Apr 22, 2024

अमरीका हमारा था और हमारा रहेगा


अमरीका हमारा था और हमारा रहेगा 


जैसे ही हमने तोताराम को चाय का गिलास पकड़ाया, वह जोर से उछलकर चिल्लाया- अमरीका हमारा था और हमारा रहेगा । 

हमने कहा- हमने कहा- ध्यान से, नहीं तो चाय तेरे कुर्ते पर गिर जाएगी ।  अमरीका, लेकिन कौनसा अमरीका ?  

बोला- अमरीका भी कोई दस-बीस हैं क्या ? एक ही तो है । अबकी बार ट्रम्प सरकार । 'नमस्ते ट्रम्प' वाला अमरीका ।वही अमरीका जहाँ की जनता ने बड़े विनम्र और संकोची मोदी जी के मना करते करते भी अरबों रुपए खर्च करके बड़े दिल से मोदी जी के लिए 'हाऊ डी मोडी' कार्यक्रम किया था ।  जानता नहीं क्या मैं ? वही अमरीका जिसके राष्ट्रपति को मोदी जी तू-तड़ाक से 'बराक' बुलाते हैं । 

हमने कहा- उस कार्यक्रम में न तो अमरीका का कोई पैसा खर्च हुआ था और न ही उसमें अमरीकी आए थे ।वह शुद्ध रूप से भारत मूल के कुछ धनिकों और मोदी जी की राजनीतिक महत्वाकांक्षा थी । लेकिन केवल अमरीका कहने से बात स्पष्ट नहीं होती । अंधभक्तों की तरह बात मत कर । अगर भूगोल नहीं पढ़ी है तो पढ़ और सुधार कर ले । अमरीका दो हैं- उत्तरी अमरीका और दक्षिणी अमरीका । और ये दोनों भी कोई दो देश नहीं हैं । दक्षिणी अमरीका में अनेक देश हैं । इसी तरह उत्तरी अमरीका में भी कई देश हैं । और तो और दोनों अमरीका के संधि-स्थल पनामा नहर के आसपास भी कई छोटे छोटे द्वीपीय देश हैं ।कुल मिलाकर दोनों अमरीकाओं में 35 देश हैं ।  तू जिस देश की बात कर रहा है उसे 'संयुक्त राज्य अमरीका' कहते हैं । 

बोला- मैंने तो रामचारितमानस में पढ़ा है कि हनुमान जी का बेटा मकरध्वज पाताल मतलब अमरीका के राजा महिरावण के महल का सेक्योरिटी इंचार्ज था । महिरावण को मारकर हनुमान जी ने पाताल का राज्य मकरध्वज को दे दिया था । इस हिसाब से सारा अमरीका हमारा हुआ कि नहीं । फिर भी अधिक नहीं तो कम से कम वाशिंगटन डी सी तो हमारा है ही क्योंकि महिरावण वहीं रहता था । 

हमने कहा- तो फिर जा और बैठ जा बिना वीजा के अमरीका के प्लेन में । अरे अंधभक्त, अगर ऐसा ही होता तो एक गुजराती परिवार अमरीका में घुसने के लिए अपने बीवी, बच्चे के साथ मेक्सिको की दीवार पर चढ़कर न कूदता और न मरता । 

बोला- तो फिर राजनाथ जी ने क्यों कहा कि पाक अधिकृत कश्मीर हमारा था और हमारा रहेगा । 

हमने कहा- यह नेताओं की भाषा है । वे चाहे जो बोलें । वे अर्द्ध झूठ, सम्पूर्ण झूठ, सफेद झूठ, काला झूठ कुछ भी बोलें । उन्हें सब छूट है । और अगर कोई ज्यादा ही चूँ चूँ करेगा तो वे उसका अर्थ, भावार्थ, व्याख्या समझाने लगेंगे ।

 राजनाथ जी के शब्द समझ । कहा है- पाक अधिकृत कश्मीर हमारा था और हमारा रहेगा । यह थोड़े कहा है- पाक अधिकृत कश्मीर हमारा है । नेता और धर्म सब केवल भूतकाल और भविष्यतकाल की बात करते हैं । भूतकाल को तुम बदल नहीं सकते और न ही उसका कोई प्रमाण । भविष्य अभी दूर है । उसके बारे में न कुछ कहा जा सकता है और न कोई तर्क वितर्क किया जा सकता है । मतलब कोई जिम्मेदारी नहीं । पाँच साल होने को आ रहे हैं, पहले अपने वाले कश्मीर में तो विधान सभा के चुनाव करवा दें । 

बोला- यह भी तो कहते हैं, हम घर में घुसकर मारते हैं । 

हमने कहा- हाँ, उसका भी उदाहरण सुन ले । विदेश मंत्री कहते हैं कि चीन की अर्थव्यवस्था हम से बड़ी है इसलिए हम उससे पंगा नहीं ले सकते । मतलब चुपचाप जूते खाते रहेंगे । और राजनाथ जी ने यह थोड़े कहा है कि हम पाकिस्तानियों में घर में घुसकर उन्हें मारेंगे । वे घर में घुसकर मारने का अर्थ यह भी तो बताया सकते हैं कि हम अपने घर में घुसकर मक्खियाँ मारेंगे । 


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Apr 13, 2024

डबल इंजन की शक्ति


डबल इंजन की शक्ति 


तोताराम यथासमय उपस्थित । चाय शुरु ।चर्चा हमने ही प्रारंभ की, कहा- तोताराम, आजकल डबल इंजन की सरकार और मोदी जी की गारंटी के  प्रतिदन पहले पेज पर आने वाले विज्ञापन नहीं दिखते । क्या बात है ? 

बोला- हमारी पार्टी तो वैसे ही आदर्शों से बंधी हुई है । हम व्यर्थ की, आत्मप्रशंसा वाली बातें कभी नहीं करते लेकिन क्या किया जाए अब आचार संहिता लागू हो गई है । चुनाव खत्म होते ही फिर देख लेना आकाशी उपलब्धियों के सचित्र विज्ञापन । क्या करें । ये उपलब्धियां होती ही बहुत बदमाश हैं । पता नहीं, फ़ाइलों से निकलकर कहाँ गायब हो जाती हैं ।इसलिए अपनी गांठ की और खून पसीने की कमाई से विज्ञापन देकर जनता को बताना पड़ता है कि तुम्हारा अमुक-अमुक भला हो गया है । अब खुश हो जाओ, गर्व करो ।  

हमने कहा- लेकिन तोताराम, अब तो हम भी कह सकते हैं कि अपने राजस्थान में जो काम कांग्रेस की सरकार में नहीं हुआ वह इस डबल इंजन की सरकार के आते ही हो गया । 

बोला- बहुत सकारात्मक हो रहा है । कहीं तेरे यहाँ शाम को कोई ई डी वाले तो नहीं आए थे जो रात रात में ही गौरव वल्लभ की तरह  ट्रिलियन के जीरो भूल गया और बिजेंदर की तरह सारी पहलवानी निकल गई ।

हमने कहा- ई डी वालों को विपक्षी नेताओं को निबटाने से ही फुरसत नहीं है । ऐसे में हमारे जैसों के यहाँ क्या लेने आएंगे । वैसे स्टेट बैंक वाले पूनिया जी ने बेकार ही डरा दिया ।जब घाटे में चलने वाली कंपनियां भी 100-200 करोड़ के बॉन्ड खरीद कर दे सकती हैं तो हमें तो हर महिने पेंशन मिलती है । हजार-हजार के ही सही दो-चार बॉन्ड खरीद लेते हो आज किस्मत सँवर जाती । देखा नहीं, चन्दा देने पर लोगों को जमानत मिल गई, केस वापिस हो गए, और तो और चुनाव लड़ने के लिए पार्टी का टिकट भी मिल गया । न सही कर्नाटक के बेल्लारी से लोकसभा का टिकट, अगर वार्ड मेम्बर का टिकट भी मिल जाता तो बुढ़ापा शान से कट जाता ।  घर के सामने की सड़क सीमेंटेड होती,  जिस नाली की महीनों सफाई नहीं होती वह रोज साफ होती । नल के अनेक कनेक्शन लगवाते और खंभे पर तार डालकर मुफ़्त की बिजली का मज़ा लेते । 

बोला- वह तो कल्पना का हेतुहेतुमद्भूत है लेकिन यह तो बता कि डबल इंजन की सरकार आने से ऐसा क्या हो गया जो कांग्रेस की पिछली सरकार में नहीं हुआ ?

हमने कहा- नवंबर 2023 में हम अस्सी से ऊपर थे और कांग्रेस सरकार के अनुसार हम इतने अक्षम थे कि विधान सभा चुनाव में बूथ पर जाकर वोट भी नहीं डाल सकते थे सो राज्य सरकार ने चुनाव वालों को घर भेजा और वोट डलवाया  । अब भाजपा की केंद्र सरकार ने राज्य की भाजपा सरकार के सहयोग से हमें दो-तीन महिने में ही इतना सक्षम बना दिया कि हम दो किलोमीटर जाकर, लाइन में लगाकर वोट डाल सकते हैं । 

बोला-  इस गरमी में यदि तू इस मतदान-यात्रा में शहीद हो गया तो हो सकता है तुझे इमरजेंसी में जेल गए लोगों की ‘लोकतंत्र प्रहरी-पेंशन’ और मस्जिद विध्वंस के लिए अयोध्या गए वीरों की ‘कार सेवक पेंशन’ की तरह कोई ‘मतदान शहीद पेंशन’ ही मिल जाए ।

हमने कहा- ये सब तो वैसे ही चंडूखाने की चर्चाएं हैं लेकिन इस बारे में एक बात बताएं- कल मतदान वाले तेरी भाभी का घर से वोट डलवाने आए थे तो हमने देखा कि मत पेटी के सील नहीं लगी थी । अगर ऊपर कोई चंडीगढ़ वाला मसीही मसीहा बैठा हुआ तो कुछ गड़बड़ भी हो सकती है । 

बोला- जब चुनावों में जीतने के लिए लोगों को जेल में डाला जा सकता है, गला दबाकर चन्दा लिया जा सकता है, विपक्षी पार्टी का बैंक खाता सील किया जा सकता है, जीते हुए नेता खरीदे जा सकते हैं तो हमारे एक वोट का क्या रोना । 

  


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Mar 22, 2024

विश्व कविता दिवस और सबसे बड़ा महाकाव्य


2024-03-21 

विश्व कविता दिवस और सबसे बड़ा महाकाव्य 

आज तोताराम ने बाहर से ही बहुत जोर से आवाज लगाई-  महाकवि, प्रणाम । बधाई हो । 

जैसे कर्नाटक के 2023 के विधान सभा के चुनावों में   ‘जय  बजरंग बली’  का नारा गूँजा था वैसी ठसक तोताराम की आवाज में थी । कर्नाटक का नारा भी अद्भुत रहा । जहां गूँजा वहाँ तो कुछ नहीं हुआ लेकिन छह महीने बाद हमारा बरामदा अर्थात राजस्थान में कांग्रेस की सरकार गिर गई ।वैसे ही हम भी चारपाई से गिरते गिरते बचे । पता नहीं आवाज की तरंगें थीं या प्रशंसा का नशा । सच है,  निंदा तो आदमी एक बार फिर भी मन मसोसकर झेल जाता है लेकिन प्रशंसा उसे हिलाकर गिरा ही देती है ।  

हमने बैठे बैठे ही कहा- यहाँ कोई महाकवि नहीं रहता । 

बोला- मजाक मत कर ।मैं तुझे ही कह रहा हूँ । मुंह मीठा करवा या नहीं लेकिन दरवाजा तो खोल । 

हमने कहा- हमें तुम्हारी यह प्रशंसा  मजाक लगती है । यह प्रशंसा वैसी ही है जैसे वरुण गांधी और मेनका गांधी को प्रियंका या राहुल के खिलाफ भाजपा का टिकट दे दिया जाए । हाँ और ना दोनों में फंसे । अरे, जब मोदी जी ने बीसियों लड़के लड़कियों को इसी महीने में क्रियेटर्स अवॉर्ड दिए तब भी हमें याद नहीं किया । और कुछ नहीं तो तुझे 60 साल से चाय पिलाने के लिए  ‘भोजन श्रेणी’ में ही नामांकित कर देते । 

बोला- लेकिन हम लोगों को तो स्वयं को पुरस्कारों से उसी तरह दूर कर लेना चाहिए जैसे लता मंगेशकर ने खुद को फिल्मफेयर पुरस्कारों से दूर कर लिया था  या जैसे आडवाणी जी ने उम्र को देखते हुए सक्रिय राजनीति से सन्यास लेकर बरामदे में बैठना स्वीकार कर लिया है । 

हमने कहा- लेकिन आडवाणी जी को जबरदस्ती बैठाया गया है ।  उन्होंने भारतरत्न लेने से मना कर दिया क्या ?

