May 19, 2015

झोला और झोली

 Mongolian Premier Gifts a Horse to PM Narendra Modi
 झोला और झोली

आज मन कुछ आध्यात्मिक हो रहा था | हारे हुए नेता को राज्यपाल भी नहीं बनाया जाए और पेंशन पाए हुए कर्मचारी को कहीं छोटा-मोटा जॉब भी न मिले तो अक्सर ऐसा हो जाता है | सोच रहे थे - साधु, फकीर अपनी बगल में एक छोटी झोली रखते हैं जिसे वे कफनी कहते हैं | पता नहीं, इसका कफ़न से कोई संबंध है या नहीं लेकिन यह तय है कि झोली लेकर निकल पड़ना कोई मज़ाक नहीं है | सिर पर कफ़न बाँधने से कम नहीं | शाम तक धक्के खाने पर भी कोई कुछ मिल ही जाए इसकी गारंटी नहीं | वैसे सच्चे संत तो कफनी या झोली भी नहीं रखते |तभी कबीर कहते हैं-
साधू गाँठ न बाँधई, उदार समाता लेय |
आगे पीछे हरि खड़े, जब माँगे तब देय ||
सब तो सच्चे संत नहीं होते |इसलिए झोला न सही, झोली तो रखनी ही पड़ती है | 

झोला तो बदनाम है जिसे लालची लोग रखते हैं |खैर, आजकल तो ट्रांसपोर्ट की बहुत सुविधा हो गई | माल पसंद करो और जब तक घर पहुँचो तब तक ट्रांसपोर्ट कंपनी वाले का फोन आ जाता है- जी, आपका माल आया हुआ है |मगर याद कीजिए छोटे गांवों के छोटे दुकानदार आज भी दिल्ली वाली ट्रेन में कई बड़े बड़े झोलों में स्टेशनरी का सामान लाते ही हैं |  कुछ झोला छाप डाक्टर भी होते हैं जिनके झोले में ही उनका क्लीनिक चलता है |जब तक जाँच टीम पहुँचे तब तक साइकल पर बैठकर गायब |

झोली में लालच का आभास नहीं होता | उसमें एक त्याग और समाजसेवा जैसा कुछ मिला हुआ लगता है | सभी खिलाड़ी अपने लिए खेलते हैं लेकिन कहेंगे- देश के लिए झोली में डालकर पदक लाते हैं | क्रिकेट वाले क्रिकेट की आड़ में विज्ञापन का धंधा करते हैं लेकिन वे भी विकेट अपने लिए नहीं लेते बल्कि देश के लिए अपनी झोली में डालते हैं | धर्मार्थ संस्था वाले भी चंदे के लिए झोली ही फैलाते हैं लेकिन सब जानते हैं कि इससे स्वास्थ्य गायों का सुधरता है या अध्यक्ष जी का |

नेता लोग भी विदेशों ने निवेश लेने  के लिए झोली लेकर ही जाते हैं | पिछली बार जब मोदी जी कनाडा, फ़्रांस, जर्मनी गए थे तो उनके लौटने पर अखबारों ने छापा- झोली भरकर लौटे मोदी | उनसे कोई पूछने वाला हो, क्या खेलने गए थे या चंदा माँगने गए थे जो झोली भर लाए | ठीक है चीन से एक सौ बिलियन डालर का निवेश आएगा लेकिन वह झोली क्या, झोले में भी नहीं समा सकता  | वह तो पाँच-दस वर्षों में पता नहीं, किस-किस वाहन में लद कर, किस-किस रूप में, किधर-किधर से आएगा ? मोदी जी दिल वाले हैं हैं जो इस ख़ुशी में मंगोलिया को एक अरब डालर दे आए |

तभी बरामदे के आगे से तोताराम एक बहुत बड़ा झोला लेकर निकला | चाय के लिए पूछा तो बोला- टैम नहीं है | दिल्ली एयरपोर्ट पहुँचना है |रास्ते में गुडगाँव उतरकर झोले में रिजका भर लूँगा |मोदी जी विदेश यात्रा से लौटने वाले हैं |

हमें बड़ा आश्चर्य हुआ- मूर्ख, स्वागत में गुलदस्ता लेकर जाया जाता है या रिजके का झोला ? 

बोला- गुलदस्ते वाले तो बहुत हैं लेकिन रिजके का काम गुलदस्ते से नहीं चलेगा | पता है, मोदी जी मंगोलिया से घोड़ा लेकर लौटने ही वाले हैं | और जब से स्पष्ट बहुमत मिला है 'हॉर्स ट्रेडिंग' बंद है तो घोड़े को घास कौन डालेगा ?  और फिर मोदी जी के सामने ? घोड़ों क्या, महारथियों और अतिरथियों तक की तरफ कोई ध्यान नहीं दे रहा है |



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