महाराज की जय हो....
हम अपने रेडियो पर सत्तरवें स्वतंत्रता दिवस पर मोदी जी का भाषण सुन रहे थे |भाषण बहुत लम्बा था सो नींद सी आने लगी |उपलाब्धियाँ संक्षेप में बताते-बताते भी भाषण लम्बा होना लाज़िमी था क्योंकि इतनी उपलब्धियाँ थीं कि यदि विस्तार से बताते तो अगला आम चुनाव आ लेता |जहाँ तक हमारी स्थिति की बात है तो वैसे भी इस उम्र में व्यक्ति को खुद को ही पता नहीं रहता कि वह सो रहा है या जाग रहा है |एक अनहद सा बजता रहता है, अधोमुख सहस्रार से अमृत सा झरता रहता है |
तभी एक दमदार आवाज़ ने हमारी तन्द्रा भंग की- महाराज की जय हो |
हमने इधर-उधर देखा, कहीं किसी महाराज का महल या दरबार दूर-दूर तक दिखाई नहीं दिया |हालाँकि लोकतंत्र आ गया है लेकिन जनता की हालत अब भी एक निरीह फरियादी की ही है,तभी न लल्लू-पंजू नेता भी दरबार लगाते हैं, जन-सुनवाई करते हैं |
फिर आवाज़ आई-महाराज की जय हो |
हमें लगा- यहाँ कोई महाराज भले ही न हो लेकिन कोई आदमी आसपास है ज़रूर |
तभी तोताराम प्रकट हुआ- महाराज, मैं आपसे ही निवेदन कर रहा हूँ |
हमने झुँझलाकर कहा- जिस देश में प्रधानमंत्री तक खुद को राजा न कहकर प्रधान सेवक कहलवाना पसंद करता हो वहाँ हमें महाराज कहकर क्यों हमारा मज़ाक उड़ा रहा है |
तोताराम बोला- मैं अपनी ओर से कुछ नहीं कह रहा |मैं तो मोदी के शब्द दुहरा रहा हूँ |उन्होंने कहा था- जी.एस.टी. बिल पास हो जाएगा तो कंज्यूमर किंग हो जाएगा |और अब वह बिल पास भी हो गया तो तेरे किंग होने में क्या कमी रह गई |
हमने कहा- मोदी जी तो शब्दों के जादूगर हैं | जब सुनते रहो तक तक एक नशा-सा अनुभव होता रहता है | ऐसा जोश आ जाता है कि इस क्षण ब्रह्माण्ड भी मेरे हाथों में आ जाय तो निचोड़ डालूँ | लेकिन उसके बाद कुछ समझ में नहीं आता कि क्या हुआ और क्या नहीं ? और समास के तो मास्टर हैं अपने नरेन्द्र भाई | और आजकल उनके नारे अंग्रेजी में ज्यादा होने लगे क्योंकि अब उन्हें केवल भारत को ही थोड़े समझाना है, उन्हें तो समस्त विश्व को मेसेज देना होता है |विश्व अपने कल्याण और उद्धार के लिए उनका मुँह जोह रहा है |इसलिए समास मिला दिया- कंज्यूमर इज किंग | वैसे जहाँ सच और समास दोनों के मेल की बात है तो-उपभोक्ता इज उल्लू |
तोताराम को बड़ा अजीब लगा, बोला- अगर उपभोक्ता नहीं होगा तो सारे उत्पादक मक्खियाँ मारेंगे |
हमने कहा- एक बार बाज़ार जा और किसी दुकानदार से बिल माँगकर देख, सामान पर उत्पादन तिथि या अवधि पार तिथि की बात करके देख; अपनी औकात का पता चल जाएगा | दुकानदार कहेगा- मास्टर जी, सामान लेना हो तो लो, नहीं आगे चलो |बिल बनाने और फालतू सवालों का ज़वाब देने का टाइम किसके पास है |नोट गिनने से ही फुर्सत नहीं है |बिल काटे भी क्यों |सारा माल शुरू से बिना बिल के चल रहा है | सारा का सारा १८ परसेंट बंदा अकेला पेल रहा है |राजा तो यह दुकानदार है |या फिर राजा हो गई हैं सरकारें जिसमें बैठे लोगों को अब कम से कम १८ प्रतिशत खाने को मिलेगा |
अपनी हालत तो उन ठाकुर साहब जैसी है जिन्होंने एक नौकर रखा लिया जो उन्हें सोते समय दूध पिलाया करता था |अफीम सेवन के कारण ठाकुर साहब को होश नहीं रहता और नौकर आधा दूध खुद पी जाता | ठाकुर साहब को कमजोरी आने लगी |दूध की बेहतर व्यवस्था के लिए एक और नौकर रखा तो दूध की मात्रा और कम हो गई |होते-होते यह हुआ कि ठाकुर साहब मर गए और उनकी मूँछों पर दूध पीने के प्रमाण स्वरुप ज़रा सी मलाई लगी हुई थी |