बोला- भारतरत्न है ही ऐसी चीज ।  

हमने कहा- इस सम्मान की औकात तो तीन से बढ़ाकर पाँच करने पर ही पता चल गई थी । हो सकता है अगर लोकसभा चुनाव को देखते हुए जरूरत पड़ी तो और दस बीस लोगों को दिया जा सकता है । राष्ट्रीय लोक दल को पटाने के लिए चरणसिंह को भारतरत्न दिया जबकि चरणसिंह भाजपा की पूर्ववर्ती जनसंघ को पसंद नहीं करते थे ।  लेकिन छोड़,  यह बता, हमें किस बात की बधाई दे रहा है ? 

बोला- आज ‘विश्व कविता दिवस’ है ना, महाकवि । 

हमने कहा- हमने कौनसा महाकाव्य लिख दिया जो महाकवि संबोधित कर रहा है । हमने तो पिछले तीस बरसों में नरसिंहा राव, मनमोहन सिंह, अटल जी और मोदी जी पर कुछ फब्तियाँ कसने के अलावा और लिखा ही क्या है ? जैसे वाल्मीकि और तुलसी राम के कारण हैं वैसे ही अन्य व्यंग्यकारों की तरह हम भी इन्हीं महापुरुषों के कारण हैं । हमारा क्या है ? 

मोदीमय तिहुं लोक बखाना 

हम सब केवल भक्त समाना 

बोला- सही पकड़े हैं । न लिखा हो महाकाव्य लेकिन यह जन भावना है जैसे राम-कृष्ण सभी केवल नायक है लेकिन अमिताभ बच्चन महानायक है । बहुत से प्रधानमंत्री हुए लेकिन राम मंदिर के रुपए-पैसे संभालने वाले चंपत राय के अनुसार विष्णु के अवतार केवल मोदी जी ही हैं । 

ऐसे में अगर मैं तुझे महाकवि मानता हूँ तो किसी को क्या ऐतराज है । 

हमने कहा- तोताराम, अपने इलाके के एक कवि हुए हैं परमेश्वर द्विरेफ । वे तुलसीदास को भी महाकवि नहीं मानते थे क्योंकि उनके रामचरितमानस में केवल सात सर्ग हैं जबकि परिभाषा के अनुसार महाकाव्य में कम से कम आठ सर्ग होने चाहियें । 

बोला- इस हिसाब से तो पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविन्द जी को सबसे बड़ा महाकवि माना जाना चाहिए । तुलसीदास उन्हें कवियों की श्रेणी में मानते हैं- 

जम कुबेर दिक्पाल जहाँ  ते 

कवि कोविद कहि सके कहाँ ते 

और फिर उन्होंने तो ‘मदर ऑफ डेमोक्रेसी’ की महिमा पर मात्र 191 दिनों में साढ़े अठारह पेज का एक महाकाव्य लिख मारा है - वन नेशन वन इलेक्शन । दुनिया के सबसे बड़े महाकाव्य ‘महाभारत’ से भी बड़ा । 

हमने कहा-  'एक देश, एक चुनाव' पर कमेटी ने 62 पार्टियों से संपर्क साधा था। इनमें से 47 ने जवाब दिया। 32 पार्टियो ने एकसाथ चुनाव कराने का समर्थन किया, 15 पार्टियों ने इसका विरोध किया और 15 पार्टियों ने इसका जवाब नहीं दिया। 

वह तो एक रिपोर्ट है और वह भी गद्य में है । 

बोला- ‘गद्य काव्य’ क्या काव्य नहीं होता ? और फिर इसकी आत्मा तो देख । बीज वाक्य ‘वन नेशन :वन इलेक्शन’  ही जब काव्यात्मक है तो यह एक काव्य ही है । एक वाक्य का भी महाकाव्य हो सकता है । 

मुझे तो मोदी जी का साढ़े चार शब्दों का एक छंद ही इस देश का, इसकी आत्मा का,  इसके लोकतंत्र का ‘एन्टायर  पॉलिटिकल साइंस’ की तरह एक ‘एन्टायर महाकाव्य’  लगता है - ‘ अबकी बार : चारसौ पार’ । 

हमने कहा- ठीक है । 

बोला- ठीक है तो एक चाय और मँगवा । इसी ‘एन्टायर महाकाव्य’ पर चर्चा करते हैं । 

हमने कहा- चर्चा में क्या रखा है ? काम से काम चलेगा । चर्चा तो ठलुओं का काम है । 

बोला- मुझे भी पता है । जिन्हें कुछ नहीं  करना होता वे ‘बनाने’ के लिए चर्चा ही करते हैं । 

हमने पूछा- क्या बनाने के लिए ?

बोला- वही जो बाबाजी ने एक बार पत्रकार को कहा था । 

हमने कहा- वह तो एक गाली था । 

बोला- गाली नहीं, हमारी उत्तर भारत की हिन्दी पट्टी का एक शृंगारिक और निकट सामाजिक रिश्ता स्थापित करने वाला  विशेषण है । 

-रमेश जोशी 



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Mar 21, 2024

अब तो कर ले नमस्कार


अब तो कर ले नमस्कार

 

तोताराम आया और बैठने से पहले ही बोला- अब तो कर ले नमस्कार । हमने कहा- अब यही शेष रह गया है कि हम छोटे भाई को आते ही उठकर नमस्कार करें । लेकिन तू कौनसा रोज आते ही हमारे चरणस्पर्श करता है । हम तो बालसखा है । इन सब औपचारिकताओं से मुक्त हैं । बोला- यही तो खराबी है तुझमें । किसीकी सुनना नहीं, बस अपनी ही दले जाना । अरे, नमस्कार मुझे नहीं; चमत्कार को नमस्कार कर । चमत्कार को नमस्कार तो दुनिया सदा से करती आई है । हमने कहा- किस किस को नमस्कार करें । यह देश तो है ही चमचाकारों का ।

बोला- मास्टर, शब्दों से मत खेल । मैं चमचों की नहीं, चमत्कारों की बात कर रहा हूँ। हमने कहा- हम चमत्कारों को चमचों से इसलिए जोड़ रहे हैं कि चमचों के बिना चमत्कारों को प्रचार नहीं मिलता । वे सामान्य जन बनकर चमत्कारों का प्रचार करते हैं और अपनी दिहाड़ी पक्की करते हैं । गाय पालने और उसकी सेवा करने की बजाय गाय की मूर्ति पूजने की बात सबसे ऊंचे स्वर में गाय की पूंछ पकड़कर सरकारी ग्रांट की वैतरणी पार करने वालों में गौशालाओं अध्यक्ष से लेकर मेवात के गौ रक्षक ही अधिक होते हैं । गोबर-गौमूत्र से केन्सर ठीक करने वाले जुकाम होते ही एम्स में भागते हैं ।

बोला- तेरे जैसे नास्तिकों को धर्म में विश्वास ही नहीं है । अरे, धर्म पर ही यह दुनिया टिकी हुई है। हमने कहा- दुनिया धर्म नहीं, कर्म पर टिकी हुई है । धर्म पर बैठे बैठे खाने वाले टिके हुए हैं, दुनिया नहीं । अनाज उपदेशों से नहीं उगता । एक बार प्रसिद्ध तर्कवादी श्रीलंका के प्रोफेसर अब्राहम थॉमस कावूर ने एक बड़े चमत्कारी बाबा को चेलेंज दिया था कि यदि बाबाजी चमत्कार दिखा दें तो वे अपनी सारी संपत्ति उन्हें दे देंगे लेकिन बाबा टाल गए । हम तो कहते हैं भभूत निकालने वाले बाबा रेता ही निकाल दें । निर्माण कार्य सस्ता हो जाए और नदियों के तट पर अवैध खनन की जरूरत न पड़े ।

बोला- मैं तो आँखों देखी बता रहा हूँ । राम मंदिर में जनवरी में प्राणप्रतिष्ठित काले पत्थर की मूर्ति को मुस्कराते हुए देखा है। प्रमाणस्वरूप तोताराम ने हमारे सामने अखबार में छपी एक फ़ोटो कर दी । हमने कहा- ये सब फोटोग्राफी और कंप्यूटर का कमाल है । शायद इसे ‘डीप फेक’ कहते हैं । यह भी समझो लंबी फेंकने जैसा ही कुछ है । यह एक बड़ा घोटाला है । यह हमारे मूर्तिपूजक धर्म में ही नहीं बल्कि इस्लाम, ईसाई धर्म में भी है । वे भी अपने अनुयायियों को मूर्ख बनाने के लिए तरह तरह के चमत्कार करते हैं ।तंत्र-मंत्र, भूत-प्रेत सब करते हैं ।

लेकिन हमारे यहाँ फिर भी कबीर और दयानन्द सरस्वती जैसे सुधारक संत हुए हैं जिन्होंने ऐसे अंधविश्वासों और मूर्तिपूजा का विरोध किया है । ऐसे प्रगतिशील इतिहास वाले समाज को तू क्यों अंधविश्वासों में धकेलना चाहता है ? तोताराम, एक झूठ को स्वीकार कर लेने से फिर और और झूठों का ऐसा अंबार खड़ा हो जाता है कि उसके सामने सारे समाज का सामान्य विवेक नष्ट हो जाता है । जब मूर्ति में प्राण प्रतिष्ठित हो गए हैं, वे मुस्कुरा रहे हैं तो फिर मंजन भी करेंगे, खाना ,कलेवा, स्नान, शयन भी करेंगे ।

बोला- हाँ, करते क्यों नहीं ? तभी तो पूजा में इस प्रकार सभी विधिविधान हैं । जगन्नाथ भगवान तो साल में एक बार बीमार भी होते हैं । उन 15 दिनों में भगवान 56 भोग नहीं खाते । केवल काढ़ा पीते हैं । हमने कहा- तो फिर इस अवधि में उनके भक्तों को भी केवल काढ़ा पीना चाहिए । बोला- ऐसा कैसे हो सकता है । भक्त तो बेचारे भौतिक जीव हैं । उनके साथ तो सभी सांसारिक सत्कर्म और खटकर्म लगे ही रहते हैं ।

