पिताओं को यह पता ही नहीं था कि बिजली के पैसे भी लगते हैं क्या ? यह भी पता नहीं था कि बिना पैसे दिए  किसी चीज का उपयोग करना चोरी होता है | वे तो यही समझते आ रहे हैं कि जैसे देश का सब कुछ  शासकों, सेवकों, बड़े अधिकारियों, बाहुबलियों और सत्ताधारी पार्टी कार्यकर्ताओं का होता है वैसे ही उन्हें भी सब कुछ मुफ्त में हड़पने या चोरी करने का अधिकार है | यदि प्रार्थना-सभा में शपथ लेकर भी बच्चे बड़े होकर अपने जनसेवकों और अभिभावकों का ही अनुसरण करेंगे तो ?

बोला- शपथ लेने के बाद नहीं करेंगे ?  वचन भी तो कोई चीज होता है |रामायण में लिखा नहीं है-
रघुकुल रीति सदा चलि आई 
प्राण जाय पर वचन न जाई
दशरथ ने प्राण दे दिए लेकिन कैकयी को दिया वचन भंग नहीं किया |और फिर अब तो रघुकुल शिरोमणि राम के भक्तों की सरकार है |

और मान ले फिर भी वे बिजली चोरी करें तो एक ही उपाय है कि उनके स्कूल के प्रधानाध्यापक का वेतन रोक लिया जाना चाहिए क्योंकि हो सकता है उसने ढंग से शपथ नहीं दिलवाई हो |

हमने पूछा- और यदि कोई मंत्री भ्रष्टाचार करे तो ?


-एकदम सिंपल, तो राष्ट्रपति या राज्यपाल की ज़िम्मेदारी- तोताराम ने उत्तर दिया |



Dec 14, 2016

निष्काम वक्ता

  निष्काम वक्ता 

 ११ दिसम्बर २०१६ को मोदी जी ने बनासकांठा में एक चीज़ फेक्ट्री के उद्घाटन के अवसर पर कहा- मुझे लोकसभा में बोलने नहीं दिया जाता तो मैंने जनसभा में बोलने का निश्चय किया है |

हमें बहुत बुरा लगा | जैसे ही तोताराम आया हम उसी पर पिल पड़े- देखा तोताराम, मोदी जी का क्या हाल बना दिया है ?  भले ही १०० में से मात्र ३१ वोट मिले हैं लेकिन सीटें तो दो तिहाई मिली हैं |पिछले २५ वर्षों से देश में जोड़-तोड़ के गठबंधन ही सरकार बनाते रहे हैं |ऐसे में यह बहुत  बड़ी उपलब्धि है |लोकतंत्र के उज्जवल भविष्य का संकेत है | लेकिन उसी दल के नेता को लोकसभा में बोलने तक नहीं दिया जाता | यह हाल तो तब है जब सबसे बड़े विरोधी दल तक को विरोधी दल का संवैधानिक दर्ज़ा तक प्राप्त नहीं है | 

तोताराम बोला- बोलने कौन नहीं दे रहा है ? मोदी जी क्या, उनके सिपहसालार तक संसद में दहाड़ रहे हैं | हर विपक्षी को हर बात पर गरिया और लतिया रहे हैं | बात यह नहीं है कि मोदी जी को बोलने नहीं दिया जा रहा है |बात यह है कि संसद में लोग टोका-टाकी करते हैं | मोदी जी को अपनी प्रायोजित रैलियों में बोलने का अभ्यास है जहाँ या तो पार्टी के टिकटार्थी, मंत्री-पदार्थी और ठेकार्थियों के अलावा वे लोग अधिक होते हैं जो दो सौ रुपए रोज की दिहाड़ी पर आए हुए होते हैं जिन्हें उनके बीच बैठे कार्यकर्त्ता या मंच पर पीछे बैठे निर्देशक बताते रहते हैं कि कहाँ ताली बजानी हैं, कहाँ नारे लगाने हैं और कहाँ 'मोऽदी..मोऽदी..मोऽदी..' चिल्लाना है | और उसमें मोदी जी चाहे जितना बोलें कोई टोकने वाला नहीं |

