संकल्प-दिवस
आज तोताराम बड़ी सज-धज के साथ प्रकट हुआ |साफ़ धुला कुर्ता-पायजामा, धोकर चाक रगड़कर सफ़ेद बनाए गए पुराने कैनवास के जूते, हलकी-हलकी दाढ़ी, हाथ में मोटा-सा कलावा, माथे पर बड़ा-सा टीका मतलब देशभक्ति और राष्ट्रीयता का चलता-फिरता विशाल शो-रूम |
आते ही आदेश देना चालू- क्या आज के दिन भी यह आलस्य और मुर्दनी | खड़ा हो | ढंग के कपड़े पहन | दिल में उत्साह जगा | और संकल्प के लिए तैयार हो जा |
हमने कहा- हमारे संकल्पों से क्या होता है ? आज तक कोई संकल्प पूरा नहीं हुआ तो हमने विकल्पों में ही मन रमा लिया है |
बोला- मैं तेरे संकल्पों की बात नहीं कर रहा हूँ |मैं मोदी जी के संकल्प-दिवस के बारे में कह रहा हूँ |उन्होंने कहा है कि जैसे १९४२ में इस देश के लोगों ने एक संकल्प लेकर संघर्ष शुरू किया था- अंग्रेजो भारत छोडो |और देश को आज़ाद करवा लिया वैसे ही आज़ादी की सत्तरवीं वर्षगाँठ पर सब फिर संकल्प लें और अगले पाँच वर्षों में उन्हें पूरा कर दिखाएँ | अब यह तेरी मर्ज़ी है कि तू इस संकल्प में शामिल होता है या निर्देशक मंडल के सदस्यों की तरह मुँह फुलाकर बैठा रहता है | वैसे यह मोदी जी की महानता है कि उन्होंने समस्त देश के साथ तुझे भी संकल्प लेने के लिए आमंत्रित कर लिया वरना आज के दिन वे विश्व के एकमात्र ऐसे नेता हैं जो कोई भी संकल्प अपने अकेले के दम पर ही पूरा कर सकते हैं |
हमने कुर्ता-पायजामा पहनकर तैयार होने में ही भलाई समझी क्योंकि पता नहीं, कौन युवा अपना स्मार्ट फोन लिए हमें ट्रोल कर रहा हो और बात का बतंगड़ बन जाए |
तोताराम ने एक हाथ सीने पर रखा |हमने भी उसका अनुकरण किया |
तोताराम एक-एक करके बोलता गया और हम आँखें बंद किए हुए पूरे मन से उसके साथ दुहराते गए-
-गन्दगी भारत छोड़ो, गरीबी भारत छोड़ो, भ्रष्टाचार भारत छोड़ो, आतंकवाद भारत छोड़ो, जातिवाद भारत छोड़ो, सम्प्रदायवाद भारत छोड़ो |
जैसे ही संकल्प समाप्त हुआ हमने आँखें खोली | आश्चर्य ! देश इन सभी समस्याओं से मुक्त | वास्तव में जब कोई सच्चा और महान व्यक्ति सच्चे मन से, श्रद्धा और विश्वास के साथ संकल्प लेता है तो चमत्कार हो जाता है |
हमने कहा- तोताराम |वास्तव में तुमने आज बहुत बड़ा काम किया है |एक ही झटके में सारे घर के बदल डाले |चल, इसी भाव से कुछ और संकल्प लेते हैं |
अबकी बार हमने कुछ संकल्प बोले और तोताराम ने उन्हें दुहराया-
बीमारियो भारत छोड़ो, मिलावट भारत छोड़ो, बेरोजगारी भारत छोड़ो, धार्मिक कट्टरता भारत छोड़ो, आत्मप्रशंसा भारत छोड़ो, परनिंदा भारत छोड़ो, जुमलेबाजी भारत छोड़ो, यौनापराधियो भारत छोड़ो |
इसके बाद हमने पहले की तरह आँखें खोलीं लेकिन इनमें से एक ने भी भारत नहीं छोड़ा |हमने पूछा- तोताराम, यह क्या हुआ ?
बोला- संकल्प वाले में दम होना चाहिए |
हमने कहा- तोताराम, हमें चेलेंज मत कर |देख,अब हम एक संकल्प लेते हैं |तेरा मन हो तो दुहरा ले अन्यथा कोई फर्क नहीं पड़ता |और देखना पाँच साल तो बहुत दूर है, पाँच मिनट में ही यह संकल्प पूरा हो जाएगा |
हमने अपना संकल्प उच्चारित किया-
सच्चे लोकतंत्र के लिए सभी विपक्षी दलो, भारत छोड़ो |
और जब आँखें खोलीं तो देश में सच्चा लोकतंत्र आ चुका था |
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(c) सर्वाधिकार सुरक्षित - रमेश जोशी । प्रकाशित या प्रकाशनाधीन । Ramesh Joshi. All rights reserved. All material is either published or under publication. Jhootha Sach
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