हमने कहा- फिर भी तोताराम । पहले की बात और थी । बीमारियाँ कम और छोटी-मोटी हुआ करती थी लेकिन आजकल तो एक दूसरे के पास बैठने, बात करने मात्र से हो सकती हैं । कोरोना भी सुन रहे हैं आजकल फिर किसी नए रूप में सक्रिय हो रहा है । अच्छा हो, भगवान को ऐसे कोरोना संक्रमित भक्तों से बचाया जाए ।राम तो मर्यादा पुरुषोत्तम हैं और वैचारिक रूप से संक्रमित व्यक्ति में कोई मर्यादा नहीं होती । वैसे भी बच्चों को संक्रमण अधिक होता है । रामलला भी तो अभी पाँच साल के ही हैं । इसलिए ध्यान रखना चाहिए । लोगों का चेकप करके ही गर्भगृह में प्रवेश देना चाहिए ।

बोला- जब भक्तों और दर्शन पर ज्यादा नियम कायदे कानून लगाएंगे तो आमदनी कम नहीं हो जाएगी ? मोदी जी और योगी जी तो देश की अर्थव्यवस्था को धार्मिक-पर्यटन उद्योग की तरफ ही ले जा रहे हैं । तभी तो हर छोटे बड़े तीर्थ में कॉरीडोर विकसित किये जा रहे हैं । सुनते हैं राम मंदिर में इन डेढ़ दो महीनों में कोई 40 हजार का धंधा हो गया है । हमने कहा- फिर भी इतना तो किया ही जा सकता है कि रामलला को मास्क पहना दिया जाए क्योंकि आजकल के भक्त तरह तरह की शारीरिक और मानसिक बीमारियों से ग्रस्त पाए जाते हैं विशेषरूप से बड़े बड़े सेठ । और वे ही लोग सबसे देर तक और निकट से दर्शन करते हैं ।

बोला- कुछ नहीं होता । मोदी जी ने तो बंगाल में कोरोना के पीक समय में धुआंधार रैलियाँ की थीं । हमने कहा- मोदी जी की बात और है । वे राम से भी बड़े हैं । ऐसे ही थोड़े कहा गया है कि राम से बड़ा राम का नाम । वैसे ही ‘राम से बड़ा राम का भक्त’ । देखा नहीं, मंदिर प्रवेश के समय कैसे रामलला को मंदिर में ले जा रहे थे जैसे कोई अभिभावक बचे को स्कूल छोड़ने जा रहा हो ।बोला- अब जब 2024 का चुनाव सिर पर है और चुनाव राम को आगे करके लड़ा जा रहा है तो ऐसे प्रतिबंधों और नियमों के बारे में सोचना संभव नहीं है । हमने कहा- हो सकता है 500 पार के चक्कर में मोदी जी रामलला को ही 2029 का चुनाव लड़वा दें ।

बोला- 2029 क्या, अब भी चुनाव प्रभु ही तो लड़ रहे हैं । वही तो चेहरा हैं । मोदी जी तो निमित्त मात्र हैं । उनके भरोसे ही तो मोदी जी 400 पार कह रहे हैं । मैं तो सोचता हूँ कहीं 600 पार न हो जाएँ । एक तो 24 घंटों जागने वाले, दूसरे विष्णु अवतारी तीसरे चमत्कारी मोदी जी और चौथे प्रभु-कृपा । कुछ भी मुमकिन है । लेकिन रामलला ने एक छोटी सी लीला क्या दिखा दी तू उसकी आड़ में फेंटेसी पर फेंटेसी पेले जा रहा है । कल को कहेगा गर्भगृह में अटेच शौचालय क्यों नहीं । अब बात समाप्त कर । अगर किसी की भावना आहत हो गई और एफ आई आर दर्ज हो गई तो चार-पाँच साल हिरासत में ही कट जाएंगे । और इससे ज्यादा समय तेरे पास बचा भी नहीं है ।

वैसे मैं अपनी चमत्कार वाली बात पर अब भी कायम हूँ । आने दे राम नवमी जब ‘सूर्य तिलक’ होगा और सारा विश्व रामलला के चमत्कार को नमस्कार करेगा। हमने कहा- वही सूर्यतिलक ना जब रामनवमी को सूर्य की किरणें सीधे गर्भगृह में विराजे रामलला के मस्तक पर पड़ेंगी ? बोला- हाँ। तो हमने कहा- यह कोई दैवीय या बाबा का चमत्कार नहीं है । यह विज्ञान पर आधारित सूर्य की गति और कोणों के सामंजस्य और गणना के द्वारा किया जा रहा है । इसमें किरणों और मूर्ति की स्थिति को त्रिकोण करने में बैंगलुरु की डीएसटी इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ एस्ट्रोफिजिक्स ने तकनीकी सहायता प्रदान की है और बैंगलुरु की ही एक कंपनी ‘आप्टिका’ ने लेंस और पीतल ट्यूब का काम किया है ।


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Mar 19, 2024

थिंक बिग


थिंक बिग

 

आज ठंड कम है । कहें तो 14 फरवरी बसंत पंचमी को बसंत की आधिकारिक घोषणा के बाद पहली बार लगा कि हाँ, मौसम बदल रहा है अन्यथा तो सर्दी पलट पलटकर तेवर दिखा रही थी जैसे सरकार अचानक कोई भी अध्यादेश लाकर अपनी विज्ञापनों के बावजूद नगण्य होती जा रही उपस्थिति को स्थापित करने का प्रयत्न करती है ।

हमने तो 2002 में ही खुद को बरामदा निर्देशक मण्डल में स्थायी रूप से स्थापित कर लिया था । वैसे भी हम कौन किसी हाई या सुप्रीम कोर्ट के जज हैं जिसे अपने सत्कर्मों के बदले सरकार बार बार सेवा करने के लिए दूसरी तीसरी पारी प्रदान करेगी । कुछ लोग देश के विकास के लिए इतने अपरिहार्य हो गए हैं कि उनके लिए निर्देशक मण्डल के नियम बदले जाने वाले हैं । बिना किसी भारत रत्न की प्रतीक्षा के बरामदे में बैठे रोज पहले पेज पर छपने वाले ‘मोदी की गारंटी’ और ‘डबल इंजन की सरकार’ के विज्ञापन में अपने मतलब की कोई गारंटी खोज रहे थे जो अब तक मिली नहीं और कोई संभावना भी नजर नहीं आती ।

अचानक बरामदे पर चढ़ने की प्रक्रिया में एक बड़ा लबादा या कहें किसी अरब शेख का लंबा चोगा सा हमारे पास आ गिरा । नीचे देखा तो एक कोई दस नंबर का जूता पड़ा था । लबादे में से खोज कर निकाला तो तोताराम। बड़ा अजीब लगा ।

कहा- तोताराम, आज ही तो लगा है कि बसंत ऋतु आ गई और तू है कि यह डबल बेड की चद्दर जितनी बड़ी शाल लादे हुए है । अब तो इस दलिद्दर को छोड़ ।और यह इतना बड़ा छह नंबर की जगह दस नंबरी जूता ! हालांकि शुरू शुरू में सभी बच्चों में यह कुंठा होती है कि वे बड़ों के जूतों में पाँव डालकर जल्दी से बड़ा होना चाहते है । और इस चक्कर में अधिकतर गिर भी जाते हैं लेकिन समय के साथ अधिकतर को समझ आ जाती है कि बड़ा बड़े कामों और सोच से होता है । केवल बातों और सोचने से नहीं । तेरे साथ भी वही हुआ लगता है । गिरना ही था ।

बोला- कल मोदी जी का गुड़गावां में द्वारका एक्सप्रेस वे के उद्घाटन पर भाषण नहीं सुना ? वे अपना ‘विजन 2047’ प्रस्तुत करते हुए कह रहे थे- मैं छोटा नहीं सोचता । मैं बड़े सपने देखता हूँ । तो क्या मेरा ‘विजन 2042’ नहीं हो सकता ? हमने कहा- लेकिन मोदी जी से संगत में तेरा भी विजन 2047 क्यों नहीं ? यहाँ भी अपनी डेढ़ चावल की अलग खिचड़ी !

बोला- 2042 में पूरा एक सौ साल का हो जाऊंगा । और कितना विकास देखना है ? जितना देख लिया वही क्या काम है ।100 साल का हो जाने पर पेंशन दुगुना हो जाएगी अगर मोदी जी ने कोई अध्यादेश लाकर लोचा न डाल दिया तो बस, एक बार पासबुक में एंट्री देख लूँ । मोदी जी की बात अलग है वे तो अजर अमर हैं । ‘विजन 2047’ क्या ‘विजन 3047’ बना लें । लिमिट करने की होती है । सोचने की कोई लिमिट नहीं होती ।

हमने फिर पूछा- लेकिन तेरा यह इतना बड़ा लबादा और यह दस नंबर का जूता पहनने का क्या तमाशा है ?बोला- कहा ना, थिंक बिग । अमरीका के टेक्सस के बारे में कहा जाता है- एवेरीथिंग इज बिग इन टेक्सस । वैसे ही मैंने भी सोच कुछ बिग किया जाए । सो पहन लिया यह पहलवान दारासिंह का 53 इंची सीने वाला कुर्ता और दस नंबर का जूता ।

हमने पूछा- 56 इंची सीने वाला कुर्ता और उसी के हिसाब से जूता क्यों नहीं ? बोला- उसके लिए तो कई उचक्के घूम रहे हैं ।मेरा नंबर कहाँ लगेगा । और फिर मैं कोई विष्णु का अवतार थोड़े हूँ । हमने कहा- तो अब चल, चलते हैं । क्या इस ‘थिंक बिग कुर्ते’ और ‘थिंक बिग जूते’ के बाद रोड शो नहीं करेगा ?बोला- अब क्या रोड शो करना । सारा मूड खराब कर दिया । चलूँ, जरा मंडी जाना है सब्जी लाने ।

हमने कहा– चले जाना, ऐसी भी क्या जल्दी है । बोला- जल्दी तो नहीं है फिर भी मुझे तो पैदल जाना है । सो निकल लेता हूँ । मुझे कौन मनोहरलाल खट्टर अपनी मोटर साइकल पर पीछे बैठाकर ले जाएगा ।हमने जाते हुए तोताराम को छेड़ा- कोई बात नहीं जा, लेकिन आजकल गारंटियों का मौसम चल रहा है तो तू भी कोई एक गारंटी ही देता जा । बोला- यह तोताराम की गारंटी है कि वह आजीवन रोज तेरे यहाँ बिला नागा चाय पीने आएगा ।


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Mar 10, 2024

बासी खिचड़ी और हाथी का गू

बासी खिचड़ी और हाथी का गू 


आज चाय पीने के बाद तोताराम ने थोड़ा जोर से आवाज लगाई- आदरणीया भाभीजी, संतुष्टि नहीं हुई । 


हमने कहा- सरकारें अपनी गारंटी और डबल इंजन के प्रचार में रोज अखबारों के पहले पेज में विज्ञापन दें लेकिन सब जानते हैं कि ये कैसी गारंटी हैं और इनसे किसे और कितना लाभ हो रहा है । लेकिन हम बिना किसी चुनावी लाभ और गारंटी का ढिंढोरा पीटे तुझे रोज चाय पिलाते आ रहे हैं फिर भी तेरी आत्मा को संतुष्टि नहीं हुई जो ‘आदरणीया भाभीजी’ की गुहार लगा रहा है । याद रख, मनुष्य का स्वभाव ही है कि वह कभी संतुष्ट नहीं होता । और ब्राह्मणों के लिए तो कहा गया है- असंतुष्टा द्विजा नष्टा । तभी कहा गया है- जब आवै संतोष धन सब धन धूरि समान । 


तभी पत्नी कटोरी में कुछ लाई और बोली- लाला, अभी और कुछ संभव नहीं है । यह थोड़ी सी खिचड़ी है, इसी से संतुष्टि प्राप्त करो । 


तोताराम ने अजीब सा मुंह बनाकर कहा- भाभी, लगता है यह मास्टर बहुत  घुन्ना और रहस्यमय व्यक्ति है । कहीं किसी निजी प्लेन से रात रात में जामनगर होकर आ गया और किसीको पता भी नहीं चला । 


पत्नी ने कहा- लाला, लगता है तुम्हारा दिमाग चल गया है ।कहाँ का निजी प्लेन ?  खिचड़ी का जामनगर से क्या संबंध ?  