अब बन्धु, यह तो संसद है |जहाँ दूसरे भी कोई मिट्टी के माधो नहीं है और ये कोई पूर्ण पुरुष नहीं जिससे कि कोई गलती हो ही नहीं सकती |यह तो खुला मंच है कोई टी.वी.और रेडियो स्टेशन का आमंत्रित श्रोताओं वाला सुरक्षित कवि सम्मेलन तो है नहीं जहाँ हूट होने का डर ही न हो |

हमने कहा- तुमने वह किस्सा सुना नहीं ? एक महिला अपने पति को डाक्टर से पास लेकर गई और कहा- साहब, ये रात को नींद में बड़बड़ाते हैं |कोई दवा दीजिए |डाक्टर ने कहा- आप इन्हें दिन में बोलने का अवसर दिया कीजिए | जब दिन में बोलने नहीं देंगी तो फिर यही होगा कि ये नींद में बड़बड़ा कर अपनी खाज मिटाएँगे | बोलने की आदत गैस, दस्त,खुजली की तरह होती है |इसीलिए तो प्रेशर कुकर में प्रेशर रिलीज़ होने की भी व्यवस्था रहती है | 

लोकतंत्र में सभी बोलते हैं और सभी चुप भी रहते हैं |कभी हिट भी होते हैं और कभी पिट भी जाते हैं |इसे खेल भावना से लेना चाहिए |लेकिन आदत धीरे-धीरे ही तो बदलेगी |पहले भी तो गुजरात में स्पष्ट बहुत वाले सदन में बोलते रहे हैं |विपक्षियों को भी इस मामले में थोड़ा धैर्य और संयम से काम लेना चाहिए |अन्यथा उन दो सौ सांसदों की बला बनासकांठा की तरह के बेचारे सीधे-सादे लोगों पर पड़ेगी |

बोला- यह तो होगा ही |यदि बड़े-बड़े महापुरुषों की पत्नियाँ या जिनके नहीं थी तो उनके घर वाले उन्हें घर में थोड़ा बहुत बोलने का मौका देते रहते तो वे घर छोड़कर नहीं जाते और अपने भाषणों से देश-दुनिया के प्राण नहीं खाते फिरते |या फिर इसका एक उपाय और है कि संसद में निर्विघ्न बोलने की कामना करने वालों को प्रोफ़ेसर साहब की तरह अपना स्वभाव बदल लेना चाहिए |

हमने पूछा- कैसे ?

बोला- एक प्रोफ़ेसर साहब छुट्टी के दिन भी नियत समय पर तैयार होकर कॉलेज जाने लगी तो पत्नी ने टोका- आज तो छुट्टी है |कहाँ जा रहे हैं ?

लाचार प्रोफ़ेसर साहब ने घर पर ही अपना लेक्चर शुरू कर दिया तो पत्नी ने पूछा- यहाँ आपका लेक्चर कौन सुन रहा है ?

प्रोफ़ेसर साहब ने कहा- सुनता तो वहाँ भी कोई नहीं |






Dec 8, 2016

ऐसे नहीं चलेगा, रमेश जी भाई साहब

  ऐसे नहीं चलेगा, रमेश जी भाई साहब 

आज आते ही तोताराम ने बागी तेवर दिखाने शुरू कर दिए जैसे कि पार्टी का कोई अनुशासित सिपाही आत्मा की आवाज़ पर किसी दूसरी पार्टी में जाने से पहले कहा करता है- ऐसे नहीं चलेगा, रमेश जी भाई साहब |

हमने कहा- तोताराम, क्या नहीं चलेगा ? आतंकवादियों, कालेधन वालों और  रिश्वतखोरों की कमर तोड़ने के लिए नरेन्द्र भाई ने जो कदम उठाया है वह तो बड़े मज़े से चल रहा है |देखा नहीं, शादियों में 'आज मेरे यार की शादी है ' वाले पारंपरिक कमर तोड़ने वाले गीत की जगह 'मोदीजी नै काळै धन की वाट लगा दी रै ' गा-गाकर लोग कमर तुड़वाए जा रहे हैं | इससे ज्यादा सुखद परिणति किसी क्रांतिकारी कदम की और क्या हो सकती है ? 

