Dec 20, 2017

 मोदी जी का पौष बड़ा 

आज बड़ी पोती का जन्म दिन है |किसी महान व्यक्ति का जन्म दिन होता तो कोई न कोई 'दिवस' घोषित हो गया होता |वैसे आज के दिन को भी एक दिवस माना जा सकता है क्योंकि कई मायनों में यह विशिष्ट बन गया है |एक गुजरात में चुनाव प्रचार थम गया है, दूसरा मोदी जी संसद पर हमले की बरसी पर दिल्ली आने का समय निकाल पाए, तीसरा राहुल ने अडवाणी जी को मार्ग दिखाते हुए स्वागत किया, चौथा साल का पहला कोहरा पड़ा और पाँचवाँ आज पत्नी ने बिना आग्रह के पौष बड़ा मनाने की घोषणा की |

कोहरे के कारण बरामदे में नहीं  बैठे |रजाई में बैठे थे |तोताराम भी हमारे पैताने रजाई में पैर घुसाकर बैठ गया | हमने कहा- तोताराम, भले ही मोदी जी देश के विकास के नाम पर हम बुज़ुर्ग लोगों से रेल किराये की २०-२५%रियायत छीनना चाहते हैं, अच्छे दिन जुलमा सिद्ध हो चुका है, सातवें पे कमीशन को जेतली जी पचा ही गए हैं फिर भी भाग्य में थोड़ा बहुत दम बचा लगता है |

बोला- भ्राताश्री, इस आशावाद का कारण स्पष्ट करके मेरे रोमांच को शांत करने का कष्ट करें |

हमने कहा- देववाणी में नहीं सामान्य मनुष्यवाणी में बात कर और सुन, आज तेरी भाभी ने अपने आप ही पौष बड़ा महोत्सव की घोषणा कर दी और मुझे विश्वास है कि यह मोदी जी के जुमलों की तरह नहीं होगा |  

तभी पत्नी प्रकट हुई, बोली- बिलकुल नहीं |लेकिन हाँ, बड़े बनाए ज़रूर मोदी जी की पसंद के अनुसार हैं |

तोताराम उछला- क्या बात है भाभी | नहीं सही पे कमीशन; न सही गुजरात के गरीब के उस बेटे जैसा जलवा और ड्रेस स्टेटमेंट; कम से कम उसकी पसंद के पौष बड़े तो हैं |
हम दोनों ने पत्नी द्वारा बनाए गए, मोदी जी की पसंद के पौष बड़े मुँह में रखे |हम दोनों का रिएक्शन एक जैसा था |

तोताराम ने मुँह बनाते हुए कहा- भाभी, लगता है आज घर में एक साथ नमक, मिर्च और तेल सब निबट गए हैं |

पत्नी बोली- ऐसी बात नहीं है लेकिन चूँकि मोदी जी ने पहले नमक छोड़ा, फिर मिर्च और उसके बाद तेल भी छोड़ दिया |सो इनमें दाल के अलावा कुछ नहीं है |

हमने कहा- भागवान, हमें सरकार का एक सामान्य सेवानिवृत्त सेवक रहने दे; मोदी जी की तरह देश का प्रधान सेवक मत बना |हो सकता है मोदी जी को गृहत्याग के बाद कुछ भी खाकर देश-सेवा करने की आदत बन गई हो लेकिन हमारे लिए इन्हें खा सकना संभव नहीं है |वैसे मोदी जी के बारे में ये विचित्र तथ्य तुम्हें बताए किसने ?

बोली- हमने तो मोदी जी के शासन के तीन साल पूरे होने के उपलक्ष्य में २६ मई २०१७ के अखबार में पढ़ा था |कोई एंडी मरीनो द्वारा मोदी जी पर लिखित 'नरेन्द्र मोदी : अ पोलिटिकल बायोग्राफी' से उद्धृत किया गया था | 

हमने कहा- तुमने अपने फायदे के हिसाब के सब छाँट लिया |मोदी जी १५ लाख रु.का सूट , ५० हजार रु. की मेवाडो घड़ी, १६ हजार रु. का माब्लांक का पेन, और बुल्गरी का साढ़े तेरह हजार रु. का चश्मा पहनते हैं और तुम हमें जोटर बाल पेन खरीदने से भी मना करती हो | कहती हो- महान साहित्य पेन के बल पर नहीं, अकल से लिखा जाता है |

तोताराम बोला- तुम मोदी जी का क्या खाकर मुकाबला करोगे ? वे तो ८०-८० हजार रु. के पाँच मशरूम रोज खाते हैं |इसीलिए इतने गोरे हो गए हैं |

पत्नी ने मोदी जी का पक्ष लेते हुए कहा- ये सब अफवाहें हैं | एक गरीब के बेटे का मजाक उड़ाने का गुजरात के युवा नेता अल्पेश ठाकोर का दुस्साहस है |लेकिन मोदी जी काम में व्यस्त रहने वाले व्यक्ति हैं इसलिए कांग्रेस के आरोपों की तरह इसका भी बुरा नहीं मानेंगे |

वैसे दुनिया में मोदी जी का एक अलग ही रुतबा है |ओबामा जी ने कहा था- सोच रहा हूँ मोदी-कुरता पहन लूँ |और सिंजो आबे ने तो उनका कुरता ही नहीं पायजामा और जैकेट भी पहन लिए |रुतबे से बिना खाए-पिए भी आदमी के चेहरे पर रौनक आ जाती है |तुम्हारे भाई साहब जो घुटनों पर हाथ रखकर उठते हैं, यदि इनके लिए ज्ञानपीठ पुरस्कार की घोषणा हो जाए तो दो दिन में शशि थरूर तरह जुल्फें झटकते दौड़ने लग जाएँगे |


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(c) सर्वाधिकार सुरक्षित - रमेश जोशी । प्रकाशित या प्रकाशनाधीन । Ramesh Joshi. All rights reserved. All material is either published or under publication. Jhootha Sach

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