 

बोला- अकबर के जमाने में बीरबल की खिचड़ी नहीं पकी और आज भी जनता की दाल नहीं गल रही है । 80 करोड़ लोग केवल पाँच किलो अनाज के लिए भिखमंगों की तरह लाइन लगाते हैं लेकिन जामनगर में हाथियों के लिए खिचड़ी पक रही है, दाल भी अच्छी तरह गल रही है । एक करोड़पति एंकर ने तो प्याला भरकर खिचड़ी खाते हुए फैसला दे दिया कि उसने ऐसी स्वादिष्ट खिचड़ी पहली बार खाई है । लगता है मास्टर भी वहीं से खिचड़ी कबाड़ लाया है । यह भी तो खुद को अंतर्राष्ट्रीय स्तर का पत्रकार समझता है ।

अगर यह जामनगर वाले अनंत अंबानी के निजी ज़ू  ‘वनतारा’ में हाथियों को खिलाई जाने वाली खिचड़ी नहीं है क्या आपके पालतू बिल्ले ‘फाल्गुन’ और पालतू कुतिया ‘कूरो’ के लिया बनाई थी ?


हमने कहा- वैसे ये दोनों ही खिचड़ी नहीं खाते फिर भी ऐसा नहीं है कि हम इनके लिए कोई अलग तरह की रोटियाँ बनाते हैं । वही आटा, वही सब कुछ । हाँ, जानवरों की रोटी चुपड़ना ठीक नहीं होता इसलिए घी नहीं लगाते । 

हो सकता है ‘वनतारा’  वाली खिचड़ी में पतंजलि  का घी रहा हो इसलिए एंकर ने तो खा ली लेकिन अनंत ने डाइटिंग के चलते नहीं खाई । तू तो खाले । तू तो 40 किलो का है । अच्छा है, देह यष्टि थोड़ा गदरा जाएगी तो पर्सनेलिटी बन जाएगी । 


बोला-तेरी यह भुक्कड़ वाली खिचड़ी खाकर क्या धर्म बिगाड़ना ? कहा भी है- गू ही खाना पड़े हाथी का तो खाओ ।  सो खिचड़ी ही खाएंगे तो अंबानी वाली खाएंगे ।

 

हमने कहा- हाथी के मल को गू मत बोल । वैसे घोड़े, गधे और हाथी के मल को लीद कहते हैं लेकिन चूंकि हाथी गणेश का प्रतीक होता है तो उसे कम से कम गोबर जितना पवित्र दर्जा तो दिया ही जाना चाहिए । यदि तेरी अनुप्रास में निष्ठा है तो इसे ‘गजविष्ठा’ कह सकता है । 


बोला- तू माने या न माने लेकिन गू तो गू ही होता है, चाहे सूअर का हो या विष्णु भगवान का । 


हमने कहा- नहीं, ऐसा नहीं होता । व्हेल की उल्टी लाखों रुपए किलो में बिकती है । हाथी के निगलने के बाद कॉफी के जो बीज मल के साथ बाहर आते हैं उनसे बनी कॉफी दुनिया की सबसे महंगी कॉफी होती है । आजकल तो पाद भी बिकता है । सुनते हैं विकसित देशों में कुछ सुंदरियाँ गैस सिलेंडर की तरह शीशी में भरकर अपना पाद बेचकर लाखों रुपए कमाती हैं । कल का प्रवचन इसी पर होगा । फिलहाल इतना समझ ले कि वस्तु का कोई मूल्य नहीं होता उससे जुड़े संदर्भों का होता है । मोदी जी के 15 लाख के सूट को गुजरात के एक व्यापारी ने 4 करोड़ में खरीदा था । एक फुटबॉल खिलाड़ी के पुराने जूते भी लाखों में बिके थे ।  


बोला- हजारों व्यापारियों ने करोड़ों रुपए के चुनावी बॉन्ड क्या किसी महान राजनीतिक दर्शन से प्रभावित होकर खरीदे हैं ? सब साहब को खुश करके दस-बीस गुना कमाने के लिए खरीदे हैं ।तू कुछ भी कह लेकिन मीडिया की तरह मेरे इतने बुरे दिन भी नहीं आए हैं कि तेरी रात की बासी खिचड़ी खाऊँ और न ही इतना गया गुजरा हूँ कि किसी पद या सम्मान के लिए किसी विष्णु के अवतारी के पीछे बैठकर उसका पाद सूँघूँ  । 


हमने कहा- यह तेरा व्यक्तिगत फैसला है ।लाभान्वित हो या वंचित रह ।लेकिन बाद में किसी को दोष मत देना । बहुत से लोग बड़े लोगों के पीछे लगे रहकर  ‘पूज्य’ बन गए तभी तो ‘बहुत बड़े’ अवतारी लोगों को ‘पूज्यपाद’ कहा जाता है अर्थात ‘बहुत बड़े’ लोगों का ‘पाद’ भी पूज्य होता है ।   

 






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Mar 6, 2024

कौनसी एम सील


कौनसी एम सील 

तोताराम ने आते ही कहा- मास्टर, लीकेज की बड़ी समस्या है । 

हमने कहा- बुढ़ापे में यह समस्या हो ही जाती है, कभी आगे से तो कभी पीछे से ।

तोताराम में अजीब सा मुंह बनाते हुए कहा- आगे से, पीछे से क्या मतलब ?

हमने कहा- बुढ़ापे में जब प्रोस्टेट ग्रन्थि बढ़ जाती है तो यह नश्वर शरीर आगे से और जब अतिसार हो जाता है तो पीछे लीक होने लगता है । 

बोला- संस्कारी ब्राह्मण होकर कैसी वीभत्स रस की बातें करता है ?

हमने कहा- बात भले ही वीभत्स लगे लेकिन समस्या वास्तविक, जायज और महत्वपूर्ण है । राजा को हो जाए तो उसे भी विश्व नेताओं से भरे सम्मेलन से भी उठकर शौचालय जाना ही पड़ता है । 

तुझे कहाँ लीकेज हो रहा है ?

बोला- मैं तो ठीक हूँ लेकिन —

हमने बात काटी, कहा- तो फिर कोई बात नहीं । टंकी से पानी लीक हो रहा है तो एम सील लगा ले । 

बोला- नहीं, यह पेपर लीक का मामला है ।  पुलिस भर्ती लीकेज जिसमें 50 लाख परीक्षार्थियों को लटका दिया और अब यू पी बोर्ड की 10 वीं, बारहवीं के गणित और बायोलॉजी के पेपर लीक । 

हमने - तो भी एम सील काम करेगी । एम सील मतलब ‘मोदी सील’ । 

बोला- मोदी सील, मोदी तो टायर बनाते थे क्या अब सील भी बनाने लगे ?

हमने कहा- वह मोदीनगर वाले गूजरमल मोदी नहीं, अपने विष्णु के अवतार मोदी जी । वे कई तरह की सीलें बनाते हैं जिनके द्वारा वे पेट की ही नहीं ‘मुंह’ वाली लीकेज भी निष्प्रभावी कर देते हैं । पहली एम सील मर्यादा वाली मतलब यूएपीए, इससे जेल में बंद होने वाले के सभी तरह के लीकेज बंद हो जाते हैं । दूसरी एम सील मनी वाली मतलब ईडी वाली, मनी लांड्रिन्ग वाली इससे भी मुंह तत्काल बंद हो जाता है । तीसरी सबसे शक्तिशाली होती है मौन वाली एम सील । कुछ भी हो 'मौन' लगाओ । धीरे धीरे सब अपने आप शांत हो जाएगा । हर खाते में 15 लाख, दो करोड़ नौकरी, नोटबंदी, मणिपुर, महिला पहलवान सब मुद्दे शांत हो गए कि नहीं ? 

ऐसे ही यू पी का यह पेपर लीक भी शांत हो जाएगा । 

बोला- लेकिन मौन के लिए आलोचना तो मनमोहन जी की की जाती थी । 

हमने कहा- मनमोहन जी के पास तो मौन का रेन कोट ही था इनके पास तो बहुत शक्तिशाली वाटर प्रूफ तकनीक है कि चाहे लक्ष्य द्वीप का तट हो या द्वारिका का मोरपंखी जल स्तंभनासन हो, सब जगह से सूखे निकल आते हैं । 



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Mar 3, 2024

पानी में पी एम

पानी में पी एम 


आज तोताराम ने आते ही कहा- गए । 

हालांकि ये शब्द कोई बहुत उत्साहवर्द्धक नहीं होते । अशुभ की आशंका जताते हैं लेकिन ऐसा तब होता है जब अंगुली का इशारा ऊपर की ओर हो । तोताराम का इशारा नीचे की ओर था । 

हमने पूछा-  कहाँ गए , कौन गए  ?

बोला- मोदी जी गए पानी में ।  

हमने कहा- तो इसमें क्या नई बात है ? ये मोदी जी है । गए हैं तो आ जाएंगे । हाँ, अगर भैंस गई होती तो चिंता की बात होती । भैंस का क्या ठिकाना,  मणिपुर के जल जाने, 700 किसानों के मर जाने और नोटबंदी से अर्थव्यवस्था नष्ट-भ्रष्ट हो जाने के बाद भी लौटती या नहीं । चूंकि मोदी जी है तो किसी राष्ट्रहित के काम से गए होंगे । वे बिना बात कुछ नहीं करते । सही समय पर सही काम करते हैं । 

बोला- फिर भी !

