Oct 29, 2008
टुच्चा देश
सारा पालिन मेडम,
भगवान आपको काले ओबामा की काली छाया और ज़रदारी जैसों की रसिकता से बचाए वैसे ओबामा आदमी तो बुरा नहीं है। काला है तो क्या? भगवान की मर्जी। हमने तो राम, कृष्ण, शिव,विष्णु को काले रंग के कारण रिजेक्ट नहीं किया। यह बात और है की काले का राष्ट्रपति होना अमरीका की समृद्ध परम्परा में नहीं है। ओबामा के पितृ पक्ष के पूर्वज मुसलमान थे, ठीक है पर मुसलमान १५०० वर्ष और ईसाई २००० हज़ार वर्ष पहले कहाँ थे? हमारे यहाँ के सभी ईसाई और मुसलमान हिंदू थे पर आज न तो वे अपने को भूतपूर्व हिन्दू मानते हैं और न हम। और फिर ओबामा के नाना-नानी तो गोरे ईसाई हैं। पर खैर यहाँ आपके महान लोकतंत्र का अंदरूनी मामला है। हमारे लोकतंत्र में तो तीन-तीन मुसलमान राष्ट्रपति हो चुके हैं और अब भी प्रधान मंत्री एक अल्पसंख्यक है और कांग्रेस की अध्यक्षा इटली मूल की एक महिला है। जहाँ तक ज़रदारी की बात है बेचारा विधुर है और फिर आपकी प्रशंसा किस तरह करता क्योंकि आपके खाते में ब्यूटी क्वीन के अलावा और कोई उपलब्धि भी तो नहीं है।
हम तो आपको दिवाली की बधाई देने वाले थे पर क्या करें आपके यहाँ तो आजकल दिवाली की जगह दिवाला चल रहा है। वैसे दिवाले का भी क्या दोष? क्रेडिट कार्ड दे देकर आपने लोगों को फिजूल खर्च बना दिया आपके अर्थशास्त्रियों ने भी ब्रह्म वाक्य मान लिया की जितना उपभोग,उतना उत्पादन और जितना उत्पादन उतनी गतिशील अर्थव्यवस्था। पर आप यह भूल गए कि बूँद-बूँद टपकने से घड़ा खाली हो जाता है। आपने तो घड़े का पेंदा ही निकाल दिया। सो यह तो होना ही था। हमारे भारत को देखो रूखा-सूखा खाकर भी दिवाली मना रहा है और पटाखे फोड़ रहा है। शेयर बाज़ार की बात छोडिये वह तो जुवारियों का धंधा है।
वैसी एक बात कहना चाहेंगे कि आपका देश है बड़ा टुच्चा। अरे, आपने पार्टी फंड से एक लाख के कपड़े क्या सिलवा लिए , लोगों के पेट में दर्द होने लगा। हमारे यहाँ जय ललिता के पास दस हज़ार साडियाँ और आठ हज़ार सेंडिल हैं पर किसी कोई तकलीफ नहीं है महँगी पोशाकें राजा-रानी, नेता नहीं पहनेंगे तो क्या गाँधी, आमटे, टेरेसा या मेधा पाटकर पहनेंगे? हमारे यहाँ तो फिल्म में नाचने वाली भी एक गाने में बीस-बीस ड्रेसें बदल लेती है, हीरोइन का लहंगा दस पन्द्रह लाख का बन जाता है। अमिताभ बच्चन का चश्मा दो लाख का है पर क्या किसीको आलोचना करते सुना है? लोग सीटियाँ और तालियाँ बजाते हैं और मज़ा लेते हैं।
सोचने की बात है। आप सबसे धनवान देश की उपराष्ट्रपति पद की उम्मीदवार हैं तो क्या आप और आपका परिवार दस-दस डालर की जींस पहनकर जनता के सामने आता? अरे जो नेता अपने लिए कीमती कपडों का इंतज़ाम नहीं कर सकता वह जनता का क्या स्तर ऊंचा उठाएगा ?नेता के ठाठ ही उसकी क्षमता का प्रमाण हैं। और फिर आप क्या ये कपड़े पहन कर सोयेंगी? पहनकर जनता को ही तो दर्शन देंगी जनता आनंदित होगी सो जनता का पैसा जनता के ही तो काम आ रहा है। रानी एलिजाबेथ क्या घर के अन्दर ताज को ढोती हैं? जनता के आनंद के लिए बुढापे में भी दो किलो का ताज सर पर रखकर जनता को दर्शन देने पड़ते हैं। और आपने तो यहाँ तक कहा है कि चुनाव के बाद ये कपड़े आप दान में दे देंगी। चुनाव के समय ऐसे वक्तव्य देने ही चाहियें। वैसे हारने के बाद कौन पूछता है। क्या ज़रूरत है दान देने की। यदि जीत जाएँ तो ड्रेसें नीलाम करना। अमरीका में बड़े गुण ग्राहक लोग हैं। क्लिंटन,माइकल जेक्शन की वे ड्रेसें, पेरिस हिल्टन के कुत्ते का जूठा टिन,ब्रितानी का जूठा बर्गर तक लोगों ने लाखों करोड़ों में खरीद लिए फिर आप तो ब्यूटी क्वीन हैं। बड़े सेलेब्रिटीज के कुत्तों तक का गू पूज्य और संग्रहणीय होता है।
चुनाव का क्या परिणाम होगा कुछ नहीं कहा जा सकता। यह तो आपकी पार्टी के नस्ल,धर्मं,रंग और जेंडर के मुद्दों को भुनाने की क्षमता पर निर्भर करता है।
फिलहाल इतना ही। शेष चुनाव परिणामों के बाद। वैसे आपको एक सलाह देना चाहेंगे कि यह बात करते-करते आँख मारने की आदत छोडिये वरना बेचारे कितने ज़रदारी चक्कर में पड़ेंगे।
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२९ अक्टूबर २००८
पार्टी फंड से एक लाख के कपड़े
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Jhootha Sach
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अब तो आ लिए चुनाव परिणाम..अब आगे? :)
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