Aug 29, 2020

जोर से बोल....



 ज़ोर से बोल ..........


हम बरामदे में बैठे थे |तोताराम आया लेकिन हमारे पास आकर नहीं बैठा ?

हमने कहा- क्या बात है ? हमें न तो कोरोना है और न ही होने की कोई संभावना है  |पहले जब कोरोना हिन्दू था तब तबलीगियों को हुआ करता था |अब कोरोना आम आदमी हो गया है इसलिए नेताओं को हो रहा है |अब किस-किस के नाम गिनाएं ?पञ्च से प्रधान तक किसी को नहीं छोड़ रहा है | हम न तबलीगी हैं और न नेता |इसलिए निर्भय होकर बरामदे में आ जा |

बोला- ज़ोर से बोल | 

हमने थोड़ा ज़ोर से बोलते हुए कहा- आ बैठ जा |

तोताराम फिर बोला- और ज़ोर से बोल |

हमने कहा- या तो तू नेता हो गया है या फिर भगवान | दोनों ही किसी की नहीं सुनते |जो मन आया बोलते हैं और जो मन आया करते हैं |अभी तो पेंशन आई हुई है कोई सस्ती सी हीयरिंग ऐड ले ले |

बोला- मुझे तो सब सुनता है |मैं तो तेरा कोरोना चेक कर रहा था |

हमने कहा- हम प्रज्ञा के पैदा होने से पहले से ही 'हनुमान चालीसा' का पाठ करते हैं और अर्जुन मेघवाल जी के बताने से पहले से अपनी भाभी के बनाए पापड़ खाते हैं |

बोला- वैसे तो तेरे ही क्या, इस देश के हर आस्थावान नागरिक के पास वैदिक ज्ञान का ऐसा भण्डार है जिसमें से नौकरी, खाना-पीना, कपड़े और मकान जैसी तुच्छ चीजों के अतिरिक्त सब कुछ मिल जाता है |लेकिन मैं तो परीक्षण के तौर पर तेरा कोरोना टेस्ट कर रहा था |

हमने कहा- फीस क्या लगेगी ?

बोला- यह फ्री वाला टेस्ट है |आवाज़ से ही हो जाता है |

हमने कहा- शायद कोई सांस्कृतिक, आध्यात्मिक और धार्मिक जैसी तकनीक है  जिनके तहत आतंकवादियों को उनके कपड़ों, दाढ़ी और पायजामे से पहचान लिया जाता है |

बोला- तुझे टेस्ट करवाना है तो करवा |

हमने कहा- टेस्ट न करवाना ही ठीक है |तुलसी कहते हैं-

सबतें भले विमूढ़ जिन्हें न व्यापे जगत मति 

अच्छा है, अज्ञान अज्ञान में ही समय निकल जाए |नहीं तो अगर तूने गलती से भी  पोजिटिव बता दिया तो डर के मारे वैसे ही मर जाएंगे |हाँ, यदि उचित समझे तो इस तकनीक के बारे में कुछ ज़रूर बता दे |क्या है यह तकनीक ?


सांकेतिक तस्वीर

बोला-  बीएमसी ( वृहन्मुम्बई नगर निगम )  के एडिशनल  कमिश्नर सुरेश काकानी के मुताबिक आवाज की टेस्टिंग से आधे घंटे में पता चल जाएगा कि व्यक्ति कोरोना पॉजिटिव है या नेगेटिव है। कोरोना की वजह से फेफड़ों की मांसपेशियां प्रभावित होती हैं। फेफड़ों की मांसपेशियों में सूजन आ जाती है जिससे आवाज भी बदल जाती है।

हमने कहा- अडवानी जी और अमर सिंह जी की आवाज़ की बात और है |उनकी जैसी भी है मौलिक और स्वस्थ आवाज़ है | कई बार कुछ नेताओं की खनकती आवाज़ अचानक कमजोर पड़ जाती है तो उन्हें भी क्या कोई बीमारी हो सकती है ? 

बोला- नहीं, उसका कारण दूसरा होता है |या तो उनकी किसी घोटाले की फ़ाइल खुल जाती है या कोई लाभ का पद मिल जाता है |यह भी एक प्रकार का कोरोना ही है जिसमें शरीर का कम और आत्मा का अधिक नुकसान होता है |














 


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Aug 27, 2020

शिलान्यास का प्रसाद



शिलान्यास का प्रसाद 

हम बरामदे में बैठे थे |आज तोताराम बड़े रुआब में था |

बोला- उठो, अन्दर जाओ |अच्छी तरह हाथ धोकर आओ |

हमने कहा- क्या हमारे हाथ पर कोई कोरोनासुर बैठा हुआ है ? जैसे कहते हैं- शेरों के मुँह कौन धोता है ? सो मास्टरों के हाथ सदा पवित्र ही रहते हैं |लोग तो देश का गला दबाकर भी हाथ नहीं धोते |क्या लगा हुआ है हमारे हाथों में ?

बोला- तुझे नहीं रोकूँगा तो तू इस हाथ धोने और न धोने के बारे में ही दस घंटे प्रवचन झाड़ता रहेगा |तुम बकबकियों के साथ यही समस्या है |कोई भी विषय हो; हो जाते हैं शुरू |एक महिला फोन पर घंटों बात किया करती थी |एक दिन कोई फोन आया और उसने आधे घंटे में ही रख दिया |

पति ने पूछा- क्या बात है ? आज बात जल्दी कैसे ख़तम हो गई ?

पत्नी बोली- रोंग नंबर था |

सो तुम भी उन्हीं में से हो जो रोंग नंबर पर भी कम से कम आधा घंटा तो बात कर ही लेते हैं |

हमने कहा- लेकिन ऐसा कौन सा काम है जो हमारे हाथ धोये बिना नहीं हो सकता ?

बोला- पवित्र प्रसाद है |रामजी के मंदिर के शिला-पूजन का |

हमने कहा- कल ही तो शिला पूजन था और आज सुबह तू प्रसाद भी ले आया | हमने तो सुना है कि योगी जी ने प्रसाद का पहला पैकेट महाबीर नाम के किसी दलित के यहाँ पहुंचाया है |लगता है उससे भी पहले तुझे उपकृत कर दिया |लगता है योगी जी से तेरा कोई कनेक्शन है |

बोला- तुझे आम खाने हैं कि पेड़ गिनने ?

हमने कहा- ज़माना खराब है |सरकार राष्ट्र-रक्षा के नाम पर जाने किन-किन को बुलाकर प्रश्न करने लगी है |फोन भी रख लेती है जिससे पता चल सके कि वह किसी राष्ट्रद्रोह की गतिविधि में तो शामिल नहीं है |इसलिए आम खाने को मिले या नहीं लेकिन पेड़ ज़रूर गिन लेने चाहियें जिससे वक़्त ज़रूरत यह बताने में सुविधा रहे कि जब लोग आम चूस रहे थे तब तुम क्या कर रहे थे ?