हमने कहा- फिर भी क्या; उनकी जल, थल नभ सब जगह अप्रतिहत गति है काक भुशुंडी जी की तरह । और पानी ! तुझे पता होना चाहिए जैसे कृष्ण बचपन में गेंद लाने के लिए पानी में कूद गए थे और कालिय नाग को यमुना छोड़कर जाने को विवश कर दिया था वैसे ही मोदी जी मगरमच्छों के बीच से उनके बच्चे को उठा लाए थे ।कुछ दिन पहले लक्ष्यद्वीप के तट पर जल-क्रीडा करके मालदीव की अर्थव्यवस्था को गड़बड़ा दिया था । अब मोरपंख बांधकर जल में तपस्या करके कृष्ण जन्मभूमि का मुद्दा निकाल लाएंगे ।

चंपत राय ने उन्हें वैसे ही विष्णु का अवतार नहीं कहा है । 

बोला- हाँ, यह बात तो है । देखा नहीं, कैसे जल के तल में  रेड कार्पेट पर बैठे शांत भाव से पद्मासन लगाए तपस्या कर रहे थे । वैसे सामान्य आदमी तो पानी में उतरता है तो उसके बाल कैसे लहराने लगते हैं । कैसा अजीब सा  दिखने लग जाता है । 

हमने कहा- महाभारत में दुर्योधन भीम से गदा युद्ध में घायल होने के बाद पानी में छुप कर रहने लगा था । इसे जल स्तंभन योग विधि कहते हैं ।मोदी जी उआसे क्या कम है ? मोदी जी का विज्ञान वर्तमान तक कम किन्तु सुदूर अतीत में और सुदूर भविष्य में ज्यादा गतिशील रहता है । तभी कभी वे समय से पहले डिजिटल कैमरा और नेट ले आते हैं तो कभी बादलों की आड़ लेकर रडार को धता बता देते हैं । 

बोला- लेकिन क्या उनकी सभी जिम्मेदारियाँ समाप्त हो गईं जो इस प्रकार के काम करते हैं ?

हमने कहा- किसी करिश्माई नेता के लिए ऐसे ऊटपटाँग काम भी जरूरी हो जाते हैं । तुमने देखा नहीं, कैसे पुतिन नंगे बदन घोड़ा दौड़ाते हुए अपनी 'ही मैनशिप' का प्रदर्शन करते हैं । इससे पहले भी जब चीन के राष्ट्रपति माओत्से तुंग के बीमार होने की खबरें सुनते थे तभी उनके जल क्रीड़ा करते फ़ोटो आते थे । एक बार बुश भी ऐसे ही साइकिल चलाते हुए टांग तुड़वा बैठे थे । 

यह एक कूटनीति है कि अपने विरोधी नेता की अस्वस्थता और नैतिक कमजोरियों के बारे में अफवाहें फैलाई जाएँ । इसलिए इसके साथ ही यह भी जरूरी हो जाता है कि खुद ही अपनी दमदार छवि बनाने के लिए ऐसे नाटक भी  करते रहो । 

बोला- क्या तभी राहुल ने पिछले साल भारत जोड़ों यात्रा में ठंड के बावजूद केवल टी शर्ट ही पहने रखी ? 

हमने कहा- हो सकता है । 





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Feb 16, 2024

पहले डंका, अब परचम

पहले डंका, अब परचम 


हमारा घर धार्मिक रूप से बहुत सट्रेजेटिक पॉइंट पर है । दक्षिण में जयपुर रोड़ जहां एक हनुमान और शिव मंदिर है, थोड़ा और दक्षिण में चलें तो इंडस्ट्रियल एरिया की मस्जिद और मंदिर भी हैं । पश्चिम में मंडी के मंदिर-मस्जिद और पूर्व में एक भक्त द्वारा बनवाया गया निजी मंदिर । चारों तरफ सूर्योदय से पहले ही परलोक सुधारने वाली पुण्य ध्वनियाँ मिलकर एक ऐसा कोलाज रचती हैं कि कुछ समझ में नहीं आता । 

वैसे भी धर्म समझने की कम और  अंधानुकरण की चीज अधिक है ।  

इन सब के बीच एक पतली सी आवाज सुनाई दी जैसे किसी कव्वाली में कोई एक अलग सा आलाप । 

लगता है तोताराम आ गया । 

 अंदर घुसते हो बोला- चल, छत पर चलते हैं । 

हमने पूछा- क्यों ? हम कोई इमाम हैं जो देखकर बताएंगे कि ईद का चाँद दिखाई दिया या नहीं । क्या किसी का करवा चौथा का व्रत खुलवाने की उतावली में सबसे पहले चाँद दिख जाने की सूचना देनी है । 

बोला- जब मोदी जी ने दीये जलाने, थाली बजाने का आदेश दिया था तब तो नहीं पूछा कि यह अवैज्ञानिक नाटक क्यों करें । ठीक है मैं प्रधान सेवक नहीं हूँ लेकिन मोदी जी से साढ़े सात साल बड़ा हूँ । महान हिन्दू संस्कृति का उत्तराधिकारी संस्कारी ब्राह्मण हूँ । ऐसे ही कोई बकवास थोड़े कर रहा हूँ । 

अब हम कोई बात बढ़ाए बिना तोताराम के साथ छत पर चले गए । तोताराम ने  मंडी की दीवार के पार इशारा करते हुए पूछा- इधर कौनसी दिशा है ?

हमने कहा- पश्चिम । 

तोताराम ने फिर पूछा- क्या दिखाई दे रहा है ?

हमने कहा- सब कुछ दिखाई दे रहा है , इजराइली बबूल, पॉलिथीन की थैलियाँ, सड़ती सब्जियां, ओने-कोने गर्दन झुकाए खुले में शौच करते लोग और शीतल-मंद-सुगंध पवन जहँ बैठे हैं सब्जी वाले । 

बोला- और उस दुकान की छत पर ?

हमने कहा- एक भगवा झण्डा । 

बोला- गुड । तेरी दृष्टि इस बुढ़ापे में भी ठीक है । और अब ध्यान से सुनकर बात क्या सुनाई दे रहा है ?  

हमने कहा- दलालों की आवाजें सुनाई दे रही हैं- पैंसठ रूपिया, सत्तर रुपिया , सत्तर रुपिया , एक दो तीन । और मंडी के मस्जिद मंदिर से उठता  अजान, भजन आरती और नगाड़ों का मिला जुला शोर जिसमें कुछ समझ नहीं आ रहा है । 

बोला- ठीक है । अब सुन, इसी दिशा में मक्का-मदीना और आबूधाबी हैं । मुसलमान इसी दिशा की ओर मुँह करके नमाज पढ़ते हैं । ये जो नगाड़े की आवाज है वह मोदी जी का डंका बज रहा है और यह जो भगवा झण्डा देख रहा है वह हिन्दू परचम है । हिंदुओं के लिए दोहरी खुशी का अवसर है । अयोध्या के बाद अब एक मुस्लिम देश में मंदिर का उद्घाटन । 

हमने कहा- तोताराम, अपनी भाषा और उसका स्वर ठीक कर । यह कोई इस्लाम को पराजित करके हिन्दू धर्म की ध्वजा लहराने जैसा मामला नहीं है । और न ही अयोध्या जैसा विवादास्पद । तू ये सब हिन्दू-मुस्लिम घृणा फैलाने वाले गोदी मीडिया की हैड लाइनें पढ़ रहा है ।ऐसा लिखने , बोलने और फैलाने वाले बहुत घटिया और खतरनाक लोग हैं । ऐसे लोग इस देश की हजारों साल से चली आ रही सद्भावना को बिगाड़कर चुनाव जीतना चाहते हैं । उन्हें पता नहीं चुनाव जीतने से बड़ी बात है देश की सुख-शांति । एक बार दिलों में घृणा भर जाने के बाद उसे निकालना सदियों तक संभव नहीं होता । नहीं रोका गया तो जो काम अंग्रेज नहीं कर सके वह ये टुच्चे और कमीने लोग कर देंगे । 

तुझे पता होना चाहिए यह मंदिर कोई मस्जिद ढहाकर, किसी को पराजित करके नहीं बनाया जा रहा है । इसके लिए वहाँ के राष्ट्रपति ने यह जमीन खुशी से धर्मिक सद्भाव के तहत  ‘सूरज के चमकने तक के लिए’ दान में दी है । इसका डिजाइन एक ईसाई ने तैयार किया है ।   

इस भाव और अवसर की पवित्रता को छोटा मत कर । नेता आते-जाते रहेंगे लेकिन इंसानी सद्भाव की यह मिसाल हजारों साल सलामत रहेगी । 

हो सके तो अमन और भाईचारे की दुआ मांग । 

तोताराम ने जोर से कहा- आमीन । 

हमने कहा- तो इस खुशी में इस शनिवार को हनुमान जी को एक किलो पेड़ों का प्रसाद चढ़ाएंगे और तेरे दो पेड़े पक्के । 

बोला- इसके लिए और भी जोर से आमीन । 

 



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Feb 7, 2024

आत्मनिर्भरता का पहला पाठ


आत्मनिर्भरता का पहला पाठ 


आजकल लोग अपनी और अपने मन की बात नहीं करते बल्कि दूसरों के मन की बातें इधर-उधर फेंकते रहते हैं । इनमें न तो फेंकने वाले का ध्यान होता है और न ही ज्ञान । अगर आपने सहानुभूति प्राप्त करने की आशा से किसी को मेसेज किया कि मुझे आज लूज मोशन हो रहे हैं तो उत्तर आ सकता है- वंडरफुल ।अब बताइए इसमें क्या वंडरफुल है ।किसी को भी हो सकती है यह व्याधि । किसी को अधिक मात्रा में पौष्टिक पदार्थ खाने से तो किसी  निर्धन को भूखे पेट ज्यादा पानी पी लेने से । हम तो साधारण आदमी हैं भगवान बुद्ध को भी कहते हैं अंत काल में पेचिश हो गई थी जिसमें बार बार जाना पड़े और उपलब्धि लगभग शून्य । निष्कासित पदार्थ की मात्रा की अधिकता की अपेक्षा बार बार शौचालय जाने आने में शक्ति के अपव्यय से घुटने टूट जाते हैं । 

हम पतले दस्त को  ‘लूज मोशन’  लिख रहे हैं क्योंकि लेखन में अश्लील को श्लील बनाने के लिए या तो संस्कृत के शुद्ध शब्द चाहियें या फिर अंग्रेजी के । जनता की बोली में बोलने से भाषा गंदी हो जाति है । बेचारे नीतीश कुमार को विधान सभा में ऐसे ही जनसंख्या वृद्धि के बारे में जनभाषा बोलने के कारण सांस्कृतिक पार्टी के द्वारा ट्रोल होना पड़ा । पीछा छुड़ाने के लिए अंत में पार्टी ही बदलनी पड़ी ।  

हमें कल किसी ने संसद में अपनी नाक में अंगुली डालकर सफाई करते हुए गृहमंत्री अमित शाह जी की एक छोटी सी क्लिप फॉरवर्ड कर दी । 

चूंकि आजकल भारत में राष्ट्रभक्ति, धर्म, संस्कृति, हिन्दुत्व, चाल, चेहरा और चरित्र का वाइरल बुखार फैला हुआ है इसलिए हमने इसे गंभीरता से लिया और आते ही तोताराम को वीडियो दिखाकर पूछा- यह क्या है ?

बोला- क्यों ? तुझे साफ दिखाई नहीं देता ? अभी तो मोतियाबिंद का ऑपरेशन करवाने वाले डाक्टर को पूरा भुगतान भी नहीं किया है । चलते हैं, अभी तो लेंस का गारंटी पीरियड चल रहा होगा । 

हमने कहा- शिक्षा, चिकित्सा, न्याय और सेवा में कोई गारंटी नहीं होती । अगर विद्यार्थी फेल हो जाए, मरीज मर जाए, आप केस  हार जाएँ, बैंक में 15 लाख रुपए और अच्छे दिन कभी न आयें तो भी आप स्कूल, डाक्टर, वकील और प्रधानमंत्री के खिलाफ कहीं फ़रियाद नहीं कर सकते, किसी की कोई जिम्मेदारी नहीं । तो जिसने आँखों का ऑपरेशन किया था वही हमें कौन रसीद देने वाला है । वैसे हमें देखने में कोई समस्या नहीं है । 

बोला- तो फिर इसमें क्या यशोदा की तरह बालकृष्ण में मुँह में ब्रह्मांड देखना है या चंपत राय की तरह मोदी जी में विष्णु के दर्शन करने हैं । ये भारत  के गृहमंत्री, देश के चाणक्य श्री अमित शाह हैं । 

हमने फिर पूछा- लेकिन कर क्या रहे हैं ?

