गणेश और चुहिया
आज अच्छी धुंध थी और साथ ही हवा भी |वैसे यह ठंडी हवा भगवान की ही चलाई हुई थी |हमारी तो कभी कोई हवा रही ही नहीं |हमारी होती तो इतनी ठंडी तो नहीं होती कि आदमी बरामदे में बैठने को ही तरस जाए | किसी तरह जान लिए रजाई में घुसे हुए थे कि तोताराम प्रकट हुआ |आते ही उसने अचानक हमारी रजाई पर काला सा कुछ फेंका |हम समझ ही नहीं पाए और चौंक गए- क्या है ? क्या है यह ?
बोला- क्या है, क्या ? चुहिया है |कपड़े की है- प्रतीकात्मक चुहिया |अभी परसों ही पहाड़ से निकली है |
हमने कहा-हमने तो मुहावरा पढ़ा-पढ़ाया है- खोदा पहाड़, निकला चूहा |पहाड़ खोदने जितना कठिन परिश्रम करने पर यदि कुछ भी हासिल न हो या नगण्य उपलब्धि हासिल हो तो उसके लिए यह कहावत है |यदि चूहा निकला तो यह उपलब्धि होने न होने के बराबर है और तू है कि पहाड़ खोदकर भी चुहिया ही निकाल पाया |कहावत से भी कम |
बोला- यह उन आलोचकों के मुँह पर तमाचा है जो नोट बंदी को व्यर्थ की कवायद बता रहे थे |
हमने कहा- क्या तमाचा है ?ठीक ही तो कह रहे हैं आलोचक | न तो आतंकवाद रुका, न काला धन लौटा; लोग बेकार में परेशान हुए |हाँ, यह ज़रूर हुआ कि विदेशों में रहने वाले बहुत से छोटे भारतीय जो अपने नोट बदलवाने के लिए नहीं आ सकेंगे वे बीस-तीस हजार करोड़ के पुराने नोट पड़े-पड़े मिट्टी हो जाएँगे, उसे यदि तू नोट बंदी की उपलब्धि माने तो मान सकता है |
बोला- बन्धु, समय-समय और भाग्य की बात है |बहुत बार पहाड़ खोदकर चूहा और चुहिया तो क्या कुछ भी नहीं निकलता |कोई क्या कर सकता है |बहुत बार लोग कुआँ खोदते हैं सैंकड़ों फुट तक और पानी नहीं निकलता |बताओ क्या कर लोगे ?वैसे मोदी जी ने साफ़ कर तो दिया कि वे इस सारी कवायद से यह चुहिया ही निकालना चाहते थे |तीस वर्षों में पहली बार स्पष्ट बहुमत मिला है | बंदा सच्चा, कड़क और धुन का पक्का है |यदि और कुछ निकालना चाहता तो और कुछ भी निकाल सकता था |भले ही चुहिया निकाली लेकिन विजन तो देख कितना बड़ा है |
हमने कहा- यदि वे यह चुहिया भी न निकालते तो भी हम क्या कर लेते |सौभाग्य है, चुहिया तो निकाली |
वैसे चूहा, गणेश और लड् डू का प्रतीक बहुत पुराना है |चूहा गणेश का वाहन है | चूहा हमेशा गणेश के पास बैठा रहता है |उसके दोनों पंजों के बीच हमेशा एक लड् डू रहता है और पास में लड् डुओं से भरी एक थाली रखी रहती है |गणेश जी जब चाहें इन चूहों से किसी का भी रास्ता खुदवा कर उसकी गति रुकवा देते हैं |चाहे जिसकी फ़ाइल, कपड़े-लत्ते इन चूहों से कुतरवा देते हैं |चूहों को निरंतर कुतरने के लिए कुछ न कुछ चाहिए नहीं तो इनके दाँत बढ़ते ही जाते हैं और इतने बढ़ सकते हैं कि गणेश जी को ही कुतर डालें |जिस भी गणेश के पास लड् डू मिलते रहते हैं ये चूहे उसीकी के पास रहते हैं |लड् डू मिलने की संभावना ख़त्म होते ही ये गणेश बदल लेते हैं |इन चूहों को गणेश और गणेशों को चूहों के बारे में सब कुछ पता रहता है |यह गणेश पर निर्भर है कि वह चूहा निकाले या चुहिया और यह चूहे या चुहिया पर निर्भर है कि वह निकले या नहीं |
यह गणेशों और चूहों के बीच का व्यक्तिगत नाटक है |इन नाटकों में न तो चूहों का कुछ बिगड़ना और न गणेश जी का |वही गणेश, वही चूहे |सारे लड् डू, सदा उनके लिए ही हैं |हमें तो लड् डुओं को घूरना है आज भी और कल भी |क्या पता, कोई बूँदी टपक ही पड़े तो लपक लें |
आज अच्छी धुंध थी और साथ ही हवा भी |वैसे यह ठंडी हवा भगवान की ही चलाई हुई थी |हमारी तो कभी कोई हवा रही ही नहीं |हमारी होती तो इतनी ठंडी तो नहीं होती कि आदमी बरामदे में बैठने को ही तरस जाए | किसी तरह जान लिए रजाई में घुसे हुए थे कि तोताराम प्रकट हुआ |आते ही उसने अचानक हमारी रजाई पर काला सा कुछ फेंका |हम समझ ही नहीं पाए और चौंक गए- क्या है ? क्या है यह ?