बोला- मेरी भाषा से अपनी पार्टी वाली लाइन मत पकड़ |मैं तुझे पश्चिम वालों की बदमाशी के बारे में बताना चाहता हूँ | अब उनकी यह बदमाशी नहीं चलने वाली है | ज़रूरत हुई तो मैं अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय में भी जाऊँगा | द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद गाँधी जी को नोबल देते-देते चर्चिल को दे दिया |फिर अटल जी को देते-देते रुक गए |पिछली बार मोदी जी को 'पर्सन ऑफ़ द ईयर  का अवार्ड देते-देते अन्गिला मर्केल को दे दिया |और इस साल फिर मोदी जी को देते-देते ट्रंप को दे दिया |यह तो वैसे ही हुआ जैसे कोई बच्चा किसी बच्चे को देने के लिए टॉफी आगे बढ़ाए और जब वह पास में आए तो 'गप' से अपने मुँह में डाल ले |

हमने कहा- तोताराम, यह हम सबको समझ लेना चाहिए कि ये पश्चिम वाले कभी  पुरस्कारों, कभी सम्मानों और कभी सुरक्षा परिषद् की स्थायी सदस्यता का लालच दिखा-दिखा कर कभी हमें प्लेन बेच जाते हैं, कभी परमाणु रिएक्टर का सौदा पटा ले जाते हैं और करते-कराते कुछ नहीं | 

बोला- इसमें एक और बड़ी बदमाशी है |देख, जैसे ही ओबामा राष्ट्रपति चुने गए तो ऐन वक्त पर भागते-भागते उनका लास्ट डेट पर नोमिनेशन करवा दिया |और अब जब साल के २२ दिन बाक़ी हैं तभी २०१६ का 'पर्सन ऑफ़ द ईयर' का सम्मान  डिक्लेयर कर दिया |इतने दिन में क्या कोई चमत्कारिक काम नहीं किया जा सकता ? 

हमने कहा- जैसे ? 

बोला- मैं नवम्बर में चार बार-बार लाइन में लगकर अपने खाते में से दस हजार रुपए निकाल लाया |अब तीन चक्कर लगाकर अपनी पूरी पेंशन निकाल लाया और तुम्हारे सामने जिंदा खड़ा हूँ क्या यह 'पर्सन ऑफ़ द ईयर' के सम्मान के लायक काम नहीं है ?  

हमने कहा- तोताराम, यह ठीक है कि तुमने वास्तव में वीरों वाला काम किया है जिसके लिए किसी ने तुम्हें सम्मानित नहीं किया इसके लिए हम भारत देश और टाइम मैगजीन की तरह से क्षमाप्रर्थी हैं |पर हम मात्र तुझे यह सम्मान न मिलने के कारण दुखी नहीं हैं |हम इसलिए भी दुखी हैं कि ट्रंप मुसलमानों को अमरीका से भगाने के नाम पर जीते हैं |अब हम तो मोदी जी की ओर से चिन्तित हैं |पिछली बार यदि उन्हें 'पर्सन ऑफ़ द ईयर' का सम्मान दे दिया जाता तो शायद शांति से बैठे रहते |लेकिन नहीं मिला तो यह नोट बंदी वाला नाटक कर बैठे |अब पता नहीं, इस सम्मान के लिए कहीं जनवरी २०१७ में हिमालय को दक्षिण भारत में शिफ्ट करने का काम शुरू न कर दें | 

Dec 3, 2016

बंदियों का बंदी

 बंदियों के बंदी

जब से अर्थव्यवस्था को मुक्त किया गया है, पता ही नहीं चलता कहाँ क्या हो रहा है |पता नहीं, कब कौन सी कम्पनियाँ बना लेता है और कौन किस कंपनी में तालाबंदी करके सार्वजनिक बैंकों का पैसा लेकर लन्दन भाग जाता है |आजादी के समय ज़मीन की चकबंदी का चर्चा चला था |अपनी ज़मीन की बाड़बंदी, तारबंदी, हदबंदी भी होती ही आई है भले ही बाहुबली किसी भी बंदी को तोड़कर कुछ भी कर ले |अब देखिए ना,मध्य प्रदेश और पंजाब में जेलबंदी तोड़ी ही जा रही है | जब ख़रीदे हुए विधान सभा सदस्यों या सांसदों पर विश्वास नहीं होता तो उनकी बाड़ाबंदी की जाती है |इंदिरा जी के समय में नसबंदी चली थी |अब नोटबंदी चल रही है |मतलब लोकतंत्र में किसी न किसी 'बंदी' का बंदी तो आदमी को होना ही पड़ेगा |