बोला- अपनी नाक में अंगुली कर रहे हैं । 

हमने कहा- तो क्या यह अच्छी बात है ?

बोला- बुरी बात भी क्या है ? अपनी नाक में अंगुली कर रहे हैं । वे गृहमंत्री हैं वे देश की सुरक्षा और कानून व्यवस्था के लिए चाहें तो किसी और को भी अंगुली कर सकते हैं । और फिर अंगुली करने क्या पाकिस्तान जाएंगे ? मुसलमानों की बात और है वे हिजाब पहनने, मांस खाने, मस्जिद बनाने, नमाज पढ़ने के लिए पाकिस्तान जा सकते हैं । दुनिया में 50 से ज्यादा मुस्लिम देश हैं वहाँ जा सकते हैं । लेकिन एक हिन्दू के लिए कोई विकल्प नहीं है । उसके लिए तो जीना यहाँ, मरना यहाँ , इसके सिवा जाना कहाँ ।

हमने कहा- लेकिन अजीब नहीं लगता ?

बोला- तो क्या संसद में राष्ट्रहित में चल रही महत्वपूर्ण चर्चा को छोड़कर इस जरा से काम के लिए बाहर चले जाएँ ? या यह काम किसी और से करवाएं ? अगर किसी और से यह काम करवाएं तो भी तुम लोग यही कहोगे कि जो व्यक्ति अपनी नाक खोदने तक में स्वावलंबी नहीं है वह ‘आत्मनिर्भर भारत’  कैसे बनाएगा ? लेकिन तुझे पता होना चाहिए कि खुदाई से ही सभी आवश्यक और मूल्यवान पदार्थ प्राप्त होते हैं । गहरे कुएं में पानी मीठा होता है । कोयले और ग्रेफ़ाइट के बाद गहरी खुदाई में ही हीरा मिलता है। अगर खुदाई नहीं होती तो हड़प्पा की सभ्यता का कैसे पता चलता ? उसीसे तो पता चला कि वहाँ के बड़े लोग मोदी जी जैसी दाढ़ी रखते थे । और उस समय के लोग मोदी जी की तरह शौचालय का महत्व भी समझते थे । 

हमने कहा- हाँ, यह तो ठीक है कि नाक खोदने, कान कुचरने और खुजाने का काम किसी और से करवाना न तो अच्छा लगता और न ही सुरक्षित होता । किसी और को पता भी कैसे लग सकता है कि वास्तव में कष्ट या आनंद का बिन्दु कहाँ है ? यह तो खुद को ही पता होता है ।हो सकता है कि कोई और कान को ज्यादा कुचर कर आपको बहरा बना दे या खाज आ रही हो कहीं और, और खुजाने वाला अति उत्साह में खुजा खुजाकर खून  कहीं और निकाल दे ।  कभी कान में खुजाते या नाक की खुदाई में मगन व्यक्ति को ध्यान से देखेगा तो पता चलेगा कि ब्रह्मानन्द की स्थिति इससे भिन्न नहीं हो सकती , दीन-दुनिया से बेखबर, तल्लीन, समाधिस्थ ।    

बोला- और तुझे यह भी पता होना चाहिए कि धर्म की रक्षा और पुनरुद्धार के लिए भी खुदाई बहुत जरूरी है । बिना खुदाई के कैसे पता चलेगा कि किस मस्जिद के नीचे किस मंदिर के अवशेष गड़े पड़े हैं  ? 

हो के मायूस न उखाड़ो आँगन से पौधे 

धूप बरसी है तो बारिश भी यहीं पर होगी 

इसलिए 

खोदता रह नाक के कीचड़ को गहरे और गहरे 

निकला है जो कीचड़ तो मोती भी यहीं पर होगा 



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चीन से मुकाबला


चीन से  मुकाबला 


कहते हैं- कमजोर गुस्सा ज्यादा । अगर 56 इंच का सीना होता तो शायद गुस्सा नहीं आता । लेकिन आज क्रोधित तोताराम का 28 इंची सीना उच्छ्वास के कारण ऊपर नीचे होता साफ दिखाई दे रहा था । 

हमने कहा- वत्स, शांत । तुम्हारे क्रोध करने से देखो भयभीत होकर यह पृथ्वी किस प्रकार कंपायमान हो रही है, लगता है जैसे 7 डिग्री तीव्रता का भूकंप आ गया हो । 

बोला- मज़ाक मत कर । हर वक्त का मजाक अच्छा नहीं होता । अस्सी साल से ऊपर हो गया लेकिन बचकानापन नहीं गया । मैं वास्तव में क्रोधित हूँ । लगता है अभी सीमा पर जाकर लाल आँखें और अपना 28 इंची  दिखाकर  चीन की हालत खस्ता कर दूँ लेकिन क्या करूँ एक तो ठंड बहुत है दूसरे 'माणा' तक जाने का कोई साधन नहीं है । 

अब हमें लगा तोताराम वास्तव में क्रोधित है । कहा- जब देश का रक्षामंत्री ही कुछ नहीं बोल रहा है तो तुझे क्या पड़ी है । और फिर अपन तो चीन की सीमा से बहुत दूर हैं । उत्तरप्रदेश की तरफ से आएगा तो योगी जी अपने बुलडोज़र से निबट लेंगे । और अगर उत्तराखंड की ओर से घुसेगा तो धामी जी कोई न कोई धमाका कर देंगे ।और कुछ नहीं तो कॉमन सिविल कोड से ही डरा देंगे ।  

बोला-  जब रेलमंत्री को किसी ट्रेन को झंडी दिखाने तक का पावर नहीं है तो रक्षा के लिए रक्षामंत्री से क्या कहना । करना तो मोदी जी को ही चाहिए लेकिन उन्हें राम मंदिर, चुनाव, दुनिया की नेतागीरी करने से ही फुरसत नहीं है । चीन की हिम्मत तो देखो । सीधा सीकर में घुस आया । 

हमने कहा- तोताराम तू क्या कह रहा है ? चीन सीकर में घुस आया और हमें पता ही नहीं । किधर से आ घुसा  ? दिल्ली की तरफ से या जयपुर रोड़ की तरफ से ? क्या किया जाए ? आजकल बेचारे स्वयंसेवक भी अक्षत बांटने, रामजी के स्वागत और जमीन के नीचे त्रिशूल, चक्र, स्वस्तिक आदि ढूँढने में व्यस्त हैं नहीं तो वे अपने सुंदरकांड और हनुमान चालीसा से ही मुकाबला कर लेते । डी जे पर फुल वॉल्यूम में ऐसा शोर मचाते कि चीन की  हालत खराब हो जाती । ऐसी लाठी भाँजते कि मिसाइल तक बेअसर हो जाते ।  

बोला- घबरा मत । सेना लेकर नहीं बल्कि आकाश मार्ग से अपने मंजे से आक्रमण हुआ है । हर मकर संक्रांति पर देश में मंजे से घायल होने और मरने वालों  की संख्या सैंकड़ों में होती है । पहले-पीछे बात तो सब करते हैं। एक दो चरखी जब्त भी की जाती है फिर अखबारों में मोदी, योगी या राम की पतंगों के समाचार आने लगते हैं । पतंग पटाखे बंद करने की बात की जाती है तो धर्म खतरे में पड़ जाता है । 

हमने कहा- क्या चीन जबरदस्ती मंजे की चरखियाँ फेंक जाता है ? बाकायदा चीन से आयात किया जाता है । माँजा  ही क्या जाने क्या-क्या आयात किया जाता है । तुम चार रुपए का आयात करते हो तो बमुश्किल एक रुपए का निर्यात करते हो । 

बोला- क्या करें ? यदि आयात न करें तो वह फिर किसी किसी बहाने छेड़खानी करेगा ।  

हमने कहा- आयात करते-करते भी उसने मेजर शैतान सिंह के स्मारक पर कब्ज़ा कर लिया है । लेकिन मंजे के आयात के लिए तुम्हें कौन मजबूर कर सकता है । धर्म संस्कृति की आड़ में हर चीज का धंधा करने वाले व्यापारी मजबूर करते हैं । जब भी पटाखों पर प्रतिबंध की बात आती है तो ये ही हिन्दू धर्म को खतरा बताकर हाल मचाते हैं ।

जब कल्याण और नैतिकता को व्यापारियों के हवाले करोगे तो यही होगा । इन्हें केवल और केवल नोट चाहियें । भारत दुनिया में बीफ का निर्यात करने वाले प्रमुख देशों में से एक है और उन सभी बूचड़खानों के मालिक हिन्दू हैं । हो सकता है उन्होंने चुनावी बॉन्ड खरीदकर संस्कारी पार्टी को खरीद लिया हो । 

वैसे धैर्य रखो मोदी जी कुछ दिनों पहले चीनी सीमा के सबसे निकट के चमोली जिले के गाँव  'माणा' में हो आए हैं । पहले तो दिल्ली में बैठकर लाल आँख दिखाई थी। शायद इतनी दूर से चीन को दिखाई नहीं दी । लेकिन अब नजदीक से अच्छी तरह से आँख दिखा आए हैं। कुछ न कुछ असर जरूर होगा । 

बोला- मास्टर, क्या ऐसा नहीं हो सकता है कि हम लोग यहीं से लाउड स्पीकर का मुँह चीन की तरफ करके अखंड कीर्तन शुरू कर दें । चीन भाग जाए तो ठीक न भागे तो भी यहाँ अपने संस्कारी और धार्मिक हिन्दू होने की इमेज तो बनेगी । तुझे पता होना चाहिए अब भविष्य इसी इमेज का लगता है । क्या पता, इसी के चलते तुझे पद्मश्री मिल जाए । 

हमने कहा- लेकिन तुझे पता होना चाहिए इस शोर से चीन का तो कुछ बिगड़ेगा तब बिगड़ेगा लेकिन उससे पहले हमारे कान जरूर फूट जाएंगे । दुनिया में संस्कृति और धर्म के आडंबर के रूप में लाउडस्पीकर का उपयोग करने में हमारा नंबर पहला है ।  

तू तो शांति से चाय पी । चिंता मत कर । इस समय हम कबूतर उड़ाने वाले नहीं, चीता छोड़ने वाले बन गए हैं । दुनिया में डंका बज रहा है ।  

बोला- तभी तक जब तक हम उनका माल खरीद रहे हैं । यह डंका नहीं एक प्रकार की 'चौथ वसूली' है । 

हमने कहा- फिर भी हम मारते जरूर हैं , सर्दी में घर में घुसकर, घर में रजाई में घुसकर और गरमी में बरामदे में बैठकर । 

बोला- यह क्या अजीब स्टेटमेंट हैं ?

