कुछ दिन से बरसात, ओले और ठण्ड के कारण होली का माहौल बन ही नहीं पा रहा था । होली के स्वागत के चक्कर में ठण्ड खा जाने की जोखिम उठाना उचित नहीं समझ रहे थे । आज ठण्ड थोड़ी कम है । पता नहीं, मोदी जी की गुजरात में गुड गवर्नेंस के कारण है या राहुल के क्रांतिकारी तेवर के कारण या फिर केजरीवाल के धरने की धमकी के कारण । मगर मौसम थोड़ा ठीक है सो होली के उपलक्ष्य में बनाई गई चार-पाँच मठरियाँ और चाय लेकर चबूतरे पर बैठे थे । जैसे ही मठरी का एक टुकड़ा मुँह में डालने को हुए कि किसी ने ठीक वैसे ही हमारा हाथ पकड़ लिया जैसे सुदामा के दो मुट्ठी चावल खाने के बाद रुक्मिणी ने कृष्ण का हाथ पकड़ लिया था । चौंक कर देखा तो तोताराम ।
हमने झुँझलाकर कहा- यह क्या बदतमीजी है ?
बोला-मेरा क्या है ? मैं तो तेरी सुरक्षा के लिए ऐसा कर रहा हूँ ।
हमने कहा- हमारी मठरियाँ, हमारी चाय और हमारा चबूतरा- और ऊपर से चुनाव का माहौल, कोई भी पार्टी और उम्मीदवार भले ही बाद में पाँच वर्ष चाहे हमारी हवा टाईट रखे लेकिन पोलिंग वाले दिन तक तो हमारे इन मानवाधिकार का हनन नहीं करेगा ।
हम जो अखबार को पढ़ रहे थे उसके पहले पेज पर अटल जी के सन २००४ के चुनाव में 'जागा है यह भारत' की तरह ऊपर की तरफ हाथ उठाए, आकाश को तौलने की मुद्रा में नरेन्द्र मोदी का फोटो था । तोताराम ने चाय की तरफ इशारा करते हुए कहा- यह क्या है ?
हमने कहा- चाय ।
फिर पूछा- ये क्या हैं ?
हमारा उत्तर था- मठरियाँ ।
फिर अखबार में मोदी जी का फोटो दिखाते हुए पूछा- यह कौन है ?
हमने चिढ़कर कहा- कौन है, मोदी है ।
तोताराम ने दीवार का सहारा लेते हुए कहा- इससे सिद्ध होता है कि तूने मोदी जी के साथ चाय पी और मोदी के साथ नाश्ता भी किया । अब चुनाव आयोग यह खर्चा मोदी के चुनाव खर्च में डालेगा और मोदी जी तुझसे इसका चार्ज वसूल करेंगे ।
हमने कहा- यह भी कोई बात हुई ? हम अपने चबूतरे पर अपनी चाय पिएँ और अपनी मठरी खाएँ इसमें किसी के बाप का क्या दखल ?
हमने कहा- हम तो मोदी से कोई हजार किलोमीटर दूर अपने चबूतरे पर बैठकर अपनी चाय और मठरी का सेवन कर रहे हैं ।
तोताराम ने कहा- यह ठीक है लेकिन जैसे आजकल हर काम में बहुत बारीक अक्षरों में 'कंडीशन्स अप्लाई' छपा होता है वैसे ही किसे पता कोई ऐसी ही कंडीशन इस डिनर की भी निकल आए कि लोकसभा चुनाव २०१४ के वोट पड़ने तक जो भी भारतीय कहीं भी बैठकर, खड़े होकर या लेटकर कुछ भी खाएगा उसे कम से कम पाँच सौ रुपए नरेन्द्र मोदी के चुनाव फंड में जमा करवाने होंगे । तब क्या कर लेगा ? बंदा गुड गवर्नेंस वाला और कड़क भी । छोड़ेगा नहीं । अब आगे तेरी मर्ज़ी । सावधान करना मेरा फ़र्ज़ था सो कर दिया ।
हमने पत्नी से कहा- इस अखबार को दरी के नीचे दबा दे या चूल्हे में फेंक दे या फिर जब तक चुनाव ख़त्म नहीं हो जाएँ तब तक रसोई के ताला लगा दे ।
तोताराम ने आते ही कहा- मास्टर, आज चाय नहीं पीनी है । बस, जल्दी से एक क्लीन चिट दे दे ।
हमने कहा- भई, अभी तो क्लीन चिट नहीं है । एक तरफ लिखी हुई चाहे तो तू कहे जितनी दे दें । और अगर बिलकुल ही क्लीन, मतलब दोनों तरफ से क्लीन चाहिए तो बाज़ार खुलने दे, वो भी मँगवा देंगे ।
तोताराम गुस्सा गया, बोला- तेरा दिमाग तो ठीक है, मैं कोई कागज़ का टुकड़ा माँग रहा हूँ क्या ? मुझे तो तुम्हारी माजपा और भाजपा दोनों पार्टियों से क्लीन चिट चाहिए ।
हमने कहा- हमारी कोई राजनीतिक पार्टी नहीं है और फिर यदि बनें भी तो एक ही घर में दो धुर विरोधी पार्टियाँ कैसे बनेंगीं ?
