यह ‘दानी’ भी कोई ‘दानी’ है, लल्लू !
जैसे ही तोताराम ने चुस्की लेने के लिए कप उठाया हमने कहा- तोताराम,कोई कुछ भी कहे लेकिन इस लड़के ममदानी ने कर तो कमाल दिया । ट्रम्प ने सारे टांके तोड़ लिए लेकिन बंदा जीत ही गया और बड़ी शान से 50 % से ज्यादा वोट लेकर ।
तोताराम ने गिलास नीचे रखते हुए कहा- कहे तो पी लूँ । मैं मोदी जी की तरह इतना शालीन नहीं हूँ कि तू ट्रम्प की तरह मेरा मज़ाक उड़ाता रहे और मैं चुपचाप सुनता रहूँ । मैं जेलेंस्की की तरह साफ जवाब देकर अभी उठकर जा सकता हूँ ।
हमने कहा- हम तुझे चिढ़ाने के लिए नहीं कह रहे हैं फिर भी यह तो मानना पड़ेगा कि यह वसुधैव कुटुंबकम् का एक बढ़िया उदाहरण है । देख यह फ़ोटो ।
हमने तोताराम से सामने वह फ़ोटो कर दिया जिसमें ममदानी अपने माता पिता के साथ सपत्नीक दिखाई दे रहा था ।
और कहा- देख, कैसा अद्भुत दृश्य है । ममदानी के साथ एक तरफ़ भारतीय परिधान साड़ी में पंजाबी हिंदू मां, दूसरी तरफ़ कोट पैंट में गुजराती, युगांडवी,अमेरिकी मुसलमान पिता, बग़ल में एक सीरियाई, अरब पत्नी और साथ में हिंदी में बंबइया फ़िल्मी गाना ‘धूम मचा दे’! यह सब कुछ सपने जैसा है ।
बोला- तो इसका क्या करूँ ?
हमने कहा- करना क्या है ? खुश हो । ऋषि सुनक को लेकर भी तो खुश हुआ था । कमला हैरिस को लेकर गर्व नहीं किया था ? तुलसी गेबार्ड को लेकर धन्य नहीं हुआ था ? तो अब क्या हो गया ? खुश हो कि भारत मूल का एक युवक ट्रम्प की सारी कोशिशों के बावजूद अपनी सकारात्मकता के बल पर शान से जीत गया ।
बोला- लेकिन इसमें कहाँ है हिन्दुत्व, पवित्रता, सनातन, राष्ट्र ? है तो यह मुसलमान ही ।
हमने कहा- अमेरिका को कंट्री ऑफ इमिग्रेंटस कहा गया है । दुनिया के श्रेष्ठ दिमागों को अमेरिका की इस खुली नीति ने आकर्षित किया और यही उसकी शक्ति है । और धीरे धीरे संगति और संसर्ग से एकता और प्रेम पैदा हो ही जाते हैं ।
हमने कहा- मुसलमान होने से क्या होता है ? जायसी, रसखान, रहीम, अब्दुल हमीद, अशफाक़उल्ला, कलाम क्या मुसलमान नहीं थे । और फिर इसके नाम में ही दानी लगा हुआ है । मम दानी । अपने ममत्व, अहं का दान करने वाला । निरहंकार भाव से सेवा करेगा । उसने तो कहा भी है- बसों, मकानों का किराया कम करूँगा । नौकरी कम करने वाली माताओं की सुविधा के लिए बच्चों की सँभाल (डे केयर ) की व्यवस्था करेगा ।
बोला- यह है क्या ? कौन सा बड़ा दान है । यह भी केजरीवाल की तरह रेवड़ी है । केजरीवाल की तरह अगली बार पत्ता साफ । हो सकता है ट्रम्प इसका भी वही हाल करे जैसा यहाँ केजरीवाल, जैन और सिसोदिया का किया गया था । हर साल दो करोड़ नौकरियां और सबके खातों में 15-15 लाख डालर डालता तो कोई बात होती ।
हमने कहा- लेकिन ये तो जुमले साबित हुए ना ।
बोला- इससे क्या फ़र्क पड़ता है । आदमी की सोच तो बड़ी हो । वचने किं दरिद्रता ।देख ले छोटी सोच वाले केजरीवाल का क्या हुआ ।
हमने कहा- फिर भी दानी है । दान में विश्वास रखता है । नीरव की तरह घोटाला करके नीरवता पूर्वक खिसक तो नहीं जाएगा ।
बोला- दानी का क्या करें ? चूहेदानी, मच्छरदानी .... क्या कमी है ‘दानी’ की । जाने कितने खान, कितने दानी और कितने खानदानी भरे पड़े हैं ।हर बन्नो की आँखें सुरमेदानी होती है यहाँ । और फिर हमारे पास तो सबसे बड़े ‘दानी’ पहले से मौजूद है अ दानी । जो बड़े-बड़े दान देकर भी खुद को ‘दानी’ नहीं कहते । अ ‘दानी’ ही कहलवाना पसंद करते हैं । यहाँ तो ऐसे ऐसे दानी पहले से पड़े हैं जिनकी कंपनी घाटे में चल रही है फिर भी 100-50 करोड़ पी एम केयर फंड में दे देते हैं और अपना नाम भी उजागर नहीं करना चाहते ।
इसने तो अभी कुछ दान नहीं किया फिर भी दानी से पहले मम-मम, मैं-मैं ।
हमने कहा- तोताराम, हमारे यहाँ और भी बहुत बड़े दानी हुए हैं लेकिन उनके दान की चर्चा में तथाकथित उच्च श्रेणी के महान लोगों की कुंठाएँ और दुरभिसंधियाँ छुपी हैं जैसे अर्जुन के लिए एकलव्य से गुरुभक्ति के नाम पर अँगूठे का दान, कर्ण से ब्राह्मण वेश धारण कर दान के नाम पर कवच-कुंडल ले लेना, पांडवों की जीत सुनिश्चित करने के लिए आदिवासी बर्बरीक से उसके शीश का दान लेना, सुरों की जीत सुनिश्चित करने के लिए एक बूढ़े तपस्वी ब्राह्मण से दान के नाम पर उसकी हड्डियां ले लेना ।
कुछ भी हो आज जैसी कुंठा मुसलमान ममदानी को लेकर यहाँ है वैसी ही कुंठा वहाँ भी लोग गोरे ईसाइयों के ध्रुवीकरण के लिए वहाँ के सनातनी फैला रहे हैं । सदैव ही सत्य और सनातन का संघर्ष चलता रहा है जो वहाँ लिंकन और मार्टिन लूथर किंग को गोली मरवाता है और यहाँ गाँधी को ।
लेकिन हम इस घटना में इस विश्व का एक नया और उदार स्वप्न साकार होता देख रहे हैं जो घृणा के इस घटाटोप में सुखद लगता है ।
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