तोताराम को बोलने का अवसर न देते हुए आज हमने ही शुरुआत की- देखा तोताराम, इसे कहते हैं चमत्कार । लगा ना अमरीका नमस्कार करने, अपने नरेन्द्र भाई को ? कल तक जो मादी को वीजा न देने पर अड़ा हुआ था आज अपनी उपविदेश मंत्री से कहलवा रहा है कि मोदी भारतीय जनता की आशाओं-आकांक्षाओं के प्रतीक हैं और अमरीका उनके साथ मिलकर भारत की जनता की आशाओं को पूरा करना चाहता है । वहाँ का मीडिया और फैशन जगत मोदी के आधी आस्तीन के कुर्ते पर फ़िदा हुआ जा रहा है । अब अधिकतम चुनावी रैलियाँ करने के कारण उनका नाम गिनीज बुक में शामिल करने को उतावला है ।
यह ठीक है कि पहले अमरीका ने मोदी को वीजा देने से इंकार किया । करता भी कैसे नहीं ? मोदी जी बिना चुने ही, गुजरात के मुख्य मंत्री जो बन गए थे । ऐसे में अमरीका कैसे उन्हें वीजा देता । यदि मोदी पाकिस्तान के अयूब, याह्या, जियाउल हक़, मुशर्रफ या मध्य-पूर्व के शेखों या हैती के शासक की तरह जनता के चुने हुए हृदय-सम्राट होते तो अमरीका वीजा दे भी देता लेकिन किसी डिक्टेटर को वीजा कैसे दे सकता था ? अब चुने गए तो स्वागत के लिए तैयार है । अमरीका सच्चे अर्थों में लोकतांत्रिक देश है ।
तोताराम बोला- पिछले साठ बरस से अखबार पढ़ रहा है, बुद्धिजीवी की पूँछ बना घूमता है और इतना भी नहीं समझता । सब मतलब की मनुहार है । पहले मनमोहन सिंह जी बिक्री करवाते थे दुनिया के पाँच स्थायी पंचों को, तो वे उनसे मिलने को उतावले रहते थे । जब कभी थोड़े से इधर-उधर हुए तो कभी 'अंडर अचीवर' और कभी 'सोनिया जी का गुड्डा' कहकर बदनाम करने लगते थे । अब खजाने की चाबी मोदी जी के पास आ गई है सो उनसे मिलने को बेचैन है । जिसकी जेब से हजार के नोट झाँकते है, लाला उसी को स्टूल पर बैठकर चाय पिलाता है । जो तेरी तरह दस चीजों के भाव पूछता है, हर चीज को दस बार उलट-पुलट कर देखता है और खरीदता कुछ नहीं, उसकी तरफ कौन दुकानदार देखेगा ?
हमने कहा- तू तो हर बात में किन्तु, परन्तु लगाता है लेकिन मोदी के आधी बाँह के कुर्ते पर फ़िदा होने में अमरीका को क्या फायदा हो सकता है ?
कहने लगा- है, इसमें भी कुछ रहस्य है । हो सकता है अगर सावधान नहीं रहे तो हल्दी और नीम की तरह वह अब मोदी के कुर्ते और दाढ़ी के स्टाइल को भी पेटेंट करा लेंगे । और यदि यह भी नहीं हुआ तो वह मीडिया में 'कुर्ता-कुर्ता' का हल्ला मचा-मचाकर मोदी का ध्यान अपने विकास कार्यक्रमों से हटाकर कुर्ते में ही उलझा दे । जैसे १९८५ में राजीव गाँधी तीन चौथाई बहुमत मिलने के कारण, भारत को स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद से ही परेशान करने वाली बहुत सी समस्याओं को संविधान में संशोधन करके हमेशा के लिए सुलझा सकते थे लेकिन भाई लोगों ने उन्हें आदिवासियों में घुमा-घुमाकर ही पाँच वर्ष निकाल दिए । कुछ करने का मौका ही नहीं दिया और उसके बाद में किसी को कुछ करने लायक बहुमत ही नहीं मिला । जैसे मीडिया हर जगह 'सुंदरी' ढूँढ़ता है । कोर्ट में सैंकड़ों कैमरे लगे रहते हैं जो विभिन्न कोणों से फोटो खींचते हैं और जो सबसे उत्तेजक फोटो होते हैं उन्हें बेचकर पैसा कमाया जाता है । सानिया के खेल से ज्यादा उसकी छोटी स्कर्ट प्रचारित होती है । महिला टेनिस खिलाड़ी नहीं बल्कि 'टेनिस-सुंदरियां' कही जाती हैं । ऐसे ही यह कुर्ता और दाढ़ी का प्रेम है । विकसित देश लोगों को उलझाने के विशेषज्ञ हैं ।
जिस दिन मोदी जी भारत-हित को प्रमुखता देने लग जाएँगे, आयात की बजाय निर्यात बढ़ाने लग जाएँगे, योरप-अमरीका को ठेके देने कम कर देंगे, देश-प्रेम और स्वालंबन के काम करने लग जाएँगे उस दिन पता चलेगा इस 'कुर्ता-प्रेम' का ।
हम तोताराम को सच सिद्ध होते देखना चाहते हैं ।
१३ जून २०१४
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तोताराम का अंदाज़ गजब है।
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