Apr 29, 2021

कनेक्शन ढूँढ़ना तो पड़ेगा


कनेक्शन ढूँढ़ना तो पड़ेगा 


यूं तो तोताराम ही हमें नई-नई ख़बरें दिया करता है लेकिन आज जैसे ही वह आया, हमने कहा- तोताराम, चिंता की कोई बात नहीं है, भागवत जी अब ठीक हैं. कल अस्पताल से छुट्टी दे दी गई है. बस, पांच दिन घर में क्वारेंटाइन रहना पड़ेगा.

तोताराम विचलित हो गया, बोला- भगवा भारत भाग्यविधाता भाई भागवत जी को क्या हुआ ? 

हमने कहा- कुछ नहीं, कोरोना हो गया था. 

बोला- भागवत जी को कोरोना ! दो दिन पहले सुना था योगी जी को कोरोना हो गया. इस कोरोना की हिम्मत बहुत बढ़ गई है. किसी तरह गोमूत्र, ताली-थाली और दीपप्रज्ज्वलन से डराया था लेकिन फिर लौट आया. इसका कोई परमानेंट इलाज करना पड़ेगा. यह सज्जनता से समझने वाला नहीं है. 

हमने कहा- वैसे उत्तर प्रदेश में योगी जी नेतृत्त्व में इसका इलाज करने के बहुत से भगवा-भेषज किये तो गए थे जैसे अम्बेडकर की मूर्ति को भगवा रंगवाना. रेलों की गति बढ़ाने के लिए भगवा रंगवाना. सरयू के तट पर लाखों दीये जलवाना, मस्जिदों को भगवा कपड़ों से ढँकवाना, हरे रंग के रोमियो और लव जिहाद विरोधी सख्त कार्यवाहियां, लेकिन सब व्यर्थ. 

बोला- कोई भी कर्म व्यर्थ नहीं जाता. छोटे-छोटे प्रयत्नों से ही महाप्रयत्न बनकर आसोल महापरिवर्तन लाते हैं. यदि ये सब उपाय नहीं किए गए होते तो पता नहीं उत्तर प्रदेश में क्या हाल होता. लेकिन अब चुप बैठना उचित नहीं है. 

हमने कहा- क्या करोगे ? तुम्हारे कहने से रैलियाँ, कुम्भ स्नान, चुनाव प्रचार आदि तो रुकने से रहे. लोग मास्क और दूरी बनाने की बजाय मास्क के रंग और 'जय श्रीराम मास्क' के नाटक कर रहे हैं. दो गज की दूरी और मास्क, बस. कोरोना का बाप भी कुछ नहीं बिगाड़ सकता. 

बोला- नहीं, अब सारे धर्मनिरपेक्ष कांग्रेसी और कम्यूनिस्टी तुष्टीकरण छोड़कर असली जड़ को पकड़ना पड़ेगा.

हमने पूछा- असली जड़ क्या है ?

बोला-  वे ही जो पड़ोसी देशों से यहाँ आकर, निजामुद्दीन में इकट्टे होकर कोरोना फैला गए.

हमने कहा- लेकिन अब तो मुम्बई हाईकोर्ट ने अपने फैसले से इस दुष्प्रचार की हवा निकाल दी.

बोला- उससे क्या होता है. प्रमाण देख. हिन्दू राष्ट्रवादियों, कुम्भ में संतों को कोरोना हुआ, योगी जी को हुआ, भागवत जी को हुआ, शाह जी को हुआ, जे.पी. नड्डा को हुआ, शिवराज मामाजी को हुआ, उनके बेटे कार्तिकेय को हुआ, येदुयेरप्पा को हुआ, संबित पात्रा, ज्योतिरादित्य सिंधिया को हुआ, महामंडलेश्वर नागा कपिल मुनि, नरसिंह मंदिर के प्रमुख महामंडलेश्वर स्वामी श्यामदेव देवाचार्य, राम मंदिर पुजारी प्रदीप दास, भाजपा नेता नन्द कुमार सिंह, सरोज पाण्डेय, सुनील बंसल, बंसीधर भगत, चेतन चौहान, किरण माहेश्वरी, रामायण महाभारत को मूल ग्रंथों और सीरियल के बाद लोकप्रिय बनाने वाले श्रेष्ठ हिन्दू नरेन्द्र कोहली आदि-आदि को हुआ. और तो और मोदी  विकास के मॉडल मैन और राम सेतु से सेनेटरी पेड तक वाले कलाकार, बहुत अनुशासित और फिटनेस पर ध्यान  देने वाले अक्षय कुमार को भी कोरोना हो गया  लेकिन सलमान खान, आमिर खान, शाहरुख खान, ओवैसी, आज़म खान, मुख्तार अंसारी, उमर अब्दुल्ला, महबूबा मुफ़्ती, फारुक अब्दुल्ला आदि को नहीं हुआ. यहाँ तक कि भाजपा के नक़वी और शहनवाज़ तक को नहीं हुआ. 

हमने कहा- तोताराम, तेरी बात में कुछ तो दम है. वैसे इस बारे में अपने भारत मूल के अमरीकी, परम धार्मिक, राष्ट्रवादी, वैज्ञानिक दृष्टिकोण वाले चिकित्सक डॉ. धनञ्जय लाकिरेड्डी पिछले साल से ही इस बात पर शोध कर रहे हैं कि किस धर्म की प्रार्थना से कोरोना के इलाज में कितनी मदद मिलती है. 

