चश्मा वही जो...
सर्दियों में मोतियाबिंद का ऑपरेशन करवाया था |ठीक-ठाक हो गया |पहले दूर की नज़र कमजोर थी | उसमें कुछ सुधार हुआ तो नज़दीक की नज़र कमजोर हो गई | वैसे ही जैसे बुढ़ापे से पहले भविष्य धुंधला नज़र आता था और अब भाई लोगों ने बताया कि भविष्य उज्ज्वल है तो वर्तमान गड़बड़ हो गया |राम-राम कर यह महिना निकल जाए तो अगला साँसत में दिखाई देता है | डाक्टर ने बताया- मास्टर जी, वैसे तो सब ठीक है लेकिन कुछ लोगों के लेंस के ऊपर एक फिल्म आ जाती है | सो उन कुछ लोगों में हमें ही होना था |अब एक हजार रुपए लगे उस फिल्म को हटवाने में | सो चार दिन से मोटे शीशे का काला चश्मा लगाए बैठे हैं |
तोताराम ने आते ही कहा- क्यों मरने के काम करता है |मान ले मोदी जी विदेश दौरे से फुर्सत मिलने पर इधर आ निकले और तू धूप का चश्मा लगाकर उनसे मिल लिया जिसका यदि रमण सिंह जी को पता चल गया तो आफत हो जाएगी | जब जिले का मालिक एक कलेक्टर उनके सामने धूप का चश्मा नहीं लगा सकता है तो तू किस खेत की मूली है ? पंद्रह हजार पेंशन पाने वाला मास्टर और धूप का चश्मा !तेरी एक महीने की पेंशन में तो एक ढंग का धूप का चश्मा भी नहीं आएगा |
हमने कहा- क्यों, लोकतंत्र में क्या इतनी भी स्वतंत्रता नहीं कि कोई अपने मन से चश्मा भी नहीं पहन सके | मोदी जी खुद धूप का चश्मा लगाते हैं, सलमान खान लगाता है, यहाँ तक कि डॉन दाऊद इब्राहीम लगा सकता है तो हम क्यों नहीं ?
बोला- ये सब सेलेब्रिटी हैं |सेलेब्रिटी कुछ भी करें |उनके लिए तो सब कानून ढीले पड़ जाते हैं,दो दिन में ही जमानत मिल जाती है, दो मिनट में बीस साल से चल रहे केस का फैसला हो जाता है लेकिन तुझे तो डंडे वाला कोई भी मामू पकड़कर हवालात में बंद कर देगा और बीस बरस जमानत तो दूर चालान तक पेश नहीं होगा | यदि पेंशन बंद कर दी तो दो महीने में वैसे ही मर लेगा | लोकतंत्र में केवल वोट देने के लिए सब समान हैं, उसके बाद घोड़े एक तरफ और गधे एक तरफ |गधों को गरमी में भी सोलह घंटे बोझा ढोना पड़ता है और घोड़ों को गणतंत्र-दिवस की परेड में साल में एक बार ठुमक-ठुमक कर पैंजनिया बजाते हुए चलना है |फिल्मों में नहीं देखा, कभी सह नायिका को नायिका से सुन्दर नहीं दिखाया जाता |यदि वह नायिका से सुन्दर हुई तो नायक उसकी तरफ आकर्षित हो जाएगा फिर नायिका का क्या होगा ? सबसे सुन्दर दिखने और मनमानी करने का अधिकार केवल नायक और नायिका को होता है |ग्रुप डांस में हर कोण से बार-बार नायिका और नायक को दिखाया जाता है शेष तो भीड़ होते हैं |
हमने कहा- ठीक है हम अपनी मर्ज़ी से चश्मा नहीं पहन सकते लेकिन फिर सरकार और राजनीतिक पार्टियाँ क्यों हमारी आँखों पर कभी जातिवाद, कभी सांप्रदायिकता, कभी धर्मनिरपेक्षता, कभी धर्मान्धता, कभी अंध-राष्ट्रवाद, कभी विकास के चश्मे लगवाकर क्यों उसी तरह देखने को बाध्य करती हैं |
बोला- विकास के नाम पर जैसी चाहे नीति बनाने और चाहे जिस विचारधारा का चश्मा पहनाने का केवल सरकार को अधिकार होता है | जहाँ राणा जी कहें, वहीं उदयपुर |
हमने कहा- लेकिन तोताराम याद रख, हम हिंदी के मास्टर रहे हैं और साहित्यकार भी |साहित्यकार चाहे तो एक शब्द से कुछ का कुछ कर सकता है |
बोला- तो बता, क्या करेगा यदि तुझे धूप का चश्मा लगाकर मोदी जी से मिलते हुए रमण सिंह जी ने देख लिया तो ?
