हनुमान जी की गदा
आते ही तोताराम चालू हो गया- मास्टर, यह क्या तमाशा है ?आजकल के बच्चों को कुछ होश ही नहीं है |अब देख, आई.आई.टी. मुम्बई के बच्चों ने अपने एक उत्सव में हनुमान जी का चित्र बनाया जिसमें उनकी गदा ही गायब कर दी और हाईटेक बना दिया- कानों पर हैडफोन, आँखों पर चश्मा तथा हाथों में तीन-चार घड़ियाँ |यह तो भला हो शिवसेना वालों का जो उस चित्र को हटवा दिया वरना हनुमान जी का तो कबाड़ा ही हो गया होता |
हमने कहा- इसमें कबाड़ा क्या होना है ? जब भक्त आधुनिक हो गए, हनुमान जी के लिए हैप्पी बर्थडे गाने लगे, केक का भोग लगाने लगे, चोली के पीछे क्या है.. की धुन पर उनके लिए भजन बनाने लगे तो हनुमान जी हैडफोन लगाकर रामधुन नहीं सुन सकते ? यही क्यों समझते हो कि वे कुछ उल्टा-सीधा सुन रहे होंगे |और फिर यह भक्त और भगवान के बीच का मामला है |सुदामा उन्हें माँगे के चावल भेंट में देता है, भीलनी जूठे बेर खिलाती है, विदुर की पत्नी केले के छिलके और करमा बाई बाजरे का खीचडा |और भगवान है कि आराम से खा रहे हैं तो बीच में इन खामखाँ लोगों को क्यों तकलीफ हो रही है ?
बोला- इससे हनुमान जी की इमेज बिगड़ती है |
हमने कहा- इमेज की कमाई नेता खाते हैं जो चंडाल और लम्पट होते हुए भी अपनी संत की इमेज बनाना चाहते हैं, चोर होते हुए भी खुद को सेवक प्रचारित करवाते हैं, ऐश करके भी ब्रह्मचारी बनते हैं |लाखों की घड़ी और लाखों का सूट पहनेंगे और कहेंगे गरीब का बेटा हूँ , किसान हूँ |गरीबी और किसानी देखी नहीं है, आँखें निकल कर बाहर आ गिरती हैं |भगवान तो किसी भी रूप में हों वे भक्तों के वश में रहते हैं और ये तथाकथित सेवक, सेवक होते हुए भी जनता, जिसे ये अपना मालिक कहते हैं, के मन में भय उपजाते हैं | पता है, हनुमान जी तो तुलसीदास के घर के आगे पहरा दिया करते थे |धन्ना भगत का तो हल भी चलाया था भगवान ने |
कहने लगा- कल को ये उत्पाती बच्चे हमारे देवताओं का और तमाशा बना देंगे तो ?
हमने कहा- तमाशा भगवान का नहीं बनता |आदमी किसी को गाली निकालता है तो सामने वाले से अधिक वह खुद अपनी औकात दिखाता है |आजकल मंदिर के पुजारी भक्तों की भीड़ जुटाने के लिए कितने घटिया नाटक करते हैं |कभी हजार मीटर की चूनरी, कभी हजार किलो का लड् डू |लगे हैं गिनीज़ बुक में नाम लिखवाने के चक्कर में |इसमें कहीं भक्ति, अध्यात्म और श्रद्धा नहीं है |
पिछले साल तुझे याद नहीं जब ज्यादा सर्दी पड़ी थी तो जयपुर में एक भक्त ने हनुमान जी को थ्री पीस सूट पहना दिया था |ठीक है, जब आदमी अपना ख्याल रखता है तो अपने आराध्य का क्यों नहीं |अब यदि किसी भक्त बालक ने हनुमान जो को घड़ी पहना दी तो ठीक ही है, संजीवनी बूटी पहुँचाने में विलंब की संभावना नहीं रहेगी | हम तो कहते हैं एक वाट्सअप भी दे देना चाहिए हनुमान जी को जिससे वे अपने भक्तों के साथ जीवंत संपर्क बनाए रख सकें |
दूसरे धर्मों में अनुयायियों में कट्टरता आने का एक कारण यह भी है कि वे भक्त और भगवान के संबंधों में ज्यादा हस्तक्षेप करते हैं |कम से कम सनातन धर्म को समय के साथ चलते हुए सनातन और अप टू डेट बने रहने दे |
हनुमान जी के नाम पर गुंडागर्दी करने वाले दलों से तो अच्छे हैं ये बच्चे |और दुष्टों के लिए गदा क्या, हनुमान जी की एक दहाड़ ही बहुत है |
भूत पिशाच निकट नहिं आवै
महावीर जब नाम सुनावै ||
