2025-07-07
सच्ची बरामदिया
कल बच्चे जयपुर चले गए थे तो कल का कोई दो लीटर दूध बच गया था । इसलिए आज दूध के लिए मना कर दिया । कल हम दूध को फ्रिज में रखा भूल गए थे इसलिए दूध फट जाने के डर से चाय के साथ दूध उबाला नहीं । पानी में चाय उबालकर उतार ली और नीचे फिर उसमें दूध डाल दिया । चाय आज कुछ भिन्न तरह से बनी ।
जैसे ही हमने तोताराम को चाय दी तो उसने एक घूंट लेते ही वैसे ही सड़ा सा मुँह बनाया जैसे ट्रम्प के सीज़ फायर करवाने के बयान पर प्रश्न करने पर मोदी जी बनाते हैं । लेकिन सड़ा मुँह बनाने के बावजूद तोताराम मोदी जी की तरह चुप नहीं रहा । बोला- मास्टर, मोदी जी के प्रधानमंत्री बनने के बाद से चाय को जो राष्ट्रीय सम्मान और गरिमा प्राप्त हुई उसे देखते हुए मैं इस चाय के बारे में कोई सच्ची टिप्पणी नहीं करना चाहता फिर भी यह कहे बिना भी नहीं रह सकता कि यह चाय बहुत थर्ड क्लास है । कोई दस रुपए लेकर भी इसे गले के नीचे नहीं उतार सकता । लगता है या तो दूध दो चार दिन पुराना है या फिर फटते फटते बचा है ।
हमने कहा- क्या यह कोई बैशाखी और निजी स्वार्थों पर टिकी सरकार थोड़े ही है जो अब गिरी और तब गिरी करते करते पाँच साल निकाल दे । हाँ, दूध पुराना जरूर है लेकिन फटा नहीं है । और फिर चाय तो चाय होती है । इसमें स्वाद बेस्वाद नहीं देखा जाता जैसे कि चुनाव हो जाना और सरकार बन जाना ही पर्याप्त है । वैसे ही जैसे पति का जिंदा होना ही करवा चौथ के लिए पर्याप्त आधार है फिर कोई नहीं देखता कि वह पति परमेश्वर कुछ कमाता है या नहीं, नार्यस्तु का सम्मान करता है या फिर जूतों से पूजन करता है । चाय है, पीले । अब इसमें पंचामृत या मशरूम तलाशने की क्या जरूरत है ? और फिर फ्री का तो लोग जहर भी पी जाते हैं । यह हमारी समृद्ध परंपरा है । वेदों में कहा है-
परान्नम दुर्लभमं लोके, मा शरीरे दया कुरु । या फिर हमने कभी अर्ज किया था-
‘गर मुफ़्त में मिल जाय तो कहा जाएँ जहर भी
पैसे लगें तो चार दिन खाना नहीं खाते ।
बोला- कुछ भी कह मास्टर, लेकिन चाय है बहुत बेकार ।
हमने कहा- यह सच्ची बरामदिया चाय है और तू यहाँ का ‘सच्चा बरामदिया’ स्वयंसेवक है । यहाँ सब भावना का मामला है, उचित-अनुचित, सत्य-असत्य कुछ नहीं । अगर मूत जैसे स्वाद की है तो भी बरामदा-हित में तू इसे बुरा नहीं बता सकता । जैसे भले ही ट्रम्प भारतीय अर्थव्यवस्था को मृत कह दे लेकिन कोई भारतीय विशेषरूप से विपक्षी सांसद नहीं हक सकता कि अर्थव्यवस्था का भट्टा बैठ गया है ।
बोला- यह तो तू जज दीपांकर दत्ता की तरह टिप्पणी कर रहा है । क्या भारत के किसी नागरिक को सच्चा भारतीय या झूठा भारतीय होने की तरह मुझे सच्चा-झूठा बरामदिया होने का प्रमाण-पत्र तू देगा ? मैं इस बरामद संसद के जन्म के साथ जन्मा हूँ । मैं इसका जन्मजात सदस्य हूँ । अगर मैंने कोई अपराध किया है तो मुझे ‘बरामदा न्याय संहिता‘ के हिसाब से कोई सजा सुना सकता है । ऐसे तेरे कहने से कोई सच्चा या झूठा ‘बरामदिया’ नहीं हो जाता ।
हमने कहा- लेकिन तू संसद में क्यों बोलता है । इससे दुनिया में ‘बरामदा विष्ठा’ की गरिमा कम होती है ।
बोला- मैंने तो जब संसद की छाती में जब सेंगोल भोंक दिया था तो मैंने मजाक में उसी की तर्ज पर मज़ाक में ‘बरामदा विष्ठा’ कह दिया था लेकिन लगता है कि वह मजाक आज सत्य सिद्ध हो रहा है । अब कोई बुरी चाय को बुरी चाय भी नहीं कह सकता ? तो क्या अब चाय के बारे में चर्चा करने के लिए ट्रम्प के पास जाना होगा ? यह कोई युद्ध विराम या टेरिफ़ बढ़ाने का मामला थोड़े है जो तू ट्रम्प की तरह कुछ भी बोलता रहेगा और मैं मोदी जी की तरह चुप रहूँगा और उसका नाम भी नहीं लूँगा । चाय खराब है तो खराब है ।
हमने कहा- देख, जैसे लोकसभा अध्यक्ष किसी को भी निलंबित कर सकता है, एक ही दिन में मकान खाली करवा सकता है, 150 सदस्यों को निलंबित करके बिल पास करवा सकता है वैसे ही जज किसी भी सजायाफ़्ता बलात्कार के अपराधी राम रहीं को पाँच साल में एक साल की पेरॉल दे सकता है और किसी 85 साल के बूढ़े को ‘सिपर’ देने से मना कर सकता है तथा जेल में ही मर जाने तक हिरासत में रख सकता है और एक युवा विद्यार्थी की जमानत पाँच साल तक क्या अनंत काल तक के लिए भी लटका सकता है ।
बोला- अगर मैं आज तेरी ‘बरामदा विष्ठा‘ को ही नकार दूँ तो ?
हमने कहा- शांत बैठा रहेगा तो जैसी भी है चाय मिलती रहेगी अन्यथा हम बिहार की नई मतदाता सूची निर्माण में मनमानी करके तुझे वहाँ की जनता की तरह नकार सकते हैं । तेरे बिना चुनाव भी हो जाएगा और तेरी न तो एफ आई आर लिखी जाएगी और न ही जिंदगी भर केस टेबल पर आएगा । तुझे अभी लोकतंत्र में सरकार की ताकत का पता नहीं है । वह चाहे तो किसी को भी संस्कारी बताकर छोड़ सकती वही और किसी को भी झूठा भारतीय बताकर फँसा सकती है ।
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