Jun 1, 2017

बिका हुआ माल और चुना हुआ नेता...

  बिका हुआ माल और चुना हुआ नेता ....

आज कोई ठीक बारह बजे दरवाजे पर दस्तक हुई, देखा तो पसीने से तरबतर तोताराम | पूछा- तुझे कौनसा कांग्रेस-मुक्त भारत बनाना है जो इस बरसती आग में भी चैन से नहीं बैठता |क्या कोई विजन २०४२ लाया है ?

बोला- विजन २०४२ नहीं, विजन २०३२ 

हमने कहा- वह तो पुराना जुमला है |अब तक तो दस साल आगे की प्लानिंग चल रही होगी | बड़े विजन की यही समस्या होती है कि सामान्य आदमी उसके साथ नहीं चल सकता |वैसे छोड़ यह विजन | बता, इस समय कहाँ से आ रहा है ?

बोला- गरम पानी का एक कप ला, पहले चेकिंग करेंगे ?

हमने कहा- क्या देशभक्ति की चेकिंग करेगा ?

बोला- वह डिपार्टमेंट अलग है | ज्यादा प्रश्न नहीं |जैसा कहूँ, वैसा कर |

हम एक कप में गरम पानी लाए |तोताराम ने उसमें चीनी डालकर हमें पीने को कहा |जब हम पी रहे थे तो वह हमारे नाक के सामने एक लिफाफा लहरा रहा था |हमने पूछा- यह क्या नाटक है ?

बोला- यही चेकिंग है ? बता, कॉफ़ी का स्वाद और खुशबू आ रहे हैं ?

हमने कहा- भले आदमी जब कॉफ़ी डाली ही नहीं तो कैसा स्वाद और कैसी खुशबू |

बोला- लेकिन उसने तो इसे कॉफ़ी खुशबू वाला कह कर बेचा था |

हमने पूछा- लेकिन इसमें है क्या ?

कहने लगा-   कल अखबार में पढ़ा था कि डाक विभाग ने कॉफ़ी खुशबू वाले २ लाख टिकट जारी किए हैं |एक टिकट एक सौ रुपए है | टिकट सीकर के प्रधान डाकघर में भी उपलब्ध हैं |सो वही लाया हूँ |इस भाव में क्या महँगा है ? खर्चा पानी और चीनी का और मज़ा कॉफ़ी का |पचास कप तक भी खुशबू देता रहा तो भी फायदा ही है |

हमने कहा- खुशबू से क्या होता है ? क्या घी का काम घी की खुशबू से चल जाएगा ?खुशबू से हाड़ नहीं चलते |शरीर को तो वस्तु चाहिए | 

बोला- शादियों के समय चाहे जितना पनीर, मावा, दूध दही ले लो |क्या ये कोई विकास के आश्वासन हैं जो कोई भी छुटभैया फेंक देगा | सब जाने किस-किस में खुशबू मिला कर बेच-खिला देते हैं |और खुशबू भी रासायनिक, नकली |याद नहीं क्या, कुछ वर्षों पहले नींबू वाले वाशिंग पाउडर और आम वाले कोल ड्रिंक बेचे जाते थे बाद में जब किसी ने केस किया तो पता चला कि इनमें केवल खुशबू है और वह भी नकली |लेकिन आजकल सब खुशबू का खेल है फिर चाहे वह व्यापार हो या राजनीति |रसायनों पर राड़ मचाने वाले रामदेव भी वनीला खुशबू वाला ग्वारपाठे का रस बेचते हैं | सो बता इसमें थोड़ी बहुत भी कॉफ़ी की खुशबू आती है क्या ?

हमने कहा- तोताराम, सच कहें या झूठ ? 

बोला- सच ही कह, चाहे वह कितना ही कड़वा हो |

हमने कहा- बन्धु, हमें तो इसमें लीद की सी दुर्गन्ध आती है |

कहने लगा- तब ठीक है, सुना है अच्छी कॉफ़ी की खुशबू ऐसी ही होती है |तुझे पता है, सबसे महँगी कॉफ़ी कैसे बनती है ? इसके लिए कॉफ़ी के बीजों को कई दिनों तक हाथी की लीद में लपेटकर रखा जाता है | उस कॉफ़ी में ऐसी ही गंध आती है |जब तक गंध आएगी तब तक ठीक है |जब गंध आना बंद हो जाएगी तो तू अपनी पत्रिका के किसी अमरीकी पाठक या मित्र को पत्र लिख कर लिफाफे पर लगा देना |

हमने लिफाफे में से टिकट निकालकर देखा तो टिकट मात्र दस रुपए का था |
हमने कहा- तोताराम, अमरीका के लिफाफे पर ३५ रुपए का टिकट लगता है लेकिन यह तो दस रुपए का ही है |तुझे पता होना चाहिए, ये विशेष टिकट ऐसे ही नाटक होते हैं |इनकी कीमत केवल काल्पनिक होती है |जैसे कि कभी-कभी 'विचित्र किन्तु सत्य' समाचारों में आता है कि फलाँ देश में, फलाँ सन का एक पेंस का एक टिकट पचास हजार डालर में बिका |यह भी वैसा ही टिकट है |एक चोंचला |हम तो कहते हैं, भले ही पोस्ट कार्ड में बदबू आए लेकिन समय पर पहुँच तो जाए |उस पर तो कोई ध्यान दे नहीं रहा है |

वैसे तूने समाचार पूरा नहीं पढ़ा |उसमें यह भी लिखा था कि इससे पहले चंदन, गुलाब और जूही की खुशबू वाले टिकट भी जारी किए गए थे |यह सब वैसे ही है जैसे वन काटकर वन्य प्राणी दिवस या गोरैया दिवस मनाना |लाखों कारें साल में सड़कों पर उतारकर पर्यावरण रक्षा पर निबंध प्रतियोगिता आयोजित करना या रोटी और दवाएँ महँगी करके योग से तन मन की सभी समस्याओं का इलाज बताना | गंगा की सफाई के लिए उसकी आरती के तेल का बजट बढ़ाने या गंगा-रंगोली प्रतियोगिता आयोजित करवाने से कुछ नहीं होगा |

बोला- तो वापिस कर आता हूँ |

हमने कहा- तेरे जैसे पढ़े-लिखे बेवकूफ क्या बार-बार फँसते हैं ? वापिस कोई नहीं लेगा |बिका हुआ माल और जीता हुआ नेता वापिस नहीं बुलाया जा सकता |

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