एक शाम : सलाहकार मंडल के नाम
आज जैसे ही हम बरामदे में गए तो देखा तोताराम एक बड़ा बैनर दीवार पर ठोंक रहा है | हमने पूछा यह क्या हो रहा है ? कोई धरना या भूख हड़ताल की तैयारी है क्या ?
बोला- मास्टर, कभी तो शुभ-शुभ बोलाकर |अपने सलाहकार मंडल के दो साल पूरे हुए हैं सो सोचा एक छोटा-मोटा उत्सव क्यों न मना लिया जाए |लोग तो सौ दिन पूरे होने तक का उत्सव मना डालते हैं,किसी खिलाड़ी की हाफ सेंचुरी तक सेलेब्रेट का लेते हैं | ठीक है, हम इस पद पर आजीवन रहने वाले हैं तो क्या आजीवन कुछ भी न करें ? |कुछ भी सेलेब्रेट नहीं करें ?
हमने बैनर को खोलकर देखा तो उस पर हमारा और तोताराम का फोटो छपा था और लिखा था- 'एक शाम : सलाहकार मंडल के नाम' | हमने कहा- यह तीन सौ रुपए का खर्चा क्यों किया ?
बोला- बिना खर्चा और हल्ला किए किसी को हमारी उपलब्धियों का पता भी तो नहीं चलेगा | लोकतंत्र और देश हित के लिए यह खर्चा अत्यावश्यक था |
हमने कहा- लगता है उत्सव बड़ा है जो शाम की तैयारी अभी से कर रहा है |
बोला- उत्सव अभी मनेगा |
हमने प्रतिप्रश्न किया- इस पर तो एक शाम लिखा है फिर सुबह क्यों ?
बोला- इससे क्या फर्क पड़ता है ? मोदी जी ने भी तो 'नई सुबह' का उत्सव शाम को मनाया है तो हम 'एक शाम' सुबह क्यों नहीं मना सकते ?
हम बतिया रहे थे कि जयपुर रोड़ जाने के लिए गोल गप्पे वाले का ठेला 'जय शिव शंकर पानी पूरी भंडार' बरामदे के आगे से गुज़रा जिस पर जोर-जोर से गाना बज रहा था- हट ज्या ताऊ पाछे नै |
हमने कहा- देख ली ना अपने सलाहकार मंडल की हैसियत ?
तो कहने लगा- यह तो कुछ भी नहीं है |आजकल तो हरिबंशराय बच्चन का पोता "टाँग उठा के ....' गाना गा रहा है और सारा देश मुग्ध होकर सुन रहा है |ऐसी छोटी-छोटी बातों से उत्सवों पर कोई असर नहीं पड़ना चाहिए |
हमने पूछा- लेकिन इस उत्सव में हम कौन सी उपलब्धियाँ गिनाएँगे ?
बोला- क्यों गिनाने के लिए बहुत कुछ है |हमने दो साल के दौरान सलाहकार मंडल में होते हुए भी कोई सलाह नहीं दी जब कि सलाह देने वाले माँगे जाने का इंतज़ार नहीं करते | स्वामी जी की तरह राजन को हटाने की सलाह ज़बरदस्ती देते रहते हैं |इससे हमारी घरेलू-सरकार को परिवार की सेवा करने का भरपूर अवसर मिला वरना हम चाहते तो सलाह- दे देकर ही माहौल बिगाड़ सकते थे | क्या यह हमारा परिवार रूपी देश के लिए योगदान नहीं है ?
हमने पूछा- और कुछ ?
बोला- क्यों नहीं, हमने इन दो सालों में लुंगी और बनियान के अतिरिक्त कोई खरीददारी नहीं की जिससे घर का बजट नहीं बिगड़ा | सब्ज़ी खरीदने में कोई घोटाला नहीं किया | और भी बहुत कुछ है, कहाँ तक गिनाऊँ |
तभी पत्नी चाय लेकर आ गई, बोली करते भी कहाँ से | दो साल से सब्ज़ी वाली गली में ही आ जाती है और हम उसीसे सब्ज़ी खरीद लेते हैं |वैसे आपको पता होना चाहिए कि सलाहकर मंडल में परिवर्तन करने की आवश्यकता अनुभव की जा रही है इसलिए जो उत्सव मनाना है, मना ही लो |फिर क्या पता, मौका मिले या नहीं |
तोताराम बोला- तो ठीक है, अधिक खर्चा नहीं करेंगे | तू अपनी डायरी ले आ और शुरू हो जा | इतना मसाला तो तेरे पास है ही कि चाय और खाने का ब्रेक लेते-लेते शाम तो कर ही देगा | यदि कुछ समय बच गया तो परनिंदा का अपना शाश्वत कार्यक्रम तो है ही जो एक दिन तो क्या पाँच साल चल सकता है |
आज जैसे ही हम बरामदे में गए तो देखा तोताराम एक बड़ा बैनर दीवार पर ठोंक रहा है | हमने पूछा यह क्या हो रहा है ? कोई धरना या भूख हड़ताल की तैयारी है क्या ?
