May 20, 2019

तोताराम का ब्लेक बॉक्स



  तोताराम का ब्लेक बॉक्स 

जब हम और तोताराम सातवें दशक के शुरू में नौकरी के लिए घर से निकले थे तो दरी में बंधे बिस्तर के साथ-साथ सफ़ेद पेंट से हमारा नाम लिखा लोहे का एक काला बक्सा हमारी भी आन, बान और शान का प्रतीक हुआ करता था जैसे कि ट्रेन में गार्ड का काला बक्सा या सेना से छुट्टी मनाने घर जा रहे जवान का नाम लिखा काला बक्सा या फिर आजकल लाल बत्ती लगी मंत्री की गाड़ी या किसी छुटभैय्ये नेता की 'अमुक पार्टी का जिलाध्यक्ष' या 'अमुक गाँव का सरपंच' लिखी जीप |

उस काले बक्से को क्रमशः एयर बैग, चमड़े के सूटकेस, फिर वी.आई.पी. के सूटकेस और फिर आजकल प्रचलित सिंथेटिक कपड़े के तरह-तरह की चेन लगे सूटकेसों ने प्रचलन से बाहर कर दिया है जैसे भाजपा कांग्रेस-मुक्त भारत बनाने पर तुली है |शुरू-शुरू में वी.आई.पी. के सूटकेस इतने महँगे होते थे कि सामान्य आदमी सुरक्षा की दृष्टि से उसे अपनी गोद में रखकर बैठता था हालांकि उस युग में उसकी मजबूती के बड़े विज्ञापन आया करते थे | लोह के बक्से इतने मज़बूत होते थे कि मज़े से उसको सीट बनाकर कहीं भी बैठा जा सकता था |

आज सुबह-सुबह तोताराम पिछली शताब्दी के दुर्लभ हो चुके काले बक्से के साथ जल्दी-जल्दी घर के आगे से जाता हुआ दृष्टिगोचर हुआ |हमने उसे लपका- तोताराम, अब तो अंतिम दौर का मतदान भी हो गया तो फिर ब्लेक मनी से भरा यह ब्लेक बोक्स कहां ले जा रहा है ?  

बोला- मास्टर, कम से कम तू तो नेताओं की तरह ऐसी घटिया बात मत कर |उन्हें तो येन-येन-प्रकारेण गद्दी कब्जानी है लेकिन तेरे साथ तो पतित होने की ऐसी कोई मजबूरी नहीं है | मैं समझता हूँ कि तेरा इशारा किस तरफ है ? क्या कोई किसी हेलिकोप्टर में अपनी मर्ज़ी से कोई सामान नहीं ले जा सकता ? हमारे यहाँ तो ऐसी परंपरा रही है कि लोग आते-जाते अपने किसी भी परिचित के हाथ छोटा-मोटा सामान भिजवा देते हैं |क्या आदमी का आदमी से आपस में इतना भी रिश्ता नहीं कि एक दूसरे की इतनी भी मदद कर सकें ?

हमने कहा- लेकिन तोताराम, चुनावों में आचार-संहिता के लागू होते ऐसी बातों से सन्देह तो होता ही है |तुझे क्या लगता है, क्या हो सकता है मोदी जी के हेलिकोप्टर में से कार में लोड किए गए उस काले बक्से में  ? 

तोताराम बरामदे में बैठ गया और बोला- कोई बात नहीं, थोड़ी देर सही |मैं जानता हूँ कि मोदी जी के बक्से में क्या रहा होगा फिर भी फ़िलहाल तू एक और काले बक्से की कहानी सुन ही ले |

किसी देश में एक राजा राज करता था |उसने अपने मार्गदर्शन के लिए किसी गुरुकुल के एक गुरु को अपने दरबार में रख लिया |गुरु बहुत ईमानदार था इसलिए राज के भ्रष्ट लोग उससे परेशान हो गए |

लोगों ने उसकी जासूसी करना शुरू कर दिया |लोगों ने देखा कि वह रात को दीया जलाकर एक काले बक्से खोलकर कुछ देर देखता | फिर उस बक्से को  बंद कर देता और सो जाता |

लोगों ने राजा से शिकायत की कि आप जिस गुरु को रखे हुए हैं वह राज की कुछ अति मूल्यवान वस्तुएं चुराकर रखे हुए है और रोज रात को उन्हें संभालता है |

राजा ने एक दिन अपनी उपस्थिति में गुरु का बक्सा खुलवाया |उस बक्से में वे दो कपड़े निकले जो गुरु पहले दिन पहनकर राजा की सेवा में आए थे | 

राजा के पूछने पर गुरु ने बताया- मैं अपने आप को अपनी असलियत याद दिलाते रहने के लिए रोज रात को सोने से पहले उन कपड़ों को देखता हूँ जो मैं यहाँ पहनाकर आया था और यह भी कि मुझे इन्हीं कपड़ों में यहाँ से जाना है |

सो मोदी जी के उस बक्से में चाय की वह केतली और कांच के छह गिलास होंगे जिनमें वे ट्रेन में चाय बेचा करते थे |हो सकता उनमें एक डंडा और टोर्च भी हों जो उन्हें  चौकीदार बनने के बाद मिले हैं |

तुझे पता है, गंगा मौसी गुजर गई | यह काला बक्सा उसी का है | इसमें उसके कुछ कपड़े हैं |कई दिन से मेरे पास पड़ा था |इसे उसकी बेटी को लौटाने जा रहा हूँ |

हम गंगा मौसी की याद में खो गए |





पोस्ट पसंद आई तो मित्र बनिए (क्लिक करें)


(c) सर्वाधिकार सुरक्षित - रमेश जोशी । प्रकाशित या प्रकाशनाधीन । Ramesh Joshi. All rights reserved. All material is either published or under publication. Jhootha Sach

No comments:

Post a Comment