पवनपुत्र-पेंशन-योजना
आज जैसे ही बरामदे में गए तो देखा एक मरियल-सा बन्दर बैठा है |वज़न में हमसे भी एक चौथाया | लेकिन वजन से क्या होता है ?असली बात तो कला और चंचलता की होती है ?मौका देखकर अपना मूव बदलने की क्षमता की होती है | यह उन पवनपुत्र का वंशज है जिन्होंने रावण की लंका जला दी थी |भले ही देखने में कैसा भी दिखे लेकिन पता नहीं कब, क्या कर बैठे |हम डरे-सहमे घर के दरवाजे पर ही रुके रहे |न पीछे मुड़कर अन्दर जाने को पैर उठे और न ही बरामदे में जाने का साहस हुआ |
ऐसे में पवन-पुत्र के उस वंशज ने ही हमारा संकोच और भय दूर करते हुए कहा- आ जाइए मास्टर जी |डरने की कोई बात नहीं है |हम शाखा पर से ज़रूर आए हैं लेकिन खतरनाक नहीं हैं |हम कभी कानून को अपने हाथ में नहीं लेते |
हमने डरते हुए पूछा- हम आपकी क्या सेवा कर सकते हैं ?
इतने में तोताराम भी प्रकट हो गया, बोला- कर क्यों नहीं सकता सेवा ? लिख दे मोदी जी को एक सिफारिशी चिट्ठी, इनकी पेंशन के लिए ?
हमने पूछा- तुम्हें कैसे पता चला कि इनका पेंशन का केस है ?
बोला- कल ही मुम्बई में देश के ५० महामंडलेश्वरों की बैठक हुई है जिसमें प्रस्ताव पास किया गया है कि इमरजेंसी-पीड़ितों की तरह १९९२ में अयोध्या में विवादित ढाँचा तोड़ने वाले कार-सेवकों को राम-सेवकों का दर्ज़ा दिया जाए और उन्हें भी इमरजेंसी-पीड़ितों की तरह २५ हजार रुपए पेंशन दी जाए |
हमने कहा- लेकिन इनका कार-सेवा से क्या संबंध है ?
तभी पवन-पुत्र का वंशज बीच में बोल पड़ा- हमारा किसी कार-सेवा से नहीं बल्कि राम-सेवा से सीधा संबंध है |सच्चे राम-सेवक तो हम ही हैं | |हम न होते तो कौन था उस जंगल में रामजी की सहायता करने वाला ? जब ढाँचा तोड़ने वालों के लिए पेंशन की सिफारिश हो सकती है तो हम तो उनसे भी पुराने राम-सेवक हैं |
हमने कहा- आप बिना बात क्यों चिपक रहे हैं ? आपका राम तो दूर, किसी मनुष्य से भी कोई संबंध नहीं है |
बोला- क्या बात करते हैं मास्टर जी ? हम तो आपके पूर्वज है |
हमने कहा- बन्धु, हम तो तुम्हारी बात मानलें लेकिन अब मानव संसाधन राज्य मंत्री सत्यपाल सिंह जी ने कह दिया है कि डार्विन का सिद्धांत गलत है |बन्दर मनुष्य का पूर्वज नहीं है |
बोला- उनके कहने से क्या होता है ?
हमने कहा- कल का पता नहीं लेकिन आज तो उनका कहा ही चलेगा |वे भाजपा से हैं, बडौत के हैं, केमिस्ट्री के एम.एस.सी., पीएचडी हैं, जाट या राजपूत हैं, सत्य का पालन करने वाले हैं, सिंह हैं, मंत्री हैं मतलब साक्षात् ब्रह्म हैं |
तोताराम ने कहा- कार-सेवकों उर्फ़ राम-सेवकों के साथ तो तुम्हारा मामला सेट हो नहीं सकता है |हाँ, एक रास्ता है, यदि तुम्हें गाय की तरह कोई विशेष दर्ज़ा मिल जाए और गौशाला की तर्ज़ पर बन्दर-शाला के लिए सरकारी अनुदान की व्यवस्था हो सकती है |
बोला- मास्टर जी, उस दुर्गति से तो हम बिना पेंशन के ही ठीक है |गायों और नंदियों की हालत किसी से छुपी नहीं है |
हमने कहा- तो फिर अटल-पेंशन-योजना के तहत १२ रुपए महिने में दो लाख का बीमा करवा ले |
कहने लगा- मास्टर जी, बात भविष्य की नहीं, आज के खाने की है |दूसरे हम राम जी के ज़माने के हैं, हमारी उम्र छह-सात हजार साल से कम नहीं है जब कि अटल-पेंशन-योजना केवल ७० वर्ष से नीचे वालों के लिए है |
तोताराम ने कहा- तो फिर किसी 'पवन-पुत्र-पेंशन योजना' का इंतज़ार कर |
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(c) सर्वाधिकार सुरक्षित - रमेश जोशी । प्रकाशित या प्रकाशनाधीन । Ramesh Joshi. All rights reserved. All material is either published or under publication. Jhootha Sach
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