राज नीति बिनु ......उर्फ़ गुजरात मॉडल
आज तोताराम का मूड बहुत खराब था | आते ही बोला- ऐसे तो चल लिया राज ? बहुत भारी पड़ेगा यह आदर्शवाद | अरे, खुद तुलसी बाबा कह गए हैं-
राज नीति बिनु , धन बिनु धर्मा |
मतलब कि राज नीति के बिना ही चलता है और धर्म छोड़कर ही धन कमाया जा सकता है |
हमने माथा पीट लिया, कहा- तोताराम, तुलसी बाबा की चौपाई का ऐसा तो अनर्थ मत कर |सत्ता के प्रेत और धन-पशु ऐसा कहें तो बात और है |क्या जीवन भर तुलसी के नाम पर तुमने यही पढ़ाया है ?
कहने लगा- अर्थ कभी स्थाई नहीं रहते |यदि ऐसा होता तो सभी कवि अपनी-अपनी रचनाओं के अर्थ लिखकर जाते और फिर गुरूजी को कुछ नहीं करना पड़ता | बस, उसकी फोटोस्टेट निकलवाकर बच्चों को बाँट देते |यदि व्यास जी गीता का एक सर्वमान्य अर्थ लिख जाते तो बाद में आदि शंकराचार्य, तिलक,गाँधी, विनोबा, कृष्णमूर्ति आदि को बार-बार अर्थ नहीं लिखने पड़ते | तो समझ ले तुलसी बाबा की इस चौपाई का आजकल यही अर्थ है कि राज चलाना है तो नीति को छोड़ो और धन कमाना है तो धर्म को छोड़ो |हाँ, चुनाव के समय नीति और धर्म की बड़ी-बड़ी और अच्छी-अच्छी बातें करो और बाद में भूल जाओ |
आज मुँह अँधेरे से ही बरसात की झड़ लगी हुई है सो अखबार वाला आया नहीं |मजबूरी में कल वाले अखबार को ही फफेड़ रहे थे जिसमें शराब पीते दिखने पर जदयू के पूर्व विधायक ललन राम को निलंबित करके जेल भेज देने का समाचार था |हमने तोताराम से कहा- कहीं नीतीश जी की इसी नीति की तरफ तो तुम्हारा इशारा नहीं है ?
बोला- हाँ, बिलकुल इसी की तरफ इशारा है | अरे, आजकल तो कोई वोटबैंक वाली जाति के छुटभैये मवाली तक को शराब तो क्या बिजली चोरी या पुलिस की पिटाई तक पर गिरफ्तार नहीं करवाता |और ये महाराज बने हैं धर्मराज |
मुझे बता कौन नेता नहीं पीता ? तुझे याद होगा एक बार विजय माल्या ने दिवाली पर सभी सांसदों को ब्लेक डॉग व्हिस्की की एक-एक बोतल भिजवाई थी जिनमें से केवल प्रभात झा ने यह कहते हुए बोतल लौटाई थी कि मैं शराब नहीं पीता | अब बता, क्या बाकी सांसदों ने अपनी-अपनी बोतलें पूजा में रख रखी हैं ? इतनी सेवा करते हैं बेचारे जनसेवक कि यदि शाम को न पिएँ तो थकान के मारे नींद तक नहीं आए | यदि शाम को आठ बजे सभी जनसेवकों के यहाँ ईमानदारी से छापा मारा जाए और कार्यवाही की जाए तो सब के सब शराब पीने में धरे जाएँगे | यही नहीं, और भी कई तरह के सांस्कृतिक कार्यक्रमों में लिप्त पाए जाएँगे |जो सदन तक में पोर्न फिल्म देखने से खुद को नहीं रोक सकते वे रात में क्या-क्या नहीं करते होंगे |
हमने कहा- तो क्या देश को दारू का अड्डा या चकला बना दें ? शराब से, विशेष रूप से ग़रीबों की खून-पसीने की कितनी कमाई खर्च हो जाती है |परिवार के खाने तक के लिए पैसे नहीं बचते | बीवियों पर कितने अत्याचार होते हैं, परिवार में कितनी अशांति बढ़ती है | तभी गाँधी जी ने कहा था- यदि मैं एक दिन के लिए भी देश का तानाशाह बन जाऊँ तो सबसे पहले शराब बंद करवा दूँ |
बोला- गाँधी की बात छोड़ | उसकी किसी को ज़रूरत नहीं है |अब यह बात और है कि उसका नाम लिए बगैर काम नहीं चल रहा है अन्यथा मन में तो गोडसे बसा हुआ है | लिख दे नीतीश कुमार को कि इसके लिए सबसे अच्छा तरीका है-'गुजरात-माडल' | दिखाने को शराब बंदी, वैसे किसी भी तरह की दारू कहीं भी उपलब्ध है |दारू-बंदी के नाम पर सरकारी आय में कमी के बहाने टेक्स और लगा दो | यदि दारू-बंदी न हो तो आबकारी का पैसा खजाने में आता है जिसमें घपला करने में थोड़ा उल्टा-सीधा करना पड़ता है |दारु-बंदी हो तो अवैध दारू बनाने वालों से या पास के राज्यों से तस्करी करके दारू लाने वालों से सीधा पैसा वसूल कर जेब में रखो और लोकतंत्र को सशक्त बनाओ |
आज तोताराम का मूड बहुत खराब था | आते ही बोला- ऐसे तो चल लिया राज ? बहुत भारी पड़ेगा यह आदर्शवाद | अरे, खुद तुलसी बाबा कह गए हैं-
राज नीति बिनु , धन बिनु धर्मा |
मतलब कि राज नीति के बिना ही चलता है और धर्म छोड़कर ही धन कमाया जा सकता है |
हमने माथा पीट लिया, कहा- तोताराम, तुलसी बाबा की चौपाई का ऐसा तो अनर्थ मत कर |सत्ता के प्रेत और धन-पशु ऐसा कहें तो बात और है |क्या जीवन भर तुलसी के नाम पर तुमने यही पढ़ाया है ?