बोला- मास्टर, मैं चलता हूँ |तुझसे बात करने का कोई फायदा नहीं |किसी भी बात को टालने में, मुद्दे का सत्यानाश करने में संबित पात्रा की तरह तेरा भी कोई ज़वाब नहीं | 

हमने हाथ फैलाते हुए कहा- तो ला प्रसाद |राम के प्रसाद से तो मुर्दों को खाने वाले जटायु का उद्धार हो गया तो हम भी पवित्र हो जाएँगे |




तोताराम ने एक सूखा लड्डू हमारे हाथ पर रख दिया |हमने भी पूरा का पूरा मुंह में रख लिया |
नाक के छेद भी तो मुँह में ही खुलते हैं जैसे कि अपराधियों के घरों से सुरंगें सेवकों के तहखाने में खुलती हैं |एक अज़ीब सी गंध का भभका नाक में भर गया |

हमने पूछा- क्या बात है ?  कहीं ये लड्डू गाय के घी की बजाय अयोध्या के किसी 'लोकल के लिए वोकल' घी निर्माता द्वारा सप्लाई घी से तो नहीं बने हैं ?

बोला- तेरी रोग प्रतिरोधक क्षमता दुरुस्त है |तुझे कुपोषण हो सकता है लेकिन कोरोना पोजिटिव नहीं है |

हमने कहा- हम प्रसाद की बात कर रहे हैं और तू हमें कोरोना में घसीट रहा है |

बोला- कोरना पोजिटिव वाले को गंध नहीं आती लेकिन तुझे मुँह में रखते ही पता चल गया |मतलब कोरोना तो नहीं है |

हमने खीझकर पूछा- लेकिन यह है क्या ?

बोला- ओरिजिनल है, १० नवम्बर १९८९ वाला |

हमें गुस्सा आया, पूछा- यह १० नवम्बर का क्या ममला है ?


बोला- 9 नवंबर १९८९ की सुबह ठीक 9 बजकर 33 मिनट पूर्वा भाद्रपद नक्षत्र में शिलान्यास के लिए जमीन की पूजा की गई। स्वामी वामदेव ने भूमि पूजन किया। नींव की खुदाई के लिए पहला फावड़ा महंत अवैद्यनाथ ने चलाया। परमहंस रामचंद्र दास, स्वामी वामदेव और सत्यमित्रानंद गिरि ने भी बारी-बारी से खुदाई की। बाद में नृत्य गोपाल दास, अशोक सिंघल, एचवी शेषाद्रि, स्वामी चिन्मयानंद, रामानंदाचार्य-रामानुजाचार्य और धर्मदास ने भी नींव की खुदाई की। दूसरे रोज 10 नवंबर को एक बजकर चालीस मिनट पर उत्तरा भाद्रपद नक्षत्र में शिलान्यास हुआ। बिहार के एक हरिजन कामेश्वर चौपाल के हाथों मंदिर की पहली शिला रखी गई।


हमने कहा- तो फिर दुबारा शिलापूजन का यह नाटक करने की क्या ज़रूरत थी ?




Head of Ram Janmbhoomi Nyas, Mahant Nritya Gopal Das' security has ...

बोला- यह तो मैं क्या बता सकता हूँ |नृत्य गोपाल दास जी के अतिरिक्त ओरिजिनल शिला पूजन के सभी लोग राम के पास पहुँच चुके हैं |जब महंत जी ही कुछ नहीं बोल सके तो मेरी कौन सुनेगा ?

वैसे हमें राम मंदिर का श्रेय लेने वाली भाजपा और संघ से भी क्या मतलब ? जिन्हें राम की सियासत करनी है उसकी वे  जानें |

हमने कहा- तोताराम, हमारे हिसाब से तो राम का मंदिर कभी टूटा ही नहीं |कभी लगा ही नहीं कि राम का मंदिर नहीं है |घट-घटवासी का मंदिर कौन तोड़ सकता है ?

बैठ, हम खिलाते हैं तुझे एकदम ताज़ा प्रसाद |कल बच्चे जयपुर गए थे वहाँ से मोती डूंगरी के गणेश जी का प्रसाद लाए हैं |

मुँह में लड्डू रखते हुए तोताराम बोला- विनायक जी राम के इस देश की मर्यादा सलामत रखें |
















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Aug 26, 2020

मैं भी अयोध्या नहीं जा रहा हूँ



मैं भी अयोध्या नहीं जा रहा हूँ 


आज रक्षाबंधन है |हम तो अपनी रक्षा का जिम्मा दीन दयाल (उपाध्याय नहीं ) को सौंपकर निश्चिन्त हैं | कोरोना की कोई दवा ही नहीं है |पुराने गमछे से बना मास्क है और अपने बरामदे में एकांतवास | जिसे जिंदा रहना है तो अपनी रोग प्रतिरोधक क्षमता के बल पर रहना है, अपने आत्मबल के बूते रहना है और अपने धनबल के अनुसार  अस्पताल में भर्ती होना है तो चिंता किस बात की | नेताओं की बात और है |उनके लिए गुरुग्राम का मेदान्ता है, सरकारी पैसा है, देश की शुभकामनाएं हैं और कुर्सी की क्षमता है |

आज तोताराम आया तो बोला- मास्टर, मैं भी अयोध्या नहीं जा रहा हूँ |

हमने कहा- ठीक है तो फिर तुमने जो चार्टर्ड प्लेन बुक करवाया था उसे केंसिल करवा देते हैं |

बोला- क्यों मज़ाक कर रहा है ?

हमने कहा- लेकिन शुरू किसने किया था ? 

बोला- ठीक है, जब राम मंदिर के शिलापूजन में देश भर से मात्र २०० लोग बुलाए जा रहे हैं और उनमें से भी ऐन वक़्त पर बड़े-बड़े लोग कोरोना ग्रस्त हो रहे हैं तो बेकार में रिस्क लेने से क्या फायदा ?  आडवानी जी, जोशी जी भी नहीं जा रहे हैं |उमा भारती जी भी नहीं जा रही हैं | सभी बड़े-बड़े लोगों ने कह दिया है कि जो जो उनके संपर्क में आए हैं वे अपने को क्वेरंटाइन कर लें |


(मै भोपाल से आज रवाना होऊंगी । कल शाम अयोध्या पहुँचने तक मेरी किसी संक्रमित व्यक्ति से मुलाकात हो सकती हैं ऐसी स्थिति में जहाँ @narendramodi और सेकडो लोग उपस्थित हो मै उस स्थान से दूरी रखूँगी । तथा @narendramodi और सभी समूह के चले जाने के बाद ही मै रामलला के दर्शन करने पहुँचूँगी।)

हमने पूछा- तो क्या तू भी येदुयेरप्पा, अमित शाह और अमिताभ बच्चन से मिलकर आया था |

बोला- मिलने से ही क्या होता है इनके फोटो तो रोज देखता हूँ |ये तो मेरे दिल में बसे हुए हैं |इलाज से सावधानी बेहतर होती है |खुद को अपनी सुरक्षा की चिंता नहीं है तो क्या हुआ, दूसरों को खतरे में डालना कहाँ की समझदारी है ? 

हमने पूछा - तो फिर राम लला के दर्शन का क्या होगा ?

बोला- भीड़भाड़ में वैसे भी दर्शन का क्या मज़ा ? उस भीड़ में केवल लोगों के सिर दीखेंगे |वैसे ही किसी सिर के सामने सिर झुकाकर दिल बहलाने से क्या फायदा ?जिस दिन कोई अशुभ मुहूर्त होगा और जिस दिन सबसे कम लोग दर्शन के लिए जाएंगे उस दिन जाऊँगा मैं तो |कम से कम दर्शन तो ढंग से हो सकेंगे |और फिर अपना राम तो अपने घट में बसने वाला है |

हमने कहा- अच्छा है, जो तू नहीं जा रहा है |यदि तू जाता तो मोदी जी तुझे अपने साथ ज़रूर बैठाते |और उन्हें कुछ हो जाता तो ? बाद में ही जाना |जब राम मंदिर का शिलान्यास हो जाएगा तो कोरोना भी फिर कितने दिन टिक पाएगा ? 