बोला- मास्टर, अब तो तुझे भारतीय ज्ञान-विज्ञान का लोहा मानना ही पड़ेगा. आखिर मोदी जी ऐसे ही वैज्ञानिक दृष्टि संपन्न हिन्दुओं के बल पर भारत को पुनः विश्व गुरु बनाने का स्वप्न देख रहे हैं जैसे ट्रंप अमरीका को ग्रेट बनाने और लगातार ग्रेट बनाए रखने के लिए प्रयत्नशील थे और अभी भी लगे हुए हैं.


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Apr 27, 2021

कुत्ता कीपिंग कला

कुत्ता कीपिंग कला 


एक चाय का ही तो खर्चा है लेकिन फायदे अनेक. तोताराम कोई न कोई अंतर्राष्ट्रीय महत्त्व का समाचार ले आता है. आज बोला- मास्टर, जो बाईडन के कुत्ते ने नॅशनल पार्क सर्विस के एक कर्मचारी को काट लिया. हालाँकि उसका उपयुक्त इलाज किया गया है फिर भी है तो गलत.  

हमने कहा- गलत क्या है ? कुत्ते क्या ताली-थाली बजाने के लिए पाले जाते हैं ? कुत्ते पाले ही लोगों को काटने-डराने के लिए जाते हैं. कहा गया है कि किसी को भी अपने कुत्ते से निकटता मत बढ़ाने दो. क्या पता, इस तरह से कोई आपके 'सीक्रेट जोन' में घुस आए. राजनीति में किसी का कुछ पता नहीं. आज स्वार्थ के लिए तुम्हारे चरण-चुम्बन कर रहा है तो कल दूसरी तरफ से कोई बड़ा ऑफर मिल जाए तो सेवात्मा ललचाकर उधर खिसक ले और तुम्हारे रहस्य उजागर करने लगे.

बोला- पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भी इस कर्मचारी के शीघ्र स्वस्थ होने की कामना की है.

हमने कहा- ट्रंप के उस कर्मचारी के लिए शुभकामना करने की बात है तो यह मानवीय संवेदना नहीं बल्कि राजनीति है. यदि इतने ही सज्जन होते तो क्यों कुर्सी छोड़ने में इतना नाटक करते. तुझे पता होना चाहिए, मोदी जी का कुम्भ के सफाई कर्मचरियों के चरण धोना, अमित शाह बंगाल के बाउल गायक के घर खाना खाना, मोदी जी का बांग्लादेश के मातुआ समुदाय के मंदिर में जाकर पंखा झलना क्या दलित-प्रेम है ? यदि बंगाल में किसी को कुत्ता काट ले तो उसे ममता दीदी का कुत्ता बता दिया जाता है और बंगाल में जंगल राज.

बोला- तो क्या कुत्ता पालना ही बंद कर देना चाहिए ? 

हमने कहा- पालो, पालो क्यों नहीं. कुत्तों के बिना पार्टी का आधार कैसे मज़बूत होगा. चुनाव जन कल्याण के कामों से नहीं बल्कि 'ट्वीट और टेरर' से जीते जाते हैं.  कुत्ते लोकतांत्रिक तरीके से पालो. कोई सीधे-सीधे इलज़ाम न लगा सके, ऐसे पालो. 

बोला-  थोड़ा और स्पष्ट कर. 

हमने कहा- जैसे खुद कभी गाँधी को देशद्रोही मत कहो, गोडसे को देशभक्ति का प्रमाण दे दो. हो गया काम. हत्यारा और मारा गया दोनों तो एक साथ देशभक्त हो नहीं सकते. पहलू खां को खुद मारने की क्या ज़रूरत है,अफाराजुल के हत्यारे शम्भू रेगर की झांकी निकाल दो तो मेसेज अपने आप पहुँच जाएगा. शम्भू रेगर पाले नहीं जाते बल्कि प्रेरित किये जाते हैं. सी ए ए धरने में कपिल गुर्जर उर्फ़ कपिल बैंसला के साथ जो सम्मानजनक व्यवहार किया गया उससे पता चल जाता है कि सरकार को प्रसन्न करने के लिए क्या करना है. ट्रंप कुत्ता नहीं पालते बल्कि उनके लिए काम करने वाले कुत्तों की तारीफ़ करते हैं. जैसे बगदादी को पकड़वाने वाले कुत्ते 'केनन' की तारीफ़ कर दी. 

बोला- एंड्रयू जेक्सन के बाद केवल ट्रंप की ऐसे राष्ट्रपति रहे हैं जिन्होंने वाइट हाउस में कोई कुत्ता-बिल्ली नहीं रखा. क्लिंटन तो , कहते हैं मोनिका लेवेंस्की वाले चक्कर के बाद अपने कुत्ते 'बडी' के साथ की तनाव कम किया करते थे. लेकिन ट्रंप तो तनाव में आने वाले जीव ही नहीं थे. वे तो अपनी बातों और कर्मों से दूसरों को ही तनाव दे दिया करते थे.

हमने कहा- कुत्ता तो मोदी जी भी नहीं पालते.

बोला- लेकिन मोदी जी ट्रंप की तरह निठल्ले थोड़े ही हैं. वे दिन में १८ घंटे काम करते हैं. कुत्ता पाल लें तो कम से कम ४ घंटे तो उसे ही चाहियें. ऐसे में देश सेवा और विकास कौन करेगा. मोर का क्या है, कभी सात साल में दो मिनट मुट्ठी भर दाने चुगा दिए और हो गया काम.