बोला- मास्टर, कभी तो शुभ-शुभ बोलाकर |अपने सलाहकार मंडल के दो साल पूरे हुए हैं सो सोचा एक छोटा-मोटा उत्सव क्यों न मना लिया जाए |लोग तो सौ दिन पूरे होने तक का उत्सव मना डालते हैं,किसी खिलाड़ी की हाफ सेंचुरी तक सेलेब्रेट का लेते हैं | ठीक है, हम इस पद पर आजीवन रहने वाले हैं तो क्या आजीवन कुछ भी न करें ? |कुछ भी सेलेब्रेट नहीं करें ?
हमने बैनर को खोलकर देखा तो उस पर हमारा और तोताराम का फोटो छपा था और लिखा था- 'एक शाम : सलाहकार मंडल के नाम' | हमने कहा- यह तीन सौ रुपए का खर्चा क्यों किया ?
बोला- बिना खर्चा और हल्ला किए किसी को हमारी उपलब्धियों का पता भी तो नहीं चलेगा | लोकतंत्र और देश हित के लिए यह खर्चा अत्यावश्यक था |
हमने कहा- लगता है उत्सव बड़ा है जो शाम की तैयारी अभी से कर रहा है |
बोला- उत्सव अभी मनेगा |
हमने प्रतिप्रश्न किया- इस पर तो एक शाम लिखा है फिर सुबह क्यों ?
बोला- इससे क्या फर्क पड़ता है ? मोदी जी ने भी तो 'नई सुबह' का उत्सव शाम को मनाया है तो हम 'एक शाम' सुबह क्यों नहीं मना सकते ?
हम बतिया रहे थे कि जयपुर रोड़ जाने के लिए गोल गप्पे वाले का ठेला 'जय शिव शंकर पानी पूरी भंडार' बरामदे के आगे से गुज़रा जिस पर जोर-जोर से गाना बज रहा था- हट ज्या ताऊ पाछे नै |
हमने कहा- देख ली ना अपने सलाहकार मंडल की हैसियत ?
तो कहने लगा- यह तो कुछ भी नहीं है |आजकल तो हरिबंशराय बच्चन का पोता "टाँग उठा के ....' गाना गा रहा है और सारा देश मुग्ध होकर सुन रहा है |ऐसी छोटी-छोटी बातों से उत्सवों पर कोई असर नहीं पड़ना चाहिए |
हमने पूछा- लेकिन इस उत्सव में हम कौन सी उपलब्धियाँ गिनाएँगे ?
बोला- क्यों गिनाने के लिए बहुत कुछ है |हमने दो साल के दौरान सलाहकार मंडल में होते हुए भी कोई सलाह नहीं दी जब कि सलाह देने वाले माँगे जाने का इंतज़ार नहीं करते | स्वामी जी की तरह राजन को हटाने की सलाह ज़बरदस्ती देते रहते हैं |इससे हमारी घरेलू-सरकार को परिवार की सेवा करने का भरपूर अवसर मिला वरना हम चाहते तो सलाह- दे देकर ही माहौल बिगाड़ सकते थे | क्या यह हमारा परिवार रूपी देश के लिए योगदान नहीं है ?
हमने पूछा- और कुछ ?
बोला- क्यों नहीं, हमने इन दो सालों में लुंगी और बनियान के अतिरिक्त कोई खरीददारी नहीं की जिससे घर का बजट नहीं बिगड़ा | सब्ज़ी खरीदने में कोई घोटाला नहीं किया | और भी बहुत कुछ है, कहाँ तक गिनाऊँ |
तभी पत्नी चाय लेकर आ गई, बोली करते भी कहाँ से | दो साल से सब्ज़ी वाली गली में ही आ जाती है और हम उसीसे सब्ज़ी खरीद लेते हैं |वैसे आपको पता होना चाहिए कि सलाहकर मंडल में परिवर्तन करने की आवश्यकता अनुभव की जा रही है इसलिए जो उत्सव मनाना है, मना ही लो |फिर क्या पता, मौका मिले या नहीं |
तोताराम बोला- तो ठीक है, अधिक खर्चा नहीं करेंगे | तू अपनी डायरी ले आ और शुरू हो जा | इतना मसाला तो तेरे पास है ही कि चाय और खाने का ब्रेक लेते-लेते शाम तो कर ही देगा | यदि कुछ समय बच गया तो परनिंदा का अपना शाश्वत कार्यक्रम तो है ही जो एक दिन तो क्या पाँच साल चल सकता है |
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