शैतान कहाँ से आगया
आज जैसे ही तोताराम आया हमने कहा- क्यों तोताराम, कोई पार्ट टाइम जॉब करने का इरादा है ?
बोला- कर तो रहे हैं |तेरे यहाँ सुबह-सुबह हाजरी लगाते हैं जिसके बदले में जैसी भी पिला देता है, चाय पी लेते हैं | यही है अपना पाँच रुपए रोज का पार्ट टाइम जॉब |
हमने कहा- यह तो लाभ का वह पद है जिसकी आमदनी तू वित्त मंत्री से छुपाता आया है | लेकिन हम मज़ाक नहीं कर रहे | वास्तव में पूछ रहे हैं |
कहने लगा- पहले यह बता काम क्या है ? आज कल देश में ढंग के कामों की बजाय फालतू के काम ज्यादा चल रहे हैं | कल को कोई कहेगा- फलाँ के चेहरे पर स्याही फेंक दे, फलाँ के खिलाफ नारे लगा या पुलिस पर पत्थर फेंक, ये अपने वश के नहीं है |
हमने कहा- इनके लिए तो तय किए हुए पार्टी के बहुत से उत्साही कार्यकर्त्ता पहले से मौजूद हैं | तुझे तो बस, भाषण लिखने हैं |सुना है आजकल प्रधान मंत्री कार्यालय में भाषण लिखने वाले की जगह खाली है | पहले वाले सज्जन किसी और विभाग में स्थानांतरित हो गए हैं |वैसे तुझे प्रतियोगिता के लिए बच्चों को भाषण लिख कर देने का अनुभव भी है |
बोला- तो यह बात है ? मैं तो समझा था कि सोनिया जी ही किसी का लिखा हुआ भाषण पढ़ती हैं लेकिन अब तो पोल खुल गई कि इतना बढ़िया भाषण देने वाले नेता भी किसी और का लिखा पढ़ते हैं |तो सुन ले, बन्धु पैसे एडवांस लेंगे |नेताओं का कोई भरोसा नहीं |पिछले चुनाव के टेंट, माइक और जीप वाले ही रोते फिर रहे हैं तो फिर मुझे काम निकल जाने के बाद कौन पैसे देने वाला है |
फिर कहने लगा-देख, मैं भले ही किसी को भी खरी-खरी सुनाने में पीछे नहीं रहता लेकिन नेता अपने भाषणों में ये जो शैतान, डी.एन.ए., हरामज़ादा आदि शब्द काम में लेते हैं वे तो मैं नहीं लिख पाऊँगा |
हमने कहा- वह सब तुझे नहीं लिखना है |तुझे तो संयुक्त राष्ट्र संघ जैसी संस्थाओं में देने वाले गंभीर भाषण लिखने हैं |
बोला- तो फिर ये शैतान वगैरह कहाँ से आ जाते हैं ?
हमने कहा- इन सब के लिए नेताओं को तेरे जैसे लेखकों पर निर्भर नहीं रहना होता | इनकी सबकी अपनी कुंठाएँ और संस्कार हैं तथा अपने -अपने मौलिक चिंतन हैं जिससे मुँह खोलते ही ऐसी शब्दावली अपने आप धारा-प्रवाह बहने लगती है |
आज जैसे ही तोताराम आया हमने कहा- क्यों तोताराम, कोई पार्ट टाइम जॉब करने का इरादा है ?
बोला- कर तो रहे हैं |तेरे यहाँ सुबह-सुबह हाजरी लगाते हैं जिसके बदले में जैसी भी पिला देता है, चाय पी लेते हैं | यही है अपना पाँच रुपए रोज का पार्ट टाइम जॉब |
हमने कहा- यह तो लाभ का वह पद है जिसकी आमदनी तू वित्त मंत्री से छुपाता आया है | लेकिन हम मज़ाक नहीं कर रहे | वास्तव में पूछ रहे हैं |
कहने लगा- पहले यह बता काम क्या है ? आज कल देश में ढंग के कामों की बजाय फालतू के काम ज्यादा चल रहे हैं | कल को कोई कहेगा- फलाँ के चेहरे पर स्याही फेंक दे, फलाँ के खिलाफ नारे लगा या पुलिस पर पत्थर फेंक, ये अपने वश के नहीं है |
हमने कहा- इनके लिए तो तय किए हुए पार्टी के बहुत से उत्साही कार्यकर्त्ता पहले से मौजूद हैं | तुझे तो बस, भाषण लिखने हैं |सुना है आजकल प्रधान मंत्री कार्यालय में भाषण लिखने वाले की जगह खाली है | पहले वाले सज्जन किसी और विभाग में स्थानांतरित हो गए हैं |वैसे तुझे प्रतियोगिता के लिए बच्चों को भाषण लिख कर देने का अनुभव भी है |
बोला- तो यह बात है ? मैं तो समझा था कि सोनिया जी ही किसी का लिखा हुआ भाषण पढ़ती हैं लेकिन अब तो पोल खुल गई कि इतना बढ़िया भाषण देने वाले नेता भी किसी और का लिखा पढ़ते हैं |तो सुन ले, बन्धु पैसे एडवांस लेंगे |नेताओं का कोई भरोसा नहीं |पिछले चुनाव के टेंट, माइक और जीप वाले ही रोते फिर रहे हैं तो फिर मुझे काम निकल जाने के बाद कौन पैसे देने वाला है |
फिर कहने लगा-देख, मैं भले ही किसी को भी खरी-खरी सुनाने में पीछे नहीं रहता लेकिन नेता अपने भाषणों में ये जो शैतान, डी.एन.ए., हरामज़ादा आदि शब्द काम में लेते हैं वे तो मैं नहीं लिख पाऊँगा |
हमने कहा- वह सब तुझे नहीं लिखना है |तुझे तो संयुक्त राष्ट्र संघ जैसी संस्थाओं में देने वाले गंभीर भाषण लिखने हैं |
बोला- तो फिर ये शैतान वगैरह कहाँ से आ जाते हैं ?
हमने कहा- इन सब के लिए नेताओं को तेरे जैसे लेखकों पर निर्भर नहीं रहना होता | इनकी सबकी अपनी कुंठाएँ और संस्कार हैं तथा अपने -अपने मौलिक चिंतन हैं जिससे मुँह खोलते ही ऐसी शब्दावली अपने आप धारा-प्रवाह बहने लगती है |
No comments:
Post a Comment