हमने कहा- फिर भी लगता है, अब तुम्हें यह 'डिजिटल कुत्ता कीपिंग कला' कुछ समझ में आ रही है.  जो बाईडन की तरह वास्तविक कुत्ते पालने की बजाय ट्विट्टर पर डिजिटल कुत्ते पालने चाहियें. एक ट्वीट करो और भक्त कुत्ते अपने ही देश की 'कैपिटल हिल' को हिलाकर रख देंगे. 




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Apr 22, 2021

कुम्भ-कोरोना-कुत्ता कनेक्शन


कुम्भ-कोरोना-कुत्ता कनेक्शन 


जब से सुना है कि कोरोना फिर दुगुनी तेज़ी से लौट आया है, अस्पतालों में बेड कम पड़ रहे हैं, श्मशानों में भी लम्बी लाइनें लगी है, दुनिया को टीका सप्लाई करते-करते हमारे खुद के लिए टीके कम पड़ने लगे हैं, लोग टीकों में ब्लेक  मार्केटिंग करने लगे हैं, मुम्बई में आपदा में अवसर ढूँढ़ने वाले व्यापारियों ने ऑक्सीजन के तीन गुना दाम वसूल करना शुरू कर दिया है तो हमने भी टीका लगवाने का निश्चय कर ही लिया. कोई ख़ास परेशानी तो नहीं हुई लेकिन रात को थोड़ी ठण्ड लगी और हल्का सा बुखार भी हो गया. इसलिए बरामदे में नहीं बैठे. बिस्तर में ही चाय पीकर लेट गए.

नेचुरली, तोताराम को अन्दर आना ही था. हमारे पैताने बैठ गया और बोला- क्या बात है, आज दुश्मनों की तबीयत नासाज़ लगती है.  

हमने कहा- हमारी ही तबीयत ख़राब है. दुश्मन तो मज़े में हैं. कोरोना के नाम पर जो चाहे कानून बनाकर जनता को गरदन मरोड़ रहे हैं. 

बोला- क्या हुआ ? 

हमने कहा- तू तो 'टीका-उत्सव' को टालता रहा सो हमने सोचा कि हम ही मोदी जी का मशवरा मानकर मना डालें यह उत्सव. कल टीका लगवा आये.

बोल- कौनसा टीका लगवाया ?

हमने कहा- मोदी जी वाला टीका लगवाया. 

बोला- यह बात सच है कि बच्चों को परीक्षा के टेंशन से बचाने से लेकर आम खाने के तरीके समझाने तक में मोदी का दखल है, पटेल के नाम से बना स्टेडियम एक झटके में मोदी जी के नाम पर हो गया लेकिन जहां तक टीके की बात है तो दुनिया में रामदेव के काढ़े से लेकर रेम्डेसीविर तक दसियों टीके उपलब्ध हैं लेकिन उनमें मोदी जी के नाम से तो कोई टीका नहीं है. अपने यहाँ मुख्य रूप से दो टीके लग रहे हैं कोवेक्सीन और कोवीशील्ड. 

हमने कहा- क्या पता, जो मेसेज आया था उसमें तो मोदी जी का फोटो लगा हुआ था. आगे हमने देखने की ज़रूरत नहीं समझी. मोदी जी हैं तो 'मजा ही मजा छे' और सब कुछ मुमकिन है. 

बोला- यह ठीक है कि हर चीज और काम को मोदी जी अपने या भाजपा के नाम से जोड़ लेते हैं जैसे  प्रधान मंत्री जन आरोग्य योजना( PMJAY ) या भगवा रंग में लिखा 'भाजप'  (भारतीय जनऔषधि परियोजना ). लेकिन अब ध्यान से अपने स्मार्ट फोन में देखकर नोट करले कि कौन सा टीका लगा है. उसी तरह का टीका छह हफ्ते बाद लगेगा. वैसे मेरी माने तो चाय नाश्ता करके एक बार अस्पताल चलकर किसी अच्छे डॉक्टर को दिखा लेते हैं. क्या पता किसी ने भूलवश कुत्ते वाला टीका ही न लगा दिया हो. 

हमने कहा- तेरा दिमाग खराब है. कोरोना के टीके के लिए विशेष कक्ष और व्यवस्था की हुई है. वहाँ केवल कोरोना का टीका लगवाने वाले ही जाते हैं. ऐसे में ऐसा कैसे हो सकता है ?

बोल- उत्तर प्रदेश के पास हर समस्या का उत्तर है, जैसे जब लोगों ने योगी जी को बंदरों की समस्या बताई तो उन्होंने झट से समाधान दे दिया, कहा- हनुमान चालीस का पाठ करो. सो हो सकता है कि तुझे भी कोरोना का टीका ख़त्म हो गया हो या कोरोना और कुत्ते का चुनावी कनेक्शन जोड़ते हुए नर्स ने शामली जिले के एक कस्बे की तीन बुज़ुर्ग को कोरोना टीके के विकल्प स्वरूप तुझे कुत्ते वाला टीका लगा दिया हो. 

हमने कहा- यह कैसे हो सकता है ? कुत्ता और कोरोना का क्या कनेक्शन ?

