Jun 3, 2016

हवा हवाया

हवा हवाया 

आज तोताराम एक नए ही अवतार में प्रकट हुआ- हाथों में अखबार का बना जापानी पंखे जैसा कुछ,ओठों को गोलाई दिए हुए, शरीर वाइब्रेंट मोड में मोबाइल की तरह थरथराता हुआ और साथ में गाना-
ये लो मैं आया 
हवा हवाया
ये ले रे बाई 
ये ले रे भाया |

हमने मुस्कराते हुए कहा- आओ,  हवा हवाई श्रीदेवी बाई |

बोला- इतना भी व्याकरण का ज्ञान नहीं है, क्या हिंदी पढ़ाई होगी बच्चों को | अरे, मैं तोताराम हूँ पुल्लिंग, तो फिर 'हवा हवाई' कैसे हो सकता है ? मैं 'हवा हवाया' हूँ |


हमने कहा- श्रीदेवी तो अब भी 'इंग्लिश-विंग्लिश' फिल्म की तरह हवा बाँध सकती है लेकिन तेरी तो बची-खुची हवा भी २००२ में रिटायर होते ही निकल गई थी |अब फिर यह 'हवा-हवाया' कहाँ से आगया ?

बोला- अब अपने देश के पाँच शहर दुनिया के सबसे अधिक प्रदूषित शहरों में शामिल हो गए हैं सो 'मेक इन इण्डिया' के तहत अब मैं हवा का धंधा करने वाला हूँ | चीन में भी, सुना है, स्वीडन की एक कंपनी थैलियों में भरकर हवा बेच रही है | उनके अनुसार एक साँस हवा की कीमत करीब चार रुपए आती है | यदि कोई प्राणायामी हुआ तो भी एक घंटे में साठ साँसें तो लेगा ही | अढाई सौ रुपए एक घंटे के |यदि इनोगरल ऑफर में ५०% की छूट भी दी तो सवा सौ रुपए तो कहीं गए ही नहीं | सवा सौ करोड़ के देश में एक करोड़ ग्राहक भी मिल गए तो सवा सौ करोड़ रुपए रोज का टर्न ओवर होगया | इससे ज्यादा 'दुनिया मुट्ठी में' अम्बानियों से भी नहीं हुई |और करना कुछ नहीं- पोलीथिन की थैली फूँक मारकर फुला देंगे और पकड़ा देंगे ग्राहक के हाथ में |

हमने कहा-तोताराम, अर्थव्यवस्था के ऐसे हवाई आइडिया तो सत्ता के शीर्षस्थ पद पर पहुँचे नेता के ही सुने जाते हैं और वे भी कुछ दिनों तक ही | बाद में जल्दी ही उनकी भी हवा निकल जाती है |यदि कोकाकोला पीने से ही 'जो चाहो हो जाए' तो फिर अमरीका अपनी समस्याएँ कोकाकोला पीकर ही सुलझा लेता | 

कहने लगा-हवा में बड़ी ताकत होती  है |हवा की ताकत अपने पालों में भरकर जहाज  बिना डीजल-पेट्रोल के सैंकड़ों टन भार ले जाता है |हवा के बल पर धूल भी एवरेस्ट पर पहुँच जाती है | पैकेट में हवा भरकर आलू की पाँच ग्राम चिप्स दस रुपए में बेची जा सकती है, हवा के बल पर वार्ड मेंबर का चुनाव न जीतने वाला भी मंत्री बन जाता है |हवा बड़े-बड़े वृक्षों को उखाड़ देती है  |

हमने कहा- तूने वह कहानी नहीं सुनी जिसमें हवा और सूरज की एक राहगीर के कपड़े उतरवाने की प्रतियोगिता होती है जिसमें हवा लाख कोशिश करने पर भी सफल नहीं होती जब कि धीरे-धीरे अपनी गरमी बढ़ाने वाला सूरज सफल हो जाता है |

बोला- लेकिन पी.के. की बनाई हवा से भाजपा चुनाव जीत गई कि नहीं |

हमने कहा- पी.के. कौन ? वह ट्रांजिस्टर वाला आमिर खान क्या ? उसकी तो खुद की हवा असहिष्णुता के मामले में अनुपम खेर ने ही निकाल दी थी |

बोला- बस, इतना ही जानता है ? अरे, मैं पी.के. मतलब प्रशांत कुमार की बात कर रहा हूँ जिसने भाजपा की इलेक्शन स्ट्रेटेजी बनाई थी | उसके बाद उसीकी बनाई हवा से बिहार में महागठबंधन जीत गया था और अब वही कांग्रेस के साथ है |

हमने कहा- लेकिन बंगाल और तमिलनाडु तो छोड़, आसाम में भी कांग्रेस हार गई कि नहीं ?ऐसी हवाएँ केवल एक-दो बार चलती हैं | 

बोला- तो अपने को कौन ज़िन्दगी भरा यह धंधा करना और यहाँ रहना है | बस, साल-दो साल माल कमाकर माल्या और ललित मोदी की तरह चले जाएँगे लन्दन, जहाँ 'बिग-बैन' दी घंटी है और जिस पर 'पूरा लन्दन ठुमक दा'  है |






















 

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