पहले कभी हम किसी बंदी में इतने बंद नहीं हुए थे जितने इस नोटबंदी  के बंदी हो गए हैं |समझ लीजिए घर में ही नज़रबंद चल रहे हैं |बैंक की लाइन में लगकर शहीद होने का मन नहीं है |कभी छोटामोटा सामान इधर-उधर अड़ोस-पड़ोस की दुकान से ले आया करते थे |उसमें भी हमारा दर्ज़ा उधारिये का हो गया है |वैसे हमने दुकानदार को, दूधवाले को, दवा वाले को, सब्ज़ी वाले को एडवांस चेक दे दिए हैं लेकिन जब तक पैसे हाथ में न आ जाएँ तब तक वे सब इसे उधार ही मान कर चल रहे हैं |

आजकल हम और तोताराम भी कुछ विशेष बात और चोंच लड़ाई नहीं करते | इसलिए चाय का कार्यक्रम कुछ जल्दी ही निबट जाता है | जैसे ही तोताराम उठने को हुआ एक स्थानीय नौसिखिया पत्रकार हमारे सामने प्रकट हुआ और बोला- मास्टर जी, आजकल हम अपने अखबार में नोटबंदी के बारे में लोगों की फोटो सहित प्रतिक्रिया छाप रहे हैं |आपकी नोटबंदी के बारे में क्या प्रतिक्रिया है ?

हमने कहा- बस, सर्दी बढ़ने लगी है  इसलिए कहीं जाने का मन ही नहीं होता |मोदी जी के राज में मज़े कर रहे हैं |ले रहे हैं मुफ्त का विटामिन डी | वैसे लाइफ सर्टिफिकेट देने की तारीख़ भी तो बढ़ा दी है |हो आएँगे जब मन करेगा |

जब तोताराम का नंबर आया तो बोला- बहुत अच्छा कदम है |सभी बेकार के लोग कम से कम लाइनों में तो खड़े हैं |इसलिए बदमाशियाँ भी कुछ कम हो गई हैं | दो हजार के नोट छापने से एक हजार वाले की बजाय कागज़ कम लगेगा और रखने में भी कम जगह घेरेगा | 

पत्रकार के जाने के बाद हमने कहा- तोताराम, आज तो तेरी बात कुछ जमी नहीं |यह नोटबंदी के समर्थन में बड़ा लचर तर्क है |

बोला- तूने कौनसा बोल्ड स्टेटमेंट दे दिया | वैसे मोदी जी ने नोटबंदी के बारे में स्मार्ट फोन पर राय भी तो माँगी थी जिसमें ९८ प्रतिशत लोगों ने उनका समर्थन किया था |जब ३१ प्रतिशत में सरकार बनाई जा सकती है तो ९८ प्रतिशत वोट मिलने पर तो नोटबंदी ही क्या, 'दस्त बंदी' से 'साँस बंदी' तक कुछ भी 'बंदी' की जा सकती है |ऐसे में और क्या कहा जाए ?अगर कुछ ज्यादा बोल दिया और बात ऊपर तक पहुँच गई तो मेरा नाम काले धन वालों में आ जाएगा और मेरा सातवें पे कमीशन का एरियर बंद कर दिया जाएगा |वैसे इस समय  कोई दुःख, बीमारी और समस्या देश में नहीं है | बस, दो ही तरह के लोग हैं |जो दुखी दिख रहे हैं वे काले धन वाले हैं और जो शांतिपूर्वक लाइन में लगे हुए हैं वे नोटबंदी का समर्थन कर रहे हैं और ईमानदार हैं  | 
मोहल्ले में एक शादी है |जैसे ही तोताराम की बात ख़त्म हुई, माइक पर जोर से गाना शुरू हो गया- 'मोदी जी नै काले धन की वाट लगादी रै' | 
और तोताराम जोर-जोर से कमर मटका-मटकाकर नाचने लगा |सुरक्षा की दृष्टि से ज़रूरी भी है |