बोला- इस देश में किसी से भी किसी का कुछ भी कनेक्शन हो सकता है. जैसे सारदा चिट फंड घोटाले में ईडी का नोटिस आते ही बंगाल के नेताओं को भाजपा में तृणमूल कांग्रेस का विकल्प दिखाई देने लगा. कोरोना का कुत्ता ही क्या, 'कुम्भ-कोरोना-कुत्ता कनेक्शन' कुछ भी हो सकता है. देश में जो कोरोना फ़ैल रहा है वह भी कुत्ता-मानसिकता के कारण है. कोरोना से बचने के लिए मास्क से बढ़कर कोई उपचार नहीं है. कोरोना का वायरस नाक और मुंह से घुसता है. इसीलिए मास्क से नाक और मुंह दोनों ढंके जाते हैं. कुत्ते मास्क नहीं लगाते चाहे कोरोना का कितना ही प्रकोप हो जाए. भौंकते रहते हैं.  इन दिनों बंगाल में चल रहे चुनावों से कुत्तों और कोरोना का यह कनेक्शन सिद्ध हो गया. कुत्ते झुण्ड में रहते हैं. कुम्भ में अपने पाप धोने वाले डिस्टेंस नहीं रखने के कारण भयंकर रूप से संक्रमित हो गए. इसलिए कुत्ता-कुम्भ और कोरोना का कनेक्शन हुआ कि नहीं ?

हमने कहा- तब तो यदि कुत्ते वाला टीका भी लग गया होगा तो कोई बात नहीं. 

बोला-  मैं थोड़ी देर बैठता हूँ. यदि घंटे दो घंटे बंगाल में नेताओं के चुनावी भाषण की तरह भौंकने का मन न करे तो ठीक है. नहीं तो डॉक्टर के पास चलना पड़ेगा.  

 



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Apr 20, 2021

वेल इन एडवांस


वेल इन एडवांस 


तोताराम आया, चाय आई लेकिन यह क्या ?

बोला- बस, चाय ! पिओ, दो बातें करो और जाओ. कभी कुछ दीन-दुनिया की भी सोच लिया कर.

हमने कहा- रोज और करते ही क्या हैं ? दीन-धर्म तो देख, किसी का रहा नहीं है. चाहे कुम्भ स्नान हो या रमजान की नमाज़; भेदभाव के अलावा कुछ नहीं. और तो और अब तो कुर्सी के लालच में राम और दुर्गा को युद्ध में उतार दिया है. जिसे देखो हिन्दू-मुसलमान कर रहा है जैसे जनगणना कर रहा हो. अरे, भूख-प्यास, हारी-बीमारी तो सबको एक जैसी ही ब्यापती है.  कभी तो लोगों को नागरिक और देशवासी के रूप में भी देख लिया करो. और रही बात दुनिया की तो सबकी अपनी-अपनी दुनिया है जिसमें अपने-अपने चमचे और अपने-अपने स्वार्थ. दीन और दुनिया दोनों बदमाशों ने कब्ज़ा लिए हैं. हमें भी अब अपनी जान की सोचनी चाहिए. 

बोला- मेरा दीन-दुनिया से यही मतलब था. 

हमने कहा- मतलब कि हम भी टुच्चे हो जाएँ.

बोला- कुछ मामलों में तुच्छ नहीं तो कम से कम समझदार और दूरदर्शी तो होना ही चाहिए.

हमने पूछा- बता, क्या करें ?

बोला- सबसे पहले तो अस्पताल में कोरोना के इलाज़ के लिए भर्ती होने के लिए और फिर श्मशान में दाह-संस्कार के लिए बुकिंग करवा दें.

हमने कहा- हमें जर्मनी के हेस्से राज्य के वित्तमंत्री थॉमस शेफर की तरह जर्मनी की कोरोना के कारण गिरती अर्थव्यवस्था से ज़रूरत से ज्यादा संवेदनशील होकर आत्महत्या जैसे किसी कदम के बारे में नहीं सोचना चाहिए.      दुनिया भाड़ में जाए, हमें तो बेशर्मी से नकटे होकर सौ साल तक जीने और दुगुनी पेंशन पेलने का जतन करना चाहिए. हम तो स्वस्थ हैं. यह क्या अस्पताल और क्या दाह-संस्कार के लिए बुकिंग की बात करता है.

बोला- इस विश्वगुरु देश में अव्यवस्था की कोई सीमा नहीं है. राममंदिर के भरोसे राजनीति तो की जा सकती है लेकिन जान बचाने के लिए कुछ और भी करना ज़रूरी है. तोप के लाइसेंस के लिए अर्जी दो तो कहीं जाकर तमंचा मिलता है. आज की ही खबर है, लखनऊ जिले के एक कस्बे इंटौजा के मनीष त्रिपाठी ने तबीयत खराब होने पर अपने पिताजी को अस्पताल में भर्ती करवाने के लिए नंबर लगाया तो पिताजी के मरने के बाद फोन आया कि आ जाइए, बेड खाली है. इधर जब खाट ही खड़ी हो गई तो 'बेड' का क्या अचार डालेंगे. हमें ऐसी लापरवाही नहीं करनी चाहिए. इसलिए दोनों जगह एडवांस में नंबर लगा देने में कोई बुराई नहीं है. 

हमने कहा- और अगर बीमार नहीं हुए या मरे नहीं तो ?

बोला- हजार पांच सौ रुपए लेकर किसी को सीट बेच देंगे. 

हमने कहा- तोताराम, तो क्या तू भी  मरीजों की मजबूरी का फायदा उठाकर महाराष्ट्र के ऑक्सीजन विक्रेताओं की तरह अपनी श्मशान-वेटिंग तिगुने दाम में बेचेगा ?  


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Apr 19, 2021

कुट्टू की कूढ़मगजी



कुट्टू की कूढ़मगजी 


कल 'टीका उत्सव' के बहाने एक चक्कर लगाने के लिए निकले थे तो एक परिचित की अम्मा का कोरोना का टीका लगवाने के अगले दिन ही मोक्ष का समाचार मिला. आज जैसे ही सुबह अखबार पर निगाह डाली तो भौचक्के रह गए. उधर बंगाल में अम्बे-जगदम्बे के उपासक शाह और मोदी जी राम के नाम की आड़ में ममता के पीछे पड़े हुए हैं तो यहाँ योगी जी के राज में मोदी जी के नगर (मोदीनगर) में कुट्टू के आटे के व्यंजन खाकर ४० दुर्गा के भक्त अस्पताल में भर्ती हो गए.