आते ही तोताराम चालू हो गया- मास्टर, यह क्या तमाशा है ?आजकल के बच्चों को कुछ होश ही नहीं है |अब देख, आई.आई.टी. मुम्बई के बच्चों ने अपने एक उत्सव में हनुमान जी का चित्र बनाया जिसमें उनकी गदा ही गायब कर दी और हाईटेक बना दिया- कानों पर हैडफोन, आँखों पर चश्मा तथा हाथों में तीन-चार घड़ियाँ |यह तो भला हो शिवसेना वालों का जो उस चित्र को हटवा दिया वरना हनुमान जी का तो कबाड़ा ही हो गया होता |
हमने कहा- इसमें कबाड़ा क्या होना है ? जब भक्त आधुनिक हो गए, हनुमान जी के लिए हैप्पी बर्थडे गाने लगे, केक का भोग लगाने लगे, चोली के पीछे क्या है.. की धुन पर उनके लिए भजन बनाने लगे तो हनुमान जी हैडफोन लगाकर रामधुन नहीं सुन सकते ? यही क्यों समझते हो कि वे कुछ उल्टा-सीधा सुन रहे होंगे |और फिर यह भक्त और भगवान के बीच का मामला है |सुदामा उन्हें माँगे के चावल भेंट में देता है, भीलनी जूठे बेर खिलाती है, विदुर की पत्नी केले के छिलके और करमा बाई बाजरे का खीचडा |और भगवान है कि आराम से खा रहे हैं तो बीच में इन खामखाँ लोगों को क्यों तकलीफ हो रही है ?
बोला- इससे हनुमान जी की इमेज बिगड़ती है |
हमने कहा- इमेज की कमाई नेता खाते हैं जो चंडाल और लम्पट होते हुए भी अपनी संत की इमेज बनाना चाहते हैं, चोर होते हुए भी खुद को सेवक प्रचारित करवाते हैं, ऐश करके भी ब्रह्मचारी बनते हैं |लाखों की घड़ी और लाखों का सूट पहनेंगे और कहेंगे गरीब का बेटा हूँ , किसान हूँ |गरीबी और किसानी देखी नहीं है, आँखें निकल कर बाहर आ गिरती हैं |भगवान तो किसी भी रूप में हों वे भक्तों के वश में रहते हैं और ये तथाकथित सेवक, सेवक होते हुए भी जनता, जिसे ये अपना मालिक कहते हैं, के मन में भय उपजाते हैं | पता है, हनुमान जी तो तुलसीदास के घर के आगे पहरा दिया करते थे |धन्ना भगत का तो हल भी चलाया था भगवान ने |
कहने लगा- कल को ये उत्पाती बच्चे हमारे देवताओं का और तमाशा बना देंगे तो ?
हमने कहा- तमाशा भगवान का नहीं बनता |आदमी किसी को गाली निकालता है तो सामने वाले से अधिक वह खुद अपनी औकात दिखाता है |आजकल मंदिर के पुजारी भक्तों की भीड़ जुटाने के लिए कितने घटिया नाटक करते हैं |कभी हजार मीटर की चूनरी, कभी हजार किलो का लड् डू |लगे हैं गिनीज़ बुक में नाम लिखवाने के चक्कर में |इसमें कहीं भक्ति, अध्यात्म और श्रद्धा नहीं है |
पिछले साल तुझे याद नहीं जब ज्यादा सर्दी पड़ी थी तो जयपुर में एक भक्त ने हनुमान जी को थ्री पीस सूट पहना दिया था |ठीक है, जब आदमी अपना ख्याल रखता है तो अपने आराध्य का क्यों नहीं |अब यदि किसी भक्त बालक ने हनुमान जो को घड़ी पहना दी तो ठीक ही है, संजीवनी बूटी पहुँचाने में विलंब की संभावना नहीं रहेगी | हम तो कहते हैं एक वाट्सअप भी दे देना चाहिए हनुमान जी को जिससे वे अपने भक्तों के साथ जीवंत संपर्क बनाए रख सकें |
दूसरे धर्मों में अनुयायियों में कट्टरता आने का एक कारण यह भी है कि वे भक्त और भगवान के संबंधों में ज्यादा हस्तक्षेप करते हैं |कम से कम सनातन धर्म को समय के साथ चलते हुए सनातन और अप टू डेट बने रहने दे |
हनुमान जी के नाम पर गुंडागर्दी करने वाले दलों से तो अच्छे हैं ये बच्चे |और दुष्टों के लिए गदा क्या, हनुमान जी की एक दहाड़ ही बहुत है |
भूत पिशाच निकट नहिं आवै
महावीर जब नाम सुनावै ||
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