बोला- क्या है, क्या ? चुहिया है |कपड़े की है- प्रतीकात्मक चुहिया |अभी परसों ही पहाड़ से निकली है |
हमने कहा-हमने तो मुहावरा पढ़ा-पढ़ाया है- खोदा पहाड़, निकला चूहा |पहाड़ खोदने जितना कठिन परिश्रम करने पर यदि कुछ भी हासिल न हो या नगण्य उपलब्धि हासिल हो तो उसके लिए यह कहावत है |यदि चूहा निकला तो यह उपलब्धि होने न होने के बराबर है और तू है कि पहाड़ खोदकर भी चुहिया ही निकाल पाया |कहावत से भी कम |
बोला- यह उन आलोचकों के मुँह पर तमाचा है जो नोट बंदी को व्यर्थ की कवायद बता रहे थे |
हमने कहा- क्या तमाचा है ?ठीक ही तो कह रहे हैं आलोचक | न तो आतंकवाद रुका, न काला धन लौटा; लोग बेकार में परेशान हुए |हाँ, यह ज़रूर हुआ कि विदेशों में रहने वाले बहुत से छोटे भारतीय जो अपने नोट बदलवाने के लिए नहीं आ सकेंगे वे बीस-तीस हजार करोड़ के पुराने नोट पड़े-पड़े मिट्टी हो जाएँगे, उसे यदि तू नोट बंदी की उपलब्धि माने तो मान सकता है |
बोला- बन्धु, समय-समय और भाग्य की बात है |बहुत बार पहाड़ खोदकर चूहा और चुहिया तो क्या कुछ भी नहीं निकलता |कोई क्या कर सकता है |बहुत बार लोग कुआँ खोदते हैं सैंकड़ों फुट तक और पानी नहीं निकलता |बताओ क्या कर लोगे ?वैसे मोदी जी ने साफ़ कर तो दिया कि वे इस सारी कवायद से यह चुहिया ही निकालना चाहते थे |तीस वर्षों में पहली बार स्पष्ट बहुमत मिला है | बंदा सच्चा, कड़क और धुन का पक्का है |यदि और कुछ निकालना चाहता तो और कुछ भी निकाल सकता था |भले ही चुहिया निकाली लेकिन विजन तो देख कितना बड़ा है |
हमने कहा- यदि वे यह चुहिया भी न निकालते तो भी हम क्या कर लेते |सौभाग्य है, चुहिया तो निकाली |
वैसे चूहा, गणेश और लड् डू का प्रतीक बहुत पुराना है |चूहा गणेश का वाहन है | चूहा हमेशा गणेश के पास बैठा रहता है |उसके दोनों पंजों के बीच हमेशा एक लड् डू रहता है और पास में लड् डुओं से भरी एक थाली रखी रहती है |गणेश जी जब चाहें इन चूहों से किसी का भी रास्ता खुदवा कर उसकी गति रुकवा देते हैं |चाहे जिसकी फ़ाइल, कपड़े-लत्ते इन चूहों से कुतरवा देते हैं |चूहों को निरंतर कुतरने के लिए कुछ न कुछ चाहिए नहीं तो इनके दाँत बढ़ते ही जाते हैं और इतने बढ़ सकते हैं कि गणेश जी को ही कुतर डालें |जिस भी गणेश के पास लड् डू मिलते रहते हैं ये चूहे उसीकी के पास रहते हैं |लड् डू मिलने की संभावना ख़त्म होते ही ये गणेश बदल लेते हैं |इन चूहों को गणेश और गणेशों को चूहों के बारे में सब कुछ पता रहता है |यह गणेश पर निर्भर है कि वह चूहा निकाले या चुहिया और यह चूहे या चुहिया पर निर्भर है कि वह निकले या नहीं |
यह गणेशों और चूहों के बीच का व्यक्तिगत नाटक है |इन नाटकों में न तो चूहों का कुछ बिगड़ना और न गणेश जी का |वही गणेश, वही चूहे |सारे लड् डू, सदा उनके लिए ही हैं |हमें तो लड् डुओं को घूरना है आज भी और कल भी |क्या पता, कोई बूँदी टपक ही पड़े तो लपक लें |
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