वैसे एक बार जब मोदी जी ने सरदार सरोवर बाँध की ऊंचाई के मामले में उपवास किया था तो शाम से पहले ही तोड़ दिया था. इसी तरह अटल जी ने भी एक दिन का उपवास किया था. चंद्रबाबू नायडू भी एक बार सुबह खाना खाकर दिल्ली आए, उपवास किया और शाम को प्लेन से घर पहुँच कर शाम का खाना खाया. हमसे तो इतना उपवास भी नहीं होता. पता नहीं, यदि ऊपर व्रत-उपवास का कोई लेखा परीक्षण विभाग हुआ तो हमारे साथ बहुत बुरा सलूक करेगा.  

आज का समाचार पढ़कर हमें अपने मरणोपरांत भविष्य से अधिक चिंता तोताराम की हुई. उसे व्रत से अधिक भोजन में विश्वास है. व्रत के बहाने जो कुछ मिल जाए, खा जाता है. हमने तोताराम के आने का इंतज़ार नहीं किया.  जैसे ही उसके हर पहुंचे तो बोला- आ जा, कुट्टू के परांठे बने हैं, दही के साथ प्रसाद छक ले.

हमने कहा- दुर्गा सप्तशती का पाठ कर लिया क्या ? 

बोला- किसे आता है चंडी पाठ  आजकल तो राम भक्तों ने बंगाल में ममता दीदी को मंच पर चंडीपाठ करने के लिए मजबूर किया हुआ है. बात बिना बात इतना जोर से 'जय श्री राम' का नारा लगाते हैं मानो अभी 'राम-बाण-वर्षा' कर देंगे. 

हमने कहा- लेकिन राम और दुर्गा में तो कोई झगड़ा नहीं है. अमित शाह भी पूरे नौ दिन नहीं तो एक दिन तो दुर्गा का व्रत रखते ही होंगे. हम गुजरात में छह साल रहे हैं. आश्विन के नवरात्रों में पूरा गुजरात दुर्गामय हो जाता है. जहां तक मोदी जी की बात है तो वे साल में नौ-नौ दिन के दो नवरात्र रखते हैं. केवल एक बार फल और नीबू पानी पीकर व्रत रखते हैं. जब अमरीका गए थे तो ओबामा के साथ डिनर में केवल सादा पानी पिया था. फिर भी इनर्जी लेवल इतना हाई. भौचक्के रह गए ओबामा. भक्ति की शक्ति. 

बोला- इस कुट्टू के परांठे में भी मोरिंगा की तरह ज़बरदस्त एनर्जी है. 

हमने कहा- सुना नहीं, आज ही मोदीनगर में कुट्टू के आटे के व्यंजन खाने से ४० लोग बीमार होकर अस्पताल में भर्ती हो गए.

बोला- जब उत्तर प्रदेश में कोरोना के संक्रमण का रिकार्ड टूट रहा हो, ऐसे में ये लोग मरे नहीं, यह क्या कम है.  यही तो भक्ति की शक्ति है, व्रत-उपवास का प्रभाव है.  तीरथ सिंह जी ने सही फरमाया कि कोरोना मरकज में जाने से होता है, हरिद्वार में कुम्भ-स्नान से नहीं. 

हमने कहा- लेकिन कुट्टू का भक्ति से क्या संबंध ? 

बोला- व्रत के लिए इसीका विधान है. 

हमने कहा- यह व्रत-उपवास के विधान का नहीं बल्कि कुट्टू की कूढ़मगजी का मामला है. अरे, पहले जब आश्रमों में रहने वाले ऋषि-मुनियों को कुछ विशेष चिंतन-मनन करना होता था तो उसके लिए व्रत लेते थे, व्रत पूरा करने के लिए समय चाहिए सो उपवास कर लेते थे. यदि ज्यादा ही भूख लगती थी तो आसपास में उपलब्ध कोई फल या कंद मूल खा लेते थे.  आज तो कुट्टू का आटा ढूँढ़ने में ही सारा दिन निकल जाता है. फलों से महँगा. और पता नहीं कितने दिनों और महीनों का पुराना पड़ा हुआ होता होगा वह आटा. खाकर बीमार नहीं होंगे तो और क्या होगा. 

तोताराम ने पोते बंटी को आवाज़ दी- अरे, बंटी एक परांठा और ले आ. बड़े दादाजी को तो दुर्गा की शक्ति पर विश्वास नहीं है इसलिए डर रहे हैं. 

हम तय नहीं कर पाए कि खाकर मरना बेहतर है या डर-डर कर मरना. 

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Apr 15, 2021

टीका-उत्सव और एक छंद


टीका-उत्सव और एक छंद 


आज नव संवत्सर है. तोताराम पूरे मेकअप और सजधज के साथ उपस्थित. 

बोला- चल उत्सव में चलें.

हमने कहा- कैसा उत्सव ? बंगाल चुनाव की बात और है. नेताओं के धंधे पर आ बनी है वरना यह कोई उत्सव का समय है ? अकेले महाराष्ट्र में रोज नए संक्रमित ५० हजार से ज्यादा हो रहे हैं. 

