Mar 21, 2024

अब तो कर ले नमस्कार


अब तो कर ले नमस्कार

 

तोताराम आया और बैठने से पहले ही बोला- अब तो कर ले नमस्कार । हमने कहा- अब यही शेष रह गया है कि हम छोटे भाई को आते ही उठकर नमस्कार करें । लेकिन तू कौनसा रोज आते ही हमारे चरणस्पर्श करता है । हम तो बालसखा है । इन सब औपचारिकताओं से मुक्त हैं । बोला- यही तो खराबी है तुझमें । किसीकी सुनना नहीं, बस अपनी ही दले जाना । अरे, नमस्कार मुझे नहीं; चमत्कार को नमस्कार कर । चमत्कार को नमस्कार तो दुनिया सदा से करती आई है । हमने कहा- किस किस को नमस्कार करें । यह देश तो है ही चमचाकारों का ।

बोला- मास्टर, शब्दों से मत खेल । मैं चमचों की नहीं, चमत्कारों की बात कर रहा हूँ। हमने कहा- हम चमत्कारों को चमचों से इसलिए जोड़ रहे हैं कि चमचों के बिना चमत्कारों को प्रचार नहीं मिलता । वे सामान्य जन बनकर चमत्कारों का प्रचार करते हैं और अपनी दिहाड़ी पक्की करते हैं । गाय पालने और उसकी सेवा करने की बजाय गाय की मूर्ति पूजने की बात सबसे ऊंचे स्वर में गाय की पूंछ पकड़कर सरकारी ग्रांट की वैतरणी पार करने वालों में गौशालाओं अध्यक्ष से लेकर मेवात के गौ रक्षक ही अधिक होते हैं । गोबर-गौमूत्र से केन्सर ठीक करने वाले जुकाम होते ही एम्स में भागते हैं ।

बोला- तेरे जैसे नास्तिकों को धर्म में विश्वास ही नहीं है । अरे, धर्म पर ही यह दुनिया टिकी हुई है। हमने कहा- दुनिया धर्म नहीं, कर्म पर टिकी हुई है । धर्म पर बैठे बैठे खाने वाले टिके हुए हैं, दुनिया नहीं । अनाज उपदेशों से नहीं उगता । एक बार प्रसिद्ध तर्कवादी श्रीलंका के प्रोफेसर अब्राहम थॉमस कावूर ने एक बड़े चमत्कारी बाबा को चेलेंज दिया था कि यदि बाबाजी चमत्कार दिखा दें तो वे अपनी सारी संपत्ति उन्हें दे देंगे लेकिन बाबा टाल गए । हम तो कहते हैं भभूत निकालने वाले बाबा रेता ही निकाल दें । निर्माण कार्य सस्ता हो जाए और नदियों के तट पर अवैध खनन की जरूरत न पड़े ।

बोला- मैं तो आँखों देखी बता रहा हूँ । राम मंदिर में जनवरी में प्राणप्रतिष्ठित काले पत्थर की मूर्ति को मुस्कराते हुए देखा है। प्रमाणस्वरूप तोताराम ने हमारे सामने अखबार में छपी एक फ़ोटो कर दी । हमने कहा- ये सब फोटोग्राफी और कंप्यूटर का कमाल है । शायद इसे ‘डीप फेक’ कहते हैं । यह भी समझो लंबी फेंकने जैसा ही कुछ है । यह एक बड़ा घोटाला है । यह हमारे मूर्तिपूजक धर्म में ही नहीं बल्कि इस्लाम, ईसाई धर्म में भी है । वे भी अपने अनुयायियों को मूर्ख बनाने के लिए तरह तरह के चमत्कार करते हैं ।तंत्र-मंत्र, भूत-प्रेत सब करते हैं ।

लेकिन हमारे यहाँ फिर भी कबीर और दयानन्द सरस्वती जैसे सुधारक संत हुए हैं जिन्होंने ऐसे अंधविश्वासों और मूर्तिपूजा का विरोध किया है । ऐसे प्रगतिशील इतिहास वाले समाज को तू क्यों अंधविश्वासों में धकेलना चाहता है ? तोताराम, एक झूठ को स्वीकार कर लेने से फिर और और झूठों का ऐसा अंबार खड़ा हो जाता है कि उसके सामने सारे समाज का सामान्य विवेक नष्ट हो जाता है । जब मूर्ति में प्राण प्रतिष्ठित हो गए हैं, वे मुस्कुरा रहे हैं तो फिर मंजन भी करेंगे, खाना ,कलेवा, स्नान, शयन भी करेंगे ।

बोला- हाँ, करते क्यों नहीं ? तभी तो पूजा में इस प्रकार सभी विधिविधान हैं । जगन्नाथ भगवान तो साल में एक बार बीमार भी होते हैं । उन 15 दिनों में भगवान 56 भोग नहीं खाते । केवल काढ़ा पीते हैं । हमने कहा- तो फिर इस अवधि में उनके भक्तों को भी केवल काढ़ा पीना चाहिए । बोला- ऐसा कैसे हो सकता है । भक्त तो बेचारे भौतिक जीव हैं । उनके साथ तो सभी सांसारिक सत्कर्म और खटकर्म लगे ही रहते हैं ।

