Feb 28, 2018

छोटा मोदी : बड़ा मोदी



 छोटा मोदी : बड़ा मोदी

मौसम को बेईमान ऐसे ही नहीं कहा गया है |चार दिन पहले पास के एक कस्बे में  तापमान एक डिग्री था और आज केवल चार दिन बाद सुबह दस बजे बनियान में थे |यह तो वैसे ही हो गया जैसे वेंकैया जी का आज मुम्बई के पोद्दार कॉलेज में भाषण |कुछ महिने पहले ही जहाँ पहलू खान को गायों को ले जाते हुए गौतस्कर बताकर मार डाला गया, दादरी में किसी के फ्रिज में गौमांस के संदेह पर उसे भी मृत्यु दंड दे दिया गया | वयस्क महिलाओं और पुरुषों को कहीं पार्क में बैठने को लम्पटता बताकर पीटना तो एक सामान्य बात थी वहाँ आज उप महामहिम कह रहे हैं कि बीफ खाओ, किस करो  लेकिन इसका समारोह मनाने की क्या ज़रूरत है |कहीं इसका कारण बीफभक्षी पूर्वोत्तर का चुनाव तो नहीं |पता नहीं, मौसम का क्या ठिकाना ?

खैर, आज चाय का समय भी कुछ बदल गया |कोई सात बजे थे सवेरे के |इधर पत्नी का चाय लेकर आना था कि उधर दो युवक सूटकेस घसीटते हुए आए और बरामदे में टिक गए |भले ही सड़क इस लायक नहीं है लेकिन फैशन और पहिए वाले सूटकेस की घसीटे जाने की मजबूरी |

हमने शिष्टाचारवश दोनों चाय उन्हें दे दीं |जब वे चाय पी रहे थे तो वैसे ही उनके नाम पूछ लिए |पता चला, एक का नाम रामचरण जोशी और दूसरे का नाम तीरथराम शर्मा |
इसे सुनकर हम दोनों की एक जैसी ही प्रतिक्रिया थी |

तोताराम बोला- भैया, तुम दोनों भले ही ये कप अपने साथ ले जाओ लेकिन भगवान के लिए कोई देख ले उसके पहले जल्दी से यहाँ से खिसक लो |

युवकों को भी अजीब लगा, बोले- दादाजी, यह क्या तमाशा है ? अभी तो चाय पिला रहे थे और अब भगा रहे हो ? हम कोई चोर उचक्के थोड़े ही हैं ?

हमने कहा- बेटा, तुम दोनों से हमें कोई शिकायत नहीं है लेकिन क्या बताएँ ज़माना बहुत खराब है |अब देखो, कोई नवीन मोदी नाम का एक व्यक्ति मोदी के साथ दावोस में ग्रुप फोटो में क्या दिख गया, लोगों ने 'बड़ा मोदी : छोटा मोदी' कह कर खिंचाई करना शुरू कर दिया | कल को कोई कह देगा कि मैंने रमेश जोशी और तोताराम शर्मा के साथ दो युवकों चाय पीते देखा गया जिनके नाम क्रमशः रामचरण जोशी और तीरथराम शर्मा थे, तो मुश्किल हो जाएगी |मोदी जी के पास तो ज़वाब देने के लिए निर्मला सीतारमण, रवि शंकर प्रसाद और जावडेकर जैसे वित्त विशेषज्ञ हैं लेकिन हमें तो सारे ज़वाब खुद ही देने पड़ेंगे |भैया, माफ़ करो |

युवक हँसे, बोले- आप दोनों भले ही अब निदेशक मंडल से अधिक कुछ नहीं जिनके लिए पार्टी के नए कार्यालय में सीढियों के नीचे भी जगह नहीं है, लेकिन फेंकते बहुत ऊँची हो |पता है, दावोस कहाँ है और जिस संस्थान की मीटिंग में मोदी जी गए थे उस क्लब टाइप संस्थान का वार्षिक शुल्क है चार करोड़ रुपया | कभी देखे हैं चार करोड़ ? और यदि गिनने को दे दिए जाएँ तो शेष ज़िन्दगी उसी में निकल जाएगी |

तोताराम बोला- बच्चो, भले ही तीव्र विकास की इस दौड़ में हम कुछ नहीं हैं लेकिन देश का लोकतंत्र बहुत तेज़ी से विकसित हो रहा है |कभी चाय केन्द्रित, कभी पकौड़ा केन्द्रित | और अभी वेंकैया जी ने थोडा घुमाकर बीफ और किस की इजाज़त दे दी है तो क्या पता कल बुजुर्गों के भी दिन फिरें और हम राडार पर आ जाएँ |इसलिए रिस्क लेना ठीक नहीं |

युवक आधी चाय छोड़कर चले गए |

  



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(c) सर्वाधिकार सुरक्षित - रमेश जोशी । प्रकाशित या प्रकाशनाधीन । Ramesh Joshi. All rights reserved. All material is either published or under publication. Jhootha Sach

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