बोला- भाजपा की सरकार नहीं बनवाने पर ऐसा ही होगा. लेकिन याद रख, हमारी संस्कृति तो मरने में भी मंगलाचार खोज लेती है.बारह दिन बाद तो खैर, सारे हिन्दू ही मृत्यु का जश्न मनाते हैं लेकिन बनारस में तो मुर्दे को फूँकने के बाद छककर मिठाई खाने का विधान है. हमारे स्कूल में एक तमिल सफाई कर्मचारी था मलई कलन. अपने मुख्य कार्य के अतिरिक्त उसका एक और पक्ष था कि वह किसी के अंतिम संस्कार में अंतिम यात्रा के आगे-आगे मृदंगम बजाता और नाचता था. इसके फलस्वरूप उसे कुछ धनराशि, बढ़िया भोजन और दारू की एक बोतल भी मिलती थी. अपना-अपना कौशल विकास है, औरों की आपदा में ही अवसर बनते हैं.  

हमने कहा- अब कौन सा अवसर खोज लिया ?

बोला- मोदी जी हैं तो मुमकिन है. वैसे तो इस देश में ३६५ दिनों में ७३० त्योहारों का प्रावधान है फिर भी महान आत्माएं समय-समय पर नए-नए त्यौहार और उत्सव बना और मनाकर जनता को सक्रिय और जीवंत बनाए रखती हैं और उसके नवीनतम शलाका -पुरुष हैं हमारे प्रधानमंत्री  श्री-श्री १०८ नरेंद्र मोदी जी. पिछले लॉक डाउन के प्रारंभ में उन्होंने ताली-थाली वादनोत्सव, तत्पश्चात नौ दीप प्रज्ज्वलन और अब टीका-उत्सव का आविष्कार किया है. हम उनके आभारी हैं. जीवन्तता बनी रहनी चाहिए. दुःख-सुख तो आते-जाते रहते हैं.

इस प्रकार की जिंदादिली से ही जीवन जिया जा सकता है अन्यथा रोते-रोते कितने दिन जिया जा सकता है. कोरोना अपने  मनहूस दिनों के बाद फिर जोर-शोर से लौट आया है. अब इस भय को भगाने के लिए एक ही उपाय है- टीका-उत्सव. जैसे मजदूर गीत गाते-गाते काम करते रहते हैं. तभी कहा है- भूख लगे तो गाना गा.  मोदी जी के आदेशानुसार 11 अप्रैल से 14 अप्रैल तक ‘टीका उत्सव’ का आयोजन किया जाएगा.

आज शुभ दिन है नव संवत्सर. चल चलते हैं एस.के.अस्पताल. 

हमने कहा- वहाँ टीका ख़तम हो चुका है.

बोला- कोई बात नहीं. जब निकले हैं तो थोड़ा घूम ही आएं.

थोड़ा चले थे कि मुंडन करवाए हुए दस-बारह लोग मिले. तोताराम ने पूछा- क्या टीका उत्सव से आ रहे हो ?  क्या अस्पताल में टीका आ गया ? 

उनमें से एक ने कहा- दो दिन पहले अम्मा को टीका लगवाया था. आते ही सो गई. अगले दिन सुबह एक ज़ोरदार  हरी-पीली उलटी हुई और बस, लटक गई गर्दन. उसी का उत्सव मनाकर आ रहे हैं. 

हमने कहा- इसमें उत्सव वाली क्या बात है ?

वह बोला- अगर कोरोना हो जाता तो बहुत दुःख पाती. इस उम्र में इतने कम कष्ट में जीवण-जेवड़ी से मुक्त हो जाना क्या किसी उत्सव से कम है ?

और अब उत्सव के सन्दर्भ में  एक छंद 

होयँ चुनावी रैलियाँ या कि कुम्भ स्नान 

कोरोना से डरो ना, रक्षक हैं  श्रीराम 

रक्षक हैं श्रीराम, राम का घोष करें जब

भागे पूँछ दबा कोरोना सुन करके तब

कह जोशी कविराय जहाँ होंगे तबलीगी 

सिर्फ वहीं होती आशंका कोरोना की 


-रमेश जोशी 


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Apr 12, 2021

प्रधान प्रधानमंत्री


प्रधान प्रधानमंत्री 


तोताराम ने आते ही हमारे सामने अपने स्मार्ट फोन की स्क्रीन आगे करते हुए पूछा- इसे पढ़. 


हमने कहा- हमारी स्मरण शक्ति सुषमा स्वराज की तरह अद्भुत नहीं है कि कर्नाटक में कन्नड़ में भाषा दे दें या मोदी जी की तरह  'हाउ डी मोदी' में  एक साँस में दस भाषाओं में 'मज़ा छे' का अनुवाद कर डालें या स्मृति ईरानी की तरह बांग्ला में डायलाग रट कर वाह-वाही लूट लें. तू ही हमारे लिए इसका अनुवाद कर दे.


बोला- तमिल पढ़ना तो मुझे भी नहीं आता फिर भी इसका जो  भावानुवाद छपा है वही पढ़ता हूँ, सुन-


 हर वोटर को देंगे एक-एक आईफोन मुफ्त

 हर घर को 20 लाख तक की कार और छोटा हेलीकॉप्टर

 क्षेत्र को ठंडा करने के लिए 300 फीट ऊंचा बर्फ का पहाड़

 हर युवा को बिजसनेस शुरू करने के लिए 1 करोड़ रुपये

 चांद पर 100 दिनों की छुट्टियां

 परिवार को तीन मंजिला मकान के साथ स्वीमिंग पूल

 हर लड़की की शादी में 800 ग्राम सोना


हमने पूछा- यह तो लगता है कोई गडकरी से भी बड़ा जुमलेबाज पैदा हो गया. 