हमने कहा- फिर भी तोताराम । पहले की बात और थी । बीमारियाँ कम और छोटी-मोटी हुआ करती थी लेकिन आजकल तो एक दूसरे के पास बैठने, बात करने मात्र से हो सकती हैं । कोरोना भी सुन रहे हैं आजकल फिर किसी नए रूप में सक्रिय हो रहा है । अच्छा हो, भगवान को ऐसे कोरोना संक्रमित भक्तों से बचाया जाए ।राम तो मर्यादा पुरुषोत्तम हैं और वैचारिक रूप से संक्रमित व्यक्ति में कोई मर्यादा नहीं होती । वैसे भी बच्चों को संक्रमण अधिक होता है । रामलला भी तो अभी पाँच साल के ही हैं । इसलिए ध्यान रखना चाहिए । लोगों का चेकप करके ही गर्भगृह में प्रवेश देना चाहिए ।

बोला- जब भक्तों और दर्शन पर ज्यादा नियम कायदे कानून लगाएंगे तो आमदनी कम नहीं हो जाएगी ? मोदी जी और योगी जी तो देश की अर्थव्यवस्था को धार्मिक-पर्यटन उद्योग की तरफ ही ले जा रहे हैं । तभी तो हर छोटे बड़े तीर्थ में कॉरीडोर विकसित किये जा रहे हैं । सुनते हैं राम मंदिर में इन डेढ़ दो महीनों में कोई 40 हजार का धंधा हो गया है । हमने कहा- फिर भी इतना तो किया ही जा सकता है कि रामलला को मास्क पहना दिया जाए क्योंकि आजकल के भक्त तरह तरह की शारीरिक और मानसिक बीमारियों से ग्रस्त पाए जाते हैं विशेषरूप से बड़े बड़े सेठ । और वे ही लोग सबसे देर तक और निकट से दर्शन करते हैं ।

बोला- कुछ नहीं होता । मोदी जी ने तो बंगाल में कोरोना के पीक समय में धुआंधार रैलियाँ की थीं । हमने कहा- मोदी जी की बात और है । वे राम से भी बड़े हैं । ऐसे ही थोड़े कहा गया है कि राम से बड़ा राम का नाम । वैसे ही ‘राम से बड़ा राम का भक्त’ । देखा नहीं, मंदिर प्रवेश के समय कैसे रामलला को मंदिर में ले जा रहे थे जैसे कोई अभिभावक बचे को स्कूल छोड़ने जा रहा हो ।बोला- अब जब 2024 का चुनाव सिर पर है और चुनाव राम को आगे करके लड़ा जा रहा है तो ऐसे प्रतिबंधों और नियमों के बारे में सोचना संभव नहीं है । हमने कहा- हो सकता है 500 पार के चक्कर में मोदी जी रामलला को ही 2029 का चुनाव लड़वा दें ।

बोला- 2029 क्या, अब भी चुनाव प्रभु ही तो लड़ रहे हैं । वही तो चेहरा हैं । मोदी जी तो निमित्त मात्र हैं । उनके भरोसे ही तो मोदी जी 400 पार कह रहे हैं । मैं तो सोचता हूँ कहीं 600 पार न हो जाएँ । एक तो 24 घंटों जागने वाले, दूसरे विष्णु अवतारी तीसरे चमत्कारी मोदी जी और चौथे प्रभु-कृपा । कुछ भी मुमकिन है । लेकिन रामलला ने एक छोटी सी लीला क्या दिखा दी तू उसकी आड़ में फेंटेसी पर फेंटेसी पेले जा रहा है । कल को कहेगा गर्भगृह में अटेच शौचालय क्यों नहीं । अब बात समाप्त कर । अगर किसी की भावना आहत हो गई और एफ आई आर दर्ज हो गई तो चार-पाँच साल हिरासत में ही कट जाएंगे । और इससे ज्यादा समय तेरे पास बचा भी नहीं है ।

वैसे मैं अपनी चमत्कार वाली बात पर अब भी कायम हूँ । आने दे राम नवमी जब ‘सूर्य तिलक’ होगा और सारा विश्व रामलला के चमत्कार को नमस्कार करेगा। हमने कहा- वही सूर्यतिलक ना जब रामनवमी को सूर्य की किरणें सीधे गर्भगृह में विराजे रामलला के मस्तक पर पड़ेंगी ? बोला- हाँ। तो हमने कहा- यह कोई दैवीय या बाबा का चमत्कार नहीं है । यह विज्ञान पर आधारित सूर्य की गति और कोणों के सामंजस्य और गणना के द्वारा किया जा रहा है । इसमें किरणों और मूर्ति की स्थिति को त्रिकोण करने में बैंगलुरु की डीएसटी इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ एस्ट्रोफिजिक्स ने तकनीकी सहायता प्रदान की है और बैंगलुरु की ही एक कंपनी ‘आप्टिका’ ने लेंस और पीतल ट्यूब का काम किया है ।


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(c) सर्वाधिकार सुरक्षित - रमेश जोशी । प्रकाशित या प्रकाशनाधीन । Ramesh Joshi. All rights reserved. All material is either published or under publication. Jhootha Sach

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