-अरे, भोंदू राम, मैं मार्क्सवादी जनता पार्टी और भारतीय जनता पार्टी की बात थोड़े ही कर रहा हूँ । और फिर मार्क्सवादियों की किसी भी पार्टी में जनता थी ही कब ? मैं तो तेरी 'मास्टर जनता पार्टी ' और भाभी की 'भाभी जनता पार्टी ' की बात कर रहा हूँ ।
हमने कहा- न तो तू चुनाव लड़ रहा है और न ही तेरे ऊपर भ्रष्टाचार का कोई आरोप है फिर क्लीन चिट क्यों चाहिए ?
-लड़ क्यों नहीं रहा । मैंने अपनी पार्टी अजपा अर्थात 'अध्यापक जनता पार्टी' बना ली है । और दिल्ली में पार्टी कार्यालय के लिए अर्जी भी दे दी है । और कुछ नहीं तो दिल्ली में एक मकान तो मिल जाएगा । अपन नहीं रहेंगे तो किराए पर उठा देंगे, पचास हजार रुपए महिने का किराया ही आता रहेगा । और क्लीन चिट इसलिए चाहिए कि आजकल मोदी और राहुल दोनों पर अम्बानी के हेलीकोप्टर का उपयोग करने के आरोप लग रहे हैं । किसे पता कल को कोई यह आरोप ही लगा दे कि तोताराम चालीस बरस से मास्टर के यहाँ रोज़ पाँच रुपए की एक चाय पीता है और आज तक इस पर कोई टेक्स नहीं दिया । आमदनी तो है ही, कैश में नहीं तो काइंड में । सो दे ही दे एक क्लीन चिट ।
इतने में गली में जोर की आवाज़ गूँजी- क्लीन चिट ले लो, क्लीन चिट ।
हमने कहा- ले तेरी समस्या हल हो गई । लगता है रामविलास पासवान का बेटा चिराग होगा या फिर सलमान खान । जा, तू भी ले ले क्लीन चिट ।
अब तो तोताराम गुस्सा गया- देख मज़ाक मत कर । सलमान खान सबसे महँगा स्टार है और लोक जनशक्ति एक गतिशील पार्टी । क्या वे इस तरह क्लीन चिट बाँटते फिरेंगे ? भले ही पासवान को लालू ने राज्यसभा में पहुँचाया है, खुद पासवान के अलावा कोई संसद सदस्य भी इसका नहीं है लेकिन पार्टी राष्ट्रीय है, दिल्ली में पार्टी कार्यालय जो मिला हुआ है ।
हमने कहा- यह भी कोई पार्टी है , एम.पी. एक, वह भी राज्य सभा का, सो भी किसी की मेहरबानी से और पदाधिकारी दस ।
कहने लगा- फिर भी क्लीन चिट तो क्लीन चिट है ।
इतने में पत्नी चाय ले आई और एक कोरा कागज़ तोताराम के हाथ में पकड़ाती हुई बोली- लाला, ये लो क्लीन चिट, निर्भय होकर चाय पिओ और कूद पड़ो कपड़े उतार कर इस हम्माम में । महाभारत में भी कहा है- ‘आशा बलवती राजन’ । लेकिन याद रखना , जब हम दिल्ली घूमने आएँगे तो तुम्हारी पार्टी के दफ्तर में ही ठहरेंगे और संसद की कैंटीन में रियायती खाना खाएँगे ।
तोताराम उछला- यह हुई ना बात भाभी, डन । और चाय उसके कुरते पर छलक गई ।
२५ फरवरी २०१४