हमने कहा- यही कि हम मारते हैं हमेशा । पेट भरा हो तो डींग और खाली हाथ और खाली पेट  हों तो मक्खियाँ ।  



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Feb 5, 2024

मोदी जी का बड़प्पन

मोदी जी का बड़प्पन    


जब कभी दिल्ली को विकास की छींक आती है तो उसके छींटे विज्ञापनों के माध्यम से हम तक भी वैसे ही पहुँच जाते हैं जैसे कि दिल्ली का कोहरा, बारिश के छींटे और सर्द हवाएं । इसलिए एहतियात के तौर पर कमरे में ही बैठे थे, ‘बरामदा विष्ठा’ में नहीं गए ।   

तोताराम ने बाहर से ही चिल्लाकर कहा- बधाई हो, आदरणीय । 

हमने भी कमरे में बैठे-बैठे ही आवाज ऊंची करके कहा- अंदर तो आ जा । न हम भागे जा रहे हैं और न ही तेरी यह बधाई । 

तोताराम अंदर आकर हमारे बगल में बैठ गया, बोला- ‘राम-राम’ भाई साहब । 

हमने कहा- आज तो बहुत संस्कारी आदमी की तरह बात कर रहा है । क्या बात है ?

बोला- हम तो हमेशा से संस्कारी ही रहे हैं ।बस, अब राम की प्राणप्रतिष्ठा हो जाने से उसे राष्ट्रीय मान्यता मिल गई है । 

हमने कहा- राम की इस देश में कब मान्यता नहीं रही ? मंदिर, मार्ग, मूर्ति, विज्ञापन की जरूरत उन्हें पड़ती है जिनके कर्मों में दम नहीं होता ।राम, ईसा, बुद्ध गांधी आदि के विचार और संदेश किसे बुरे और अजीब लगते हैं ? इस देश के करोड़ों लोगों की आदत में ‘राम-राम’ संबोधन रहा है । अपनी मर्यादा के कारण ‘राम’ का विस्तार मुस्लिम देशों तक में हैं । रूस और इंडोनेशिया तक में लोग उन्हें अपने जीवन से जोड़ते हैं । भगवान या खुदा से रिश्ता तो बहुत औपचारिक होता है । कर्मकांड तक का । लेकिन जब जीवन से कोई रिश्ता जुड़ता है तो वह सांस-सांस में बस जाता है ।  


लेकिन यह बधाई वाली क्या बात है ?

बोला- भारतरत्न मिलने की बधाई । 

हमने कहा- हमें तो भारतरत्न क्या, एक अंतर्राष्ट्रीय पत्रिका का संपादक और 20-25 पुस्तकों का लेखक होने के बावजूद किसी कलेक्टर ने आज तक गणतंत्र दिवस को जिला स्तर तक पर सम्मानित करने लायक भी नहीं समझा । 

बोला- मैं तेरी बात नहीं कर रहा हूँ । मैं ताऊ आडवाणी की बात कर रहा हूँ । मोदी जी, राजनाथ, गडकरी आदि सभी ने बधाई दे दी तो तुझे क्या परेशानी है ?

भारत के विकास के लिए  ‘रामराज’ की स्थापना में उनके योगदान के लिए हम सबको भी उनका ऋणी होना चाहिए और तू एक जरा सी बधाई देने में कंजूसी कर रहा है ! 

हमने कहा- तोताराम, हम तो सबके लिए शुभकामनाओं में विश्वास करते हैं । सर्वे भवन्तु सुखिनः को मानते हैं । जब सब सुखी होंगे तो हमारे सुख को कौन रोक लेगा । और जब दूसरे दुखी होंगे तो हमारा सुख कितने दिन टिकेगा ? तुम्हें अजीर्ण हो रहा है और तुम्हारा पड़ोसी भूख है तो तुम्हें उसकी हाय लगेगी ।आडवाणी जी का योगदान अपनी हिंदूवादी पार्टी को 2 से 200 तक पहुंचाने में है, पूरे भारत की समस्त जनता के लिए नहीं ।जिस रास्ते पर उन्होंने पार्टी को चलाया उस पर चलकर आज वह 300 से 400 के सपने देख रही है । उन्होंने खुद कहा था कि मंदिर मुद्दा उनके लिए धर्मिक नहीं, राजनीतिक है । हमें उस राजनीति से क्या लेना जो केवल एक वर्ग के प्रति सदाशय हो ।धर्म का काम जीव को वैचारिक मुक्ति प्रदान करना और राजनीति का काम समस्त जन का कल्याण करना होना चाहिए । 

बोला- और कितना कल्याण चाहिए । राम मंदिर जाओगे तो अस्पताल जाने की जरूरत नहीं पड़ेगी । 

हमने कहा- तो राम के परम भक्त रामभद्राचार्य को अस्पताल में भर्ती क्यों करवाया गया ? तोताराम ये बहुत बचकानी बातें हैं । हम तो एक बात जानते हैं कि रामराज्य का मतलब है धोबी और मंथरा तक की अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता तक को भी दंडित नहीं किया जाना और यहाँ सरनेम की आड़ में अधिकतम दंड और बलात्कारियों को पेरॉल और सजा माफ़ी । 

तोताराम, बहुत कठिन है धरम राम का !

बोला- लेकिन कर्पूरी ठाकुर को भी तो दिया है भारतरत्न । 

हमने कहा- उसके पीछे अगला चुनावी गणित है । हाँ, इसे अपने ही परिवार के एक बुजुर्ग की पीड़ादायक उपेक्षा का प्रायश्चित जरूर कहा जा सकता है ।

अच्छा हुआ जो अटल जी वाली हालत में पहुँचने से पहले यह काम कर लिया गया ।

  

असन्तुष्ट आत्मा सबसे पहले घर वालों को सपने में डराती है ।


बोला- और क्या ? बुजुर्गों के सम्मान की इस परंपरा को देखते हुए हो सकता है कि तेरा भी किसी सम्मान के लिए नामांकन हो जाए ।और नहीं तो गृहस्थ जीवन के मामले में तो तू आडवाणी जी से छह साल सीनियर है । उनकी शादी 1965 में हुई और तेरी 1959 में ।  




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Feb 3, 2024

मुहूर्त का बड़ा महत्व होता है

मुहूर्त का बड़ा महत्व होता है 

सामान्य लोगों का सब कुछ सामान्य होता है । कभी भी कुछ भी हो जाता है । कभी भी जन्म ले लेते हैं और कभी भी मर जाते हैं । कभी किसी शुभ या अशुभ मुहूर्त का कोई सोच विचार नहीं करते । राम सामान्य नहीं थे । उन्होंने शुभ मुहूर्त चुना ।  राम का जन्म अभिजित मुहूर्त में हुआ ।

मुहूर्त के बारे में ही सोच रहे थे । आज मध्याह्न साढ़े बारह बजे का बड़ा शुभ मुहूर्त है । राम लला की प्राणप्रतिष्ठा का मुहूर्त ।
 
मुहूर्त का बड़ा महत्व होता है ।

जब नई शताब्दी शुरू हो रही थी तो कई प्रतिष्ठित ( प्राणप्रतिष्ठा में बुलाए जाने के मापदंडों के अनुसार) माता-पिताओं ने 1 जनवरी 2001 के शुभ मुहूर्त  (1-1-1) को नहीं हो रहा था तो सिजेरियन प्रसव करवा लिया । इसी तरह कई ने 22 जनवरी 2024 को यादगार बनाने के लिए बच्चों की सिजेरियन डिलीवरी करवा ली । 

मुहूर्त का बड़ा महत्व होता है । 
 
ज्योतिषी तो यहाँ तक बताते हैं कि आज फलां राशि के व्यक्ति को घर से बाहर निकलते समय कौन सा पैर पहले बाहर निकालना चाहिए । किस दिन, कब, किस दिशा में जाना वर्जित या शुभ होता है ? सब कुछ उन्हें ही पता होता है लेकिन दबाव, डर या लालच में जब जैसा चाहो मुहूर्त भी निकाल देते हैं । यदि घर का दरवाजा अशुभ दिशा में हो तो पर्याप्त दक्षिणा देने पर उसे बिना तोड़े, बदले भी कोई नुस्खा बता देते हैं । यदि आप व्रत, उपवास, जप नहीं कर सकते तो उसके लिए सब्स्टीट्यूट का विधान भी उनके पास होता है। अगर कोई पीठ के पीछे सत्ता की बंदूक की नली छुआ दे तो शंकराचार्यों के अनुसार गृह प्रवेश का अशुभ मुहूर्त भी शुभ सिद्ध कर देते हैं । बाजार और पैसे वालों के चोंचलों को देखते हुए ज्योतिषी आजकल उनके कुत्तों, कारों आदि का भी दैनिक भविष्यफल छापने लगे हैं ।

मुहूर्त का बड़ा महत्व होता है ।  

घोर निराश और भरे पेट वाले सब ज्योतिष की घोर अवैज्ञानिकता के बावजूद उस पर विश्वास करते हैं ।कुछ चतुर और धूर्त झूठा ज्ञान झाड़ते हैं और कहते हैं कि ज्योतिष विज्ञान है । लेकिन ऐसा कहते हुए वे अर्ध सत्य का सहारा लेते हैं । कहते हैं अगर ज्योतिष अवैज्ञानिक होता तो ज्योतिषी कैसे  बात देते हैं कि अमुक दिन, अमुक बजे से अमुक बजे तक ग्रहण होगा और अमुक अमुक जगह दिखाई देगा ? जब कि सत्य यह है कि ग्रह-नक्षत्रों की गणना एक विज्ञान और गणित है जो दुनिया के सभी देशों में समान ही है । तभी तो सूर्य का उत्तरायण, दक्षिणायन सभी देशों की गणना के अनुसार एक ही दिन होता है । लेकिन उन ग्रह-नक्षत्रों की स्थिति का किसी व्यक्ति के जीवन पर क्या, कैसा, कितना प्रभाव पड़ेगा यह सब तुक्का है । अगर इस प्रकार  की बात सच है तो कभी किसी मुर्गे या बकरे के लिए कोई दिन ऐसा क्यों नहीं होता कि उस दिन उसे कोई भी काट न सके । 

यह भी सच है कि किसान मजदूर अपना काम रोज बिना किसी ज्योतिषी से पूछे करते हैं । हल चलाने और पानी देने से बीज उगता है किसी मुहूर्त से नहीं । इसलिए किसान बारिश के अनुसार चलता है न कि बकवास से ।  कोई काम करवाने वाला ज्योतिष के हिसाब से राहूकाल में काम बंद करवाकर अपने मजदूर को सवैतनिक छुट्टी नहीं देता । 
रोज अपनी मेहनत से कपड़ा बुनकर, उसे बेचकर रोटी जुटाने वाला कबीर इन झंझटों में नहीं पड़ता । तभी वह चेलेंज दे सकता है-
करम गति टारै नाहिं टरी 
मुनि वशिष्ट से पंडित ज्ञानी शोध के लगन धरी  
दशरथ मरण हरण सीता को बन में बिपत परी  
करम गति —---
कबीर का ‘करम’ श्रम वाला कर्म है न कि ज्योतिषियों वाला ग्रहदशा से फूटने वाला ‘करम’ ।   
लेकिन भक्तो, हम आजकल ज्योतिष वाले करम (भाग्य) के युग में आ पहुंचे हैं ।

 इसलिए मुहूर्त का बड़ा महत्व है । 

तोताराम ने भी आज आते ही यही कहा- मास्टर, मुहूर्त का बड़ा महत्व होता है । 
हमने पूछा- तो क्या करें ?
बोला- क्या, क्या ? बनवा ले हलवा । मीठा का मीठा, मुहूर्त का मुहूर्त और प्रसाद का प्रसाद । एक पंथ तीन काज । जैसे ही प्राणप्रतिष्ठा होगी हम हलवा खाना शुरू कर देंगे । 
हमने कहा- तोताराम, हर क्षण कुछ न कुछ होता ही रहता है । सब कुछ मुहूर्त के विचार के बिना ही निरंतर चलता रहता है । धरती, सूरज, चंद्रमा का परिभ्रमण क्या मुहूर्त के हिसाब के होती है । बस, होती है ।
 