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Aug 23, 2020

ढोली थारो ढोल बाजे



ढोली थारो ढोल बाजे 


आज तोताराम कूड़े में से पोलीथिन बीनने वाले बच्चों की तरह एक बड़ा-सा थैला अपनी पीठ पर लटकाए हुए हाज़िर हुआ |जिस सरलता से तोताराम थैले को उठाए हुए था उससे पता चल रहा था इसमें भी हलकी चीज ही रखी हुई है |फिर भी इतनी हलकी भी क्या कि तोताराम उसे ऐसे उठाए जैसे कि घर से भागते समय नायिका एक बड़ा-सा सूटकेस मज़े से हिलाती हुई चल रही होती है |  

हमने कहा- तोताराम लगता है इसमें तेरी तरह ही कोई बहुत हलकी चीज है |

बोला- तो तू मुझे हलका कहना चाहता है | चल, तेरा ही क्या रोना रोएँ |आजकल तो      सड़क से संसद तक,वाराणसी से वाशिंगटन तक सब कुछ हल्का ही हल्का नज़र आ रहा है |

हमने कहा- जब सब कुछ ही हवा में है तो हल्का तो होना ही है |वास्तविकता में कुछ हो तो वज़न भी हो |इसीलिए जब शरीर को पञ्च तत्त्वों से बना बताया जाता है तो सॉलिड माने पृथ्वी और पोला-खोखला माने आकाश |जब करने को कुछ नहीं होता या कुछ कारण ही नहीं है तो आकाशी, आभासी और हवाई बातों से ही काम चलाना पड़ता है |तभी हम हनुमान चालीसा से कोरोना मिटाना चाहते हैं तो ट्रंप अमरीकी गौरव और ग्रेटनेस से चुनाव जितना चाहते हैं |वैसे तेरे इस विराट थैले में कौनसी हवा भरी हुई है ?

बोला- इसमें ढोल है और उसमें हवा है |सुरक्षित हवा, गूँजने व गरजने वाली हवा |

हमने कहा- लेकिन ढोल में तो पोल भी तो होती है |


बोला- पोल का मतलब 'मतदान' और 'पोलिटिकल साइंस' भी होता है इसी समानता के कारण आज के तथाकथित लोकतंत्र में किसी न किसी प्रकार का ढोल और पोल जरूरी है |अपने लिए और केबिनेट में बने रहने के लिए ऊपर वाले का पीटने के लिए ढोल तो ज़रूरी है |

हमने कहा- तो तू आजकल किसका ढोल बजा रहा है ?

बोला- ढोल बजाना भी कोई सामान्य काम नहीं है |जब संकट आता है तो जिनके लिए बजाते हैं वे तो खिसक लेते हैं और चक्कर में आते हैं मेरे जैसे छोटे लोग |

Mark Zuckerberg's Facebook Profile Pic is Tricolour Camouflaged







हमने पूछा- यह क्या बेताल वाला प्रश्न है ?

बोला- तो ढोल की दो लघु कथाएँ सुन-

एक : 
एक बार कुछ चोर चोरी करने जा रहे थे |वे वास्तव में अपना धर्म-पालन कर रहे थे |सेवकों की तरह नहीं कि नौकरी हो चौकीदार की और करें चोरी |वे वास्तव में चोर थे और चोरी करने जा रहे थे |रास्ते में एक ढोली मिला |मज़े के लिए उन्होंने उसे साथ ले लिया |चोर एक बुढ़िया के घर में घुसे |घर में हँडिया में दूध था |चोरों को भूख भी लगी हुई थी |उन्होंने ढोली को खीर बनाने के लिए कह दिया |चोर सामान समेटने में लगे रहे |खीर बन गई |ढोली ने सोचा, सारा सामान बुढ़िया का है तो क्यों न इसे भी थोड़ी खीर दे दी जाए |उसने थोड़ी सी खीर बुढ़िया की खाट से नीचे लटकती हुई हथेली पर रख दी |खीर गरम थी |बुढ़िया चिल्लाई |ढोली सहित चोर भाग लिए |वे बाजरे के खेत में से छुपते हुए भाग रहे थे लेकिन बाजरे के सिट्टे ढोली के ढोल से लगकर आवाज़ करते जा रहे थे |सब पकड़ लिए गए |

इससे चोरों ने सीखा कि ढोली को अपने साथ नहीं रखना चाहिए |विशेषरूप से ऐसे ढोली को जिसकी ढोलक अपनी हो |बाद में उन्होंने ऐसे ढोलियों को नियुक्त किया जो उनका दिया ढोल, उनके अनुसार बजाते थे |


दो : 
एक बार दो सेनाओं में युद्ध हुआ |हारी हुई सेना के बहुत से लोग बंदी बना लिए गए |जीती हुई सेना के सेनापति द्वारा सब बंदियों से उनका परिचय पूछा जा रहा था |कोई किसी पद पर, कोई किसी पद पर |एक व्यक्ति ने कहा- मैं सैनिक नहीं हूँ |मुझे छोड़ दीजिए |

पूछा गया- तू क्या करता है ?

बोला- मैं ढोल बजता हूँ | ढोल सुनकर सैनिकों को जोश आ जाता है और वे लड़ने के लिए बेचैन हो जाते हैं |

सेनापति ने कहा- इन सैनिकों को छोड़ दो और इस ढोली को फाँसी पर लटका दो |यही सब खुराफात की जड़ है |

हमने कहा-  तोताराम, कहीं वह ढोली ही तो इस जन्म में फेसबुक वाले जकरबर्ग के रूप में अवतरित नहीं हो गया ? इसके फेस बुक से भी अपने यहाँ हिन्दू मुसलमानों में वैमनस्य और घृणा बढ़ाने वाली अफवाहें फैलाई जा रही हैं |इसे फाँसी पर चढाने का फरमान तो हम नहीं दे सकते फिर भी क्या इसे बुलाकर सेट नहीं किया जा सकता ? 

बोला- दंड सत्ता की खिलाफत करने पर मिलता है, सहयोग करने पर नहीं |सहयोग करने पर तो बिजनेस और प्रेम की झप्पी मिलती है | 


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Aug 21, 2020

राफाल का नामकरण



राफाल का नामकरण संस्कार 



कोरोना कर्फ्यू के बावजूद आज तोताराम दुबारा आ गया मतलब शाम को भी |

हमने कहा- तोताराम, दो-दो बार चाय नहीं मिलेगी |

बोला- चाय पीने कौन आया है |हम तो खुद तेरा मुँह मीठा करवाने आए हैं |ले खा, तू  भी क्या याद करेगा कि किसी रईस से पाला पड़ा था ? 

और दो खजूर निकालकर हमारी हथेली पर रख दिए |

हमने पूछा- किस ख़ुशी में ?

बोला- देश को नया चौकीदार मिल गया |

हमने कहा- हैं ? क्या मोदी जी अपनी झोली उठाकर चल दिए ?