बोला- अब इस देश में ऐसे ही लबाड़ी और ढपोरशंख पैदा होंगे. वैसे ये मदुरई के निर्वाचन क्षेत्र के एक युवा निर्दलीय उम्मीदवार हैं सरवनन जिन्होंने ये वादे किये हैं. 


हमने पूछा- क्या यह संभव है ?


बोला- यह तो इस युवक ने खुद कहा है कि यह संभव नहीं है. वह तो जुमलेबाजों का मजाक उड़ाने के लिए ये वादे कर रहा है. 


हमने कहा- लोग तो कहते हैं- मोदी है तो मुमकिन है. 


बोला- मोदी जी इतने वादे करते हैं कि उन्हें खुद ही याद नहीं रहता. ऐसे में किसी और के वादे वे कैसे मुमकिन करेंगे. मोदी जी सगुण वादे नहीं करते. अब वे निर्गुण वादे करते हैं जैसे- गौरव बढ़ाएंगे, भय दूर करेंगे, चेतना जगाएंगे, प्रेरणा देंगे.  किसी का बाप भी  इन्हें माप-नाप नहीं सकता है तो वादे पूरे न होने की शिकायत भी कहाँ ठहरेगी. 


हमने कहा- फिर भी इस बन्दे के दिमाग में यह ट्यूब लाइट जली कैसे ?


बोला- क्या झूठ बोलने का अधिकार बिना प्रधान सेवक बने नहीं मिल सकता ? क्या सपने देखने-दिखाने का अधिकार मुंगेरी लाल को ही है ? होली के मौके पर एक सामान्य आदमी गप्प भी नहीं लगा सकता ?  शेखचिल्ली और ढपोरशंख क्या किसी और लोक के पात्र हैं ? 


हमने कहा- अब जब से हर भारतीय के खाते में १५-१५ लाख रुपए डालने का जुमला चला है तब से बातों की कमाई खाने वाला हर आदमी लम्बी-लम्बी छोड़ने लगा है. देश को चंडूखाना बना दिया है. इस युवक की जगह यदि हम होते तो कहते कि जीत गए तो अपने क्षेत्र के हर वोटर को 'प्रधान मंत्री' बना देंगे. 


बोला- फिर तेरा क्या होता ?


हमने कहा- उस स्थिति में हम  'प्रधान प्रधानमंत्री'  होते' .   

 



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Apr 8, 2021

अप्रैल फूल


अप्रैल फूल 


आज तोताराम बहुत खुश था. बैठने से पहले ही बोला- मास्टर, लेट अस सेलेब्रेट.

हमने पूछा- क्या सेलेब्रेट करें ? पोस्ट आफिस वाली मासिक आय योजना में ब्याज कटौती ?

बोला- वह तो सीतारमण मेडम ने आदतवश हम बुजुर्गों को ज्यूसर में डाल दिया था लेकिन जब मोदी जी ने कहा कि थोड़ा रुको. पाँच राज्यों का काम हो जाने दो फिर २ मई के बाद एक साथ ही निचोड़ लेंगे; जीत गए तो अतिआत्मविश्वास में और हार गए तो प्रतिशोध में. चाहें तो केजरीवाल की तरह बीच सड़क पर फीत उतरवा लें.  

हमने कहा- तो फिर क्या सेलेब्रेट करें ?

बोला- गैस के दामों में कटौती. पूरे दस रुपए प्रति सिलेंडर. 

हमने कहा- जब पिछले एक महिने में १२५ रुपए बढ़ा दिए थे और पिछले साल षड्यंत्र की तरह चुपके से सब्सीडी बंद कर दी थी तब तो कांग्रेस के ज़माने में गैस का सिलेंडर कंधे पर उठाकर प्रदर्शन करने वाली स्मृति ईरानी की तरह तेरे मुंह में दही जम गया था. वैसे कहीं तू हमें 'अप्रैल फूल' तो नहीं बना रहा है.

बोला- तुझे कौन बना सकता है ? मरे हुए को मारने का क्या अर्थ ? 

हमने कहा- दर्द का हद से गुज़र जाना है दवा होना. हम गुजरात में रह चुके हैं. तब जब मोदी जी को इंदिरा गाँधी ने बांग्लादेश के स्वतंत्रता आन्दोलन में भाग लेने के जुर्म में जेल में डाल दिया था. उस समय दस रुपए में एक सिलेंडर भरा जाता था और हमें दस रुपये महिना इस बात के देने पड़ते थे कि गुजरात में शराबबंदी थी. हालाँकि कुछ रुपये अधिक लगते थे लेकिन हर ब्रांड की होम डिलीवरी तक सरलता से हो जाती थी. 

बोला- फिर भी समथिंग इज बेटर देन नथिंग. भागते भूत की लँगोटी ही भली.

हमने कहा- ये ऐसे भूत हैं जो कभी भागने वाले नहीं हैं. ये 'जय श्रीराम' बोलकर तुम्हारी लँगोटी उतारेंगे और तुम अपनी जान बचाने के लिए हनुमान चालीसा बाँचते रहोगे और झेलते रहोगे. 

बोला-  अल्प बचत पर ब्याज दर घटाने का फैसला वापिस ले तो लिया. उसके लिए भी मोदी जी प्रशंसा और सेलेब्रेशन नहीं. 