बोला- नहीं, ऐसी  बात नहीं है ।फिर भी कुछ सोच समझकर ही प्राणप्रतिष्ठा का यह मुहूर्त निकाला गया होगा । कोई तो कारण रहा होगा जो राम नवमी तक का इंतजार नहीं किया गया । तब तक शिखर और ध्वजा भी स्थापित हो जाते । शंकराचार्यों का भी मान रह जाता । 

हमने कहा- कुछ लोग तो कहते हैं कि गणतंत्र दिवस की चमक को धुंधला करने के लिए ऐसा किया गया है । कुछ कहते हैं कि यह मुहूर्त रामलला के हिसाब से नहीं लोकसभा चुनाव के हिसाब से निकलवाया गया है । वैसे एक और भी विचित्र संयोग देख कि आज ही के दिन 1999 में आस्ट्रेलिया से आकर ऑडिशा में कोढ़ियों की सेवा करने के लिए रह रहे स्टेंस और उसके दो बेटों की कुछ कट्टर लोगों द्वारा 22 जनवरी को ही जलाकर हत्या कर दी गई थी ।रामराज्य के साथ शंबूक के प्रसंग की तरह यह भी जुड़ जाएगा । 

बोला- ऐसे तो कल को लोग यह भी कह देंगे कि 15 अगस्त को सभी समुदायों के लोगों के सहयोग से मिली आजादी के उल्लास को मुसलमानों के प्रति घृणा का स्थायी भाव भरने के लिए 14 अगस्त को जानबूझकर ‘विभाजनविभीषिका दिवस’ मनाने की धूर्तता की गई है ।
 
हमने कहा- इसे बिल्कुल झूठ और नितांत संयोग नहीं कहा जा सकता क्योंकि संसद के नए भवन के उद्घाटन की जो तिथि चुनी गई है 28 मई वह सावरकर का जन्मदिन है जो भारत को कट्टर हिन्दू राष्ट्र देखना चाहते थे । और 27 मई स्वतंत्र भरत के निर्माता नेहरू जी पुण्य तिथि । अब हर साल नई संसद के उद्घाटन की बात जोर शोर से की जाएगी तो नेहरू धुंधले होकर सावरकर और उजले दिखाई देंगे । 
 
बोला- तो फिर यह भी संयोग नहीं कि मस्जिद को सबकी आजादी और सम्मान से जोड़ने वाले संविधान के रचयिता अंबेडकर के निर्वाण दिवस 6 दिसंबर को तोड़ा गया । वैसे इस दिन को एम्स को आधे दिन बंद रखने के पीछे क्या तर्क हो सकता है ?

हमने कहा- यही कि अब राम आ गए हैं । किसी को भी दैहिक दैविक भौतिक ताप नहीं  व्यापेंगे  ।और अगर कोई इस शुभ मुहूर्त में मर भी जाएगा तो यह उसका सौभाग्य होगा । वह सीधा स्वर्ग जाएगा ।
 
मुहूर्त का बड़ा महत्व होता है । 
 
और तो और देख, इसी दिन के इस पुण्य मुहूर्त को देखते हुए सरकार ने बलात्कार और हत्या के अपराधी राम रहीम इन्साँ को 19 जनवरी को नवीं बार  पेरॉल पर रिहा किया । उसने बाहर आकर आश्रम पहुंचते ही अपने भक्तों से कहा कि 22 जनवरी को पूरे देश में राम जी का पर्व मनाया जा रहा है । सभी लोगों को इस पर्व में भाग लेना है । इस पर्व को दीपावली की तरह मानाना है । 
मुहूर्त का बड़ा महत्व होता है ।
बोला- इसका मतलब बिलकिस बानो के बलात्कारियों को भी किसी विशेष मुहूर्त के तहत ही स्वतंत्रता के ‘अमृतमहोत्सव 15 अगस्त 2022’ को संस्कारी मानकर रिहा किया गया ।
मुहूर्त का बड़ा महत्व होता है ।  



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Feb 2, 2024

ब्रांडिंग बरामदा बार बार


ब्रांडिंग बरामदा बार बार 


आज तोताराम ने अंदर आने की बजाय बाहर से ही आवाज दी- मास्टर, इतनी ज्यादा भी नहीं है सर्दी कि बाहर ही न निकले । 


हमने कहा- बीच का पीरियड तो फिर भी कुछ शांति से निकल जाता है लेकिन जैसे आती-जाती सरकार और अधिकारी ज्यादा उछल कूद करते हैं और कुछ न कुछ उलटा सीधा भी; वैसे ही सर्दी का भी यही स्वभाव होता है ।जब भी थानेदार नया नया आता है तो शराब, जुआ और चोरी-जेबकतरी करने वालों पर सख्ती और धरपकड़ करता है । जब सबसे मुलाकात हो जाती है, हफ्ता तय हो जाता है तो सब सामान्य रूप से चलने लगता है , कानून व्यवस्था कायम हो जाते हैं ।  अब देख नहीं रहा लोकसभा का चुनाव आने वाला है तो कैसे बेचैन हो रहे हैं चाहे जिसको पकड़ने के लिए । गुलकंद के चक्कर में गोबर तक खाने लग रहे हैं । काम होने पर छिटका दिये चिराग को फिर ढूंढकर तेल-बत्ती फिट कर रहे हैं ।इसी तरह हम सर्दी को हलके में लेकर रिस्क नहीं लेना चाहते ।

 

बोला- ज्यादा देर का काम नहीं है । बस, दो चार फ़ोटो लेने हैं । 


हम अनखाते से बरामदे में गए तो देखा दीवार पर कभी विज्ञापन के रूप में छपा मोदी जी के फ़ोटो वाला किसी अखबार का एक पन्ना चिपका हुआ है और उसके नीचे  ‘बरामदा-मंदिर’ लिखा हुआ एक सफेद कागज पर शोभा बढ़ा रहा था । 


हमने पूछा- यह क्या है ? 


बोला-  बार बार बरामदा ब्रांडिंग । 


हमने कहा- ऐ अंग्रेजी की दुम, इसे ‘रीब्रान्डिग’ कहते हैं । यह बार बार लगाने की क्या जरूरत है ? 


बोला- इस तरह से मोदी जी वाले स्टाइल की तरह एक प्रकार का अनुप्रासात्मक सौन्दर्य आ जाता है । 


हमने कहा- रहेगा तो बरामदा ही । जैसा कल था वैसा आज है । जैसे कल बैठते थे वैसे ही आज, अब भी बैठेंगे । 


बोला- तुझे पता नहीं, ब्रांडिंग से भाव जागृत होते हैं । बाजरे, ज्वार और मक्का को मोटा अनाज की बजाय  ‘ऋषि अन्न’ या ‘श्री अन्न’  कहने से एक अलौकिकता आ जाती है। फिर वह किसी को भी महंगे दामों में टिकाया जा सकता है ।  किसी लंगड़े को दिव्याङ्ग, किसी अंधे को प्रज्ञा चक्षु या सूरदास कहने से बुरा नहीं लगता । वैसे ही जैसे मुख्यमंत्री पद के लिए नौ-नौ बार दलबदल का गू खाने को ‘आत्मा की आवाज’ या कहीं दाल न गलने पर ‘खुद को पार्टी का अनुशासित सिपाही’ बताने से कुछ तो झेंप मिट ही जाती है । जैसे किसी चाय पत्ती का नाम ‘मोदी चाय’ रख दिया जाए तो फिर वह पत्ती   विदेश से आया लाभहीन पेय नहीं रह जाती बल्कि उसकी तुलना लक्ष्मण के प्राण बचाने के लिए हनुमान द्वारा लाई गई संजीवनी बूटी से की जाने लगती है । उसे पीना हर राष्ट्रभक्त का कर्तव्य हो जाता है । फिर उसमें मिलावट की शिकायत करना राष्ट्रद्रोह से कम नहीं माना जाता ।  


हमने पूछा- क्या बरामदे का नाम ‘बरामदा-मंदिर’ कर देने से इसमें किसी दैवी शक्ति की प्रतिष्ठा हो जाएगी ? क्या मल-मूत्रालय, पाखाने का नाम ‘स्वच्छता मंदिर’ कर देने से उसमें बदबू की जगह चंदन की खुशबू आने लगेगी ?


बोला- कुछ तो फ़र्क पड़ता ही होगा । तभी तो आजकल लोग प्याऊ को ‘जल-मंदिर’, शिक्षा की दुकान को ‘शिक्षा-मंदिर’, जहां अनाप-शनाप फीस लेकर, बच्चों पीट पीटकर गलत सलत सूचनाएं रटाई जाती हैं उसका नाम ‘शिशु-मंदिर’, इस उस टेस्ट और सुविधा के नाम पर मरीज के परिवार वालों की खाल उतार लेने वाले अस्पतालों को ‘आरोग्य-मंदिर’ कहते हैं । इससे पापों पर  कुछ तो पर्दा पड़ता ही होगा ?


हमने कहा- कोई पर्दा नहीं पड़ता । सब समझते हैं लेकिन किसके आगे रोयें । लोग डर या सौ-पचास रुपए के लिए रैली या रोड़ शो में चले जाते हैं लेकिन वे राजसी ठाठ वाले उस नेता की सब सचाई जानते हैं जो खुद को गरीब और सेवक कहता है और पुराने अय्याश और विलासी राजाओं से भी अधिक शान से रहता है । 


बोला- तो फिर इस समाचार का क्या मतलब है ? ऐसा कहते हुए तोताराम ने हमारे सामने समाचार की एक कटिंग रख दी-

पिछले साल नवंबर में केन्द्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय ने लद्दाख के आयुष्मान भरत स्वास्थ्य और कल्याण का नाम बदलकर ‘आयुष्मान आरोग्य मंदिर’ करने का फैसला किया था । और 31 दिसंबर 2023 तक नए नाम के साथ इन केंद्रों ( ‘मंदिरों’ ) के फ़ोटो भी भेजने को कहा था । इस रीब्रान्डिंग के लिए प्रति ‘मंदिर’  3000 हजार रुपए भी निर्धारित किए थे ।


हमने पूछा- तो फिर अपने इस 8 गुणा 4 फुट के नाप वाले भव्य बरामदे का क्या नाम रहेगा ? 


बोला- ‘मोदी जी चाय-चर्चा बरामदा मंदिर’ । 


हमने कहा- और अगर इसमें राष्ट्र, अमृत, भव्य और जोड़ दें तो ?


बोला- फिर तो प्राणप्रतिष्ठा ही हो गई समझ ले । 


हमने फिर पूछा- और लाभ ?  


बोला- वही जो भाजपा को राममंदिर से होने की आशा है । अपने लिए तो ब्रांडिंग के 3000 हजार रुपए ही बहुत हैं ।  साल भर रोज चाय के साथ एक एक फंकी नमकीन । 


हमने कहा- तो फिर खींच  ‘मोदी जी चाय-चर्चा बरामदा मंदिर’ के साथ हमारा फ़ोटो और दे आ किसी अखबार में । अखबार वालों को आजकल मंदिर के अलावा और कुछ छापने की फुरसत ही कहाँ है ? 



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