बोला- नहीं, यह जिम्मेदारी उन्होंने 'राफाल' को दे दी है |

हमने फिर पूछा- तो क्या अब भारत ने चौकीदार भी विदेशी रख लिए ? बात तो 'आत्मनिर्भर भारत' की चल रही थी और देश की सुरक्षा तक सौंप दी विदेशियों को |

बोला- इसमें विदेशियों का क्या है ? दाम दिए हैं नक़द | ठनाठन | 

हमने कहा-  टी वी में क्षण-क्षण का कवरेज आ रहा था जैसे विष्णु के किसी अवतार का  ' भये प्रकट कृपाला ' की तरह प्राकट्य होने वाला है | मोदी जी ने संस्कृत के एक श्लोक से राफाल का स्वागत किया-

राष्ट्ररक्षासमं पुण्यं, राष्ट्ररक्षासमं व्रतम्, राष्ट्ररक्षासमं यज्ञो, दृष्टो नैव च नैव च।। नभः स्पृशं दीप्तम्...स्वागतम्! #RafaleInIndia |

मध्य प्रदेश के छतरपुर जिले के खैरी ग्राम पंचायत की सरपंच प्रियंका पांडे ने अपने बुन्देलखंडी गीत से राफाल का स्वागत किया जो कुछ इस प्रकार का था-

सुनो रे भैय्या, अच्छी खबर हिंदुस्तान की 
ये राफेल मोदी जी मँगाए
इन्हें देख कर चीन थर्राए 
खिसकी हवा पाकिस्तान की 
सुनो रे भैय्या, अच्छी खबर हिंदुस्तान की ||

या राफाल ने चूमे भारत माता के चरण ! जैसे कि चीन से भारत की सुरक्षा को खतरा देखकर राफाल को भारत माता के प्रति भक्ति जागी और वह खुद ही उड़कर अम्बाला पहुँच गया और भारत माता के चरण चूम लिए |


Watch: Rafale Fighter Jet Lands At Ambala Air Base

बोला- फिर भी ऐसा लड़ाकू विमान मिलना उपलब्धि तो है ही |

हमने कहा- उपलब्धि क्या है ? यह तो भारत ने पिछले से चौगुने दाम में आर्डर दे दिया नहीं तो राफाल वाली कंपनी बंद होने वाली थी | अमरीका, योरप, चीन, रूस सब जगह  का हथियारों का बाज़ार है | जो चाहो सो खरीदो | उलटे इस खराब आर्थिक स्थिति में देश पर यह एक बड़ा बोझ है लेकिन क्या किया जाए ? इस चक्कर में अलग से हथियार खरीदने पड़ रहे हैं और चीन चाबहार ईरान वाला डेढ़ लाख करोड़ का ठेका ले भागा सो अलग |

बोला- लेकिन अब राफाल पूरी तरह से भारतीय हो गया है  'मुग़ल सराय' से 'दीन दयाल उपाध्याय जंक्शन'  की तरह | और संयोग देख यह सब जम्मू कश्मीर से धारा ३०७ हटाने और राम मंदिर के शिलान्यास की शिलाओं के पूजन और राफाल के आगमन की तरह ५ अगस्त को ही हुआ |अब राफाल का नया नाम होगा- गोल्डन एरो |

हमने कहा- नई शिक्षा नीति में शिक्षा का आरम्भ मातृभाषा में करने की बात की गई है लेकिन राफाल के नामकरण के लिए हिंदी का कोई शब्द नहीं मिला |हमारा तो कहना है कि राम मंदिर के शिलान्यास की शिलाओं के पूजन के पुण्य अवसर पर 'राफाल' का नाम 'राम बाण' रख दिया जाए- पांच अगस्त की एक और उपलब्धि | 


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Aug 19, 2020

थोक दो साले को....



ठोक दो साले को ......


हमने अखबार में सारा किस्सा विस्तार से पढ़ा कि  अमित जी के ट्विटर-परिवार के किसी एक सदस्य ने उनके मरने की कामना कर दी |वैसे कोई कुछ भी कामना कर सकता है लेकिन क्या मात्र कामना करने से कुछ हो सकता है ?शास्त्र कहते हैं-
उद्यमेन हि सिध्यन्ति कार्याणि न मनोरथैः .......
राजस्थानी में एक कहावत है- गीदड़ों की बद्दुआ से ऊँट थोड़ा मरता है !

लेकिन लोग हैं कि अपने लिए अच्छी और दूसरों के लिए बुरी कामना  करने से बाज नहीं आते |वे यह नहीं सोचते कि जब किसी के चाहने से कुछ नहीं होता तो फिर किसीके लिए बुरा सोचकर क्यों अपना मन खराब किया जाय |सबके भले में ही हमारा भी भला है |

सदा शांत रहने वाले अमित जी गुस्से में आपा खो बैठे |और अपनी नौ करोड़ की ट्विटर सेना को आदेश दे दिया- ठोक दो साले को  |

हम उनके स्वस्थ होने की कामना करते हैं |हमसे छोटे हैं तो और भी मन से उनको आशीर्वाद देते हैं लेकिन उनका आपा खो देना पता नहीं, हमें क्यों अच्छा नहीं लगा |

जब हमने तोताराम से चर्चा की तो बोला- इससे तो अमित जी को खुश होना चाहिए था |अरे, उनके लिए शुभकामना करने वाले तो देश के स्वास्थ्य मंत्री से लेकर राष्ट्रपति तक हैं |वैसे भी वे साधन संपन्न हैं, पहले भी मौत को मात दे चुके हैं तो किसी एक ट्विटरिये को इतना महत्त्व नहीं देना चाहिए था |हमारे यहाँ तो कहा जाता है कि किसी की मौत की खबर उड़ा देने से उसकी उम्र बढ़ जाती है |तभी सुन्दर बच्चे को दिठौना लगाया जाता है, नए घर पर पुराना टायर लटकाया जाता है |लेकिन जब आदमी ज्यादा बड़ा हो जाता है तो उसे प्रशंसा के अतिरिक्त कुछ भी सुनना नहीं सुहाता |वे अपने ट्विटर पर  जो मन चाहे लिखते रहते हैं और करोड़ों लोग बेवकूफ की तरह देखते और लाइक भेजते रहते हैं |इन लाइकों से अमित जी को करोड़ों रुपए की आमदनी होती रहती है |यह भी एक बड़ा धंधा है |यदि ऐसा नहीं होता तो प्रियंका चोपड़ा को अपनी अन्तरंग फोटो ट्विटर पर डालने में क्या मज़ा आता है ? लेकिन क्या करे धंधा जो ठहरा |

Angry Amitabh Bachchan's Warning To Haters | Aaradhya Bachchan ...