हमने कहा- मोदी जी का कोई ठिकाना नहीं. नोटबंदी और लोकबंदी की तरह पता नहीं कब दिमाग में क्या आ जाए और अचानक दो घंटे के नोटिस पर क्या कर गुजरे बन्दा. ज़रूरत से ज्यादा हिम्मत, आत्मविश्वास भी बहुत बुरा होता है. 

बोला- तुम्हें हर बार ऐसी ही शंका क्यों होती है. 

हमने कहा- जापान में बैंक में जमा राशि पर माइनस ब्याज मिल रहा है मतलब यदि बैंक में तुम्हारा पैसा जमा है तो साल भर बाद बढ़ने की बजाय सौ से घटकर निन्यानमें हो जाएंगे. यदि मोदी जी कुछ ऐसा ही नियम हम पर सन २००२ से लगाकर हमारा पोस्ट ऑफिस में जमा पैसा हजम कर जाएं तो ? 

बोला- ऐसा कैसे हो सकता है ?

हमने कहा- लोकसभा में ३०३ सीटों के साथ स्पष्ट बहुमत है. 

यह राजनीति की चर-भर की दूभारिया है. 




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Apr 2, 2021

श्रद्धांजलि की पात्रता


श्रद्धांजलि की पात्रता 


आज सुबह से ही मूड खराब था. बड़ा दुखद समाचार पढ़ा. जालोर के करडा में शराब पिए हुए, तेज़ आवाज़ में गाने बजाते हुए  १०० किलोमीटर प्रति घंटा की स्पीड से कार दौड़ा रहे दो युवकों ने नवीं-दसवीं के छह बच्चों को कुचल दिया. जिनमें पाँच की घटना स्थल पर ही मौत हो गई और छठा गंभीर अवस्था में है. 

तोताराम आया, बैठा. चाय भी आई लेकिन चुप्पी पसरी हुई थी. 

हमने कहा- किस बात की कुंठा और कैसा अभिमान ? किसे क्या दिखाना चाहते थे ? 

बोला- जब छोटे आदमी को उसकी औकात से बाहर कुछ मिल जाता है तो उसे पचता नहीं और फिर वह आते-जाते सड़क गन्दी करता फिरता है. नामांकन पत्र तो पहले भी लगो भरते ही थे लेकिन क्या कभी सैंकड़ों कारों का जुलूस, आतंक मचाती हजारों की भीड़ आगे-पीछे देखी थी ? वे शालीन और काबिल लोग थे और आज के टुच्चे नेता वार्ड मेंबर का फार्म भरेंगे तो भी दस जीपें लेकर जाएंगे. यह लोकप्रियता नहीं, आतंक है, अपने ओछेपन का प्रदर्शन है. 

हमने कहा- क्या हम इन बच्चों को श्रद्धांजलि स्वरूप दो मिनट का मौन रखें ?

बोला- हानि-लाभ, जीवन-मरण, जस-अपजस विधि हाथ. श्रद्धांजलि से क्या बच्चे वापिस आ जाएंगे ? तुझे पता है, गजानन मारणे पुणे का एक गैंगस्टर है जो हत्या के आरोप से बरी हुआ तो उसके समर्थकों ने तलोजा से पुणे तक ३०० कारों का जुलूस निकाला. अपराध का खुला महिमामंडन. क्या पता ये युवक भी सत्ताधारी दल से संबंधित हों. बिना बात क्यों सरकार की आँख की किरकिरी बनें. अपराधी सत्ताधारी दल का हो तो जेल से छूटने पर मंत्री उसका स्वागत करते हैं. 

हमने कहा- मरने पर तो दुश्मन से भी शत्रुता भुला दी जाती है. किसी अनजान की शवयात्रा हो तो भी जूते उतारकर उसे हाथ जोड़कर विदा करते हैं. 

बोला- नहीं ऐसा नहीं है. यदि सभी मृत लोग श्रद्धांजलि के योग्य होते तो दिल्ली की सीमा पर किसान आन्दोलन में मरने वाले २०० लोगों को राहुल द्वारा श्रद्धांजलि देने पर स्पीकर ओम बिरला ने क्यों कहा, 'माननीय सदस्यगण प्लीज बैठिए.  इस सदन को चलाने की जिम्मेदारी आपने मुझे दी है तो कोई भी सदस्य इस तरह श्रद्धांजलि देगा तो ठीक नहीं है. इस तरह का व्यवहार करना उचित नहीं है, गरिमामय भी नहीं है.'

और सत्ता पक्ष के सदस्यों ने 'शेम, शेम' के नारे लगाए.

हमने कहा- यह तो वैसे ही हो गया जैसे अपना सिपाही शहीद होता है और दुश्मन का सिपाही मरता है. ३०३ सीटों के बहुमत वाली सरकार के कानूनों का विरोध करने वाले तो राष्ट्र के दुश्मन जो ठहरे. वे कैसे शहीद. वैसे भी फिर कलियुग में जो विष्णु के अवतारी पुरुष पर शंका करता है वह तो राक्षस हुआ. राक्षसों को कैसी श्रद्धांजलि.

बोला- मास्टर, जब कुछ राष्ट्रवादी माननीय लोग गोडसे की देशभक्ति की गारंटी देकर लोकसभा का चुनाव जीत जाते हैं और प्रधानमंत्री उससे माफ़ी नहीं मंगवाते तो फिर बच्चों के प्रति संवेदना का क्या अर्थ रह जाता है ?

तू तो यह बता मोदी जी बंगाल में २९५ में से ३०० सीटें तो नहीं जीत लेंगे. 

हमने कहा- अब तो एकदम गुरुदेव लग रहे हैं. क्या पता लोग धोखा खा ही जाए. 


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