हमने कहा- कह देंगे, हुजूर, आपके चेहरे पर जो तेज है उसे खुली आँखों से देखा पाना हमारे लिए संभव नहीं है |इसलिए अंधे होने से बचने के लिए यह धूप का चश्मा लगा रखा है |
कहने लगा- वाह प्यारे, फिर तो तेरे लिए अगला अकादमी अवार्ड पक्का लेकिन यह अवसर कभी आने वाला नहीं, चाहे धूप का चश्मा लगा या कोल्हू के बैल वाला |
सर्दियों में मोतियाबिंद का ऑपरेशन करवाया था |ठीक-ठाक हो गया |पहले दूर की नज़र कमजोर थी | उसमें कुछ सुधार हुआ तो नज़दीक की नज़र कमजोर हो गई | वैसे ही जैसे बुढ़ापे से पहले भविष्य धुंधला नज़र आता था और अब भाई लोगों ने बताया कि भविष्य उज्ज्वल है तो वर्तमान गड़बड़ हो गया |राम-राम कर यह महिना निकल जाए तो अगला साँसत में दिखाई देता है | डाक्टर ने बताया- मास्टर जी, वैसे तो सब ठीक है लेकिन कुछ लोगों के लेंस के ऊपर एक फिल्म आ जाती है | सो उन कुछ लोगों में हमें ही होना था |अब एक हजार रुपए लगे उस फिल्म को हटवाने में | सो चार दिन से मोटे शीशे का काला चश्मा लगाए बैठे हैं |
तोताराम ने आते ही कहा- क्यों मरने के काम करता है |मान ले मोदी जी विदेश दौरे से फुर्सत मिलने पर इधर आ निकले और तू धूप का चश्मा लगाकर उनसे मिल लिया जिसका यदि रमण सिंह जी को पता चल गया तो आफत हो जाएगी | जब जिले का मालिक एक कलेक्टर उनके सामने धूप का चश्मा नहीं लगा सकता है तो तू किस खेत की मूली है ? पंद्रह हजार पेंशन पाने वाला मास्टर और धूप का चश्मा !तेरी एक महीने की पेंशन में तो एक ढंग का धूप का चश्मा भी नहीं आएगा |
हमने कहा- क्यों, लोकतंत्र में क्या इतनी भी स्वतंत्रता नहीं कि कोई अपने मन से चश्मा भी नहीं पहन सके | मोदी जी खुद धूप का चश्मा लगाते हैं, सलमान खान लगाता है, यहाँ तक कि डॉन दाऊद इब्राहीम लगा सकता है तो हम क्यों नहीं ?
बोला- ये सब सेलेब्रिटी हैं |सेलेब्रिटी कुछ भी करें |उनके लिए तो सब कानून ढीले पड़ जाते हैं,दो दिन में ही जमानत मिल जाती है, दो मिनट में बीस साल से चल रहे केस का फैसला हो जाता है लेकिन तुझे तो डंडे वाला कोई भी मामू पकड़कर हवालात में बंद कर देगा और बीस बरस जमानत तो दूर चालान तक पेश नहीं होगा | यदि पेंशन बंद कर दी तो दो महीने में वैसे ही मर लेगा | लोकतंत्र में केवल वोट देने के लिए सब समान हैं, उसके बाद घोड़े एक तरफ और गधे एक तरफ |गधों को गरमी में भी सोलह घंटे बोझा ढोना पड़ता है और घोड़ों को गणतंत्र-दिवस की परेड में साल में एक बार ठुमक-ठुमक कर पैंजनिया बजाते हुए चलना है |फिल्मों में नहीं देखा, कभी सह नायिका को नायिका से सुन्दर नहीं दिखाया जाता |यदि वह नायिका से सुन्दर हुई तो नायक उसकी तरफ आकर्षित हो जाएगा फिर नायिका का क्या होगा ? सबसे सुन्दर दिखने और मनमानी करने का अधिकार केवल नायक और नायिका को होता है |ग्रुप डांस में हर कोण से बार-बार नायिका और नायक को दिखाया जाता है शेष तो भीड़ होते हैं |
हमने कहा- ठीक है हम अपनी मर्ज़ी से चश्मा नहीं पहन सकते लेकिन फिर सरकार और राजनीतिक पार्टियाँ क्यों हमारी आँखों पर कभी जातिवाद, कभी सांप्रदायिकता, कभी धर्मनिरपेक्षता, कभी धर्मान्धता, कभी अंध-राष्ट्रवाद, कभी विकास के चश्मे लगवाकर क्यों उसी तरह देखने को बाध्य करती हैं |
बोला- विकास के नाम पर जैसी चाहे नीति बनाने और चाहे जिस विचारधारा का चश्मा पहनाने का केवल सरकार को अधिकार होता है | जहाँ राणा जी कहें, वहीं उदयपुर |
हमने कहा- लेकिन तोताराम याद रख, हम हिंदी के मास्टर रहे हैं और साहित्यकार भी |साहित्यकार चाहे तो एक शब्द से कुछ का कुछ कर सकता है |
बोला- तो बता, क्या करेगा यदि तुझे धूप का चश्मा लगाकर मोदी जी से मिलते हुए रमण सिंह जी ने देख लिया तो ?
हमने कहा- कह देंगे, हुजूर, आपके चेहरे पर जो तेज है उसे खुली आँखों से देखा पाना हमारे लिए संभव नहीं है |इसलिए अंधे होने से बचने के लिए यह धूप का चश्मा लगा रखा है |
कहने लगा- वाह प्यारे, फिर तो तेरे लिए अगला अकादमी अवार्ड पक्का लेकिन यह अवसर कभी आने वाला नहीं, चाहे धूप का चश्मा लगा या कोल्हू के बैल वाला |
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