हमने कहा- लेकिन तोताराम यदि उनकी बात मानकर उनके नौ करोड़ अनुयायी तलवार, तमंचा लेकर उस अशुभ कामना करने वाले को ठोकने के लिए निकल पड़े तो क्या होगा ?इतनी बड़ी तो भारत, चीन, रूस, अमरीका आदि की सम्मिलित सेना भी नहीं है | देश में तो अराजकता फ़ैल जाएगी |पता नहीं,किसके भरोसे किसको ठोक बैठेंगे |

बोला- ये कोई किसी राजनीतिक पार्टी के कार्यकर्त्ताओं की तरह मोब लिंचिंग में अपना भविष्य तलाशने वाले नहीं होते |ये तो केवल ट्विटर पर टर्राने वाले मेंढक होते हैं |

हमने कहा- गाँधी ने तो अपनी हत्या का प्रयत्न करने वाले हिन्दू महासभा के कार्यकर्त्ता  मदनलाल पाहवा को माफ़ कर दिया था | राम और कृष्ण भी अपने समय के नायक थे लेकिन उन्हें भी इतना क्रोध करते तो नहीं देखा जबकि उन्हें भी अपने समय में बहुत कुछ प्रिय-अप्रिय सुनना पड़ा था |राम चाहते तो मंथरा का एनकाउंटर करवा देते या धोबी को अमित जी की तरह किसी बन्दर-भालू से ठुकवा देते | लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया |

बोला- क्योंकि वे केवल नायक थे |ये महानायक है और वह भी एक दो सदी के नहीं, सहस्राब्दि के |


 


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Aug 17, 2020

दम घुट रहा है



दम घुट रहा है  

हाईस्कूल के प्रमाण पत्र में हमारी जन्मतिथि ५ जुलाई १९४२ है |वास्तव में हमारा जन्म १८ अगस्त १९४२ तदनुसार श्रावण शुक्ला सप्तमी विक्रम संवत १९९९ को रात को हुआ था |उस दिन भयंकर बरसात हो रही थी |जयपुर से लोहारू जाने वाली गाड़ी लगभग ग्यारह बजे रात को हमारे यहाँ से गुजरती है |माँ का कहना था कि हमारा जन्म ट्रेन गुजरने से पहले हुआ था जबकि दादी इससे सहमत नहीं थीं |उनके अनुसार ट्रेन गुजर चुकी थी |

हम एक सामान्य जीव हैं |और इस सृष्टि में करोड़ों-अरबों जीव हर क्षण मरते और जन्म लेते हैं |उनमें से हम भी एक हैं |होने को तो सभी जीव उनमें से एक हैं लेकिन वे किसी तिकड़म का संयोग से किसी बड़े पद पर पहुँच जाते हैं तो फिर उनके मरने पर उस समाज, देश-दुनिया की अपूरणीय क्षति होती है |पता नहीं, वह क्षति पूरी होती है या नहीं लेकिन दुनिया बदस्तूर चलती रहती है |अटल जी के निधन की घोषणा १६ अगस्त को हुई |यदि उनका निधन १५ अगस्त को होता तो भी देश का स्वाधीनता दिवस बदलता नहीं |कोई भी प्रधान मंत्री होता वह उस १५ अगस्त को झंडा भी फहराता |हो सकता है कोई कलाकार प्रधानमंत्री होता तो एक आँख से गर्व के साथ राष्ट्र को संबोधित करता  और एक आँख से रोने का अभिनय करता |

जैसे हमारा जन्म एक सामान्य और रुटीन घटना है वैसे ही निधन भी होगा |यदि सेनाध्यक्ष होते तो शायद वी के सिंह जी की तरह हमारी जन्म तिथि भी एक समाचार बन सकती थी |जिस दिन स्कूल में एडमीशन करवाया गया होगा उस दिन ५ जुलाई रही होगी |एडमीशन के समय बच्चा पाँच का होना चाहिए सो उस दिन गुरूजी ने पाँच साल का बना दिया |वैसे हम अपनी जन्मतिथि तुलसी जयंती के दिन होने से अपने मन में तुलसी की थोड़ी सी महानता शेयर करके गौरवान्वित हो जाते हैं |

आज तुलसी जयंती है २७ जुलाई २०२० | तोताराम गले में मास्क को नौलखा हार की तरह धारण किए प्रकट हुआ जैसे कि साहसी युवा हेलमेट को बाएँ हाथ में कंगन की तरह धारण करते हैं |

बोला- भाई साहब, जन्म दिन की........|

हमने उसे बीच में ही पकड़ लिया- पहले मास्क सही तरह से लगा फिर कुछ बोलना |

बोला- क्या मैं कोई तबलीगी हूँ जिसके नाम और समुदाय से ही कोरोना की संभावना हो जाती है |

हमने कहा- बन्धु, यह कोरोना ही तो है जो धर्म, जाति, पार्टी कुछ नहीं देखता |संबित पात्रा से शिवराज तक को हो सकता है |अमिताभ से आराध्या तक किसी को भी पकड़  सकता है |जब तक कोरोना का टीका नहीं आ जाता तब तक रोज रात को साढ़े नौ बजे मास्क और दो गज दूरी के बारे में कोई न कोई डॉक्टर आल इण्डिया रेडियो पर  बताता रहता है |

बोला- क्या बताऊँ मास्टर, दस-पंद्रह मिनट मास्क लगा रहता है तो दम घुटने लगता है |

हमने कहा- दम घुटता है तो 'मन की बात' सुनाकर |हर समस्या का एक सरल, सहज समाधान वहाँ मिल जाता है |

बोला- क्या समाधान मिल जाता है ?  मन की बात करने से बात करने वाले की तो घुटन कम हो जाती है लेकिन सुनने वाले की बढ़ जाती है |

हमने कहा- मोदी जी ने कहा है जब मास्क परेशान करे  तो कोरोना वारियर्स को याद करें जो घंटों पी पी ई पहने रहते हैं |

बोला- वास्तव में बहुत सरल उपाय है |जब गर्मी लगे तो लेह लद्दाख का ध्यान करना चाहिए | भूख लगे तो ३० मई २०१९ को राष्ट्रपति जी द्वारा मोदी-२ के शपथ ग्रहण के उपलक्ष्य में दी गई पार्टी को याद कर लेना चाहिए |यदि कोरोना हो जाए तो लीलावती अस्लेपताल में भर्ती महानायक का स्मरण करना चाहिए |पर मेरे जैसा कंजूस व्यक्ति सपने में भी इतनी महँगी कल्पना नहीं कर सकता |

हमने कहा- तो फिर करता रह छाछ के साथ वही रात की ठंडी रोटी का नाश्ता |वैसे वह जन्म दिन वाली क्या बात कह रहा था ?

बोला- तेरे जन्म दिन की बधाई | आज तुलसी जयंती है ना |लेकिन तू है कि मास्क का भाषण पिलाने लगा |अरे, हम सामान्य आदमी हैं |हम मरेंगे तो कुपोषण से मरेंगे |सामान्य बीमारियों से मरेंगे |दवा के अभाव में मरेंगे |ये कोरोना-फोरोना ऐसे ही आते-जाते रहेंगे |और फिर मन की बात करते हुए मोदी जी ने भी तो मास्क नहीं लगा रखा था |



हमने कहा- मोदी जी की बात और है |तू क्या खाकर अपनी तुलना उनसे करेगा  ?महाराष्ट्र के भाजपा प्रवक्ता ने उन्हें विष्णु का ११ वाँ अवतार बताया है | महाकवि विजय गोयल ने तो उन्हें महात्मा गाँधी से भी बड़ा बना दिया है |छंद-दोष और पैरोडी  के बावजूद उनकी दो महान पंक्तियाँ देख-

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दे दी दुनिया में पहचान नई, ऊँचा किया भाल |
साबरमती के संत तूने कर दिया कमाल ||



वेंकैया जी के अनुसार  तो मोदी जी भारत के लिए भगवान का उपहार हैं | उमा भारती और राम जेठमलानी ने भी उन्हें विष्णु का अवतार ही बता दिया |वाराणसी शिव सेना ने तो उन्हें राम बनाकर पोस्टर ही छाप दिए |अब और क्या प्रमाण चाहिए ?