Dec 1, 2016

सोच समझकर लिया गया निर्णय

  सोच समझकर लिया गया निर्णय 

पेंशन लेने दूसरे हफ्ते में जाते हैं क्योंकि महिने के पहले हफ्ते पेंशन वालों की बहुत भीड़ रहती है | और फिर इस महिने जीवित होने का प्रमाणपत्र भी देना होता है सो दोनों कामों का तालमेल बैठाते-बैठाते ८ नवम्बर  को यह नोटों वाला चक्कर आगया | सो हमें बैंक जाने की ज़रूरत ही नहीं पड़ी, नोट बदलवाने वालों की लाइन ही लम्बी होते-होते हमारे घर तक आ गई |किसी तरह गली के दुकानदार से ही बेशर्म होकर उधार खा रहे हैं |सब्ज़ी की जगह दाल और कढ़ी से काम चला रहे हैं |उम्मीद है महिने के अंत तक तो सुधार हो ही जाएगा |


यही सोचते हुए दोपहर की झपकी ले रहे थे कि फोन आ गया |बैंक में पेंशन वाला बाबू थोड़ा परिचित है, उसीका फोन था  |बोला- तोताराम जी, आज लाइन में आकर लगे थे |खड़े-खड़े चक्कर आ गया है |नंबर तो आज क्या आना है |अच्छा हो, आप इन्हें ले जाएँ | 

सो बस, तोताराम के साथ अभी बैंक से लौटे हैं |

हमने कहा- तोताराम, तेरा कौन सा ५००-१००० के नोटों का भंडार बेकार हुआ जा रहा था | ३० दिसंबर तक का समय है |अभी तो काम चल ही रहा है उधार में |क्या ज़रूरत थी ओखली में सिर देने की |अब इस उम्र में ऐसे फालतू के काम करते हुए कुछ सोचकर समझ लिया कर |नोट बदलवाने के चक्कर में कई बुज़ुर्ग लाइन में ही वीरगति को प्राप्त हो गए हैं

बोला- बहुत सोच समझकर ही निर्णय लिया है |

हमने कहा-तेरे इस सोच समझकर लिए गए निर्णय पर एक किस्सा सुन |एक मास्टर जी थे |रोज सवेरे अपने चबूतरे पर बैठकर दातुन किया करते थे |और यही समय होता उनके पड़ोसी का अपनी भैंस को खेत में लेजाने का | भैंस मुर्रा नस्ल की स्वस्थ, सुन्दर और दुधारू थी | सींग एकदम गोल |मास्टर जी रोज सोचते कि इसके सींगों के बीच की गोलाई ठीक मेरे सिर की गोलाई जितनी है | बहुत दिनों तक सोचते रहे और एक दिन साहस करके अपने अनुमान की सत्यता का निर्णय करने के लिए अपना सिर भैंस के सींगों में फिट कर ही दिया |

भैंस के लिए यह एक नया अनुभव था |वह चमक गई और मास्टर जी का सिर अपने सींगों में फँसाए-फँसाए दौड़ पड़ी |मास्टर जी चिल्लाने लगे |लोगों के लिए यह एक अजीब दृश्य था |किसी तरह लोगों ने भैंस को कब्ज़े में किया और मास्टर जी को सिर सहित निकाला |

जब मास्टर की को कुछ साँस आया तो लोगों ने कहा- मास्टर जी, आप पढ़े-लिखे आदमी हो, कुछ तो सोचा होता |

मास्टर जी बोले- तो क्या आप मुझे बेवकूफ समझते हो |सिर फँसाने से पहले पूरे एक साल तक सोचा है |

तोताराम चिढ़ गया, बोला- और मोदी जी ने कहा है कि वे नोट बदलने की दस महीने से तैयारी कर रहे थे तो क्या तू मोदी जी के इस कदम की इस तरह व्याख्या कर रहा है |अरे, उन्हें इस देश की सत्तर सालों की गड़बड़ियों को ठीक करना है तो ऐसे निर्णय तो लेने ही होंगे | 

हमने कहा- बन्धु, उन्हें पूर्णबहुमत मिला है | अब वे भले ही हर छः महीने में नोट बदलें लेकिन तुझे कुछ हो जाता तो पता है, डाक्टर सौ-सौ के नोटों के बिना इलाज भी नहीं करता और कल ही एक और खबर बन जाती- सीकर में नोट बदलवाने की लाइन में खड़े एक ७५ वर्षीय वृद्ध को  दिल का दौरा पड़ा | डाक्टरों ने पुराने नोट लेने से मना किया | मृतक का नाम तोताराम बताया गया है |