कहने लगा- अर्थ कभी स्थाई नहीं रहते |यदि ऐसा होता तो सभी कवि अपनी-अपनी रचनाओं के अर्थ लिखकर जाते और फिर गुरूजी को कुछ नहीं करना पड़ता | बस, उसकी फोटोस्टेट निकलवाकर बच्चों को बाँट देते |यदि व्यास जी गीता का एक सर्वमान्य अर्थ लिख जाते तो बाद में आदि शंकराचार्य, तिलक,गाँधी, विनोबा, कृष्णमूर्ति आदि को बार-बार अर्थ नहीं लिखने पड़ते | तो समझ ले तुलसी बाबा की इस चौपाई का आजकल यही अर्थ है कि राज चलाना है तो नीति को छोड़ो और धन कमाना है तो धर्म को छोड़ो |हाँ, चुनाव के समय नीति और धर्म की बड़ी-बड़ी और अच्छी-अच्छी बातें करो और बाद में भूल जाओ |
आज मुँह अँधेरे से ही बरसात की झड़ लगी हुई है सो अखबार वाला आया नहीं |मजबूरी में कल वाले अखबार को ही फफेड़ रहे थे जिसमें शराब पीते दिखने पर जदयू के पूर्व विधायक ललन राम को निलंबित करके जेल भेज देने का समाचार था |हमने तोताराम से कहा- कहीं नीतीश जी की इसी नीति की तरफ तो तुम्हारा इशारा नहीं है ?
बोला- हाँ, बिलकुल इसी की तरफ इशारा है | अरे, आजकल तो कोई वोटबैंक वाली जाति के छुटभैये मवाली तक को शराब तो क्या बिजली चोरी या पुलिस की पिटाई तक पर गिरफ्तार नहीं करवाता |और ये महाराज बने हैं धर्मराज |
मुझे बता कौन नेता नहीं पीता ? तुझे याद होगा एक बार विजय माल्या ने दिवाली पर सभी सांसदों को ब्लेक डॉग व्हिस्की की एक-एक बोतल भिजवाई थी जिनमें से केवल प्रभात झा ने यह कहते हुए बोतल लौटाई थी कि मैं शराब नहीं पीता | अब बता, क्या बाकी सांसदों ने अपनी-अपनी बोतलें पूजा में रख रखी हैं ? इतनी सेवा करते हैं बेचारे जनसेवक कि यदि शाम को न पिएँ तो थकान के मारे नींद तक नहीं आए | यदि शाम को आठ बजे सभी जनसेवकों के यहाँ ईमानदारी से छापा मारा जाए और कार्यवाही की जाए तो सब के सब शराब पीने में धरे जाएँगे | यही नहीं, और भी कई तरह के सांस्कृतिक कार्यक्रमों में लिप्त पाए जाएँगे |जो सदन तक में पोर्न फिल्म देखने से खुद को नहीं रोक सकते वे रात में क्या-क्या नहीं करते होंगे |
हमने कहा- तो क्या देश को दारू का अड्डा या चकला बना दें ? शराब से, विशेष रूप से ग़रीबों की खून-पसीने की कितनी कमाई खर्च हो जाती है |परिवार के खाने तक के लिए पैसे नहीं बचते | बीवियों पर कितने अत्याचार होते हैं, परिवार में कितनी अशांति बढ़ती है | तभी गाँधी जी ने कहा था- यदि मैं एक दिन के लिए भी देश का तानाशाह बन जाऊँ तो सबसे पहले शराब बंद करवा दूँ |
बोला- गाँधी की बात छोड़ | उसकी किसी को ज़रूरत नहीं है |अब यह बात और है कि उसका नाम लिए बगैर काम नहीं चल रहा है अन्यथा मन में तो गोडसे बसा हुआ है | लिख दे नीतीश कुमार को कि इसके लिए सबसे अच्छा तरीका है-'गुजरात-माडल' | दिखाने को शराब बंदी, वैसे किसी भी तरह की दारू कहीं भी उपलब्ध है |दारू-बंदी के नाम पर सरकारी आय में कमी के बहाने टेक्स और लगा दो | यदि दारू-बंदी न हो तो आबकारी का पैसा खजाने में आता है जिसमें घपला करने में थोड़ा उल्टा-सीधा करना पड़ता है |दारु-बंदी हो तो अवैध दारू बनाने वालों से या पास के राज्यों से तस्करी करके दारू लाने वालों से सीधा पैसा वसूल कर जेब में रखो और लोकतंत्र को सशक्त बनाओ |
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