बोला- तेरी इस मोदी-महिमा से तो मास्क के भी ज्यादा दम घुटने लगा ? तेरा कौन-सा मंत्रीपद छिन रहा है या किसी विरोधी पार्टी वाले की तरह पुराना केस खुल रहा है जो बिछा जा रहा है |  

हमने कहा- हम तो कुछ भी स्तुति नहीं कर रहे |यदि सुनना ही है तो ६ अक्तूबर २०१५ को पहली बार शिव तांडव टाइप संस्कृत श्लोकों में गुजरात की कविता आचार्य  द्वारा लिखित मोदी जी की चित्रमय स्तुति सुन ले |उसके बाद गाँधी-नेहरू की तो बात छोड़, तुझे तेतीस करोड़ देवी-देवता भी तुच्छ कीड़े-मकोड़े नज़र आने लगेंगे |


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Aug 13, 2020

आई लव भाभीजी



आई लव भाभीजी    

पोती चाय रख गई |हमने गिलास उठाया लेकिन तोताराम वैसे ही बैठा रहा |हमने कहा- किसका इंतज़ार कर रहा है ?

बोला- भाभीजी कहाँ है ?

हमने कहा-रसोई में है |

बोला- बट आई वांट हीयर |आई लव भाभीजी |भाभीजी सो स्पाइसी |नो भाभीजी, नो चाय |

हमें बड़ा अजीब लगा | हमारी पत्नी अर्थात 'तोताराम की भाभी' को लेकर तोताराम इतना मुखर तो कभी होली में भी नहीं हुआ था | उसने कभी न तो हमें और न ही कभी हमारी पत्नी को 'जी' लगाकर संबोधित किया था |हाँ, हमें ज़रूर कभी कोई चुभती बात कहनी होती थी तो  'आदरणीय' भ्राताश्री' इत्यादि जोड़ देता था |लेकिन आज यह 'आई लव भाभीजी' आदि ! 

हमने कहा- तेरा दिमाग तो ठिकाने है ? यह चाय किसने भिजवाई है ? वह रसोई में है | और वह कौन रोज तेरे साथ यहाँ चाय पीती है जो 'नो भाभीजी, नो चाय' लगा रखी है | तुझे पता है स्पाइसी का क्या मतलब होता है ? अब वही तुझे स्पाइसी लग रही है ?

बोला- मास्टर, बस ! अरे कभी तो चीन, ट्रंप और कोरोना के अतिरिक्त कुछ पढ़ लिया कर |मैं इम्यूनिटी बढ़ाने वाली भाभीजी की बात कर रहा हूँ | 

हमने कहा- इम्यूनिटी कुछ अच्छा खाने से बढ़ती है |भाई साहब और भाभीजी से नहीं |उनका तो खुद का हाल ऐसे ही है |

ना दीया-थाली ना झापड़ से कोरोना भागेगा 'भाभीजी के पापड़ से'

बोला- भाभीजी से मेरा मतलब 'भाभीजी' पापड़ से है जो इम्यूनिटी बढ़ाते हैं और कोरोना से बचाते हैं |बीकानेर वाले भाजपा के सांसद, राजस्थान के पूर्व पदोन्नत आई ए एस अर्जुन मेघवाल जी के शहर के बीकानेरी 'भाभीजी'  पापड़ | उन्होंने दोनों हाथों में दो पैकेट लेकर बताया है कि ये पापड़ कोरोना के विरुद्ध इम्यूनिटी पैदा करते हैं |

हमने कहा- ठीक है, पापड़ खाने से मुँह खुल जाता है, बिगड़ा हुआ जायका ठीक हो जाता है लेकिन इसका कोरोना से कोई संबंध नहीं है |राजस्थान में पहले कहाँ हरी सब्जियाँ होती थीं |लोग पापड़, बड़ी आदि से ही काम चलाते थे |यदि इनसे ही कुछ होता तो राजस्थान में तो कोरोना होना ही नहीं चाहिए था |

बोला- इन्हीं पापड़ों के कारण तो राजस्थान के हालात यूपी, बिहार, कर्नाटक और गुजरात से ठीक हैं |और फिर जैसे खाना बने तब तक सलाद और पानी से काम चलाना चाहिए वैसे ही जब तक टीका विकसित हो तब तक अर्जुन जी वाले इस नुस्खे से दिल बहलाने में क्या बुराई है ? और उनका तर्क है कि वे तो 'लोकल के लिए वोकल' हो रहे थे |

हमने कहा- लेकिन उससे पहले यह तो देख लेते कि पापड़ पिछले साल के बने हुए थे जबकि कोरोना तो चार महीने से है |और उस पर इम्यूनिटी बढ़ाने वाली सूचना की एक चिप्पी चिपकी हुई थी |

यह भारत है यहाँ अब कुछ अवसर के अनुसार बन जाता है जैसे आजकल चप्पलें भी इम्यूनिटी बढ़ाने वाली आने वाली हैं |

आपदा में अवसर |सुना नहीं चोर डाक्टरों वाले पी पी ई किट में आए और चोरी कर ले गए |और एक महिला कोरोना का काढ़ा पिलाने के बहाने कुछ नशीला पदार्थ पिलाकर सामान उठा ले गई |


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Aug 11, 2020

चल, टेस्ट करवा लें



चल, टेस्ट करवा लें 

शास्त्र कहते हैं कि दिन में नहीं सोना चाहिए, विशेषरूप से बरसात में |इससे वायु और कफ़ कुपित हो जाते हैं |हमारे लिए अब कौन सी आशा बची है ?हो जाएँ कुपित हों तो |कौन पेंशन बंद कर देंगे ? जब तक मोदी सहाय हैं तब तक कोई चिंता नहीं |


वैसे  आडवानी जी तो पोजिटिव थिंकिंग वाले व्यक्ति हैं, आशावादी हैं |  सोच रहे होंगे शायद राम मंदिर भूमि पूजन में ही कोई विशिष्ट स्थान मिल जाए |हालाँकि हम जानते हैं कि यहाँ भी वैसा ही कुछ होगा जैसा त्रिपुरा में बिप्लव के शपथ-ग्रहण समारोह में हुआ था |यह तो मानिक सरकार भले आदमी हैं जिन्होंने बात करके कुछ दुःख कम किया वरना जिन्हें चरण स्पर्श करना चाहिए था उन्होंने तो देखा भी नहीं |  लेकिन उसके बाद भी वे राम मूर्ति की प्राण-प्रतिष्ठा से अपनी आशा को जोड़ देंगे |आशावादी कभी हार मान ही नहीं सकता |

हमारे ऊपर कौन ट्रंप और मोदी जी की तरह समस्त ब्रह्माण्ड की रक्षा की जिम्मेदारी है जो सोएँ नहीं |ले देकर यही तो एक सुख बचा है |सो इस सुख का आनंद ले रहे थे | मध्य प्रदेश सरकार की तरह राजस्थान सरकार भी भाजपा की झोली में गिरने की तरह नींद आने ही वाली थी कि तोताराम ने आवाज़ लगाई- मास्टर, आ जा टेस्ट करवाने चलें |

भरोसा किसी को नहीं है फिर भी लगा जैसे सचिन पायलट ने भाजपा में न जाने की घोषणा कर दी हो |

हमने कहा- हम कौन से संबित पात्रा से मिलकर आए हैं ?

