मित्रो,
१९९६ में लिखित और १९९८ में मेरे संकलन 'राम धुन' में प्रकाशित 'मल्टीनेशनल-स्तुति' आपकी सेवा में प्रस्तुत है । आज के सन्दर्भ में चाहें तो आप इसे 'एफ डी.आई.-स्तुति' या जो भी नाम आपको पसंद हो, से पढ़ सकते हैं और अपने और देश के दुर्भाग्य पर हँस, चिढ़ या रो सकते हैं ।
मल्टीनेशनल-स्तुति
( बतर्ज़ : 'झंडा ऊँचा रहे हमारा' )
आओ मल्टीनेशनल आओ ।
भारत के सिर पर चढ़ जाओ ॥
आप पाँच सौ प्रतिशत खाओ
दस परसेंट हमें दिलवाओ
यहाँ हमें कुछ नहीं चाहिए
अपने वहीं जमा करवाओ ।
आओ मल्टीनेशनल आओ..
हमें राष्ट्र अभिमान नहीं है
इज्ज़त का कुछ ध्यान नहीं है
देश हमारा मोटी मुर्गी
हम भी खाएँ, तुम भी खाओ ।
आओ मल्टीनेशनल आओ...
बड़े-बड़े उद्योग लगाओ
भुजिया औ' चटनी बनवाओ
नहीं मुनाफे की कुछ चिंता
काउंटर गारंटी पाओ ।
आओ मल्टीनेशनल आओ ।
भारत के सिर पर चढ़ जाओ ॥
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(c) सर्वाधिकार सुरक्षित - रमेश जोशी । प्रकाशित या प्रकाशनाधीन । Ramesh Joshi. All rights reserved. All material is either published or under publication. Jhootha Sach
bilkul pasand........
ReplyDeletepranam.