Aug 20, 2016

डोनाल्ड ट्रंप की तस्वीरों के फ्रेम

  डोनाल्ड ट्रंप की तस्वीरों के फ्रेम 

जब भी हमारा अमरीका जाना होता है तो वहाँ के 'इन्डियन-स्टोर' न जाएँ यह कैसे हो सकता है | भारतीयों में और मामलों में चाहे देशभक्ति को या नहीं लेकिन विदेश जाने वाली पहली पीढ़ी भोजन के मामले में ज़रूर सांस्कृतिक होती है |उसे कैलेफोर्निया में भी ग्वार की फली चाहिए |भले ही और भी बहुत से विकल्प हों लेकिन भारत के बिस्किट, तेल, साबुन, मसालों को देखते ही उनका राष्ट्रप्रेम उफनने लगता है |वैसे अब जब भारत में ही दालें मोज़ाम्बीक से आएँगी तो अमरीका में विदेशी दालें और मसाले कौन बड़ी बात है |  वहाँ कुछ पंजाबी और दक्षिण भारतीय होटल भारतीय खाना खिलाकर देश प्रेम और संस्कृति को जिंदा रखे हुए हैं |फिर भी दूसरी और तीसरी पीढ़ी तक आते-आते इन्हीं भारत प्रेमियों की संतानें पूरी तरह से विदेशी रंग में रँग जाती हैं |

वहाँ जब घर में अन्य सामानों पर निगाह डालते हैं तो कुछ भी भारत निर्मित नहीं मिलता | छोटी से छोटी चीजें भी चीन की बनी हुई होती हैं |यह चीन के कमाल से ज्यादा अमरीका की ग्लोबल अर्थव्यवस्था का कमाल है | जो सामान अमरीका में मज़दूर १०० डालर लेकर बनाएगा उसे चीन का मज़दूर अमरीका के दिए स्पेसिफिकेशन अनुसार दस डालर में बना देगा | चीन के मज़दूर को काम मिला और अमरीका के उद्योगपति को सस्ता माल और सारा प्रदूषण और झिकझिक चीन के सिर |इस वैश्वीकरण के युग में अपने देश के मज़दूर के बारे में सोचने की किसे फुर्सत है ?इसी तर्ज़ पर तो अब 'मेक इन इण्डिया' का शगूफा छूट रहा है |

इन सामानों में हमें भारत निर्मित एक दुर्मट अवश्य मिला | दुर्मट लोहे का एक पाँच-सात किलो का एक टुकड़ा होता है जिसके पीछे एक लकड़ी का हत्था लगा दिया जाता है |पहले यह पत्थर के टुकड़े में डंडा फँसाकर बनाते थे | इसे पत्थर, मिट्टी आदि के असमतल फर्श या मैदान को कूट-कूटकर समतल किया जाता है अर्थात जमाया जाता है | भारत में सभी अच्छे काम कूट-कूट कर ही किए जाते हैं चाहे देश भक्ति भरने का मामला हो या गौप्रेम का |लेकिन वहाँ ऐसे कामों के लिए कूटने की भारत जितनी सुविधा नहीं है | फिर भी चलो, वक्त ज़रूरत के लिए औज़ार तो उपलब्ध है |

अब तो मोदी जी का सूट भी गिनीज़ बुक में आगया है अपने कीमती होने के कारण | लेकिन भारतीय वस्तुओं का सम्मान बढ़ाने वाला एक बयान हिलेरी क्लिंटन ने भी दिया है- उन्होंने कहा- राष्ट्रपति पद के रिपब्लिकन पार्टी के उम्मीदवार डोनाल्ड ट्रंप की फोटो के फ्रेम भारत में निर्मित हैं | इससे हमें गर्व करने का एक और अवसर मिला |

जैसे ही तोताराम आया, हमने उत्साहित होकर बताया- देख तोताराम, अब डोनाल्ड ट्रंप के फोटो को सजाने और आकर्षक बनाने के लिए भारत निर्मित फ्रेम काम में लिए जा रहे हैं | 

बोला- यह कोई अच्छा कमेंट नहीं है | हिलेरी के कथन की व्यंजना समझ | वे कहती हैं- ट्रंप के फोटो के फ्रेम भारत में निर्मित हैं मतलब ट्रंप अपनी इमेज भारतीय नेतृत्त्व की लाइन पर बना रहे हैं | यह एक कटु सत्य है जिसे भाजपा का थिंक टैंक नहीं समझा या यह बयान उनकी निगाहों से नहीं गुज़रा या समझकर घबरा गया और चुप्पी लगा गया |इसका मतलब है कि ट्रंप भी सत्ता पाने के लिए कट्टरवाद का सहारा ले रहे हैं |जैसे यहाँ भाजपा के कई नेताओं के अतिवादी बयान आते हैं जैसे रामज़ादे-हरामजादे , वन्दे मातरम या भारतमाता की जय नहीं बोलने वालों को भारत से भगा देने की बात, वैसे ही तो ट्रंप कहते हैं कि मेक्सिको से अवैध प्रवेश को बंद करने के लिए एक ऊँची दीवार बनवा देंगे |अमरीका में मुसलमानों का प्रवेश बंद कर देंगे या उनकी अमरीका- भक्ति की परीक्षा होगी जैसे कि आजकल भारत में प्रदूषण-जाँच-केंद्र की तरह जगह-जगह देश भक्ति जाँचने के मोबाइल केंद्र काम कर रहे हैं |  इसका मतलब भारतीय फोटो-फ्रेम का अमरीका को निर्यात नहीं बल्कि ट्रंप द्वारा भारतीय नेताओं की तरह कट्टरता अपनाने से है |

हमने कहा- फिर भी मानना तो पड़ेगा ही कि लोकतंत्र को बचाने और मज़बूत करने के लिए भारतीय तकनीक की श्रेष्ठता तो सिद्ध हो ही गई | अब सस्ते सोफ्टवेयर विशेषज्ञों की तरह भारत से गौरक्षक, देश भक्ति जाँच करने वाले, नदी सफाई के लिए आरती करने और चेतना-यात्रा निकालने वाले, तरह-तरह की रथ-यात्राएँ निकालने वाले, बेरोजगारी मिटाने, सांप्रदायिक सौहार्द बढ़ाने के लिए के लिए रंगोली, मेहंदी, कविता, वादविवाद, अन्त्याक्षरी आदि  प्रतियोगिता करवाने वाले विशेषज्ञों की अमरीका में माँग इतनी बढ़ेगी कि भारत खाली  हो जाएगा |बेकारी की समस्या छू और विदेशी मुद्रा भण्डार फुल |




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