बोला- मिलना ज़रूरी है क्या ?  टी वी में उनकी बहस के छींटें तो यहाँ तक आ ही सकते हैं | पांच-सात दिन पहले शिवराज सिंह का पूरे पेज का विज्ञापन भी तो देखा था- 'किल कोरोना अभियान' | अब ले लिया ना कोरोना ने चपेट में |अब कोरोना उस  विज्ञापन को देखने वालों को भी नहीं छोड़ेगा |

हमने घबराकर पूछा- तो क्या शिवराज जी को भी हो गया कोरोना ? प्रथम लॉक डाउन के प्रथम दिन ही तो सोशल डिस्टेंस मेंटेन करते हुए जन कल्याण के लिए सत्ता का विषपान किया था |  

बोला- उन्हें तो कोरोना होना ही था |

हमने पूछा- तुझे क्या पता ? तबलीगियों की बात और है लेकिन किसी हिन्दू और वह भी किसी देशभक्त हिन्दू के लिए कोई कोरोना की संभावना कैसे व्यक्त कर सकता है ? 

बोला- मोदी जी ने बहुत सोच समझकर कहा था कि अब हमें कोरोना के साथ जीना सीख लेना चाहिए |उन्हें पता था कि कोरोना चीन से आया है |चीन से और भी बहुत कुछ आता है लेकिन हम उससे बच नहीं सकते | हमें अपमानित होकर भी उसके साथ झूला झूलना पड़ेगा और चाय पीनी पड़ेगी | और ये शिवराज जी निकल पड़े 'किल कोरोना अभियान' लेकर |सो कोरोना ने समझा दिया |लेकिन चिंता मत कर |जैसे सभी बड़े लोग कोरोना से ठीक हो जाते हैं वैसे ही शिवराज जी भी ठीक हो जाएंगे |हमें तो अपनी चिंता करनी चाहिए |इसलिए चल, टेस्ट करवा लें |

हमने कहा- उनके टेस्ट और इलाज का खर्च तो सरकार उठाएगी लेकिन हमें तो टेस्ट के पैसे अपनी जेब से देने पड़ेंगे |और फिर जांच का कौन भरोसा है ? जैसे अररिया, बिहार में एक आदमी का टेस्ट किया ही नहीं और उसे कोरोना पोजिटिव बताकर क्वारेनटाइन में डाल दिया |वैसे ही यदि अपना 'मोदी गमछा' थोड़ा सा भी नीचे खिसक गया और किसी पुलिस वाले ने मास्क न लगाने के नाम पर एक लाख का जुर्माना ठोक दिया या दो महीने के लिए जेल में डाल दिया तो ? 


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Aug 9, 2020

मेरा भारत महान



मेरा भारत महान


आज तोताराम आया और हमें एक फोटो दिखाकर पूछने लगा- यह क्या है ?

हमने कहा- यह तेरा भारत महान है |

बोल- क्या भारत तेरा नहीं है ?

हमने कहा- है तो लेकिन कोई किसी के साथ अपना भारत साझा नहीं करना चाहता |यदि ऐसा होता तो मोदी जी 'नया भारत' बनाने की बात क्यों करते ? जैसा भी भारत है, अपना है, अपने पूर्वजों का है |इसे जैसे भी सुधारना है, सुधारो | अब इनके बाद, यदि किसी का आना संभव हुआ तो,  शायद वह अपना भारत बनाएगा |भारत क्या था यह शायद भारत को भी याद नहीं रहेगा |बनेगा कुछ नहीं | बस, नक्शा बदलता रहेगा और तोड़-फोड़ होती रहेगी |

बोला- फिर भी इस फोटो के बारे में तुझे क्या कहना है ?






हमने कहा- इस प्रकार का कई लहरियेदार तिरंगों से मिलाकर बना अर्द्ध वृत्त और उसके ऊपर बीच में ५० और सबसे ऊपर 'मेरा भारत महान' लिखा डिजाइन १९९७ में देश की आज़ादी की स्वर्णजयंती के समय बहुत चला था |चाय, बीड़ी, गुटकों तक 'भारत महान' हो गया था |अब भारत की महानता से कौन इनकार कर सकता था |देश की महानता पर गर्व करने का अधिकार तो सभी का है |हाँ, अपनी-अपनी महानता के कारण अलग-अलग हो सकते हैं |

बोला- अब यह बता-इस महान भारत के अन्दर क्या है ?

हमने कहा- महानता के अंदर कुछ नहीं होता |महानता तो एक भाव है, एक तरह की हवा है  जो पैदा होने के बाद किसी चीज की ज़रूरत ही नहीं रहती  |जैसे पेट में गैस होने पर पता ही नहीं लगता कि पेट भरा है कि खाली ? आदमी एक नशे में मस्त रहता है |और नशा उतरने के बाद याद ही नहीं रहता कि वह शाम वाला चक्कर क्या था ? फिर भी जब थैले पर लिखा है 'मेरा भारत महान' तो इसमें कुछ न कुछ महत्वपूर्ण ही होना चाहिए |

बोला- यह हुई ना बात ? इसमें अपने राजस्थान के पाली जिले के एक अस्पताल के कोरोना के सेम्पल हैं जिन्हें जाँच के लिए भेजा जाना है ?

हमने कहा- अच्छा है किसी भले आदमी ने यह महान थैला संभाल कर रखा |इस थैले में रखने के बाद सब कुछ अच्छा ही होगा |

बोला- इसका क्या मतलब ?

हमने कहा- अब चाहे कोई इन सेम्पल को जांचे या नहीं लेकिन इन सेम्पलों वाला कोई भी कोरोना पोजिटिव  नहीं निकलेगा |यदि फेल होगा तभी तो रीचेकिंग करवाएगा |पास होने के बाद कौन पूछता है कि कॉपी जँची भी या नहीं ?

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Aug 7, 2020

उम्र, अक्ल और हाफ पेंट



उम्र, अक्ल और हाफ पेंट


आज तोताराम ने जो प्रश्न किया वह बहुत ही विचित्र और कुतर्कपूर्ण था |यह प्रश्न वैसा ही था जैसे कोई हमसे पूछे- जब गाँधी जी को गोली मारी गई थी तब तू क्या कर रहा था ? अब क्या बताएं क्या कर रहे थे ? कोई छह साल के थे |एक शादी में गए हुए थे |जीम रहे थे |गाँधी जी की खबर के बाद फेरे तो खैर हो गए लेकिन रंग में भंग पड़ गया |

 तोताराम का प्रश्न था- जब प्रतापसिंह खाचरियावास निक्कर पहनते थे तब तुम क्या कर रहे थे ?

हमने कहा- किसी के कुछ करने का किसी के निक्कर पहनने से क्या संबंध है ?

बोला- है | है क्यों नहीं ? इसीसे किसी योग्यता सिद्ध होती है कि वह अमुक के निक्कर पहनने के समय कोई क्या कर रहा था |जैसे प्रतापसिंह खाचरियावास देशभक्त, पक्के कांग्रेसी, काबिल और अनुभवी नेता हैं क्योंकि जब सचिन पायलट निक्कर पहना करते थे तब ये छात्रसंघ के अध्यक्ष थे |तो अब तेरी काबिलियत जानने के लिए यह पता करना बहुत ज़रूरी है कि जब खाचरियावास निक्कर पहना करते थे तब तू क्या क्या कर रहा था ?

