Nov 26, 2025

2025-11-25 धर्मध्वजा


2025-11-25    

 धर्मध्वजा





तुलसी जी का ब्याह रचाए  

औरों की बेटी फुसलाए  

रोना रोता है कड़की का 

मूरत को गहने पहनाए । 

कैसी धर्मध्वजा फहराए ॥ 


मंदिर तो मजदूर बनाए 

मगर बाद में घुस ना पाए 

करें ध्वजारोहण राजाजी 

औ' पंडित जी उसके गुण गाए । 

किसकी धर्मध्वजा फहराए ॥ 


बातें करता अपने मन की 

पीर न सुनता निर्धन जन की 

हमें त्याग-अध्यात्म पढ़ाए  

खुद करता है पूजा धन की ।

फिर भी धर्मध्वजा फहराए ॥ 


-रमेश जोशी 



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(c) सर्वाधिकार सुरक्षित - रमेश जोशी । प्रकाशित या प्रकाशनाधीन । Ramesh Joshi. All rights reserved. All material is either published or under publication. Jhootha Sach

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