हम अपने रेडियो पर सत्तरवें स्वतंत्रता दिवस पर मोदी जी का भाषण सुन रहे थे |भाषण बहुत लम्बा था सो नींद सी आने लगी |उपलाब्धियाँ संक्षेप में बताते-बताते भी भाषण लम्बा होना लाज़िमी था क्योंकि इतनी उपलब्धियाँ थीं कि यदि विस्तार से बताते तो अगला आम चुनाव आ लेता |जहाँ तक हमारी स्थिति की बात है तो वैसे भी इस उम्र में व्यक्ति को खुद को ही पता नहीं रहता कि वह सो रहा है या जाग रहा है |एक अनहद सा बजता रहता है, अधोमुख सहस्रार से अमृत सा झरता रहता है |
तभी एक दमदार आवाज़ ने हमारी तन्द्रा भंग की- महाराज की जय हो |
हमने इधर-उधर देखा, कहीं किसी महाराज का महल या दरबार दूर-दूर तक दिखाई नहीं दिया |हालाँकि लोकतंत्र आ गया है लेकिन जनता की हालत अब भी एक निरीह फरियादी की ही है,तभी न लल्लू-पंजू नेता भी दरबार लगाते हैं, जन-सुनवाई करते हैं |
फिर आवाज़ आई-महाराज की जय हो |
हमें लगा- यहाँ कोई महाराज भले ही न हो लेकिन कोई आदमी आसपास है ज़रूर |
तभी तोताराम प्रकट हुआ- महाराज, मैं आपसे ही निवेदन कर रहा हूँ |
हमने झुँझलाकर कहा- जिस देश में प्रधानमंत्री तक खुद को राजा न कहकर प्रधान सेवक कहलवाना पसंद करता हो वहाँ हमें महाराज कहकर क्यों हमारा मज़ाक उड़ा रहा है |
तोताराम बोला- मैं अपनी ओर से कुछ नहीं कह रहा |मैं तो मोदी के शब्द दुहरा रहा हूँ |उन्होंने कहा था- जी.एस.टी. बिल पास हो जाएगा तो कंज्यूमर किंग हो जाएगा |और अब वह बिल पास भी हो गया तो तेरे किंग होने में क्या कमी रह गई |
हमने कहा- मोदी जी तो शब्दों के जादूगर हैं | जब सुनते रहो तक तक एक नशा-सा अनुभव होता रहता है | ऐसा जोश आ जाता है कि इस क्षण ब्रह्माण्ड भी मेरे हाथों में आ जाय तो निचोड़ डालूँ | लेकिन उसके बाद कुछ समझ में नहीं आता कि क्या हुआ और क्या नहीं ? और समास के तो मास्टर हैं अपने नरेन्द्र भाई | और आजकल उनके नारे अंग्रेजी में ज्यादा होने लगे क्योंकि अब उन्हें केवल भारत को ही थोड़े समझाना है, उन्हें तो समस्त विश्व को मेसेज देना होता है |विश्व अपने कल्याण और उद्धार के लिए उनका मुँह जोह रहा है |इसलिए समास मिला दिया- कंज्यूमर इज किंग | वैसे जहाँ सच और समास दोनों के मेल की बात है तो-उपभोक्ता इज उल्लू |
तोताराम को बड़ा अजीब लगा, बोला- अगर उपभोक्ता नहीं होगा तो सारे उत्पादक मक्खियाँ मारेंगे |
हमने कहा- एक बार बाज़ार जा और किसी दुकानदार से बिल माँगकर देख, सामान पर उत्पादन तिथि या अवधि पार तिथि की बात करके देख; अपनी औकात का पता चल जाएगा | दुकानदार कहेगा- मास्टर जी, सामान लेना हो तो लो, नहीं आगे चलो |बिल बनाने और फालतू सवालों का ज़वाब देने का टाइम किसके पास है |नोट गिनने से ही फुर्सत नहीं है |बिल काटे भी क्यों |सारा माल शुरू से बिना बिल के चल रहा है | सारा का सारा १८ परसेंट बंदा अकेला पेल रहा है |राजा तो यह दुकानदार है |या फिर राजा हो गई हैं सरकारें जिसमें बैठे लोगों को अब कम से कम १८ प्रतिशत खाने को मिलेगा |
अपनी हालत तो उन ठाकुर साहब जैसी है जिन्होंने एक नौकर रखा लिया जो उन्हें सोते समय दूध पिलाया करता था |अफीम सेवन के कारण ठाकुर साहब को होश नहीं रहता और नौकर आधा दूध खुद पी जाता | ठाकुर साहब को कमजोरी आने लगी |दूध की बेहतर व्यवस्था के लिए एक और नौकर रखा तो दूध की मात्रा और कम हो गई |होते-होते यह हुआ कि ठाकुर साहब मर गए और उनकी मूँछों पर दूध पीने के प्रमाण स्वरुप ज़रा सी मलाई लगी हुई थी |
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