हमने कहा- सबसे पहले तो इस प्रसंग में कुछ और बातें सुन-समझ ले कि खाचरियावास कोई सरनेम नहीं है |यह एक गाँव का नाम है जो हमारे जिले सीकर की दांता रामगढ़ तहसील में है |ये भी पहले भाजपा में थे लेकिन वहाँ जब लाभ का सौदा नहीं लगा तो कांग्रेस में आ गए | इनके ताऊ जी भैरों सिंह शेखावत थे जिनसे हम दो बार मिले हैं |इनके छोटे भाई बिशन सिंह शेखावत थे जो अध्यापक और लेखक-संपादक थे और जीवन भर सेवा से मेवा वाली राजनीति नहीं बल्कि पसीना बहाने वाला काम करते रहे |हमारा उनसे १९७८ से संबंध रहा जब खाचरियावास जी प्राइमरी में पढ़ते थे और पता नहीं निक्कर पहनते थे या पट्टे वाली नाड़ेदार चड्डी |और जब इनका जन्म हुआ था और ये पोतड़ों में ही थे तब हम कालेज में प्रवक्ता बन गए थे |

Rabri Devi forced RSS to change dress code, says Lalu | India ...जहां तक हाफ पेंट पहनने का संबंध है तो जब हम चालीस साल की सेवा के बाद रिटायर हो चुके थे तब हमने सर संघ संचालक के एस सुदर्शन जी को निक्कर पहने देखा है, वह भी अटली जी और मोदी जी और भागवत जी की तरह केवल शाखा में नहीं, बल्कि हजारों की सभा में मंच पर भाषण देते हुए देखा-सुना है |फोटो में तो हमने गोलवलकर जी को भी निक्कर पहने देखा है |

बोला- अब, बस भी कर |हमने भी जैन धर्म के तीर्थंकर महावीर को निर्वस्त्र देखा है |

हमने कह-  तो बस, इसीसे समझ ले कि अक्ल का संबंध न तो उम्र से  है और न ही पहनावे से | सभी चक्रवर्ती सम्राट बिना अस्त्र-शस्त्रों और मुकुट के ही पैदा होते हैं |तभी राम का जन्म नहीं हुआ, वे प्रकट हुए-

भए प्रकट कृपाला दीन दयाला |
और फिर माँ के अनुरोध पर शिशु लीला की |

सूट-बूट और टाई वाले बैरिस्टर करमचंद गाँधी से  लँगोटी वाला बाबा कहीं अधिक बड़ा है |
टुच्चे लोग कुर्सी से बड़े बनते है और बड़े आदमी कुर्सी को पवित्र करते हैं |


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Aug 5, 2020

शुभ मुहूर्त

शुभ मुहूर्त



आज तोताराम ने आते ही मिठाई की डिमांड रख दी |

हमने कहा- कल तीज के सिंजारे थे |पोतियों के लिए लड्डू लाए थे |बहू के पीहर से भी आ गए थे | चल, दो तू भी खाले |

बोला- यह ऐसा छोटा-मोटा चल  'ताऊ' समाचार नहीं है बल्कि राष्ट्र की अस्मिता, सार्थकता और अस्तित्त्व का मामला है |

हमने पूछा- ऐसी क्या ख़ास बात है आज ? क्या  ताऊ आडवानी जी को भारत-रत्न देना तय हो गया या मोदी जी को अर्थशास्त्र का नोबल घोषित हो गया ?

बोला- आडवानी जी क्या किसी भारत रत्न से कम हैं ? और मोदी जी अब नोबल से बहुत ऊपर उठ चुके है |

हमने फिर पूछा- तो क्या अर्थव्यवस्था आठ दस ट्रिलियन डॉलर की हो गई या चीन ने डरकर, चरणों में गिरकर माफी माँगते हुए भारत का सारा इलाका खाली कर दिया ?

बोला- तेरे सामान्य ज्ञान पर तरस आता है | अरे, भगवान राम के मंदिर के शिलान्यास और भूमि पूजन का मुहूर्त आ गया | ५ अगस्त को दोपहर १ बजाकर १५ मिनट पर मोदी जी के कर कमलों द्वारा यह महान कार्य संपन्न होगा |



Shri Ram Mandir : अयोध्या, मथुरा, काशी के विद्वान कराएंगे श्रीराम मंदिर के लिए भूमि पूजन

हमने कहा- तोताराम, अडवानी जी ने राम मंदिर का मुद्दा उठाकर भाजपा को सत्ता तक पहुँचाया |फिर भी उन्हें न तो प्रधान मंत्री बनाया गया, न ही राष्ट्रपति और न ही भारत रत्न दिया गया |कम से कम मंदिर का शिलान्यास तो उनके द्वारा करवाया जा सकता था | और फिर ४ अगस्त से ८ अगस्त तक पंचक है | पंचक में कोई भी शुभ काम वर्जित है | और फिर यह मुहूर्त विद्वत परिषद् द्वारा बताया गया भी नहीं है |

बोला-  ५ अगस्त से बड़ा और क्या मुहूर्त होगा ? इस दिन कश्मीर को दो केंद्र शासित राज्यों में बांटकर कांग्रेस के राष्ट्रद्रोह और अपराध का परिमार्जन किया गया था |अब इस दिन से बड़ा और कौनसा दिन हो सकता है इस देश के लिए ? इसी दिन को एक और राष्ट्रीय महत्ता प्रदान करने के लिए ५ अगस्त को चुना गया है |और देखना राम मंदिर में मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा भी ५ अगस्त को ही होगी |शीघ्र ही जब राम मंदिर की तरह कोर्ट से मथुरा में कृष्ण मंदिर को मुक्त करवा लिया जाएगा तब वह भी किसी न किसी रूप में ५ अगस्त से ही जुड़ेगा |

हमने कहा-  भगवान करे, पंचक के नींव रखे जाने पर भी यह काम सकुशल संपन्न हो |

बोला- तू चिंता मत कर | काशी विद्वत परिषद् के संयोजक डा. रामनारायण द्विवेदी ने बताया है कि यह भूमि पूजन स्वयं राम का है और शिलान्यास स्वयं देश के राजा कर रहे हैं इसलिए मुहूर्त कोई विशेष मायने नहीं रखता |

हमने कहा- यह तो एकदम फ़िल्मी मामला हो गया | डाकुओं का सरदार भागकर लाई  हुई अपनी प्रेमिका से परंपरानुसार शादी करने के लिए पंडित को उठवाकर मँगवाता है |जब पंडित मुहूर्त की दुहाई देता है तो सरदार का एक साथी पंडित को ज़रा सी बंदूक छुआता है तो वही क्षण फटाफट 'अभिजित मुहूर्त' हो जाता है |

बोला- यह तो वही बात हुई कि उदयपुर कहाँ ? जहाँ राणा जी कहें वहीँ उदयपुर |

हमने कहा- अब तो यही शेष रह गया है कि १५ अगस्त को बदलकर भारत का स्वतंत्रता दिवस  ५ अगस्त कर दिया जाए |



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Aug 1, 2020

अम्बाला पहुंचे राफाला



अम्बाला पहुंचे राफाला

प्रकट कृपाला दीनदयाला
मंदिर सुन्दर और बिसाला

देखो कैसे शुभ मौके पर
अम्बाला पहुंचे राफाला

अपना सीना छप्पन इंची
पाक चीन सब हैं बेहाला

राजा का आदेश हुआ है
भूखे भजन करो गोपाला

अंतड़ियां सूखी हैं तो क्या
पहने  रक्खो कंठी माला

पिछवाड़े में सेंध लग गई
दरवाजे पर भारी  ताला

घर में दाने नहीं हैं मगर
क्या भुनवाने जाती खाला

उठापटक उत्सव दीवाली
मुल्क करोना से बेहाला

किसकी आस करें ऐसे में
ऊपर वाला ही रखवाला

-रमेश जोशी

२९ जुलाई २०२०

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